Question : आपको दिये गये मानचित्र पर निम्नलिखित स्थानों को अंकित कीजिये और उन पर ही संक्षिप्त टिप्पणियां लिखियेः 1. अखनूर, 2. अरिकमेडु, 3. बराबर, 4. बाघ, 5. भूमा, 6. बोधगया, 7. भगतराव, 8. चन्द्रकेतुगढ़, 9. धाम्नेर, 10. एलीफैंटा, 11. एरण, 12. गोप, 13. ग्यासपुर, 14. हड़प्पा 15. हरवान, 16. कार्ले, 17. मोहनजोदड़ो, 18. मार्तंड, 19. मास्की, 20. महेन्द्रगिरि, 21. मुखलिंगम, 22. नचना, 23. पिपरहवा, 24. राजिम, 25. संघोल, 26. शिशुपालगढ़, 27. सिरपुर, 28. सोंख, 29. सुतकागेन्डोर, 30. तिगवा
(1994)
Answer : 1. अखनूर: यह कश्मीर में स्थित है। आठवीं से दसवीं शताब्दी के बीच यह स्थल सामंती मुख्यालय एवं धार्मिक केन्द्र के रूप में विख्यात था। यहां मिट्टी की मूर्तियों का एक बहुत बड़ा भण्डार मिला है, जिसकी समीक्षा करने के बाद इतिहासकारों का मानना है, कि ये मूर्तियां सामंतवादी कला का अर्थात् समृद्ध वर्ग की कला का प्रतिनिधित्व करती हैं।
2. अरिकमेडुः वर्तमान समय में अरिकमेडु तमिलनाडु में कोरोमण्डल तट पर पाण्डिचेरी के निकट स्थित है। ....
Question : लगभग 750 ई. तक भारत में हुए वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकासक्रम का निरूपण कीजिये।
(1994)
Answer : सिंधु घाटी की सभ्यता के काल से लेकर आठवीं सदी के मध्य तक भारत ने तकनीकी तथा विज्ञान आदि सभी क्षेत्रों में निरंतर अद्वितीय उन्नति की, जिसका आधार एक व्यवस्थित शिक्षा पद्धति थी। इससे प्रभावित होकर विभिन्न विदेशी भी शिक्षा प्राप्त करने के लिए भरत आते रहते थे। आधुनिक इतिहास के लेखक इस बात का विश्वास दिलाते हैं कि वेद सभी प्रकार यहां तक कि विज्ञान और तकनीकी ज्ञान के भी स्रोत हैं यद्यपि उनके ....
Question : भू-प्रदेश के वैदिक देव।
(1993)
Answer : भू-प्रदेश के वैदिक देवों में पृथ्वी, अग्नि, सोम, बृहस्पति और नदियां आते हैं। वैदिक देवों का यह वर्गीकरण प्राकृतिक आधार पर आधारित है। देवता प्रकृति के जिस स्वरूप का प्रतिनिधित्व करते हैं, उसी रूप में उन्हें वर्णित किया गया है। वैसे त्वस्त्रि (या त्वस्त) और पृथ्वी को तीनों वर्गों (भू, वायु एवं द्वि आकाशीय) में रख दिया गया है। अग्नि और उषस् को पृथ्वी स्थान एवं वायु स्थान, दोनों में रखा गया है। पृथ्वी को ....
Question : मौर्य स्तम्भों और अखमानी लाटों में समानतायें और अंतर।
(1993)
Answer : सर जॉन मार्शल ने लिखा है कि अशोक के स्तम्भों पर अखमानी लाटों का प्रभाव था, क्योंकि अशोक के राज्यकाल में ईरान से बुलाए गये कलाकारों द्वारा भारतीय कलाकारों का प्रशिक्षण हुआ। हैवेल इस मत को अस्वीकार करते हैं। अशोक के स्तम्भों पर घण्टी के आकार का ईरानी शीर्ष दिखाई देता है। यह शीर्ष भारतीय कला की वस्तुओं पर साधारणतः पाया जाता है। इसलिए इस आकार को ईरानी कला की घण्टी का आकार समझना गलत ....
Question : मौर्य साम्राज्य की सीमाओं के निर्धारण के लिये अशोक के तेरहवें शिलालेख के महत्व का परीक्षण कीजिये। क्या अशोक की नीतियों और सुधारों ने साम्राज्य के पतन में योगदान दिया?
