Question : भारत के संविधान की संशोधन प्रक्रिया की सामान्य विशिष्टताएं क्या हैं?
(1992)
Answer : भारतीय संविधान में संशोधन प्रक्रिया अनुच्छेद 368 में वर्णित है। भारतीय संविधान में संशोधन हेतु निम्न तीन रीतियों का समावेश किया गया है-
1.सामान्य बहुमतः संसद के सामान्य बहुमत से पास होने व राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल जाने के बाद किसी विधेयक द्वारा संविधान में संशोधन किया जा सकता है। नए राज्य का निर्माण, राज्य के क्षेत्र, सीमा व नाम में परिवर्तन, राज्य की व्यवस्थापिका के दूसरे सदन का उन्मूलन व पुनर्स्थापन, नागरिकता, अनुसूचित क्षेत्रों, अनुसूचित ....
Question : आंचलिक (क्षेत्रीय) परिषद क्या है? अंतरराज्यीय सौहार्द प्राप्त करने के संदर्भ में इनके संविधान, भूमिका तथा महत्व का विवेचन कीजिए।
(1992)
Answer : राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 द्वारा देश को 5 क्षेत्रों में बांटा गया है तथा प्रत्येक क्षेत्र की अपनी-अपनी परिषद है। पांच क्षेत्रीय परिषद निम्नवत् हैं-
I.उत्तरी क्षेत्रः इसमें हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली व हिमाचल प्रदेश हैं।
II.पूर्वी क्षेत्रः इसमें बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, असम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम व अरुणाचल प्रदेश हैं।
III.मध्य क्षेत्रः इसमें उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश हैं।
IV.पश्चिम क्षेत्रः इसमें गुजरात, महाराष्ट्र व कर्नाटक है।
V.दक्षिण क्षेत्रः इसमें आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु व केरल है।
अंतरराज्यीय समझ-बूझ ....
Question : भाग IV में अन्तर्विष्ट निर्देशों के अतिरिक्त संविधान के अन्य भागों में कुछ और निर्देश हैं जो राज्यों के नाम हैं, वे क्या हैं?
(1992)
Answer : भारत के संविधान के भाग IV में अनुच्छेद 36 से 51 तक राज्य के नीति निर्देशक तत्वों का उल्लेख है। भाग IV में अन्तर्विष्ट निर्देशों के अतिरिक्त संविधान के अन्य भागों में कुछ अन्य निर्देश हैं, जो राज्यों से संबंधित हैं। उदाहरणार्थ, अनुच्छेद 335 संघ या राज्यों के क्रियाकलापों से संबंधित संवाओं और पदों के लिए की जाने वाले नियुक्तियों में अनुसूचित जातियों व जनजातियों के आरक्षण का प्रावधान करता है। अनुच्छेद 350(क) भाषायी आधार ....
Question : अल्पसंख्यक आयोग की हैसियत, संगठन एवं कार्यों को समझाइये।
(1992)
Answer : अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा और संरक्षण के उद्देश्य से सरकार ने 1978 में अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की। अभी तक यह एक गैर-वैधानिक संगठन था, लेकिन वर्तमान सरकार ने इसके स्थान पर अल्पसंख्यकों के लिए एक राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की है, जो कि पूरी तरह एक वैधानिक संगठन है। ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि यह आयोग प्रभावी ढंग से कार्य करते हुए अपने निर्णयों का क्रियान्वयन करा सके। अल्पसंख्यक आयोग में अध्यक्ष ....
Question : सरकारी उपक्रम समिति की संरचना एवं कार्यों को बताइये। (प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 150 शब्दों में होना चाहिए)
(1992)
Answer : सरकारी उपक्रम समिति की स्थापना मई, 1964 में विभिन्न औद्योगिक उपक्रमों के क्रियाकलापों को अनुशासित व नियंत्रित करने के उद्देश्य से की गई थी। समिति में लोकसभा के 15 सदस्य होते हैं, जो कि सदन द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार एकलसंक्रमणीय रीति द्वारा चुने जाते हैं। समिति में राज्यसभा के सात सदस्य होते हैं, जिनका चुनाव लोकसभा से संबंधित सदस्यों के निर्वाचन के अनुरूप ही राज्यसभा द्वारा किया जाता है। समिति का अध्यक्ष समिति के ....
Question : मंत्रिपरिषद एवं मंत्रिमंडल के बीच के अंतर को समझाइये।
(1992)
Answer : मंत्रिपरिषद: सामान्य रूप से कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री, उपमंत्री तथा संसदीय सचिव - इन चार प्रकार के मंत्रियों व प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री से मिलकर बनी परिषद को सामूहिक रूप से मंत्रिपरिषद कहा जाता है।
मंत्रिमंडल (कैबिनेट): यह मंत्रिपरिषद के अंतर्गत प्रथम श्रेणी के मंत्रियों का एक समूह होता है। इसमें वे मंत्री होते हैं, जो अपने-अपने विभागों के प्रमुख होते हैं। ये सम्मिलित रूप से पूरी प्रशासनिक नीति का निर्धारण करते हैं। मंत्रिमंडल में केवल प्रधानमंत्री ....
Question : परमादेश की रिट कुछ व्यक्तियों के विरूद्ध नहीं स्वीकृत होगी। वे कौन हैं?
(1992)
Answer : परमादेश न्यायालय का एक ऐसा आदेश है, जो सार्वजनिक अधिकारियों को उनके निर्दिष्ट कार्य संपादन के लिए कहता है। इसका आज्ञा-पत्र उस समय जारी किया जाता है, जब कोई पदाधिकारी अपने सार्वजनिक कर्त्तव्य का निर्वाह नहीं करता है। राष्ट्रपति, राज्य के राज्यपाल, उच्च न्यायालय एवं न्यायिक हैसियत से कार्यरत न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार तथा राज्य के विधानमंडल के विरूद्ध परमादेश जारी नहीं किया जा सकता ....
Question : अखिल भारतीय सेवाओं तथा केंद्रीय सेवाओं के बीच अंतर समझाइये।
(1992)
Answer : अखिल भारतीय सेवाएं: ये सेवाएं संघ सरकार व राज्य सरकार दोनों के लिए होती हैं। इन सेवाओं के अधिकारी विशुद्ध रूप से संघ या फिर राज्य की सेवा में न होकर, दोनों ही सेवा में होते हैं। इस प्रकार की सेवाओं में भारतीय प्रशासनिक सेवा व भारतीय पुलिस सेवा आती है।
केंद्रीय सेवाएं: इन सेवाओं का संबंध संघीय सूची के विषयों के प्रशासन से है। ये सेवाएं संघ सरकार के अधिकार क्षेत्र में आती हैं।इस प्रकार ....
Question : वार्षिक वित्तीय विवरण एवं वार्षिक वित्त विधेयक में अंतर बताइये।
(1992)
Answer : वार्षिक वित्तीय विवरण: सामान्यतः वार्षिक वित्तीय विवरण को बजट भी कहा जाता है। सरकार के आनुमानित आय-व्यय का विवरण, जिसको राष्ट्रपति प्रत्येक वित्तीय वर्ष संसद में प्रस्तुत करता है, वार्षिक वित्तीय विवरण कहा जाता है।
वार्षिक वित्त विधेयक: सरकार द्वारा तैयार किया जाने वाला वह विधेयक, जो कि आने वाले वित्तीय वर्ष के लिए सरकार के सभी कर प्रस्तावों को शामिल करता है, वार्षिक वित्त विधेयक कहलाता ....
Question : विधानमंडल का पंगु-सत्र क्या है?
(1992)
Answer : पंगु सत्र से तात्पर्य व्यवस्थापिका के उस सत्र से होता है, जिसमें पूर्व व्यवस्थापिका, नवनिर्वाचित व्यवस्थापिका के उद्घाटन सत्र के पूर्व तक राजनीतिक शक्तियों का प्रयोग करती रहती है। उदाहरणार्थ, अमेरिका में प्रतिनिधि सदन का निर्वाचन नवंबर में हो जाता है, लेकिन वह कार्यारम्भ आगामी जनवरी में करता है। इस प्रकार, नवंबर व जनवरी के बीच की अवधि में पूर्व का प्रतिनिधि सदन ही कार्यरत रहता ....
Question : ‘प्रोटेम स्पीकर’ कौन है? उसकी क्या जिम्मेदारियां हैं?
(1992)
Answer : प्रोटेम स्पीकर: आम चुनावों के बाद नये सदन में अध्यक्ष या उपाध्यक्ष का चुनाव होने से पूर्व सदन की बैठक चलाने के लिए राष्ट्रपति अस्थायी रूप से किसी वरिष्ठ सदस्य को अस्थायी अध्यक्ष (प्रोटेम स्पीकर) नामित कर देता है। इसी प्रकार, अध्यक्ष व उपाध्यक्ष दोनों की अनुपस्थिति में राष्ट्रपति, अध्यक्ष पैनल में से किसी भी सदस्य को अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त कर देता है। अस्थायी अध्यक्ष नये सदस्यों को सदन में शपथ दिलाने व नये अध्यक्ष ....
Question : भारत में राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री के बीच संवैधानिक संबंधों की जांच कीजिए।
(1991)
Answer : भारत में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच संबंध सदैव बहुत ज्यादा स्नेहपूर्ण नहीं रहे हैं। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के मध्य विद्यमान मतभेद सर्वविदित हैं। राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी के बीच संबंधों में कड़वाहट भी किसी से छुपी नहीं है। 1987 में संसद द्वारा पारित पोस्टल बिल को जैल सिंह ने संसद के पुनर्विचार के लिए ....
Question : क्या राज्यों को और ज्यादा स्वायत्तता प्रदान करना, विशेषकर हाल की हुई घटनाओं के संदर्भ में, देश की अखंडता को सुदृढ़ बनाने तथा आर्थिक विकास के संवर्द्धन के हित में होगा? परीक्षण कीजिए।
(1991)
Answer : नेहरू युग के बाद, विशेषकर हाल-फिलहाल की घटनाओं से ऐसा प्रतीत होता है कि देश के अधिकांश राज्य अधिक स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं। इसका एक प्रमुख कारण छोटी-छोटी क्षेत्रीय पार्टियों का उदय तथा केंद्र सरकार के पास अधिक आर्थिक अधिकार होना है। राज्य सरकारें स्वयं इतने संसाधन नहीं जुटा पाती है कि वे संविधान में दिए गए दायित्वों को पूरा कर सके। इसलिए उन्हें केंद्र की आर्थिक सहायता पर अपने विकास कार्यों से ....
