मानव अधिकारों के बेहतर संरक्षण के लिएः मानव अधिाकारों का संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2019


मानवाधिकारों का संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2019_ 22 जुलाई, 2019 को पारित किया गया था, जिसने मानवाधिकार अधिनियम, 1993 में संशोधन किया, जो राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC), राज्य मानवाधिकार आयोगों (SHRC) के साथ-साथ मानवाधिकार न्यायालयों से सम्बंधित है।

संशोधन का प्रभाव

  • यह एनएचआरसी और एसएचआरसी के सदस्यों के चयन को सुव्यवस्थित करेगा_ ताकि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के शामिल होने से सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीशों की कमी से बचा जा सके।
  • एनएचआरसी की रचना को और विस्तृत किया जाएगा, जो मानव अधिकार उल्लंघन से संबंधित न्याय प्रशासन में मदद करेगा।

संशोधन की आलोचना

  • संशोधन के अनुसार यदि भारत के मुख्य न्यायाधीश पद के लिए उपलब्ध नहीं हैं, तो सर्वाेच्च न्यायालय के न्यायाधीश को नियुक्त किया जा सकता है, जो फ्जी हजूरीय् करने वाले लोगों के लिए दरवाजे खोल सकता है।
  • मौजूदा मुख्य न्यायाधीश की अनदेखी और अध्यक्ष के रूप में किसी भी न्यायाधीश को नियुक्त करने से गलत मिसाल कायम होने का खतरा है।

संशोधन की मुख्य विशेषताएं

1. एनएचआरसी की संरचना से संबंधित परिवर्तन

  • भारत के मुख्य न्यायाधीश के अलावा, एक व्यक्ति जो उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश है, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने के योग्य बनाया गया है।
  • इससे पहले अधिनियम में ऐसे दो व्यक्तियों को आयोग के सदस्य के रूप में नियुक्त किया जाता था, जिन्हें मानवाधिकारों का ज्ञान हो। तीन सदस्यों को नियुक्त करने की अनुमति देने के लिए बिल में संशोधन किया गया, जिनमें कम से कम एक महिला होगी।
  • राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष और विकलांग व्यक्तियों के लिए मुख्य आयुक्त को आयोग के सदस्य के रूप में शामिल किया गया है।

2. SHRC के अध्यक्ष से संबंधित परिवर्तन

  • उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के अलावा, एक व्यक्ति जो उच्च न्यायालय का न्यायाधीश है, राज्य आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने के योग्य बनाया गया है।

3. कार्यालय की अवधि से संबंधित परिवर्तन

  • राष्ट्रीय एवं राज्य आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के कार्यकाल को पांच से तीन साल तक कम किया गया है और उन्हें फिर से नियुक्ति के लिए पात्र बनाया गया है।

4. प्रकार्य से संबंधित परिवर्तनः

  • दिल्ली के मामले में मानव अधिकारों से संबंधित कार्य एनएचआरसी द्वारा निपटाए जाएंगे।

सुझाव

एनएचआरसी मानवाधिकारों के संवर्द्धन और संरक्षण के प्रति भारत की संवेदनशीलता का प्रतीक है। संशोधन की कमी की पूर्ति करना महत्वपूर्ण है, जो मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की आकांक्षा के अनुरूप हो।