पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रः निषिध्द, विनियमित और अनुमत गतिविधिायां
इको-सेंसिटिव जोन (ESZ) भारत में संरक्षित क्षेत्रों, राष्ट्रीय उद्यान तथा वन्यजीव अभयारण्यों के आसपास के क्षेत्रों को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC), भारत सरकार द्वारा अधिसूचित किया जाता है।
- पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र (ESZ) कुछ प्रजातियों के प्राकृतिक आवासों को संरक्षित करने और जैव विविधता संरक्षण के लिए एक आरक्षित स्थान हैं।
- इसका उद्देश्य पारिस्थितिक असंतुलन तथा मनुष्यों एवं प्रकृति के मध्य संघर्ष को कम करना है।
पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र (ESZ)
- ईएसजेड घोषित करने का उद्देश्य, विशेष रूप से प्राकृतिक उद्यानों एवं वन्यजीव अभयारण्यों के आसपास विशिष्ट गतिविधियों को विनियमित एवं ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 भारत में वनाग्नि प्रबंधन
- 2 जलवायु परिवर्तन का सामाजिक संवेदनशीलता और लैंगिक असमानता पर प्रभाव
- 3 जलवायु-प्रेरित विस्थापन एवं नीतिगत ढाँचे की आवश्यकता
- 4 उत्तराखंड में बादल फ़टने की घटनाएँ: जलवायु संबंध
- 5 हिमनद झील विस्फ़ोट बाढ़ (GLOFs) का प्रबंधान
- 6 भूस्खलन जोखिम आकलन एवं प्रबंधन रणनीतियाँ
- 7 आपदा जोखिम न्यूनीकरण और प्रतिक्रिया में प्रौद्योगिकी की भूमिका
- 8 आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2025: जलवायु जोखिमों का एकीकृत
- 9 पर्यावरण-आर्थिक लेखांकन प्रणाली (SEEA)
- 10 पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्रः हालिया अधिसूचनाएँ और कानूनी संघर्ष

- 1 शहरी ताप द्वीप: कारण, प्रभाव एवं समाधान
- 2 समुद्री गर्म लहरें: कारण एवं प्रभाव
- 3 भारत में कार्बन क्रेडिट व्यापार
- 4 ओजोन क्षयकारी पदार्थ
- 5 मीथेन उत्सर्जन: स्रोत, प्रभाव एवं पहल
- 6 भारत की विकार्बनीकरण पहल
- 7 प्रवाल विरंजन: कारण एवं प्रभाव
- 8 जैव विविधाता संरक्षणः विधिायां और रणनीतियां
- 9 भारत में जैव विविधाता हॉटस्पॉटः स्थानिक प्रजातियां और खतरे
- 10 प्रतिपूरक वनीकरणः भारत में पहलें
- 11 समुद्री शैवाल - विशेषताएं, आवास और उपयोग
- 12 भारत में प्लास्टिक प्रदूषण: रोकथाम के प्रयास
- 13 महासागरीय अम्लीकरणः कारण एवं प्रभाव
- 14 भारत में भूमि निम्नीकरणः कारण, प्रभाव और पहल
- 15 आर्द्रभूमि संरक्षणः कानून, अभिसमय और अन्य पहल
- 16 EIA : भारत में तंत्र और प्रक्रिया
- 17 जलवायु प्रत्यास्थ कृषि: प्रमुख पहलें
- 18 पर्यावरण शासनः भारत में संगठन
- 19 भारत में स्वच्छ शहरी गतिशीलता पहल
- 20 भारत में चक्रवात की तैयारी और पूर्व चेतावनी प्रणाली
- 21 भारत में जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधान
- 22 सुपरकंप्यूटरः सरकार की पहलें एवं उपलब्धिायां
- 23 क्वांटम कम्प्यूटिंग एवं भारत सरकार की पहलें
- 24 जनरेटिव प्री-ट्रेंड ट्रांसफार्मर (GPT)
- 25 प्रुफ-ऑफ-स्टेक तंत्र
- 26 विस्तारित वास्तविकता
- 27 ऑर्गेनॉइड इंटेलिजेंस और बायो-कंप्यूटर
- 28 बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (BESS): प्रौद्योगिकी और उपयोग
- 29 सेमीकंडक्टरः प्रौद्योगिकी और पहलें
- 30 ओपन नेटवर्क फ़ॉर डिजिटल कॉमर्स
- 31 आईसीटी: प्रौद्योगिकी एवं शब्दावली
- 32 साइबर सुरक्षा एवं भारत की प्रमुख पहलें
- 33 इंटरनेट ऑफ़ बिहेवियर (IoB)
- 34 दुर्लभ रोग एवं भारत की नीति
- 35 उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग’’
- 36 खाद्य संरक्षाः भारत में मानक तंत्र
- 37 वन हेल्थ दृष्टिकोणः भारतीय पहलें
- 38 विटामिन और मिनरल की कमी से होने वाले रोग
- 39 नैनो-सामग्रीः अनुप्रयोग
- 40 संश्लेषित जीव विज्ञान एवं इसके अनुप्रयोग
- 41 उपयोगी एवं हानिकारक सूक्ष्मजीव
- 42 अंतरिक्ष मलबा: राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय प्रयास
- 43 चंद्रयान-3: प्रौद्योगिकी एवं पेलोड
- 44 भारत की स्वदेशी बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली
- 45 कार्बन अवशोषण, उपयोग एवं भंडारण प्रौद्योगिकी