Question : अनुसूचित क्षेत्र से संबंधित भारत के राष्ट्रपति के अधिकार का विवेचन कीजिए।
(1991)
Answer : संसद द्वारा बनाए गए विधान के अधीन रहते हुए राष्ट्रपति को यह शक्ति दी गई है कि वह किसी क्षेत्र को ‘अनुसूचित क्षेत्र’ घोषित कर दे (5वीं अनुसूची, पैरा (6, 7)। राष्ट्रपति ने इस शक्ति के अनुसरण में अनुसूचित क्षेत्र आदेश, 1950 निकाला। ये क्षेत्र विभिन्न राज्यों में ‘अनुसूचित जनजाति’ के रूप में विनिर्दिष्ट जनजातियों के निवास क्षेत्र हैं। संविधान की पांचवीं और छठी अनुसूची में उपबंधित प्रशासन के अनुसार संघ की कार्यपालिका शक्ति का ....
Question : वे कौन-से संवैधानिक प्रावधान हैं, जो भारत में लोक सेवा आयोग की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करते हैं?
(1991)
Answer : संविधान के वे उपबंध जो कि भारत में लोक सेवा आयोग की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करते हैं, निम्नवत हैं-
Question : भारतीय राजव्यवस्था की धर्मनिरपेक्ष भावना तथा भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति का विवेचन कीजिए।
(1991)
Answer : भारतीय राजनीतिक व्यवस्था, संविधान के अंतर्गत प्रकृति से धर्मनिरपेक्ष है अर्थात भारत एक ऐसा राज्य है, जो सभी धर्मों के प्रति तटस्थता और निष्पक्षता का भाव रखता है। पंथनिरपेक्ष राज्य इस विचार पर आधारित होता है कि राज्य का विषय केवल व्यक्ति और व्यक्ति के संबंध से है, व्यक्ति और ईश्वर के बीच संबंध से नहीं। यह संबंध व्यक्ति के अंतःकरण का विषय है। संविधान के कई उपबंधों द्वारा सभी धर्मों के प्रति निष्पक्षता का ....
Question : ‘भारत में योजना प्रचालन संघवाद को अपरदन की ओर ले गया है।’
(1991)
Answer : ‘आर्थिक और सामाजिक नियोजन’ भारतीय संविधान के सातवें परिशिष्ट की समवर्ती सूची का विषय है। समवर्ती सूची के विषयों के संबंध में संसद तथा राज्य के विधानमंडल दोनों ही विधि निर्माण कर सकते हैं। इसका लाभ उठा कर केंद्र ने 15 मार्च, 1950 को बिना विधान बनाए मात्र एक प्रस्ताव पारित करके संघ तथा राज्यों के समस्त प्रशासन पर अपनी नीतियों की व्यावहारिक एकरूपता स्थापित करने के लिए योजना आयोग की स्थापना कर दी। उल्लेखनीय ....
Question : मूल्यों पर आधारित राजनीति एवं व्यक्तित्व पर आधारित राजनीति के बीच के अंतर को समझाइये।
(1991)
Answer : इस प्रकार की राजनीति में समाज के लिए हितकर मुद्दों के आलोचनात्मक विश्लेषण पर विशेष बल दिया जाता है। इसमें नीति संबंधी सिद्धांतों पर जोर रहता है। जबकि व्यक्ति आधारित राजनीति में किसी व्यक्ति विशेष की विचारधारा पूरी राजनीति को प्रभावित किए रहती ....
Question : कामचलाऊ सरकार तथा अल्पमत सरकार में अंतर समझाइये।
(1991)
Answer : कामचलाऊ सरकार (Care-taker Govt.): संसद में बहुमत खो चुकी वह सरकार, जो राष्ट्रपति के अनुरोध पर नए चुनाव हो जाने तक शक्ति में बनी रहे।
अल्पमत सरकार (Minority Government): अल्पमत सरकार का गठन तब होता है, जब सत्ताधारी दल को अपने बूते पर स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं होता है, लेकिन वह अन्य दलों के समर्थन से सरकार बना लेता ....
Question : कब किसी राज्य का राज्यपाल किसी विधेयक (बिल) को भारत के राष्ट्रपति के विचारार्थ आरक्षित कर सकता है?
(1991)
Answer : राज्यपाल किसी भी विधेयक को कभी भी राष्ट्रपति के विचारार्थ आरक्षित कर सकता है (अनुच्छेद 200)। उच्च न्यायालय की शक्तियों में परिवर्तन करने वाले किसी अधिनियम को राष्ट्रपति के विचारार्थ भेजा जाना अनिवार्य ....
Question : शिक्षा को राज्य सूची से निकाल कर भारतीय संविधान की समवर्ती सूची में क्यों डाल दिया गया था?
(1991)
Answer : केंद्र व राज्य सरकार के बीच मतभेदों से बचने के लिए शिक्षा को राज्य सूची से हटाकर समवर्ती सूची में डाल दिया ....
Question : मंत्रिमंडल के कार्यों को बताइये।
(1991)
Answer : कैबिनेट, मंत्रिपरिषद के अन्तर्गत महत्वपूर्ण मंत्रालयों के प्रमुख मंत्रियों का एक संगठन (body) है। कैबिनेट, सरकार की नीति निर्धारण करने वाली सर्वोच्च परिषद है। यह नीतियों को बनाने व लागू करवाने के लिए भी उत्तरदायी होती ....
Question : प्रशासन में संगठन एवं पद्धति (ओ. तथा एम.) का क्या महत्व है?
(1991)
Answer : ओ. तथा एम. (ऑर्गेनाइजेशन एंड मेथॉड) एक ऐसी संस्थानिक व्यवस्था है, जो सरकार के संगठन व प्रक्रिया को सुधारता है। यह सरकार की कार्यक्षमता में सुधार को भी सुनिश्चित करता ....
Question : भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के कर्त्तव्यों तथा शक्तियों को लेखा परीक्षण के संदर्भ में परिभाषित करते हुए यह बताइए कि कार्यपालिका के नियंत्रण से उनको स्वतंत्र रखने के लिए संविधान में क्या व्यवस्था की गई है?
(1989)
Answer : भारत के संविधान के अनुच्छेद 148 से 151 में नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक के संबंध में प्रावधान हैं। अनुच्छेद 148 के अनुसार, उसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। वह देश की समस्त वित्तीय प्रणाली का नियंत्रण करता है। अनुच्छेद 149 के अनुसार, वह संघ, राज्यों या संसद के किसी कानून के तहत किसी अन्य संस्था के लेखों के संबंध में उन कर्त्तव्यों का पालन और ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेगा, जो संविधान लागू होने ....
Question : भारतीय संसद की शक्तियों, विशेष अधिकारों तथा उन्मुक्तियों का विवेचन कीजिए।
(1989)
Answer : भारत के संविधान के अनुसार भारतीय संसद के कार्य एवं अधिकार निम्नवत हैं-
Question : लोकसभा के अध्यक्ष की शक्तियों तथा कृत्यों का परीक्षण कीजिए।
(1989)
Answer : लोकसभा अपने सदस्यों में से बहुमत द्वारा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चुनाव करती है (अनुच्छेद 93)। इनका कार्यकाल लोकसभा के भंग होने पर स्वतः समाप्त हो जाता है। अध्यक्ष अपनी सहायता के लिए कुछ सदस्यों का एक अध्यक्ष मंडल भी मनोनीत करता है तथा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष की अनुपस्थिति में इस अध्यक्ष मंडल का कोई सदस्य लोकसभा की कारवाई का संचालन करता है। लोकसभा अध्यक्ष के प्रमुख कार्य व शक्तियां निम्नवत हैं-
Question : भारत की संसदीय पद्धति की परिसंघीय व्यवस्था के परिप्रेक्ष्य में द्वितीय सदन के रूप में राज्यसभा की प्रासंगिकता समझाइये।
(1989)
Answer : वित्त विधेयक को छोड़ कर अन्य समस्त विधेयकों के संबंध में लोकसभा व राज्यसभा को समान शक्तियां प्राप्त हैं। किसी विधेयक पर मतभेद की स्थिति में राष्ट्रपति दोनों सदनों का संयुक्त अधिवेशन बुलाता है तथा उसमें जो पारित होता है वही सदन द्वारा पारित माना जाता है। इस स्थिति में राज्यसभा की शक्ति कम हो जाती है, क्योंकि राज्यसभा सदस्यों की संख्या लोकसभा से कम होती है। राज्यसभा की यह स्थिति उसे एक कमजोर, निरर्थक ....
Question : भारत के संदर्भ में कार्यपालिका तथा विधायिका के बीच के संबंध का विवेचन कीजिए।
(1989)
Answer : भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त व्यवस्थानुसार, विधायिका (संसद) तथा कार्यपालिका (मंत्रिमंडल) में गहन संबंध है। विधायिका का कार्य संघीय सूची के विषयों पर कानून निर्माण करना तथा कार्यपालिका का कार्य उन कानूनों का क्रियान्वयन करना है। भारत में कार्यपालिका के सदस्य संसद के भी सदस्य होते हैं तथा वे लोकसभा के प्रति उत्तरदायी अनुच्छेद 75(3), होते हैं। प्रधानमंत्री व मंत्रिपरिषद ही संसद को नेतृत्व प्रदान करते हैं तथा मंत्रिमंडल उसी समय तक अपने पद पर बना ....
Question : भारतीय संसद में समिति पद्धति के संगठन तथा कृत्यों का विवरण दीजिए।
(1989)
Answer : संसद के पास हर मामले के लिए समय, दक्षता व परीक्षण करने का अभाव होता है। अतः संसद अपने कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के लिए विभिन्न समितियों का सहयोग लेती है। इसके लिए संसद सदस्य संसद में प्रस्ताव पेश करते हैं या ये सदनों के पीठासीन अधिकारियों द्वारा नाम निर्दिष्ट की जाती हैं। भारत में दो प्रकार की संसदीय समितियां होती हैं-
Question : संसद में कटौती प्रस्ताव से क्या तात्पर्य है? उसके विभिन्न प्रकार बताइये?
(1989)
Answer : संसद में किसी मंत्रालय की प्रस्तुत अनुदान मांगों पर विचार करने के उपरांत अनुदान मांगों पर संसद सदस्यों द्वारा कटौती करने का प्रस्ताव, कटौती प्रस्ताव कहलाता है। इससे संसद सदस्यों को उस मंत्रालय के कार्यकलापों का परीक्षण करने का एक सही अवसर मिल जाता है। कटौती प्रस्ताव तीन प्रकार के होते हैं-
Question : भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों से सम्बद्ध परामर्शदात्री समितियों के महत्व का विवेचन कीजिए।
(1989)
Answer : विभिन्न मंत्रालयों से सम्बद्ध परामर्शदात्री समितियों के लिए संसद सदस्य अपनी प्राथमिकता संसदीय कार्य मंत्री को बताते हैं। संसदीय मंत्री उनमें से विविध समितियों में दलीय शक्ति के अनुसार सदस्यों की नियुक्ति करता है। समितियों की समय-समय पर होने वाली बैठकों में विभाग से संबंधित समस्याओं पर विचार किया जाता है। यह पूरी तरह औपचारिक व्यवस्था है तथा इसके कोई नियम व संविधान नहीं होते और इसके निर्णय भी बाध्यकारी नहीं होते। इसका मूल कार्य ....
