Question : योजना आयोग एवं राष्ट्रीय विकास परिषद का सार्वजनिक नीति निर्माण में क्या योगदान है, समझाइये।
(1994)
Answer : स्वतंत्रता प्राप्त करने के पश्चात भारत को अपने देश के नागरिकों के जीवनस्तर को सुधारने के लिए विकास की अनेक योजनाओं को लागू करना था। इसी उद्देश्य से मार्च 1950 में एक गैर-संवैधानिक निकाय ‘योजना आयोग’ का गठन किया गया। योजना आयोग द्वारा तैयार योजनाओं को राष्ट्रीय विकास परिषद द्वारा मंजूरी मिलती है। योजना आयोग और राष्ट्रीय विकास परिषद दोनों निकायों के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं। योजना आयोग में इसके स्थायी सदस्यों के अलावा कुछ ....
Question : राष्ट्रीय विकास परिषद के गठन और कार्यों का वर्णन कीजिए।
(1993)
Answer : योजना आयोग के कार्यकरण से एक और संविधानेत्तर तथा विधि बाह्य निकाय की स्थापना करनी आवश्यक हो गई, जिसे राष्ट्रीय विकास परिषद के नाम से जाना जाता है। राष्ट्रीय विकास परिषद एक गैर-संवैधानिक निकाय है तथा इसका आर्थिक आयोजन राज्यों व योजना आयोग के बीच सहयोग का वातावरण बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा 6 अगस्त, 1952 को पारित एक प्रस्ताव के अनुसार किया गया था। भारत का प्रधानमंत्री इसका अध्यक्ष तथा योजना आयोग का ....
Question : भारतीय संविधान के तिहत्तरवें संशोधन की महत्ता पर प्रकाश डालिये।
(1998)
Answer : भारतीय संविधान के नीति निर्देशक तत्वों में ग्राम पंचायत की कल्पना को साकार करने हेतु 73वें संविधान संशोधन द्वारा भाग-9 में पंचायती राज विषयक प्रावधान किये गये हैं।
पंचायती राज विधेयक का पारित होना एक ऐतिहासिक कदम था। इसके द्वारा केंद्रीकरण की नीति को त्याग कर विकेंद्रीकरण की नीति अपनायी गई। इस विधेयक से शासन व विकास प्रक्रिया के बदले हुए रूप के अनुरूप केंद्र व राज्य की भूमिका और कार्यप्रणाली पुनर्परिभाषित करनी पड़ी। देश के ....
Question : भारत में नवीन राज्यों का गठन किस प्रकार होता है? विदर्भ, तेलंगाना जैसी अलग राज्यों की मांगों पर शासन द्वारा हाल में विचार क्यों नहीं किया गया?
(1998)
Answer : भारत के संविधान के अनुच्छेद 3 के अनुसार भारत के संविधान के अनुच्छेद 3 के अनुसार, केंद्र को एक सामान्य विधि की प्रक्रिया द्वारा नया राज्य बनाने, राज्यों की सीमा में परिवर्तन करने तथा राज्यों के भौगोलिक अस्तित्व को नष्ट करने तक का अधिकार दिया गया है। इसके लिए केंद्र संविधान में आवश्यक संशोधन कर सकती है और ऐसे संशोधन अनुच्छेद 368 के अधीन संवैधानिक संशोधन नहीं माने जायेंगे। वे साधारण विधि की तरह उपस्थित ....
Question : संविधान के कौन-से प्रावधान भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के पद को स्वतंत्र बनाते हैं?
(1996)
Answer : उनके वेतन एवं भत्ते भारत की संचित निधि पर भारित होते हैं। 65 वर्ष की आयु अथवा 6 वर्ष की अवधि पूर्ण होने से पूर्व सामान्य प्रक्रिया द्वारा उन्हें पदच्युत नहीं किया जा सकता है। सेवानिवृत्ति के बाद वे किसी लाभ के पद पर कार्य नहीं कर सकते ....