बाह्य क्षेत्र : एफडीआई में सुधार
- वैश्विक अनिश्चितताओं और प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच भारत का बाहरी क्षेत्र सुदृढ़ बना हुआ है।
 - वित्त वर्ष 2025 के पहले 9 महीनों में कुल निर्यात में (व्यापार+सेवा) 6 प्रतिशत (वर्ष दर वर्ष) की वृद्धि दर्ज की गई।
 - दूरसंचार, कम्प्यूटर और सूचना सेवा क्षेत्र के वैश्विक निर्यात बाजार में भारत की हिस्सेदारी 10.2 फीसदी है, अंकटाड के अनुसार इस क्षेत्र में भारत का स्थान पूरी दुनिया में दूसरा है।
 - वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में भारत का चालू खाता घाटा जीडीपी का 1.2 फीसदी रहा, जिसे नेट सेवा प्राप्तियों की वृद्धि तथा निजी अंतरण प्राप्तियों में वृद्धि से समर्थन मिला है।
 - वित्त वर्ष 2025 ....
 
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						  - 1 एआई के युग में श्रम की स्थिति
 - 2 रोजगार और कौशल विकास
 - 3 सामाजिक क्षेत्र
 - 4 जलवायु और पर्यावरण: अनुकूलन की अनिवार्यता
 - 5 कृषि और खाद्य प्रबंधन
 - 6 सेवा क्षेत्र
 - 7 उद्योग एवं व्यापार सुधार
 - 8 निवेश और अवसंरचना
 - 9 मध्य अवधि दृष्टिः विनियमन में कमी से विकास को गति
 - 10 मूल्य और मुद्रा स्फीति
 - 11 मौद्रिक और वित्तीय क्षेत्र
 - 12 अर्थव्यवस्था की स्थिति
 - 13 अध्याय 13:जलवायु परिवर्तन और भारत
 - 14 अध्याय 12:अवसंरचना
 - 15 अध्याय 11: सेवाएं
 - 16 अध्याय 10: मध्यम एवं लघु उद्योग
 - 17 अध्याय 9: कृषि और खाद्य प्रबंधन
 - 18 अध्याय 8: रोजगार और कौशल विकास
 - 19 अध्याय 7: सामाजिक क्षेत्र
 - 20 अध्याय 6: जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा स्रोतों में बदलाव को अपनाना
 - 21 अध्याय 5: मध्य अवधि दृष्टिकोण- न्यू इंडिया के लिए विकास रणनीति
 - 22 अध्याय 4: बाह्य क्षेत्र
 - 23 अध्याय 3: कीमतें और मुद्रास्फीति
 - 24 अध्याय 2: मौद्रिक प्रबंधन और वित्तीय मध्यस्थता
 - 25 अध्याय 1: आर्थिक स्थिति – स्थिर
 - 26 पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन
 - 27 सामाजिक अवसंरचना और रोजगार
 - 28 भौतिक और डिजिटल अवसंरचना
 - 29 बाह्य क्षेत्र
 - 30 सेवा क्षेत्र
 - 31 उधोग एवं निवेश
 - 32 कृषि एवं खाद्य प्रबंधन
 - 33 वस्तुओं के मूल्य एवं महंगाई
 - 34 मौद्रिक प्रबंधान और वित्तीय स्थिरता
 - 35 राजकोषीय स्थिति
 - 36 2014-22 के दौरान विकास परिदृश्य
 - 37 आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22
 