Question : संसद में पूछे जाने वाले तारांकित तथा उप-तारांकित प्रश्नों का अंतर समझाइये।
(1989)
Answer : संसद में जिस प्रश्न का उत्तर सदस्य मौखिक रूप से चाहता है, उस प्रश्न के सामने तारा अंकित कर देता है तथा मंत्री द्वारा उत्तर दिए जाने के बाद पूरक प्रश्न पूछे जा सकते हैं। जबकि जिन प्रश्नों के आगे तारा अंकित नहीं रहता, उनके उत्तर मंत्री मौखिक रूप से नहीं देते, बल्कि उत्तर लिख कर प्रश्नकाल के बाद सदन की मेज पर रख देते हैं। इसमें पूरक प्रश्न नहीं पूछे जा सकते ....
Question : संसद के भंग विशेषाधिकार सदन की अवमानना से किस प्रकार भिन्न हैं?
(1989)
Answer : संविधान में संसद सदस्यों को सदन में भाषण देने की स्वतंत्रता व बंदी बनाए जाने से मुक्ति आदि जैसे कुछ विशेषाधिकारों का स्पष्ट उल्लेख है तथा इस विशेषाधिकार को भंग करना असंवैधानिक होता है। दूसरी ओर, संसद में किसी अन्य व्यक्ति के साथ जबर्दस्ती प्रवेश का प्रयत्न करना, पर्चे फेंकना या संसद के आदेशों का उल्लंघन करना आदि कृत्य संसद की अवमानना कहे जाते ....
Question : कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पर केवल राज्यसभा का प्राधिकार चलता है। वे कौन-कौन हैं?
(1989)
Answer : अनुच्छेद 249 के अनुसार, राज्यसभा विशेष बहुमत द्वारा राज्य सूची के किसी भी विषय पर संसद को कानून बनाने के लिए अधिकृत कर सकती है, यदि वह इसे राष्ट्रहित में आवश्यक समझे। अनुच्छेद 312 के अनुसार, राज्यसभा विशेष बहुमत द्वारा नयी अखिल भारतीय सेवाओं की स्थापना की अनुशंसा भी कर सकती ....
Question : औचित्य-प्रश्न (प्वाईंट ऑफ आर्डर) क्या होता है और कब उठाया जाता है?
(1989)
Answer : व्यवस्थापिका के सदस्य द्वारा किसी विवादास्पद या संदेहास्पद विषय पर व्यवस्थापिका में उठाया गया प्रश्न औचित्य प्रश्न कहलाता है। इसके द्वारा सदस्य किसी कारवाई के नियमानुसार चलने या न चलने पर प्रश्न उठाते हैं। इसमें निर्णय का अधिकार अध्यक्ष के पास होता ....
Question : भारत में सार्वजनिक व्यय को संसद जिन विधियों से नियंत्रित करती है, उनकी विवेचना कीजिए।
(1988)
Answer : संसदीय लोकतंत्र की अपनी एक विशेषता है, जहां राजनीतिक कार्यपालिका को संसद के प्रति जवाबदेह रहना पड़ता है। संसद द्वारा कार्यपालिका के ऊपर रखा जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण नियंत्रण है- उसके द्वारा बजट के ऊपर निगरानी रखना। कार्यपालिका संसद के अधिकृत किए बिना एक पैसा भी खर्च नहीं कर सकती है। खर्च से पहले का नियंत्रण बजट प्रावधानों द्वारा होता है, क्योंकि इसमें एक निश्चित राशि कार्यपालिका के खर्च के लिए निर्धारित होती है। बजट ....
Question : भारत के संविधान की प्रमुख प्रतिबद्धताएं क्या हैं, जैसा कि उसकी उद्देशिका में निबद्ध है?
(1988)
Answer : यद्यपि भारतीय संविधान में प्रस्तावना को कोई विधिक महत्व नहीं दिया गया है, फिर भी यह काफी महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह संविधान स्रोत, उद्देश्य एवं प्रवर्तन विधि को जानने में सहायता पहुंचाती है। वास्तव में भारतीय संविधान की प्रस्तावना संविधान के मूल उद्देश्यों को दर्शाती है। इसमें एक प्रमुख वचनबद्धता यह है कि भारत जैसे गणतंत्रत्मक राज्य में सत्ता लोगों के हाथ में निहित है। इसमें लोगों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय देने की ....
Question : भारत के संविधान में राज्यों की भूमिका तथा उनके कृत्यों का जो प्रतिपादन हुआ है, उसके आधार पर उनका परीक्षण कीजिए।
(1988)
Answer : राज्य की शासन प्रणाली का सांविधानिक प्रधान राज्यपाल होता है। वह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त अपने पर पर रहता है। राज्य सरकार की समस्त कार्यपालिका शक्तियां औपचारिक रूप से राज्यपाल में ही निहित होती हैं। परंतु, वह इनका प्रयोग राज्य की मंत्रिपरिषद के परामर्श पर ही करता है। व्यवहार में राज्यपाल केंद्र का प्रतिनिधि होता है। उसे यह भी अधिकार है कि यदि उसे विश्वास हो जाए कि राज्य की सरकार संविधान के अनुसार संचालित नहीं ....
Question : भारत के निर्वाचन आयोग के सांविधानिक दायित्वों को समझाइये।
(1988)
Answer : संविधान के अनुच्छेद 324 के अंतर्गत संपूर्ण चुनाव प्रक्रिया का पर्यवेक्षण करने, चुनाव न्यायाधिकरणों की स्थापना करने एवं चुनाव संबंधी अन्य मामलों की देखभल करने के लिए एक स्वतंत्र निकाय के रूप में एकसदस्यीय या बहुसदस्यीय चुनाव आयोग को अपनाया गया है। इसका अध्यक्ष मुख्य निर्वाचन आयुक्त होता है। उसे उसके पद से उसी रीति और उन्हीं आधारों पर हटाया जा सकेगा, जिस रीति और आधारों पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जा सकता ....
Question : संसद में कार्य संचालन के संदर्भ में ‘शून्यकाल’ (Zero Hour) से आप क्या समझते हैं?
(1988)
Answer : संसद के दोनों सदनों में ‘प्रश्न काल’ के तुरन्त बाद का समय ‘शून्य काल’ कहलाता है। इस समय की कार्य-प्रकृति अनियमित होती है, क्योंकि इस दौरान बिना किसी अनुमति या पूर्व सूचना के मुद्दे उठाए जाते ....
Question : संसद सदस्यों को विशेषाधिकार क्या-क्या हैं?
(1988)
Answer : प्रत्येक संसद सदस्य द्वारा व्यक्तिशः उपभोग किए जाने वाले विशेषाधिकार निम्नलिखित हैं-
(क)सदस्य को सदन या उसकी किसी समिति, जिसका वह सदस्य है, का अधिवेशन चलते रहने के दौरान या सदनों या समितियों की संयुक्त बैठक के दौरान तथा अधिवेशन या बैठक के पूर्व या पश्चात् गिरफ्रतार नहीं किया जा सकता।
(ख)जब संसद सत्र में हो, तो सदन की अनुमति के बिना किसी सदस्य को साक्ष्य देने हेतु सम्मन नहीं दिया जा सकता है।
(ग)सदस्य को प्रत्येक सदन ....
Question : भारत के संविधान में अनुच्छेद 370 के महत्व को समझाइये।
(1988)
Answer : भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष स्तर प्रदान करता है। संविधान की प्रथम अनुसूची में दिए गए राज्यों पर जो उपबन्ध लागू होते हैं, वे सभी इस राज्य पर लागू नहीं होते। अनुच्छेद 238 के उपबंध भी इस राज्य पर लागू नहीं होते। उक्त राज्य के लिए विधि बनाने की संसद की शक्ति संघ और समवर्ती सूची के उन विषयों तक ही सीमित होगी, जो राष्ट्रपति उस राज्य की सरकार की सहमति ....
Question : जांच आयोग (संशोधन) विधेयक, 1986 का उद्देश्य क्या है?
(1988)
Answer : इसका उद्देश्य किसी भी जांच आयोग की ऐसी रिपोर्ट को सरकार द्वारा संसद में पेश करने पर प्रतिबंध लगाना है, जिससे देश की एकता व सुरक्षा को खतरा हो। विधेयक का मानना है कि कुछ रिपोर्ट की गोपनीयता के लिए ऐसा जरूरी है, क्योंकि कुछ मुद्दे बहुत संवेदनशील होते ....
Question : संसदीय लोकतंत्र में सामूहिक उत्तरदायित्व का क्या तात्पर्य है?
(1988)
Answer : सामूहिक उत्तरदायित्व संसदीय शासन प्रणाली की महत्वपूर्ण विशेषता है। मंत्रिमंडल के सभी सदस्य सरकार के प्रत्येक निर्णय और कार्य के लिए सामूहिक रूप से उत्तरदायी होते हैं। यदि उनकी नीतियों को संसद का समर्थन प्राप्त नहीं हो पाता, तो संपूर्ण मंत्रिपरिषद को ही त्यागपत्र देना पड़ता ....
Question : भारत को गणतंत्र क्यों कहा जाता है?
(1988)
Answer : भारत को गणतंत्र इसलिए कहा गया है, क्योंकि देश का राज्याध्यक्ष (राष्ट्रपति) जनता द्वारा निर्वाचित होता है, हालांकि इसका निर्वाचन अप्रत्यक्ष रूप से होता ....
Question : आधुनिक परिसंघों को विभाजन और वियोजन पर बल देकर सहयोगिता और सहभागिता पर बल देना चाहिए। भारतीय राज्य व्यवस्था के संदर्भ में इस कथन का विवेचन कीजिए।
(1990)
Answer : यद्यपि भारतीय संविधान में फेडरेशन या संघ की चर्चा नहीं है, तथापि भारत एक संघ है। संघ की कुछ विशेषताएं होती हैं, जो निम्नलिखित हैं-
भारतीय संविधान ....
Question : भारत की वर्तमान निर्वाचन पद्धति की समीक्षा करते हुए सुझाइये कि बेहतर और अधिक स्वास्थ्यकर राज्य व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए इसमें क्या संशोधन किए जा सकते हैं?