(1993)
Answer : मौर्य साम्राज्य की सीमाओं के निर्धारण के लिऐ अशोक के तेरहवें शिलालेख का महत्वपूर्ण योगदान है। तेरहवें शिलालेख में उत्कीर्णित हैं कि, "अपने शासन के नवें वर्ष में कलिंग को जीता, जिसमें एक लाख लोग मारे गये और इससे भी अधिक घायल हुएतथा डेढ़ लाख लोग निर्वासित हो गये, यह जब देखकर देवनांप्रिय को पश्चाताप हुआ। जंगली जनजाति ठीक से रहें वरना मारे जाएंगे। ‘धम्मविजय’ ही सर्वोत्तम विजय है जिसे उसने सीरिया के एंटीकुश प्प् ....
Question : मौर्योत्तर काल में संस्कृत में लिखी बौद्ध रचनायें।
(1993)
Answer : महायान सम्प्रदाय के उदय के बाद महायानियों ने संस्कृत को अपने अनेक ग्रन्थों की भाषा बनाया। हीनयानियों (थेरवादियों) ने भी संस्कृत में अपने कुछ ग्रन्थ लिखे। परन्तु संस्कृत में लिखित अधिकांश बौद्ध धर्मग्रन्थ महायान संप्रदाय से सम्बन्धित हैं। महायान सूत्रों में वैपुल्यू सूत्रों के रूप में प्रसिद्ध कुछ धर्मग्रन्थ बहुत महत्वपूर्ण हैं। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण ग्रन्थ हैं: (1) अष्ट सहस्त्रिका-प्रज्ञा पारमिता, (2) सधर्म पुण्डरीक, (3) ललित विस्तार, (4) सुवर्ण प्रभास, (5) गौड़व्यूह, (6) तथागत ....
Question : कलिंग के खारवेल के सैनिक क्रियाकलापों की विवेचना कीजिये। क्या आप यह सोचते हैं कि उसका राज्यकाल केवल सैनिक अभियानों के लिए ही महत्वपूर्ण है?
(1993)
Answer : खारवेल शुंगों (दूसरी-पहली शताब्दी ईसा-पूर्व) का समकालीन था एवं सौभाग्यवश हाथीगुंफा शिलालेखों (उड़ीसा में) से उसके विषय में बहुत कुछ ज्ञात होता है। के-पी- जायसवाल और आर-डी- बनर्जी ने इस शिलालेख को सुयोग्यता से सम्पादित किया है। वह कलिंग के तीसरे राजवंश से था और उसके वंश का नाम चेत (या चैत्र) था अपने शासन के दूसरे वर्ष में शातकर्णो की अवहेलना करते हुए उसने पश्चिम की ओर एक बड़ी सेना भेजी। उसने कशप (कश्यप) ....
Question : सैन्धव सभ्यता की शवाधान रीतियां।
(1993)
Answer : सैन्धव सभ्यता की शवाधान रीतियां उसकी धार्मिक रीतियों की ही तरह विभिन्नता लिए हुए थीं। मॉर्टिमर व्हीलर द्वारा हड़प्पा में 67 समाधियों (कब्रों) से युक्त एक समाधि स्थान की खोज की गयी थी, जिससे प्रतीत होता है कि शवाधान या दफनाना अन्तिम संस्कार की सामान्य प्रथा थी। मोहनजोदड़ो से शवाधान के तीन प्रमुख रूप देखने को मिलते हैं अर्थात् पूर्ण शवाधान, आंशिक शवाधान और शव के दाह-संस्कार के बाद अस्थि अवशेषों
का शवाधान। पूर्ण शवाधान से ....
Question : "शिलालेखों एवं सिक्कों की सहायता के बिना पूर्वकालीन भारतीय इतिहास का पुनर्निर्माण मुश्किल से ही संभव है।" चर्चा कीजिए।
(2007)
Answer : प्राचीन भारत के इतिहास का पुनर्निर्माण करने के लिए हमारे पास विविध प्रकार के स्रोत हैं। स्थूल रूप से, प्राचीन भारत के इतिहास के स्रोतों को दो मुख्य स्रोतों में वर्गीकृत किया जा सकता है। पहली साहित्यिक और दूसरी पुरातात्विक। साहित्यिक स्रोतों में वैदिक, संस्कृत, पालि, प्राकृत और अन्य साहित्य को तथा इसके अलावा विदेशियों द्वारा लिखे वृतांतों को शामिल किया जा सकता है। पुरात्व के स्थूल शीर्ष के अन्तर्गत हम पुरालेखों, सिक्कों, स्थापत्य अवशेषों, ....
