नए यातायात नियम और दंडः मोटर वाहन (संशोधान) अधिनियम, 2019


मोटर वाहन अधिनियम, 1988 में संशोधन करने के लिए 23 जुलाई, 2019 को मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित किया गया था। संशोधन यातायात नियमों के उल्लंघन पर सख्त दंड लगाने, लाइसेंसिंग और इसके प्रशासन को सुव्यवस्थित करने और देश में सड़क सुरक्षा की खराब स्थिति को दूर करने का प्रयास करता है। विशेष रूप से वाहनों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि, भीड़भाड़, यातायात उल्लंघन, घातक दुर्घटनाओं, सड़कों की संरचनात्मक और इंजीनियरिंग की कमी आदि को देखते हुए।

पृष्ठभूमि

  • भारत, ब्रासीलिया घोषणा का एक हस्ताक्षरकर्ता देश है और 2020 तक सड़क दुर्घटनाओं और मृत्यु दर को 50 प्रतिशत तक कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि, सड़क नेटवर्क और शहरीकरण में तेजी से विस्तार के साथ मोटर वाहनों की तीव्र विकास दर का प्रभाव देश के सड़क सुरक्षा पर गंभीर रूप से पड़ा है। भारत में सड़क दुर्घटना रिपोर्ट-2015 के अनुसार, 2014 से 2015 में सड़क दुर्घटनाओं की कुल संख्या में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सड़क दुर्घटनाओं की गंभीरता, जिसे प्रति 100 दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या में मापा जाता है, 2014 में 28-5 से 2015 में 29.1 तक बढ़ गया है।
  • लम्बे समय से देश में सड़क दुर्घटनाओं, मृत्यु और क्षति का सबसे बड़ा जिम्मेदार कारण ड्राइवर की गलती होना प्रकट हुआ है। ‘शराब/ड्रग्स का सेवन’ के कारण ड्राइवरों से होने वाली दुर्घटनाओं और मौतें क्रमशः 4.2 फीसदी और 6.4 फीसदी रही है।
  • राज्य परिवहन मंत्रियों का समूह केंद्र सरकार द्वारा गठित किया गया था, जिसने सड़क परिवहन क्षेत्र के लिए सुधार से सम्बंधित सिफारिशें की है। समूह ने मोटर वाहन अधिनियम, 1988 में संशोधन की सिफारिश की थी।