(1990)
Answer : हमारी चुनावी व्यवस्था में वयस्क मताधिकार एक निर्वाचन क्षेत्र में एक सदस्य, गुप्त मतदान, सीधी चुनाव प्रक्रिया तथा सामान्य बहुमत प्रक्रिया द्वारा चुनाव होते हैं। न्यूनतम 18 वर्ष की उम्र वालों को मत देने का अधिकार प्रदान किया गया है तथा उसे किसी निश्चित आधार के अभाव में (जैसे- आपराधिक आरोप, भ्रष्ट आचरण आदि) मत से वंचित नहीं किया जा सकता है। ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों में, जहां अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों की ....
Question : महिला राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना, 1988 की प्रमुख अनुशंसाएं क्या हैं? सांविधानिक संशोधन विधेयक (64वां संशोधन) में परिकल्पित प्रासंगिक अनुशंसाएं क्या हैं?
(1990)
Answer : महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक दशाओं में सुधार एवं उनको संरक्षण प्रदान करने हेतु सरकार ने राष्ट्रीयपरिप्रेक्ष्य में नारी उत्थान की योजना निर्मित की, जिसे महिला राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (नेशनल पर्सपेक्टिव प्लान) के नाम से जाना जाता है। इसके तहत बाल विकास एवं महिला विकास विभाग के केंद्रीय दल ने एक रूपरेखा प्रस्तुत की, जिसे ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ के अवसर 8 मार्च, 1988 को जारी किया गया। रिपोर्ट में महिलाओं के संपत्ति संबंधी अधिकार ....
Question : भारतीय संविधान में राज्यपाल को प्राप्त वैवेकिक शक्तियों तथा विशेष दायित्वों का स्वरूप और विस्तार समझाइये।
(1990)
Answer : राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है, जो कि मंत्रिपरिषद की सलाह से कार्य करता है। लेकिन राज्यपाल सदैव मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करने को विवश नहीं है। वह अनेक अवसरों पर स्वविवेक से भी कार्य करता है। संविधान में राज्यपाल से विवेकानुसार निम्नलिखित कृत्य करने की विशेष रूप से अपेक्षा है-
(क) छठीं अनुसूची के पैरा 9(2) में यह कहा गया है असम का राज्यपाल अपने विवेकानुसार वह रकम अवधारित करेगा, जो असम राज्य ....
Question : भारत में सिविल सेवाओं की सांविधानिक स्थिति का विवरण दीजिए। इन सेवाओं की तटस्थता और स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने का प्रयास किस प्रकार किया जाता है?
(1990)
Answer : संसदीय व्यवस्था में राज्यप्रशासन के विस्तृत कार्यक्षेत्र का सफलतापूर्वक संचालन सिविल (प्रशासनिक) सेवा के योग्य व व्यावहारिक ज्ञानयुक्त सदस्यों पर निर्भर करता है। प्रशासनिक सेवा के ये सदस्य, राजनीतिक पदाधिकारियों (राज्य कार्यपालिका) से भिन्न होते हैं अर्थात ये स्थायी कार्यपालिका का निर्माण करते हैं। इनका कार्य राज्य कार्यपालिका द्वारा निर्धारित नीति का क्रियान्वयन करना होता है। सिविल सेवा के लिए योग्य अधिकारियों का चुनाव निष्पक्ष रूप से लोक सेवा आयोग द्वारा किया जाता है तथा ....
Question : भारतीय संविधान में मूल अधिकारों के साथ-साथ जो ‘युक्ति-युक्त निर्वर्धन’ उल्लिखित हैं, वे क्या हैं?
(1990)
Answer : भारतीय संविधान में अनेक मूल अधिकारों को शामिल किया गया है। ये मूल अधिकार संविधान के भाग-3 में उचित प्रतिबंधों (Reasonable Restrictions) के के साथ वर्णित हैं। संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 तक में समानता के अधिकार का उल्लेख है। इसके अनुसार कानून के समक्ष सभी नागरिक समान हैं (अनुच्छेद 14)। समानता के अधिकार में निहित है कि जाति, लिंग, जन्मस्थान, वर्ण आदि के आधार पर राज्य नागरिकों से कोई भेदभाव नहीं करेगा (अनुच्छेद ....
Question : आधुनिक जनसंचार माध्यमों के परिप्रेक्ष्य में प्रसार भारती निगम के महत्व को समझाइये।
(1990)
Answer : भारत में संचार माध्यमों (आकाशवाणी व दूरदर्शन) का दुरुपयोग सत्तारूढ़ दलों द्वारा स्वहित साधन में किया जाना आम बात है। इस प्रवृत्ति पर रोक लगाने हेतु एक स्वायत्तशासी प्रसार भारती निगम की स्थापना के उद्देश्य से राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार ने आकाशवाणी और दूरदर्शन को स्वायत्तता देने संबंधी एक विधेयक लोकसभा में प्रेस्तुत किया। विधेयक में किए गए उपबंधों के अनुसार, प्रसार भारती निगम संसद के प्रति उत्तरदायी होगा तथा देश की एकता, अखण्डता व ....
Question : संसद अवमान क्या होता है? उसके विभिन्न प्रकार बताइये।
(1990)
Answer : किसी भी रूप में संसद के विशेषाधिकारों का हनन, उसके आदेशों की अवहेलना, उसकी सत्ता व गरिमा पर चोट और उसकी निंदा जैसे कार्य संसद की अवमानना कहे जाते हैं।
संसद सदस्य या बाह्य व्यक्ति द्वारा सदन के प्रति निरादर, संसद सदस्य पर आक्रमण, संसद सदस्य के चरित्र पर लांछन या उसके प्रति अशिष्टता, संसद सदस्य के कार्य में रुकावट डालना, संसद की कारवाई में बाधा डालना और संसदीय समितियों के कार्य में हस्तक्षेप या उसके ....
Question : हमारे संविधान के अनुच्छेद 370 का महत्व समझाइये।
(1990)
Answer : मूल संविधान के अधीन (अनुच्छेद 370) जम्मू-कश्मीर राज्य की जो विशेष सांविधानिक स्थिति बनी हुई थी, वह अभी भी बनी हुई है। इससे भारत के संविधान के सभी उपबंध, जो पहली अनुसूची के राज्यों से संबंधित हैं, जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होते हैं। यद्यपि वह उस अनुसूची में निर्दिष्ट राज्यों में से एक है। संविधान के अनुच्छेद 1 व अनुच्छेद 370 स्वमेव जम्मू-कश्मीर राज्य पर लागू होते हैं, जबकि अन्य अनुच्छेदों का लागू होना राज्य ....
Question : राज्य विधानमंडल का द्वितीय सदन बनाने की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
(1990)
Answer : किसी राज्य की व्यवस्थापिका का द्वितीय सदन विधानपरिषद कहलाता है। संविधान में यह उपबंध है कि जिन राज्यों में विधानपरिषद विद्यमान है, वहां उसका समापन किया जा सकता है और जहां वह विद्यमान नहीं है, उस राज्य में उसका सृजन किया जा सकता है। इस कार्य के लिए संबंधित राज्य की विधानसभा एक विशेष बहुमत द्वारा एक संकल्प पारित करती है, जिसके अनुसरण में संसद अधिनियम बनाएगी। संकल्प कुल सदस्य संख्या के बहुमत द्वारा तथा ....
Question : मेंडेमस (परमादेश) रिट की परिभाषा बताइये और उसका महत्व समझाइये।
(1990)
Answer : परमादेश का शाब्दिक अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं’। यह सर्वोच्च न्यायालय का वह आदेश है, जिससे किसी व्यक्ति या सार्वजनिक प्राधिकारी (सरकार व निगम संहिता) को विधिक या सार्वजनिक कर्त्तव्य अथवा किसी संविधि के अधीन आरोपित कर्त्तव्यों को करने का आदेश दिया जाता है या उन कर्त्तव्यों को अनधिकृत रूप से नहीं करने का आदेश दिया जाता है।
परमादेश मौलिक अधिकारों की रक्षा हेतु पांच प्रकार के आज्ञा-पत्रों में से एक है। इसकी अनुपस्थिति में ....
Question : संसद की कारोबार सलाहकार समिति (Business Advisory Committee) के कर्त्तव्य कृत्य क्या हैं?
(1990)
Answer : संसद की ‘कारोबार सलाहकार समिति’ में लोकसभा अध्यक्ष व 14 अन्य सदस्य होते हैं। लोकसभा अध्यक्ष समिति का पदेन अध्यक्ष होता है तथा वहीं अन्य सदस्यों की नियुक्ति भी करता है। सदन के लिए समय-सारणी तैयार करना तथा सदन का कार्य सुचारू रूप से संचालित करना इस समिति के मुख्य कार्य हैं। कभी-कभी समिति अपने विवेक से विशेष सार्वजनिक महत्व के विषय पर सदन में चर्चा कराने हेतु सरकार को परामर्श भी देती ....
Question : ‘यद्यपि भारत में राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है, जैसे राष्ट्रपति देश का होता है, फिर भी हो सकता है कि राज्यपाल के अधिक अधिकार हों।’ क्या आप इस कथन से सहमत हैं? कारण बतलाइये।
(1994)
Answer : राष्ट्रपति और राज्यपाल में किसे अधिक अधिकार है, इसे समझने के लिए दोनों के अधिकारों का तुलनात्मक अध्ययन करना उपयुक्त होगा। जिस प्रकार, केंद्र का संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति होता है, उसी प्रकार राज्यपाल भी राज्य का संवैधानिक प्रमुख ही होता है। केंद्र और राज्य की कार्यपालिका शक्ति क्रमशः राष्ट्रपति और राज्यपाल में निहित होती है। कुछ विशेष परिस्थितियों को छोड़कर राष्ट्रपति और राज्यपाल मंत्रिपरिषद के निर्णय को मानने के लिए बाध्य होते हैं। संविधान के ....
Question : भारतीय संविधान में बुनियादी ढांचे की धारणा उभरने का वर्णन कीजिए।
(1994)
Answer : संविधान के बुनियादी ढांचे को बदलने से संबंधित विषय हमेशा से विवादित रहे हैं। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इस विवाद का निपटारा 1973 में केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य एवं 1980 में मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ मामले में किया। इनमें यह निर्णय दिया गया कि संसद, व्यक्ति को प्रदत्त मौलिक अधिकारों को तो आवश्यकता पड़ने पर संशोधित कर सकती है, लेकिन वह संविधान के बुनियादी ढांचे में परिवर्तन नहीं कर सकती है। उच्चतम न्यायालय ....
Question : राज्यों के परिषद के सदस्यों की आवास संबंधी अर्हता पर चुनाव आयोग की स्थिति समझाइये। आप इसके बारे में क्या सोचते हैं?
