बायो एंजाइम

पंजाब के लगभग 100 किसानों ने, विशेष रूप से किन्नू फसल क्षेत्र में, इसके बेकार फल - छिलके और बहुत छोटे किन्नू ‘डी’ ग्रेड से बायो एंजाइम (BIO-ENZYMES) बनाना शुरू कर दिया है।

महत्वपूर्ण तथ्यः पंजाब में पकने से पहले ही गिर जाने वाले फल किन्नू को किसानों द्वारा पूरी तरह से बर्बाद समझा जाता है। लेकिन यह गिरा हुआ फल मिट्टी, पानी, हवा, घटते भूजल, जल प्रदूषण और समग्र पारिस्थितिकी में सुधार के लिए वरदान साबित हो सकता है।

बायो एंजाइम क्या हैं? जैव-एंजाइम कार्बनिक घोल हैं, जो विभिन्न फलों, सब्जियों के छिलके और फूलों सहित जैविक अपशिष्ट के किण्वन के माध्यम से चीनी, गुड़ और पानी में मिलाकर तैयार किए जाते हैं।

  • जैविक अपशिष्ट को किण्वित करने में 60-100 दिन लगते हैं। किण्वन को 45-50 दिनों में तेजी से तैयार करने के लिए इसमें खमीर का इस्तेमाल किया जा सकता है। बायो एंजाइम का हमारे दैनिक जीवन में भी बहुत उपयोग होता है।

जीके फ़ैक्ट

  • किन्नू एक साल की अवधि की फसल है और मुख्य कटाई की अवधि नवंबर-अंत से मार्च तक होती है, लेकिन इस खट्टे फल की कुछ किस्में अक्टूबर में बाजारों में आने लगती हैं।

प्रश्नोत्तर-सार

समुद्री स्थानिक योजना
  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने एकीकृत समुद्री संसाधन प्रबंधन के लिए और स्थायी तरीके से विकास कार्यों को करने के लिए दो प्रायोगिक स्थलों-पुडुचेरी और लक्षद्वीप द्वीपों के लिए समुद्री स्थानिक योजना प्रक्रिया आरम्भ की है। पुडुचेरी विशिष्ट पर्यावरणीय एवं आर्थिक परिवेश वाला एक नगरीय क्षेत्र है, जहां उद्योग, मत्स्य पालन और पर्यटन महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं, जबकि लक्षद्वीप पुरातन पारिस्थितिकी तंत्र की दृष्टि से एक संवेदनशील क्षेत्र है, जहां पर पर्यटन और मत्स्य पालन की बहुत अधिक सम्भावना है। नॉर्वे के सहयोग से समुद्री स्थानिक योजना की रूपरेखा तैयार की जा रही है। नॉर्वे के विदेश मंत्रालय और भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय पांच साल की अवधि के लिए नॉर्वे-भारत ‘एकीकृत समुद्री पहल’ स्थापित करके सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए हैं।
सत्यम कार्यक्रम
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग मानव स्वास्थ्य में योग और ध्यान की भूमिका को समझने के लिए इस क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2015-16 से ‘योग और ध्यान का विज्ञान और प्रौद्योगिकी (सत्यम)’ (Science and Technology of Yoga and Meditation: SATYAM) कार्यक्रम कार्यान्वित कर रहा है। सत्यम कार्यक्रम का उद्देश्य शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर योग और ध्यान के प्रभाव का पता लगाना है। वर्ष 2020-21 के दौरान, विभाग ने तीन व्यापक विषयगत क्षेत्रों अर्थात प्रतिरक्षा, श्वसन प्रणाली और तनाव, चिंता और अवसाद के तहत अतिरिक्त चिकित्सा के रूप में योग और ध्यान के प्रभाव का पता लगाने के लिए कोविड-19 और संबंधित वायरस से निपटने के लिए सत्यम कार्यक्रम के तहत एक विशेष आह्वान की घोषणा की थी।

पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी