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Expert Advice

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IAS
ओंकार नाथ
Career Consultant (Observer IAS)
उत्कृष्ट उत्तर लेखन शैली हेतु रणनीति (भाग 4)


सामान्य अध्ययन का तीसरा प्रश्न-पत्र सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण और विविधता लिए हुए है। इस अध्याय में आर्थिक विकास, प्रौद्योगिकी, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन जैसे शीर्षक शामिल हैं। इनमें आर्थिक विकास के अतिरिक्त लगभग सभी शीर्षक एक दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं। उदाहरण के लिए नवीन प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल से भले ही जीवन आसान हो रहा है, आर्थिक विकास के नये मानक बन रहे हैं, किंतु इस प्रौद्योगिकी की कीमत अब मानव समाज को चुकानी पड़ रही है। पर्यावरण बनाम आर्थिक विकास के नजरिये से देखें तो लगता है कि आज पर्यावरण, पिछले कई दशकों में हुए अविवेकपूर्ण आर्थिक विकास की कीमत चुका रहा है। जलवायवीय संकट एवं आपदाएं हमेशा कोई न कोई विपत्ति सामने लाती रहती हैं। चाहे वह उत्तराखंड में भूस्खलन हो या बंगाल की खाड़ी में उठने वाला समुद्री तूफान हो या बढ़ता हुआ धरती का तापमान या फिर जैव विविधता के संकट की स्थिति_ यह सब हमारे आम जीवन से जुड़े हुए हैं।

सामान्य अध्ययन का यह तीसरा पेपर सबसे ज्यादा कठिनाई लिए हुए प्रकट होता है क्योंकि आमतौर पर इतिहास और राजव्यवस्था के विपरीत यह पेपर जीवन की वास्तविक घटनाओं के सबसे ज्यादा करीब है और इस विषय पर अध्ययन सामग्री का एक समग्र रूप से उपलब्ध न होना भी अभ्यर्थियों के समक्ष निरंतर समस्याएं पैदा करता रहता है। सबसे बड़ी बात यह है कि एक ही विषय के तार कई विषयों से जुड़े रहते हैं। उदाहरण के लिए विकास के नाम पर पर्वतीय क्षेत्रें में नई-नई तकनीकों को अपनाकर कई मानदंड गढ़े गए, जिससे पर्यावरण और जैव विविधता का नुकसान तो हुआ ही, कई आपदाएं भी सामने आईं और इन आपदाओं से सुरक्षा का एक नया संकट हमारे सामने खड़ा हो गया।

संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में जो प्रश्न पूछे जा रहे हैं, उनमें यह निर्धारण करना बहुत मुश्किल हो रहा है कि प्रश्न किस अध्याय से संबंधित हैं, एक ही प्रश्न का जुड़ाव प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, पर्यावरणीय सुरक्षा और आपदा प्रबंधन से जुड़ा रहता है, ऐसे में उत्तर को लिखना बहुत मुश्किल हो जाता है। फिर भी कुछ वर्षों से संघ लोक सेवा आयोग द्वारा जिस प्रकार के प्रश्न पूछे जा रहे हैं उस आधार पर इस विषय से जुड़े हुए विभिन्न अध्यायों को पहचाना जा सकता है। इस पेपर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि जिन परिस्थितियों से भारत प्रभावित होता है अथवा हो रहा है, सामान्यतः वही विषय प्रश्न बनकर अभ्यर्थियों के सामने आ जाते हैं और अभ्यर्थी से उम्मीद की जाती है कि वह अपने व्यावहारिक और मौलिक ज्ञान का उपयोग करते हुए तथा निश्चित शब्द सीमा का पालन करते हुए उत्तर लिखे। अभ्यर्थियों के बीच सबसे बड़ा संकट यही है कि वे इतिहास और संविधान के अनुच्छेद के दायरे से अपने आप को कैसे निकालें और देश जिन परिस्थितियों का सामना कर रहा है उसको कैसे देखें, सोचें, समझें और अपने उत्तर में लिखें।

इसी परिपेक्ष में सामान्य अध्ययन के इस तीसरे भाग को सरलीकृत करके फ्रलो-चार्ट के माध्यम से समझाने का प्रयास किया गया है। इसके साथ-साथ इस विषय से कैसे प्रश्न बन सकते हैं और किस प्रकार के प्रश्न अभी बन रहे हैं उनको भी टेबल के माध्यम से समझाया गया है।

पाठ्यक्रम

बनने वाले प्रश्न

विज्ञान व प्रौद्योगिकी विकास, अनुप्रयोग तथा उपलब्धियां

  • दैनिक जीवन व राष्ट्रीय सुरक्षा मानक
  • भारतीय प्रौद्योगिकी नीति
  • भारत की उपलब्धियां
  • नवीन प्रौद्योगिकी का विकास
  • प्रौद्योगिकी प्रयोग, हस्तान्तरण