(1994)
Answer : राज्यों की परिषद या संसद का ऊपरी सदन राज्यसभा कहलाता है। इस सदन में आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत प्रत्येक राज्य की विधानसभाओं से सदस्यों को निर्वाचित कर भेजने का प्रावधान है। इसके लिए यह आवश्यक है कि जिस विधानसभा से सदस्यों का चुनाव हो रहा है, वे उसी राज्य के निवासी हों। ऐसा करने के पीछे सामान्यतया यही अवधारणा रही होगी कि राज्यसभा के सदस्य अपने राज्यों से संबंधित मुद्दों को सदन में उठाकर ....
Question : ‘यथोचित विधि-प्रक्रिया’ तथा ‘विधि’ द्वारा सुस्थापित ‘प्रक्रिया’ में अंतर समझाइये।
(1994)
Answer : ‘यथोचित विधि प्रक्रिया’ से तात्पर्य ऐसी प्रक्रिया से है, जिसमें ‘नैसर्गिक न्याय’ को सम्मिलित किया जाता है। इस ‘नैसर्गिक न्याय’ के अंतर्गत सरकार मनमाने ढंग से नागरिकों की स्वतंत्रता, संपत्ति या जीवन को क्षति नहीं पहुंचा सकती है। ‘विधि द्वारा सुस्थापित प्रक्रिया’ से तात्पर्य ऐसी प्रक्रिया से है, जो राज्य द्वारा विधियुक्त बनायी गई प्रक्रिया होती है। इस प्रक्रिया में नैसर्गिक न्याय के बदले विधि के मूर्त रूप को ही महत्व दिया जाता ....
Question : घटनोत्तर विधि व्यवस्था का अर्थ समझाइये।
(1994)
Answer : ऐसी विधि व्यवस्था, जिसके अंतर्गत किसी घटना या तथ्यों के विनिश्चय के पश्चात विधानमंडल द्वारा कानून बनाकर किसी पूर्व की तिथि से लागू किया जाए, घटनोत्तर विधि व्यवस्था कहलाती ....
Question : आई.पी.सी. की धारा 309 किससे संबंधित है? हाल में यह चर्चा में क्यों थी?
(1994)
Answer : आई.पी.सी. की धारा 309 आत्महत्या से संबंधित है। 27 अप्रैल, 1994 को सर्वोच्च न्यायालय ने एक निर्णय में आत्महत्या को अपराध की प्रक्रिया से मुक्त कर ....
Question : हमारे देश का उच्चतम असैनिक पुरस्कार क्या है? वे कौन से दो विदेशी नागरिक हैं, जिन्हें यह पुरस्कार दिया गया?
(1994)
Answer : भारत का सर्वोच्च असैनिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ है। ‘भारत रत्न’ पाने वाले दो विदेशी नागरिक पाकिस्तान के खान अब्दुल गफ्रफार खान (सीमांत गांधी) तथा दक्षिण अफ्रीका के अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला ....
Question : धर्मनिरपेक्षता से संबंधित भारतीय संविधान के प्रावधान क्या हैं? उन्हें बतलाइये।
(1994)
Answer : भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15 एवं 16 धर्मनिरपेक्षता से संबंधित है, जो यह बतलाता है कि राज्य द्वारा किसी भी नागरिक के विरूद्ध धर्म के आधार पर कोई भी भेदभाव नहीं किया जाएगा एवं सरकारी नौकरियों में सभी धर्म के लोग समान रूप से सम्मिलित होने के हकदार होंगे। अनुच्छेद 25 यह बताता है कि भारत के नागरिक को अपने अन्तःकरण और धर्म को अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता ....
Question : दो संशोधनों के जरिये संविधान की आठवीं सूची में चार और भाषाएं जोड़ी गयीं। इन भाषाओं के नाम तथा संशोधनों की क्रम संख्या बतलाइये।
(1994)
Answer : इक्कीसवें संविधान संशोधन से सिन्धी और इकहत्तरवें संविधान से नेपाली, मणिपुरी और कोंकणी भाषाएं आठवीं अनुसूची में जोड़ी ....
Question : ‘विधि के शासन’ से आप क्या समझते हैं? भारत का संविधान किस प्रकार इसकी स्थापना सुनिश्चित करता है?
(1994)
Answer : ‘विधि का शासन’ शासन प्रणाली की उस विशेषता से संबद्ध है, जिसके तहत कार्यपालिका केवल उन्हीं शक्तियों का प्रयोग कर सकती है, जो व्यवस्थापिका द्वारा पारित कानूनों के तहत उसे दी जाती है। इसी के आधार पर कार्यपालिका के कार्य का न्यायिक पुनर्विलोकन किया जा सकता है। इसी अवधारणा के तहत कार्यपालिका को किसी व्यक्ति के ऊपर मनमानी करने की शक्ति प्राप्त नहीं होता। ‘विधि के शासन’ के अनुसार किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन, ....
Question : वास्तविक संघ के मूलभूत तत्व क्या हैं? भारतीय संघ के स्वरूप का विश्लेषण कीजिए।
(1993)
Answer : संघात्मक शासन के निम्नलिखित मुख्य तत्व हैं-
1. दो स्तरों पर शासन संचालन: संघ शासन में दो स्तरों पर शासन संचालन होता है अर्थात इसमें दो स्तर की सरकारें होती हैं। एक राष्ट्रीय सरकार व दूसरी, प्रत्येक संघटक राज्य की सरकार। संघ राज्य की यह विशेषता होती है कि इसमें विभिन्न इकाई राज्यों के मिलन से एक राज्य बनता है। संघात्मक शासन व्यवस्था में संघ राज्य की अधिकारिता समान हित के मामलों पर होती है तथा ....
Question : राज्यसभा के कार्यों तथा शक्तियों का वर्णन कीजिए। इसकी शक्तियों की लोकसभा की शक्तियों से तुलना कीजिए।
(1993)
Answer : राज्यसभा संसद का एक स्थायी सदन है। इसका विघटन नहीं होता है, लेकिन हर दूसरे वर्ष इसके एक तिहाई सदस्य अवकाश ग्रहण करते हैं। हर एक सदस्य 6 वर्ष तक राज्यसभा का सदस्य बना रहता है। यह संसद का द्वितीय या उच्च सदन कहलाता है। राज्यसभा का गठन राज्यों की विधानसभा द्वारा चुने गए सदस्यों से राज्य की जनसंख्या के आधार पर होता है। इसकी अधिकतम सदस्य संख्या 250 होती है, जिसमें 12 सदस्य राष्ट्रपति ....
Question : मौलिक कर्त्तव्य और उनके आशय क्या हैं?
(1993)
Answer : नागरिकों के मौलिक कर्त्तव्य 42वें संवैधानिक संशोधन द्वारा संविधान में समाहित किये गये और उन्हें अध्याय IV में अनुच्छेद 51(क) के रूप में जोड़ा गया। संविधान में मौलिक कर्त्तव्यों का समावेश मुख्यतः इस उद्देश्य से किया गया था कि नागरिकों में देशभक्ति की भावना सुदृढ़ हो तथा एक ऐसी आचरण संहिता का पालन करने में मदद मिल सके, जो राष्ट्र को सुदृढ़ बनाये और उसकी संप्रभुता व अखंडता की सुरक्षा करे। मौलिक कर्त्तव्यों का यह ....
Question : आभासी विधि निर्माण के सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
(1993)
Answer : जब कभी व्यवस्थापिका द्वारा किसी कानून को बनाते समय बाह्य रूप से यह प्रतीत हो कि वह अपनी शक्तियों की सीमा में रह कर ऐसा कर रही है, लेकिन वास्तविकता में वह संविधान या दूसरी व्यवस्थापिका की शक्तियों पर अतिक्रमण करती है, तो ऐसी स्थिति को आभासी विधि कहा जाता है। इस प्रकार के मामले में बाह्य आकृति की अपेक्षा विधि के सार का महत्व सर्वोपरि हो जाता है। भारतीय संविधान इस प्रकार से कानून ....
Question : निवारक निरोध और दण्डात्मक निरोध में अंतर स्पष्ट कीजिए।
(1993)
Answer : निवारक निरोध: इसके अंतर्गत राज्य की सुरक्षा, शांति व्यवस्था व आवश्यक वस्तुओं की आपूर्त्ति को बनाये रखने से संबंधित मामलों में किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाये गिरफ्रतार किया जा सकता है व जेल में रखा जा सकता है।
दण्डात्मक निरोध: इसके अंतर्गत किसी अपराध के साबित हो जाने पर दोषी व्यक्ति को न्यायालय द्वारा दिए गये दण्ड के अनुसार जेल में रखा जाता ....
Question : भारत के नागरिकों को उपलब्ध विभिन्न रिट क्या हैं?
(1993)
Answer : भारतीय नागरिकों को उपलब्ध रिट: बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार पृच्छा व उत्प्रेषण ....
Question : ‘समान विधि संरक्षण’ का क्या अर्थ है?
(1993)
Answer : समान विधि संरक्षण: इससे तात्पर्य है कि कानून सभी के साथ न्याय करेगा या सबकी समान रूप से रक्षा करेगा। दूसरे शब्दों में कहा जाए, तो समान परिस्थितियों में सभी के साथ समान व्यवहार किया ....
Question : भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची की विषयवस्तु क्या है?
(1993)
Answer : दसवीं अनुसूची की विषयवस्तु: इसमें दल परिवर्तन के निरर्हता के संबंध में उपबंध हैं अर्थात इसके अंतर्गत 52वां संविधान संशोधन अधिनियम शामिल किया गया ....
Question : भारतीय संविधान के 24वें अनुच्छेद का उद्देश्य क्या है?
(1993)
Answer : संविधान के 24वें अनुच्छेद का उद्देश्य: 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी कारखाने, खान या अन्य संकटमय नियोजन में लगाये जाने पर रोक ....
Question : आज के बदलते हुए राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में राज्यसभा से कौन-सी विशेष भूमिका अपेक्षित है?
(1999)
Answer : राज्यसभा, जो कि उच्च सदन माना गया है, के सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 होती है। इसके तहत प्रत्येक राज्य के प्रतिनिधियों का निर्वाचन उस राज्य विशेष की विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा किया जाता है। इनमें से 12 सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा नामित किया जाता है, जो समाज में अपने उल्लेखनीय कार्यों के लिए जाने जाते हैं। इस प्रकार, राज्यसभा में परिसंघ की इकाइयों के ....
Question : भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 द्वारा किन आधारों पर भेदभाव वर्जित है? इंगित कीजिए कि किस प्रकार से विशेष संरक्षण के प्रत्यय ने इस वर्जित भेदभाव को मर्यादित किया है तथा सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा दिया है।
(1999)
Answer : अनुच्छेद-14 द्वारा प्रत्याभूत समता का एक विशिष्ट पहलू ही संविधान के अनुच्छेद-15 में विभेद के विरूद्ध प्रतिषेध के रूप में अंतर्विष्ट है। अनुच्छेद-15 का लाभ केवल नागरिकों को ही प्राप्त है और यह किसी भी नागरिक के विरूद्ध केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग अथवा जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर विभेद करने का प्रतिषेध करता है। इस अनुच्छेद का प्रविषय काफी विस्तृत है, क्योंकि एक ओर इसका प्रतिषेध जहां राज्य की कार्यवाही के ....
Question : राज्य के नीति निर्देशक तत्वों का क्या महत्व है? बतायें कि राज्य की नीति के किन निर्देशक तत्वों को मूल अधिकारों की अपेक्षा प्रमुखता प्राप्त है।
(1999)
Answer : नीति निर्देशक सिद्धांत एक कल्याणकारी एवं समाजवादी प्रकार के समाज को प्राप्त करने के लिए राज्य के समक्ष उपस्थित किये गये आदर्श रूप सिद्धांत हैं। राज्यों का यह कर्त्तव्य है कि वे प्रशासन में तथा विधि के निर्माण के दौरान इन सिद्धांतों का अनुसरण करें। ये सिद्धांत प्रजातांत्रिक संविधान के अधीन राज्य के उद्देश्य को समेटे हुए हैं। वस्तुतः अधिकांश निर्देशक सिद्धांतों का उद्देश्य आर्थिक एवं सामाजिक लोकतंत्र स्थापित करना ही है, जिसका संकल्प संविधान ....
Question : राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के गठन तथा कार्यों की विवेचना कीजिए।
(1999)
Answer : केंद्र सरकार ने नवंबर 1998 में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (National Security Council) के गठन की घोषणा की। तीन स्तरों वाली इस परिषद में प्रधानमंत्री सहित कुल छह सदस्य हैं। इस परिषद की सहायता के लिए एक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड का भी गठन किया गया। प्रधानमंत्री इस परिषद के अध्यक्ष होंगे, जबकि रक्षा मंत्री, गृहमंत्री, विदेश मंत्री, वित्त मंत्री तथा योजना आयोग के उपाध्यक्ष इस परिषद के सदस्य होंगे। राष्ट्रीय सामरिक नीति दल, संयुक्त गुप्तचर ....
Question : भारतीय संविधान के चौबीसवें संशोधन की महत्ता पर प्रकाश डालिए।
(1999)
Answer : भारतीय संविधान के अनुच्छेद-13 में यह सुस्पष्ट किया गया है कि संसद द्वारा ऐसा कोई भी कानून नहीं बनाया जाएगा, जिससे संविधान के भाग-3 में उल्लिखित मूल अधिकारों का हनन हो। लेकिन 17वें संविधान संशोधन में तथा बिहार राज्य बनाम शंकरी प्रसाद के विवाद में निर्णय देते हुए उच्चतम न्यायालय ने यह स्वीकार किया था कि संसद मूल अधिकारों में भी संविधान के अन्य उपबंधों की भांति संशोधन कर सकती है। परंतु बाद में उच्चतम ....
Question : जन लेखा समिति की भूमिका के महत्व का आकलन कीजिए।
(1999)
Answer : जन लेखा समिति (Public Accounts Committee) सार्वजनिक धन के खर्चों का निरीक्षण करती है, जिसमें कुल 22 सदस्य होते हैं। इनमें से 15 सदस्य लोकसभा से तथा शेष 7 सदस्य राज्यसभा से संबंधित होते हैं। इस समिति का उद्देश्य सरकारी विभागों के खर्च संबंधी हिसाब की जांच करना है। यह समिति संसद द्वारा स्वीकृत धन तथा ऑडिटर जनरल (Auditor General) की रिपोर्ट का सूक्ष्म परीक्षण करती है। समिति यह विश्चिय करती है कि जो धन ....
Question : गैर-वित्तीय विधेयकों के बारे में, भारतीय संसद के दोनों सदनों की अध्यक्षता कौन करता है?
(1999)
Answer : गैर-वित्तीय विधेयकों के बारे में भारतीय संसद के दोनों सदनों की अध्यक्षता लोकसभाध्यक्ष करता ....
Question : किसी राज्य के राज्यपाल पर क्या महाभियोग लगाया जा सकता है?
(1999)
Answer : किसी राज्य के राज्यपाल पर महाभियोग लगाने का संविधान में कोई प्रावधान नहीं ....
Question : यदि किसी विधेयक के बारे में यह मतभेद हो कि वह धन विधेयक है अथवा नहीं तो किसका निर्णय अंतिम होता है?
(1999)
Answer : किसी विधेयक को धन विधेयक मानने या न मानने का एकमात्र अधिकार लोकसभाध्यक्ष को होता ....
Question : भारत के उप-राष्ट्रपति का निर्वाचन कैसे होता है?
(1999)
Answer : भारत के उपराष्ट्रपति का निर्वाचन राज्यसभा एवं लोकसभा के सदस्यों द्वारा एकल संक्रमणीय मत द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत किया जाता ....
Question : भारतीय संविधान के अंतर्गत संपत्ति के अधिकार की क्या स्थिति है?
(1999)
Answer : भारतीय संविधान के तहत संपत्ति का अधिकार अब मात्र एक विधिक अधिकार (Legal Right) है, यद्यपि यह पहले एक मूल अधिकार ....
Question : भारतीय संसद के दो अधिवेशनों के बीच में अधिकतम अन्तराल कितना हो सकता है?
(1999)
Answer : भारतीय संसद के दो अधिवेशनों के बीच में अधिकतम अंतराल छह महीने का हो सकता ....
Question : आज के बदलते हुए राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में राज्यसभा से कौन-सी विशेष भूमिका अपेक्षित है?
(1999)
Answer : राज्यसभा, जो कि उच्च सदन माना गया है, के सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 होती है। इसके तहत प्रत्येक राज्य के प्रतिनिधियों का निर्वाचन उस राज्य विशेष की विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा किया जाता है। इनमें से 12 सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा नामित किया जाता है, जो समाज में अपने उल्लेखनीय कार्यों के लिए जाने जाते हैं। इस प्रकार, राज्यसभा में परिसंघ की इकाइयों के ....
Question : भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 द्वारा किन आधारों पर भेदभाव वर्जित है? इंगित कीजिए कि किस प्रकार से विशेष संरक्षण के प्रत्यय ने इस वर्जित भेदभाव को मर्यादित किया है तथा सामाजिक परिवर्तन केा बढ़ावा दिया है।
(1999)
Answer : अनुच्छेद-14 द्वारा प्रत्याभूत समता का एक विशिष्ट पहलू ही संविधान के अनुच्छेद-15 में विभेद के विरूद्ध प्रतिषेध के रूप में अंतर्विष्ट है। अनुच्छेद-15 का लाभ केवल नागरिकों को ही प्राप्त है और यह किसी भी नागरिक के विरूद्ध केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग अथवा जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर विभेद करने का प्रतिषेध करता है। इस अनुच्छेद का प्रविषय काफी विस्तृत है, क्योंकि एक ओर इसका प्रतिषेध जहां राज्य की कार्यवाही के ....
Question : मौलिक अधिकारों के साथ नीति निर्देशक तत्वों की वर्तमान स्थिति जिन अवस्थाओं से उभरी है, उसे संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
(1998)
Answer : राज्य के नीति निर्देशक तत्व व मूल अधिकारों में मूल अंतर यह है कि जहां मूल अधिकार न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय हैं, वहीं नीति निर्देशक तत्व न्यायालय द्वारा अप्रवर्तनीय हैं। इसका मतलब यह है कि जहां न्यायालय को यह अधिकार दिया गया कि वह मूल अधिकारों से असंगत विधि को शून्य घोषित करे, वहीं न्यायालय किसी विधि को इस आधार पर शून्य घोषित नहीं कर सकता है कि वह नीति निर्देशक तत्वों का उल्लंघन करती है।
‘मद्रास ....
Question : ‘प्रधानमंत्रीय शासन’ की संकल्पना समझाइये एवं हाल के समय में भारत में उसके पतन के कारण स्पष्ट कीजिए।
(1998)
Answer : आमतौर पर हम दो तरह की शासन प्रणालियां जानते हैं- राष्ट्रपति शासन प्रणाली व संसदीय प्रणाली। संसदीय प्रणाली के परिवर्तित रूप को ही ‘प्रधानमंत्रीय प्रणाली’ कहा जाता है। पाकिस्तान का संविधान ‘संसदीय’ व ‘प्रधानमंत्रीय प्रणाली’ पर आधारित है। इस प्रणाली में प्रधानमंत्री के पास ही वास्तविक शक्तियां केंद्रित होती हैं, न कि मंत्रिमण्डल में। राष्ट्रपति महज एक रबर स्टाम्प होता है, जो केंद्रीय मंत्रिमण्डल या वस्तुतः प्रधानमंत्री की सलाह पर ही अपने दायित्वों तथा शक्तियों ....
Question : विधानपरिषदों का समर्थन किन मुद्दों पर किया जाता है? राज्य में उसकी स्थापना या विनाश किस प्रकार होता है?
(1998)
Answer : भारत में विधायिका के दो सदन होते हैं। केंद्र में राज्यसभा (उच्च सदन) व लोकसभा (निम्न सदन) तथा राज्यों में विधानपरिषद (उच्च सदन) व विधानसभा (निम्न सदन)। राज्यों में केवल पांच राज्य ही ऐसे हैं, जिनमें विधानपरिषदें हैं। इससे केंद्र व राज्यों में उच्च सदन के औचित्य पर अनेक सवाल उठ खड़े होते हैं। उच्च सदन या विधानपरिषदों के समर्थन में निम्न तर्क प्रस्तुत किये जाते हैं- 1. यह एक स्थायी सदन है तथा इसका ....
Question : ‘अस्थायी स्पीकर’ से क्या तात्पर्य है?
(1998)
Answer : प्रत्येक सार्वत्रिक निर्वाचन के बाद लोक सभा का गठन होता है। जब तक कि एक नये स्पीकर का चुनाव नहीं हो जाता है, राष्ट्रपति लोकसभा के किसी वरिष्ठ सदस्य को ‘अस्थायी स्पीकर’ नियुक्त करता है। वह सदस्यों को शपथ दिलाता है तथा नये स्पीकर के चयन से पूर्व सदन का सभापतित्व करता ....