मुख्य विशेषताएं

  • सड़क दुर्घटना में पीडि़तों के लिए मुआवजाः केंद्र सरकार गोल्डन ऑवर (Golden hour) के दौरान दुर्घटना के शिकार लोगों के कैशलेस उपचार के लिए एक योजना बनाएगी और योजना में उपचार के लिए एक फंड बनाने के प्रावधान होगा। गोल्डन ऑवर का अर्थ है एक गंभीर चोट के बाद एक घंटे की समय अवधि जिसके दौरान शीघ्र चिकित्सा देखभाल प्रदान करके मृत्यु को रोकने की कोशिश की जाती है।
  • मोटर वाहन दुर्घटना निधिः केंद्र सरकार द्वारा देश में सभी सड़क उपयोगकर्ताओं को अनिवार्य बीमा कवर प्रदान किया जाएगा, इस उद्देश्य के लिए मोटर वाहन दुर्घटना निधि के रूप में एक कोष का गठन किया जाएगा। निधि का उपयोग कर सड़क दुर्घटनाओं में घायल हुए लोगों का इलाज और सड़क दुर्घटना में मरने वाले व्यक्ति के परिवारों को मुआवजा प्रदान किया जाएगा।
  • अच्छे मददगार व्यक्ति (गुड समैरिटन): ‘गुड समैरिटन’ का अर्थ है एक व्यक्ति, जो अच्छे भाव से (good faith), स्वेच्छा से और बिना किसी इनाम की उम्मीद के आपातकालीन दुर्घटना में चिकित्सा या गैर-चिकित्सा देखभाल या पीडि़त को दुर्घटना के मौके पर सहायता प्रदान करता है या ऐसे पीडि़त को अस्पताल पहुंचाता है। एक ऐसी चोट या मृत्यु जो गुड समैरिटन की लापरवाही से हुई थी, उस स्थिति में गुड सेमेरिटन के विरुद्ध किसी भी प्रकार की नागरिक या अपराधिक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
  • वाहनों कारिकॉल': केंद्र सरकार पर्यावरण, चालक या अन्य सड़क उपयोगकर्ताओं को नुकसान पहुंचाने वाले मोटर को रिकॉल कर सकती है। रिकॉल किये गए वाहन का पूरा खर्च निर्माता द्वारा वहन किया जायेगा या उस वाहन को दूसरे वाहन से बदला जाएगा।
  • राष्ट्रीय परिवहन नीतिः केंद्र सरकार राज्य सरकारों के साथ सहमति में इस अधिनियम की विषय-वस्तुओं के अनुरूप एक राष्ट्रीय परिवहन नीति विकसित कर सकती है।
  • यह नीति यात्रियों और माल परिवहन के लिए एक नियोजन ढांचा स्थापित करेगी, जिसके भीतर परिवहन निकाय संचालित होंगे और सड़क परिवहन के सभी रूपों के लिए एक मध्यम तथा दीर्घकालिक नियोजन ढांचा बनाया जाएगा।
  • सड़क सुरक्षा बोर्डः केंद्र सरकार एक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड का गठन करेगी, जो सड़क सुरक्षा और यातायात प्रबंधन से संबंधित सभी पहलुओं पर केंद्र सरकार या राज्य सरकार को सलाह देगा।
  • अपराध और दंडः ‘ड्रिंक एंड ड्राइव' के लिए जुर्माना की राशि10,000 रुपये है, वाहन निर्माता द्वारा मानकों के गैर अनुपालन पर 100 करोड़ रुपये जुर्माना या एक वर्ष कारावास, या दोनों है। ठेकेदार द्वारा सड़क डिजाइन के मानकों का पालन करने में विफल होने पर एक लाख रुपये दंड का प्रावधान किया गया है।
  • टैक्सी एग्रीगेटर्सः एक्ट एग्रीगेटर्स को डिजिटल मध्यवर्ती संस्था या मार्केट प्लेस के रूप में परिभाषित करता है, जो परिवहन के उद्देश्य से एक यात्री को एक ड्राइवर के साथ जोड़ता है। इन एग्रीगेटर्स को राज्य द्वारा लाइसेंस जारी किए जाएंगे। इसके अलावा, उन्हें सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 का अनुपालन करना होगा।

अधिनियम का महत्व

  • मानकों के प्रवर्तन के संबंध में बेहतर विधायी ढांचे के कारण पर्यावरण को कम नुकसान होता है।
  • वाहनों को रिकॉल करना मानकों को लागू करने का एक स्मार्ट तरीका है।
  • सड़क सुरक्षा बोर्ड के निर्माण से बेहतर नीति मार्गदर्शन होगा।
  • गुड समैरिटन के संरक्षण से गोल्डेन ऑवर में मनुष्य दुर्घटना पीडि़तों को सहायता मिल सकेगी।
  • टैक्सी एग्रीगेटर्स को शामिल करने से विधायी शून्यता की पूर्ति होगी।

संशोधन की आलोचना

  • यह राज्य के अधिकार का उल्लंघन है और संघीय सिद्धांतों का भी उल्लंघन है, क्योंकि राष्ट्रीय परिवहन नीति कम्यूटर-फ्रेंडली स्टेप के रूप में एक समान ड्राइविंग लाइसेंस और एक समान सड़क करों को प्रस्तुत करती है।
  • कठोर दंड और इसके प्रवर्तन के नियम यातायात अधिकारियों द्वारा हेरफेर और अवपीड़न को बढ़ावा देगा।
  • राज्य सरकारों के बीच भय व्याप्त हैं, क्योंकि वे परिवहन-संबंधित सेवाओं से होने वाली आय से वंचित हो सकते हैं, जिनमें वाहनों का पंजीकरण या क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न सेवाएं या राष्ट्रीय परिवहन नीति के कार्यान्वयन के कारण अंतरराज्यीय संचार शुल्क शामिल है।
  • लास्ट मील कनेक्टिविटी से सम्बंधित मुद्दा विद्यमान हैं, राज्य सरकारें सड़क परिवहन उपक्रमों के माध्यम से इस तरह की सेवाएं प्रदान करती हैं।
  • राज्यों का तर्क है कि बस सेवाओं का निजीकरण, अंततः दूरस्थ पहाड़ी और ग्रामीण स्थानों में ऐसी सेवाओं को प्रदान करने में गिरावट का कारण होगा।
  • राज्य सड़कों और राजमार्गों की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी का खर्च वहन करेगा_ ताकि सुरक्षा को बढ़ाया जा सके और इंजीनियरिंग डिजाइन सुधार के माध्यम से सड़क डिजाइन में सुधार हो सके।

समर्थन में तर्क

  • यह राज्यों पर आवश्यक रूप से लागू नहीं है और इसे लागू करने या इसे दरकिनार करने में उनकी स्वायत्तता है।
  • कानून और दंड देने में प्रौद्योगिकी का उपयोग केवल तभी लागू होगा, जब यह साबित हो जाए कि चालक ने जान-बूझकर नियमों का उल्लंघन किया था।
  • सड़क दुर्घटनाएं भारत में अप्राकृतिक मृत्यु (2018 में लगभग 1.49 लाख) के प्रमुख कारणों में से एक हैं और गोल्डन ऑवर के दौरान सहायता के अभाव में मृत्यु दर और अधिक बढ़ जाती है। गुड सेमैरिटन कानून की कमी इसकी एक बड़ी वजह थी।
  • एस- राजशेखरन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चार आयामी दृष्टिकोण अपनाने पर जोर दिया, अर्थात प्रवर्तन (कानूनों के), इंजीनियरिंग (सड़क डिजाइन), शिक्षा और आपातकालीन देखभाल, जिसे 4Es के रूप में जाना जाता है। साथ ही सड़क सुरक्षा के लिए केएस राधाकृष्णन पैनल का गठन किया गया_ जिसकी सिफारिशें इन परिवर्तनों को निर्देशित किया।

सुझाव

  • ‘सड़क सुरक्षा पर ब्रासीलिया घोषणा’ के हस्ताक्षरकर्ता होने के नाते, सड़क दुर्घटना से संबंधित मृत्यु को कम करने के लिए मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन करना अनिवार्य है। इसके अलावा, राज्यों को तमिलनाडु के उदाहरण का अनुकरण करना चाहिए, जिसने मृत्यु दर में लगभग 25% गिरावट दर्ज की है-
  • माल वाहक वाहनों में यात्रियों को ले जाने, तेजी से वहां चलाने, नशे में ड्राइविंग करने आदि जैसे अपराधों के विरुद्ध कड़ी कर्रवाई करके।
  • अनिवार्य हेलमेट और सीटबेल्ट नियमों का सख्त कार्यान्वयन।
  • इमरजेंसी केयर इनिशिएटिव शुरू करना।
  • यातायात संकेत, हाई-मास्ट लाइट्स, सड़कों पर पार्क किए गए वाहनों को हटाकर आदि।
  • सीट बेल्ट पहनने के बारे में जागरुकता पैदा करना, वाहन चलाते समय मोबाइल फोन पर बात न करना और यातायात के अन्य नियमों द्वारा।
  • सड़क सुरक्षा पर ब्रासीलिया घोषणा
  • ब्रासीलिया घोषणा (2015) परिवहन नीतियों पर पुनर्विचार करने से संबंधित है, यह घोषणा परिवहन के अधिक टिकाऊ साधनों जैसे पैदल चलना, साइकिल चलाने और सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को बढ़ावा देता है।
  • यह सभी सड़क उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने से सम्बंधित रणनीतियों पर प्रकाश डालता है, विशेष रूप से कानून के प्रवर्तन में सुधार करने_ ढांचागत संशोधनों के माध्यम से सड़कों को सुरक्षित बनाने_ वाहनों को जीवन रक्षक तकनीकों आदि से सम्बंधित रणनीतियों पर।
  • यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और अन्य भागीदार को यातायात दुर्घटनाओं से सम्बंधित मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए प्रोत्साहित करता है_ ताकि सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु दर को कम किया जा सके। यह घोषणा सड़क सुरक्षा से संबंधित एसडीजी लक्ष्यों से जुड़े संकेतकों को परिभाषित करने और उपयोग करने का समर्थन करता है।
  • भारत इस घोषणा पर हस्ताक्षर करने वाले देशों में से एक है।