दैनिक जीवन व राष्ट्रीय सुरक्षा में प्रौद्योगिकी की भूमिका

  • मिसाइल व रक्षा उपकरणों का विकास, विशेषता-उपलब्धियां
  • अंतरिक्ष कार्यक्रम, इसरो की गतिविधियां-उपलब्धियां- अनुप्रयोग
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स क्षेत्र में भारतीय पहल, नीति, समस्या चुनौती_ चिकित्सा क्षेत्र की नीति, समस्या, चुनौती, अनुसंधान

जैव प्रौद्योगिकी

  • जैव प्रौद्योगिकी नीति, अनुसंधान, विकास, अनुप्रयोग_ नई नीति की घोषणा
  • उपलब्धि व चुनौती

सूचना प्रौद्योगिकी

  • सूचना प्रौद्योगिकी नीति
  • अनुसंधान, विकास कार्यक्रम
  • डेटा सुरक्षा का प्रश्न
  • विभिन्न नवनिर्मित कानून व उनका मूल्यांकन

बौद्धिक संपदा अधिकार व डिजिटल मुद्दे

  • बौद्धिक संपदा का अर्थ, प्रभाव
  • प्रकार, अधिकार
  • विकासशील देशों में होने वाले परिवर्तन व उभरती चुनौतियां

कम्प्यूटर व इलेक्ट्रॉनिक्स

  • अनुसंधान व विकास
  • 5G तकनीक
  • सुपर कम्प्यूटर नीति

नवीनतम प्रौद्योगिकी उनके अनुप्रयोग व उभरती स्थिति व चुनौतियां

  • ऑप्टिकल फाइबर
  • अर्धचालकता, नैनो तकनीक
  • जी-एम- फसलें, स्वास्थ्यजनित प्रभाव
  • रोबोटिक्स, साइबर क्राइम
  • प्रशासनिक-सामाजिक-आर्थिक प्रभाव व हस्तक्षेप का विश्लेषण

पर्यावरण सुरक्षा व पारिस्थितिक तंत्र

  • जैव विविधता (बदलता परिदृश्य)
  • सामाजिक वानिकी (वन विनाश, वनाग्नि, आर्द्रभूमि, मैंग्रोंव वन)
  • पर्यावरण ह्रास के कारण
  • पर्यावरण प्रदूषण (कारण, नई रिपोर्ट)
  • पर्यावरण प्रदूषण (प्रकार, स्थिति, नियंत्रण)

वैश्विक तापन/जलवायु परिवर्तन

  • ग्रीन हाउस प्रभाव
  • ग्लोबल वार्मिंग प्रभाव (भारत-विश्व)
  • नियंत्रण हेतु पहल (भारत व विश्व) व आवश्यक सुझाव
  • ओजोन क्षरण
  • अंटार्कटिका में भारतीय पहल

ऊर्जा

  • स्रोत, स्थिति, पहल, रिपोर्ट, नीति
  • परंपरागत व गैर परंपरागत स्रोत
  • वैश्विक व भारतीय पहल
  • विविध कार्यक्रम (उपलब्धि, समस्या)
  • चिकित्सा क्षेत्र की नीति, समस्या, चुनौती, नवीन अनुसंधान

सुरक्षा व आपदा प्रबंधन

  • आपदा प्रबंधन नीति (सुझाव, मूल्यांकन)
  • आपदाएं (बाढ़, सूखा, चक्रवात, भूकंप, भूस्खलन) वर्तमान स्थिति व नीति
  • पर्यावरणीय पहलू (ग्लोबन वार्मिंग व आपदाएं, कृषिवानिकी नष्टीकरण, शहरी जोखिम, विकास बनाम पर्यावरण, जैविक खतरे, भूवैज्ञानिक खतरे, एल नीनो, आकाशीय बिजली का कहर)

उपर्युक्त फ्लो-चार्ट और टेबल के माध्यम से सामान्य अध्ययन के तीसरे पेपर से बनने वाले अधिकांश प्रश्नों को समझा जा सकता है। एक परीक्षार्थी इन विषयों की आम समझ रखे, जैसी परिस्थितियों का सामना भारत कर रहा है, उन्हें देखे, समझे और एक प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर आवश्यक सुझाव दे, इसी की अपेक्षा संघ लोक सेवा आयोग द्वारा अपनी परीक्षा में की जाती है। इसमें किताबी ज्ञान की महत्ता बहुत कम होती है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें टू द पॉइंट मैटर का मिलना बहुत मुश्किल होता है। इस सन्दर्भ में सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल विगत दो दशकों से निरंतर अपनी गुणवत्ता को बनाए हुए परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों को एकदम अपडेट मैटर उपलब्ध कराने के अपने अभियान में लगी हुई है।

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