Question : केंद्रीय सतर्कता आयोग की रचना व कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
(1998)
Answer : केंद्रीय सतर्कता आयोग एक बहुसदस्यीय सतर्कता आयोग है, जिसका प्रधान एक केंद्रीय सतर्कता आयुक्त होता है तथा इनमें अधिकतम तीन अन्य आयुक्त होते हैं। यह भ्रष्टाचार से संबंधित मामलों में सी.बी.आई. द्वारा की गई जांच का निरीक्षण करती है। संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों में भ्रष्टाचार के मामले की जांच करने से पहले सी.बी.आई. को केंद्रीय सतर्कता आयोग से अनुमति लेनी होती ....
Question : संविधान की धारा 21 का विस्तार बताइये।
(1998)
Answer : संविधान की धारा 21 के अंतर्गत किसी को भी जीने या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता है। यह अधिकार विदेशी नागरिकों को भी प्रदान किया गया है। अब इसका विस्तार कर इसके अन्तर्गत विधायी क्रिया से संरक्षण, जीवनयापन का अधिकार, बंधुआ मजदूरी द्वारा शोषण के खिलाफ अधिकार निजी जीवन का अधिकार, शिक्षा का अधिकार आदि को भी शामिल किया गया ....
Question : संसद के किसी भी सदन की सदस्यता की अपात्रता के बारे में किस प्रकार के मामलों में राष्ट्रपति द्वारा निर्णय लिया जाता है।
(1998)
Answer : धारा 102 (1) के अन्तर्गत यदि संसद का कोई सदस्य भारत का नागरिक नहीं है, दिवालिया है, न्यायालय द्वारा पागल घोषित है, सरकार के अधीन किसी कार्यालय में मुनाफा का पद ग्रहण कर रहा है या सदन के कानून के तहत अयोग्य करार दिया गया है, तो राष्ट्रपति निर्वाचन आयोग से सलाह कर उसे अयोग्य घोषित कर सकता ....
Question : संसदीय सचिव एवं लोकसभा सचिव के मध्य भेद कीजिए।
(1998)
Answer : संसदीय सचिव का पद एक मंत्री के तुल्य होता है, जो मंत्रियों को उनके संसदीय व विभागीय कार्य में सहायता देता है। लोकसभा सचिव, लोकसभा के कार्यों तथा विधि प्रशासन के लिए जिम्मेवार होते हैं तथा स्पीकर को इस संबंध में सहायता प्रदान करते हैं। संसदीय सचिव की तरह वे सामूहिक उत्तरदायित्व के सिद्धांत से बंधे नहीं होते ....
Question : विशेषाधिकार प्रस्ताव क्या है?
(1998)
Answer : विशेषाधिकार प्रस्ताव कोई भी सदस्य पेश कर सकता है, यदि उसे आभास हो कि किसी मंत्री ने सदन के विशेषाधिकार का हनन किया है या उसने गलत तथ्यों द्वारा सदन को गुमराह किया ....
Question : आमुख (प्रीएम्बल) संविधान के उन आधारभूत सिद्धान्तों और दर्शन का प्रतिरूप है, जिसके आधार पर संविधान की संरचना की गई है। स्पष्ट कीजिए।
(1997)
Answer : प्रस्तावना को संविधान की आत्मा कहा गया है। प्रस्तावना द्वारा संविधान निर्माताओं ने भारतीय राजव्यवस्था की आस्थाओं एवं प्रेरणाओं और मूलभूत आदर्शों को निर्धारित किया है। प्रस्तावना द्वारा संविधान को गणतंत्र घोषित किया गया है, जिसका स्पष्ट अर्थ है कि संविधान के अधीन समस्त प्राधिकार भारतीय जनता में ही निहित है। इसके अतिरिक्त प्रस्तावना लोकतांत्रिक तत्वों को भी समविष्ट किए हुए है। प्रस्तावना द्वारा विविध स्वतंत्रताएं, सामाजिक समानता, समाजवाद, पंथनिरपेक्षता का आदर्श अपनाया गया है। ....
Question : भाषाई अल्पसंख्यकों के संरक्षण के लिए संविधान में क्या प्रावधान हैं?
(1997)
Answer : भाषाई अल्पसंख्यकों के संरक्षण के लिए संविधान में भाग-3 के अंतर्गत मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं। भारतीय संविधान द्वारा अल्पसंख्यकों की संस्कृति एवं शिक्षा संबंधी संस्थानों को ध्यान में रख कर प्रत्येक व्यक्ति को सुरक्षित रखने का पूर्ण अधिकार प्राप्त है। (अनुच्छेद 29) इसी तरह धर्म या भाषा पर आधारित सभी अल्पसंख्यक वर्गों को अपनी रुचि की शिक्षण संस्थाओं की स्थापना एवं चलाने का अधिकार है। अनुच्छेद 350 के तहत भाषायी अल्पसंख्यक वर्गों के ....
Question : भारत के राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति का चुनाव किस प्रकार होता है? इनके चुनाव में कौन से संवैधानिक वाद अंतर्निहित हैं?
(1997)
Answer : ‘राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति निर्वाचन अधिनियम-1952’ तथा उसके अधीन बनाये गये नियम भारत के राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति पद के निर्वाचन से संबंधित सभी मामलों का विनियमन करते हैं। हालांकि उपरोक्त अधिनियम में 1974 एवं 1997 में थोड़े संशोधन किये गये, जिनका आधार पूर्ववर्ती चुनावों में प्राप्त अनुभव था।
राष्ट्रपति का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकलसंक्रमणीय मत पद्धति द्वारा गुप्त मतदान के माध्यम से होता है। निर्वाचन एक ऐसे निर्वाचन मंडल द्वारा किया जाता है, जो ....
Question : अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के सृजन के पक्ष एवं विपक्ष में अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
(1997)
Answer : एक संघात्मक राज्य होने के बावजूद भारत में एकीकृत न्यायपालिका है, जिसके शीर्ष पर उच्चतम न्यायालय एवं राज्यों में उच्च न्यायालय और उसके अधीनस्थ न्यायालय होते हैं। हाल के वर्षों में अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के सृजन की मांग उठ खड़ी हुई है, ताकि इसके अधीन अधीनस्थ न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति करें और पदस्थापन एवं सेवा संबंधी अन्य शर्तें संबंधित राज्य के राज्यपाल द्वारा नियोजित हों। लेकिन अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के सृजन ....
Question : भारत में क्षेत्रीयतावाद के उदय होने के कारणों की परिचर्चा कीजिए। यह किस प्रकार राजनीतिक प्रणाली को प्रभावित करती है?
(1997)
Answer : क्षेत्रीयता क्षेत्र विशेष में निवास करने वाले लोगों का अपने क्षेत्र के प्रति वह विशेष लगाव व अपनापन की भावना है, जिसे कुछ सामान्य आदर्श, व्यवहार, विचार तथा निवास के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है। इसके विकास के लिए कई तत्व जिम्मेदार हैं, जैसे-
भौगोलिक कारक: देश के भौगोलिक रूप से विभाजित होने के कारण किसी भी क्षेत्र का दूसरे क्षेत्रों से सामाजिक-धार्मिक, रीति-रिवाज, भाषा, परंपराएं, पोशाक, आभूषण, खान-पान, रहन-सहन आदि भिन्न-भिन्न होते हैं।
राजनीतिक कारक: ....
Question : भारत में संसद किस प्रकार वित्तीय प्रणाली को नियंत्रित करती है?
(1997)
Answer : वित्तीय मामलों में संवैधानिक उपबंध ऐसा है कि संसद के प्राधिकार से ही कोई कर लगाया जाएगा या एकत्रित किया जायेगा अन्यथा नहीं और राष्ट्रपति प्रत्येक वित्तीय वर्ष के संबंध में संसद के दोनों सदनों के समक्ष एक ‘वार्षिक वित्तीय विवरण’ (बजट) रखवायेगा।
जब सदन में बजट रखा जाता है, तो संसद ही इसे मंजूरी देती है। राज्यसभा बजट पर सामान्य चर्चा में भाग लेती है, लेकिन आगे अनुदान मांगों पर चर्चा एवं मतदान की प्रक्रिया ....
Question : संसदीय कार्य प्रणाली में नियम 184 तथा 193 क्या संकेत देते हैं?
(1997)
Answer : संसदीय कार्यप्रणाली में नियम 184 संकेत करते हैं कि निंदा प्रस्ताव, अविश्वास प्रस्ताव से भिन्न होते हैं तथा नियम 193 यह संकेत देते हैं कि अध्यक्ष या सभापति किसी मामले के महत्व को देखते हुए उस पर ‘अल्पकालीन चर्चा’ करा सकते ....
Question : भारत के संविधान में दिये गये किन्हीं चार मौलिक कर्त्तव्यों को लिखिये।
(1997)
Answer : भारत के संविधान में उल्लिखित चार मूल कर्त्तव्य इस प्रकार हैं-
Question : भारत के संविधान में बाल श्रमिक के लिए क्या विशेष प्रावधान हैं?
(1997)
Answer : संविधान के अनुच्छेद 24 में बाल श्रमिक से संबंधित प्रावधान हैं, जिसके अनुसार 14 वर्ष से कम आयु के किसी भी बालक को किसी कारखाने या खान में काम करने के लिए नियोजित नहीं किया जाएगा या किसी अन्य परिसंकटमय स्थिति में नियोजित नहीं किया ....
Question : भारतीय संविधान में अनुच्छेद 356 क्या है? टिप्पणी कीजिए?
(1997)
Answer : जब किसी राज्य में संवैधानिक संकट उठ खड़ा होता है, तो राष्ट्रपति, राज्यपाल के प्रतिवेदन से या स्वयं भी आश्वस्त होने पर अनुच्छेद 356 का सहारा लेकर उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर देते हैं। यह अनुच्छेद केंद्र-राज्य संबंधों को बिगाड़ने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता ....
Question : भारत के संविधान में राष्ट्रपति, मंत्री, संसद तथा न्यायपालिका के सदस्यों के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के ‘शपथ-पत्रों का प्रावधान क्यों है? इसका महत्व विवेचित कीजिए?
(1996)
Answer : भारत के संविधान में राष्ट्रपति, मंत्री, संसद तथा न्यायपालिका के सदस्यों के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के ‘शपथ-पत्रों’ का प्रावधान है। राष्ट्रपति भारत का राष्ट्राध्यक्ष होता है। वह भारतीय संसद का भी अंग है तथा केंद्र का समस्त शासन उसी के नाम पर चलाया जाता है। ऐसे में राष्ट्रपति के पद पर बैठने वाले व्यक्ति पर संविधान और विधि के परिरक्षण, संरक्षण और प्रतिरक्षण करने तथा भारत की जनता की सेवा करने और जनकल्याण में सचेष्ट ....