Question : निम्नलिखित स्थानों में से किन्ही पंद्रह स्थानों को आपको दिए गए नक्शे पर चिन्हित कीजिए और चिन्हित किए गए स्थानों पर ही संक्षिप्त वर्णनात्मक टिप्पणियां भी लिखिएः

(2007)
Answer : 1. कोटडिगिः वर्तमान में यह पाकिस्तान के सिंध प्रांत में खैरपुर के पास अवस्थित है। वहां से प्राप्त पुरातात्विक अवशेषों के आघार पर प्राक्-हड़प्पीय, ताम्रपाषाण संस्कृति, स्थानीय कृषक समुदायों के प्रसार एवं हड़प्पा की नगर सभ्यता से उनके सम्बन्ध की जानकारी मिलती है। कोटदिजी में किलेबन्दी का अभी तक कोई साक्ष्य नहीं मिला है।
2. कालीबंगनः यह राजस्थान के गंगानगर जिले में घग्घर नदी के समीप स्थित है। हड़प्पा-युगीन संस्कृति के साक्ष्य यहीं से प्राप्त हुए ....
Question : प्रथम शताब्दी ई. से पूर्व बौद्ध धर्म के उत्थान और प्रसार के बारे में जो कुछ आप जानते हैं, वह लिखिए।
(2007)
Answer : छठी सदी ई. पू. में बौद्ध धर्म एवं जैन धर्म का उत्थान एक प्रमुख घटना थी। विद्वानों ने बौद्ध धर्म के उत्थान के कारणों पर विस्तारपूर्वक विचार किया है एवं बौद्ध धर्म के उत्थान के संदर्भ मे विविध पक्षों एवं मतों को प्रतिपादित किया है। बौद्ध धर्म के उत्थान के संदर्भ में महत्वपूर्ण है कि इसने वर्ण व्यवस्था एवं कर्मकाण्डों पर आधारित ब्राह्मण धर्म का खंडन किया एवं एक अधिकाधिक संतुलित और स्वीकार करने योग्य ....
Question : गुप्त काल में आम आदमी की दशा पर प्रकाश डालिए।
(2007)
Answer : गुप्त काल में आम आदमी की दशा का सर्वश्रेष्ठ ज्ञापन तात्कालिक सामाजिक एवं आर्थिक परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में हो सकता है, क्योंकि व्यक्ति की दशा का निर्धारण सामाजिक एवं आर्थिक तत्व ही करते हैं। राजनीतिक परिस्थितियां एवं सांस्कृतिक परिदृश्य भी व्यक्ति को प्रभावित करते हैं।
गुप्तकालीन समाज में पितृसत्तात्मक संयुक्त परिवार प्राथमिक इकाई थी, जिसमें जन्मजात उत्तराधिकार की परम्मरा प्रचलित थी। व्यक्ति अगर ज्येष्ठ पुत्र हो तो उसे बड़ा भाग मिलता था। उस काल में भूमि ....
Question : प्रारंभिक भारतीय इतिहास के अध्ययन के बदलते हुए उपागमों पर चर्चा कीजिए।
(2006)
Answer : प्राचीन भारतीय इतिहास और संस्कृति का आधुनिक अध्ययन 18वीं शताब्दी में शुरू हुआ। भारत में ब्रिटिश शासन को स्थायित्व प्रदान करने के लिए यहां के रीति-रिवाजों, परम्पराओं और विधि-व्यवस्था का ज्ञान आवश्यक प्रतीत हुआ। फलतः इतिहास के अध्ययन के साम्राज्यवादी या औपनिवेशिक दृष्टिकोण का उदय हुआ। इसके अन्तर्गत औपनिवेशिक-प्रशासनिक आवश्यकताओं के आधार पर इतिहास को देखने का प्रयास किया गया।
इसके प्रतिक्रियास्वरूप 19वीं एवं 20वीं शताब्दी में भारतीय इतिहास के संदर्भ में राष्ट्रवादी उपागम उभर कर ....
Question : निम्नलिखित स्थानों में से किन्हीं पंद्रह स्थानों के, आपको दिए गए नक्शे पर चिह्न लगाइए और अपने नक्शे पर जिन स्थानों के चिह्न लगाए हैं, उन्हीं के बारे में वर्णनात्मक टिप्पणियां लिखिएः

(2006)
Answer : 1. कोणार्कः उड़ीसा प्रान्त में पुरी के निकट, चिल्का झील से प्राची नदी तक फैली हुई रेतीली पट्टी के उत्तरी छोर के, समुद्रतट पर स्थित है। गंगनरेश नरसिंह देव (1238-1363 ई.) द्वारा निर्मित सूर्य मन्दिर के लिए प्रसिद्ध है। यह मन्दिर ‘काले पैगोडा’ के नाम से विख्यात है। सम्पूर्ण मन्दिर पहियों वाले रथ की आकृति में है, जिसे सूर्य के सात घोड़े खींच रहे हैं। इसके 12 पहिये या चक्र 12 राशियों के व सात ....
Question : समुद्रगुप्त के अधीन गुप्त साम्राज्य के विस्तार का वर्णन कीजिए।
(2006)
Answer : समुद्रगुप्त एक महान विजेता था, जिसने अपने बाहुबल से उत्तराधिकार में प्राप्त एक छोटे से राज्य को विस्तृत कर एक सुदृढ़ साम्राज्य में परिणत कर दिया। उसका साम्राज्य उत्तर में हिमालय से लेकर नर्मदा नदी तक और पूर्व में ब्रह्मपुत्र से लेकर पश्चिम में चंबल नदी तक फैला हुआ था। दक्षिण के 12 राज्यों पर भी उसने विजय प्राप्त की और उनसे कर वसूला था। इसके अतिरिक्त उसके पड़ोसी राज्य, जैसे-सिंहलद्वीप, शक और कुषाण उसके ....
Question : प्राचीनकाल के दौरान वास्तुकला के विकास में प्रमुख चरणों पर चर्चा कीजिए।
(2006)
Answer : प्राचीनकाल में वास्तुकला के विभिन्न विधाओं का विकास कई चरणों में हुआ। प्राचीन काल के वास्तुकला के विकास के इन चरणों के बीच एक सातत्य भी देखने को मिलता है। यद्यपि हड़प्पा संस्कृति के उपयोगी ईंटों के भवन दृढ़ एवं उपयुक्त थे, फिर भी उनमें सौन्दर्यात्मक महत्व का अभाव है। अतः यहां उनका वर्णन आवश्यक नहीं है। पुनः हड़प्पा काल और मौर्यकाल के बीच भी राजगृह के राजप्रसाद (जिसका भी कोई कलात्मक महत्व नहीं है) ....
Question : मौर्य साम्राज्य के विस्तार का निर्धारण कीजिए।
(2005)
Answer : मौर्य साम्राज्य की स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने मंत्री एवं पुरोहित चाणक्य की सहायता से किया। चंद्रगुप्त ने अपने साम्राज्य की स्थापना के क्रम में सर्वप्रथम पंजाब एवं सिंध को विदेशियों की दासता से मुक्त किया। चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा इस क्षेत्र पर अपना आधिपत्य स्थापित करने का विवरण जस्टिन ने दिया है। जस्टिन कहता है-‘सिकंदर की मृत्यु के पश्चात् भारत ने अपनी गर्दन से दासता का जुआ उतार फेंका तथा अपने गर्वनरों की हत्या कर ....
Question : गुप्त वंश की प्रशासनिक प्रणाली के प्रमुख अभिलक्षण क्या हैं?
(2005)
Answer : मौर्य वंश के पतन के पश्चात गुप्तों ने उत्तर भारत में एक बड़े साम्राज्य का निर्माण किया। गुप्तों ने अपने साम्राज्य में प्रशासन के लिए जो व्यवस्था स्थापित किया, वह पूर्ववर्ती मौर्यों के प्रशासनिक व्यवस्था से भिन्न तथा विशिष्ट था। इनकी प्रशासनिक व्यवस्था के उन विशेषताओं को रेखांकित किया जा सकता है जो पूर्ववर्ती मौर्यों की प्रशासनिक व्यवस्था में जिन नवीन प्रवृत्तियों का उदय हुआ, वह इसके बाद के प्रशासनिक व्यवस्था के प्रमुख लक्षण बन ....
