उरोनेमा अप्रफ्रीकानम बोर्ज

अक्टूबर 2021 में साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित प्रारंभिक अध्ययन के अनुसार मद्रास विश्वविद्यालय और चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज के शोधकर्ताओं ने एक शैवाल प्रजाति ‘उरोनेमा अफ्रीकानम बोर्ज’ (Uronema africanum Borge) की पहचान की है, जो प्लास्टिक शीट के बायोडिग्रेडेशन एजेंट के रूप में कार्य करती है।

महत्वपूर्ण तथ्यः शोधकर्ताओं ने पाया कि एक प्रजाति, उरोनेमा अफ्रीकानम बोर्ज, ने प्लास्टिक के बायोडिग्रेडेशन (जैव-निम्नीकरण) की क्षमता प्रदर्शित की है।

  • यह सूक्ष्म शैवाल की प्रजाति आमतौर पर अफ्रीका, एशिया और यूरोप में पाई जाती है।
  • बर्मा के रंगून में, यह एक अधिपादप (epiphyte) के रूप में जाना जाता था, जो खुद को अन्य शैवाल और पौधों से जोड़े रखता था।

जीके फ़ैक्ट

  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वर्ष 2011-12 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, एक वर्ष में उत्पन्न होने वाला प्लास्टिक अपशिष्ट 56 लाख मीट्रिक टन था। भारत में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक का केवल 60% ही एकत्र और पुनर्नवीनीकरण किया गया था। कुल अपशिष्ट में लगभग 21.2% योगदान दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता और मुंबई जैसे महानगरों का था।

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