Question : कटौती प्रस्ताव क्या होता है? इसका महत्व समझाइये।
(1996)
Answer : बजट सत्र के दौरान प्रत्येक मंत्रालय के लिए अनुदान मांगें प्रस्तावित की जाती हैं। संसद सदस्य मंत्रालय की नीतियों का निरानुमोदन कर सकते हैं या प्रशासन में मितव्ययता लाने के लिए उपाय सुझा सकते हैं या विशिष्ट स्थानीय शिकायतों की ओर मंत्रालय को ध्यान दिला सकते हैं। अनुदान मांगों के मूल प्रस्ताव के बदले सहायक प्रस्ताव पेश करके सदस्य ऐसा कर सकते हैं। इन सहायक प्रस्तावों को संसदीय भाषा में ‘कटौती प्रस्ताव’ कहा जाता है। ....
Question : प्रत्यायोजित विधायन क्या होता है? इसके बढ़ने के लिए कौन-कौन से कारक उत्तरदायी हैं?
(1996)
Answer : लोगों की सामान्य इच्छा का प्रतिनिधित्व करने के नाते विधि निर्माण संसद का एक प्रमुख कृत्य है। समय और तकनीकी विशेषज्ञता की कमी तथा अधिकाधिक जटिल प्रक्रिया के कारण विधानमंडल विधान बनाने की अपनी शक्तियां किसी अधीनस्थ एजेंसी को प्रत्यायोजित कर सकता है। विधानमंडल के प्रत्यायोजित प्राधिकार के अधिकार क्षेत्र में रह कर किसी अधीनस्थ एजेंसी द्वारा बनाए गये नियमों एवं विनियमों को प्रत्यायोजित विधान कहा जाता है। अधीनस्थ एजेंसी के रूप में प्रायः सरकार ....
Question : भारत की संचित निधि और आकस्मिकता निधि क्या है? इसका संचालन किस प्रकार किया जाता है?
(1996)
Answer : भारतीय संविधान के अनुच्छेद 266 में भारत की संचित निधि का वर्णन किया गया है। कुछ करों एवं शुल्कों को राज्यों को सौंपे जाने के बाद भारत सरकार को प्राप्त सभी राजस्व, सरकार द्वारा जारी हुंडियों से प्राप्त धन तथा उधार या अर्थोपार्जन द्वारा प्राप्त धन एक निधि में जमा करा दिया जाता है। इसी निधि को संचित निधि कहते हैं। इस संचित निधि में से कोई भी धनराशि विधि के अनुसार तथा भारत के ....
Question : अंतर-राज्य जल विवादों को सुलझाने में संघ सरकार क्या भूमिका निभा सकती है?
(1996)
Answer : संविधान का अनुच्छेद 262 विवादों के न्यायिकेतर समाधान पर जोर डालता है। इसके तहत संघ सरकार की पहल पर संसद विधि द्वारा किसी अंतरराज्यिक नदी जल के प्रयोग, वितरण या नियंत्रण के संबंध में किसी विवाद या परिवाद के निर्णय के लिए उपबंध कर सकती ....
Question : कुछ अधिकारियों के विरूद्ध ‘परमादेश’ जारी नहीं किया जा सकता। ये पदाधिकारी कौन हैं?
(1996)
Answer : जिन व्यक्तियों के विरूद्ध परमादेश जारी नहीं किया जा सकता, वे हैं- प्राइवेट व्यक्ति या निकाय, चाहे वे नियमित हों या नहीं, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश या अन्य न्यायाधीश, जो न्यायिक हैसियत से कार्य कर रहे हों, राज्यों के राज्यपाल तथा भारत के ....
Question : एक वित्त विधेयक एवं धन विधेयक में आप किस प्रकार अंतर करते हैं
(1996)
Answer : धन विधेयक वह विधेयक है, जो केवल अनुच्छेद 110(1) में उल्लिखित विषयों में किसी अन्य रूप से संबंधित होता है। वित्त विधेयक अनुच्छेद 110 में उल्लिखित किसी विषय के साथ-साथ अन्य विषयों से भी संबंधित होता है। प्रत्येक धन विधेयक वित्त विधेयक होता है, परंतु प्रत्येक वित्त विधेयक, धन विधेयक नहीं ....
Question : भारत के मानव अधिकार आयोग के कार्य क्या हैं?
(1996)
Answer : मानव अधिकार आयोग मानवाधिकारों से संबंधित कानूनों और संधियों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सिफारिशें करता है। आयोग सभ्य समाज के सभी वर्गों में मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने का प्रयास करता है। किसी भी प्रकार के मानवाधिकारों के उल्लंघन पर आयोग जांच भी करता ....
Question : संसदीय और राष्ट्रपतिमूलक शासन प्रणालियों का भेद स्पष्ट कीजिए। क्या आपके विचार से शासन को राष्ट्रपतिमूलक प्रणाली में बदलने से बेहतर शासन प्राप्त हो सकेगा? अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
(1995)
Answer : संसदीय मूलकसंसदीय मूलक शासन प्रणाली में दो प्रकार की प्रभुसत्ता होती है- नाममात्र की प्रभुसत्ता और वास्तविक प्रभुसत्ता। संसदीय मूलक शासन प्रणाली में सैद्धान्तिक रूप से समस्त कार्यपालिका शक्ति नाममात्र के राज्याध्यक्ष (राष्ट्रपति) में निहित रहती है, किन्तु यथार्थ में कार्यपालिका की समस्त सत्ता मंत्रिपरिषद में ही निहित होती है और वास्तविक रूप से शासन की समस्त शक्तियों का प्रयोग वही करती है। मंत्रिमण्डल सामूहिक रूप से संसद के प्रति उत्तरदायी होता है। प्रधानमंत्री तथा ....
Question : प्राक्कलन समिति के कृत्यों को स्पष्ट कीजिए।
(1995)
Answer : लोकसभा द्वारा प्रतिवर्ष आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय पद्धति द्वारा निर्वाचित 30 सदस्यों वाली प्राक्कलन समिति के प्रमुख कृत्य निम्नलिखित हैं-
Question : राज्यपरिषद (राज्यसभा) के गैर-परिसंघीय लक्षणों का वर्णन कीजिए।
(1995)
Answer : सामान्य तौर पर संघात्मक शासन व्यवस्था में द्वितीय सदन का गठन संघात्मक अर्थात राज्यों की समानता के सिद्धान्त के आधार पर किया जाता है। लेकिन भारत में राज्यपरिषद का गठन अमेरिका की सीनेट या आस्ट्रेलियाई संघ के द्वितीय सदन के समान संघात्मक सिद्धांत के आधार पर नहीं किया गया है। भारत के राज्यपरिषद (राज्यसभा) में सभी राज्यों को समान प्रतिनिधत्व प्राप्त नहीं है, बल्कि प्रत्येक राज्य से जनसंख्या के अनुपात में सदस्य चुन कर राज्यसभा ....
Question : दल परिवर्तन विरोधी विधि के प्रमुख लक्षणों का वर्णन कीजिए।
(1995)
Answer : भारत के संविधान के 52वें संशोधन द्वारा 1 मार्च, 1985 से अनुच्छेद 102(2) तथा अनुच्छेद 191(2) के अधीन दसवीं अनुसूची में दल परिवर्तन निरोधी विधि को जोड़ा गया। इसके प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं-
Question : वित्तीय आपात की परिभाषा दीजिए। अब तक इसकी उद्घोषणा कितनी बार हो चुकी है?
(1995)
Answer : यदि कभी राष्ट्रपति को यह समाधान हो जाये कि भारत या राज्य क्षेत्र के किसी भाग का वित्तीय स्थायित्व संकट में है, तो वह वित्तीय आपात की उद्घोषणा कर सकता है। इस दौरान अनुच्छेद 20 तथा अनुच्छेद 21 को छोड़ कर शेष सभी मौलिक अधिकार निलंबित रहते हैं। वित्तीय आपात के दौरान राष्ट्रपति को केंद्र एवं राज्यों के बीच संसाधनों के बंटवारे से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों को संशोधित करने का अधिकार है। इनके वेतन आदि ....
Question : मौलिक अधिकार के रूप में संपत्ति के अधिकार की वर्तमान स्थिति क्या है?
(1995)
Answer : संविधान के 44वें संशोधन द्वारा संपत्ति के मौलिक अधिकार को सामान्य विधिक अधिकार बना दिया गया। पहले अनुच्छेद 19(1)च तथा 31 के अंतर्गत यह मौलिक अधिकार था। अब अध्याय-4 में अनुच्छेद 300 क के अंतर्गत यह मात्र एक विधिक अधिकार ....
Question : अनुच्छेद 32 को संविधान का आधार स्तंभ क्यों माना जाता है?
(1995)
Answer : संविधान के अनुच्छेद 32 को संविधान का आधारस्तम्भ माना जाता है, क्योंकि इसमें संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों के उपचार की गारंटी दी गई है। साथ ही, यह मौलिक अधिकार भी है। इसलिए न्यायालय इन अधिकारों के उल्लंघन के विरूद्ध संरक्षण प्राप्त करने के लिए दिये गये आवेदनों को ग्रहण करने से इनकार नहीं कर सकता ....
Question : द्विसदनी विधानमण्डल क्या होता है? हमारे देश के उन राज्यों का उल्लेख कीजिए, जिनमें द्विसदनीय विधानमण्डल हैं।
(1995)
Answer : जब किसी राज्य की विधायिका के दो सदन-विधानसभा तथा विधानपरिषद होते हैं, तो ऐसी विधानमण्डल को द्विसदनीय विधानमण्डल कहा जाता है। इस व्यवस्था में विधानसभा के सदस्यों का चुनाव जनता द्वारा सीधे निर्वाचन करके किया जाता है, जबकि विधानपरिषद के कुछ सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा तथा कुछ सदस्य राज्यपाल द्वारा मनोनीत होते हैं। भारत के बिहार, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश तथा महाराष्ट्र में द्विसदनीय विधानमण्डल हैं। संसद ....
Question : अनुच्छेद 331 का विषय क्षेत्र स्पष्ट कीजिए।
(1995)
Answer : अनुच्छेद 331 के अंतर्गत लोकसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय के सदस्य के निर्वाचित नहीं हो पाने की दशा में राष्ट्रपति इस समुदाय के दो व्यक्तियों को लोकसभा के लिए मनोनीत कर सकते ....
Question : ‘राज्य मंत्री’ कहे जाने वाले मंत्रियों का स्तर स्पष्ट कीजिए।
(1995)
Answer : राज्य राज्य मंत्री मंत्रिमण्डल स्तर से नीचे के स्तर का मंत्री होता है। इसे स्वतंत्र प्रभाव भी दिया जा सकता है। यह मंत्रिमण्डल की बैठकों में तभी उपस्थित होता है, जब उसे आमंत्रित किया जाता है। स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री के विभाग से संबंधित विषय परजब मंत्रिमण्डल विचार करता है, तभी उसे निमंत्रण दिया जाता ....