Question : ईसा पूर्व चौथी शताब्दी से छठीं शताब्दी ईस्वी तक भारत में महिलाओं की परिस्थिति का आकलन कीजिए।
(2005)
Answer : वैदिक काल की समाप्ति के साथ स्त्रियों की दशा में निरंतर गिरावट आने लगी। उनके अधिकारों में जिस अनुपात से कटौती की गयी उसी अनुपात से कर्तव्यों में वृद्धि की गई। छठीं शताब्दी ई. तक स्त्रियों के अधिकार लगभग पूर्णतः समाप्त कर दिए गए तथा समाज एवं परिवार के प्रति दायित्वों की बोझ लाद दी गई। ईसा पूर्व चौथी शताब्दी तक कन्या का जन्म अभीष्ट नहीं रहा। स्त्रियों का उपनयन संस्कार भी बंद कर दिया ....
Question : परवर्ती वैदिक लोगों के सामाजिक जीवन का वर्णन कीजिए। यह जीवन ऋग्वैदिक जीवन से किन बातों में भिन्न था?
(2004)
Answer : बड़े पैमाने पर कृषि कार्यों के आरंभ होने और स्थायी जीवन-यापन की नींव पड़ने के कारण परवर्ती वैदिककालीन आर्यों की सामाजिक दशा में ऋग्वैदिक कालीन आर्यों की तुलना में काफी परिवर्तन आया। परवर्ती वैदिक कालीन समाज स्पष्टतः वर्ण-व्यवस्था पर आधारित था। अर्थात वर्ग इस प्रकार बंटे थे कि ब्राह्मण एवं क्षत्रिय अनुत्पादी होते हुए भी विशेषाधिकार संपन्न थे, क्योंकि वे ही उत्पादन के नियंत्रणकर्ता थे। वैश्य एवं शूद्र निम्न वर्ग के थे और वे उत्पादन ....
Question : बौद्धमत के सामाजिक पक्षों को स्पष्ट कीजिए और भारत में उसकी अवनति के कारण बताइये।
(2004)
Answer : आर्यों के जीवन में विभिन्न भौतिक परिवर्तनों ने अनेक समस्याओं को जन्म दिया। आर्थिक व्यवस्था में परिवर्तन के परिणामस्वरूप व्यावसायिक समूहों के सामाजिक स्तर में भी व्यापक परिवर्तन हुआ। वैश्यों और शूद्रों ने विभिन्न धातु शिल्प (कला) व्यापार और वाणिज्य को प्रमुख व्यवसाय बना लिया। एक तरह से समाज का चौथा वर्ग अर्थात शूद्रों का स्थान रिक्त हो गया। अनार्यों ने भूमि जोतने का कार्य आरंभ कर दिया और वे शूद्र बनकर सामाजिक व्यवस्था में ....
Question : ‘ई.पू.छठी शताब्दी भारत में धार्मिक एवं आर्थिक अशांति की अवधि थी’ टिप्पणी कीजिए।
(2003)
Answer : ई.पू. छठी शताब्दी में भारत के आर्थिक एवं धार्मिक क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन दृष्टिगोचर होते हैं। ये परिवर्तन पूर्व के काल के क्रमिक विकास के परिणाम थे। छठी शताब्दी ई.पू. का काल पूर्व तथा आगामी काल के बीच एक संक्रमण काल था। इस काल में अर्थव्यवस्था अपने परिवर्तित स्वरूप में एक विस्तृत आकार ग्रहण कर रही थी। यह परिवर्तन सामाजिक तथा धार्मिक क्षेत्र में एक नयी सोच तथा व्यवहार को पोषित करने लगा था। यद्यपि ....
Question : 2000 से 500 ई.पू. भारत में बसावत, अर्थव्यवस्था, सामाजिक संगठन और धर्म के प्रतिरूप का पुरातत्वीय साक्ष्यों के आधार पर आकलन कीजिए।
(2003)
Answer : पुरातत्वीय साक्ष्यों के अनुसार 2000 से 500 ई.पू. भारत में मुख्य रूप से चार प्रकार की संस्कृतियां विद्यमान थीं- हड़प्पा संस्कृति (2000 ई.पू. से 1500 ई.पू.), वैदिक संस्कृति (1500 ई.पू. से 600 ई.पू.) ताम्रपाषाणीय संस्कृति तथा महाजनपदीय संस्कृति (600 ई.पू. से 500 ई.पू.) हड़प्पा संस्कृति को पुनः दो भागों में विभाजित किया गया हैः विकसित हड़प्पा संस्कृति (2000 ई.पू. से 1800 ई.पू.) तथा उत्तर-हड़प्पा संस्कृति (1800 ई.पू. से 1500 ई.पू.)। वैदिक संस्कृति भी दो भागों ....
Question : भारत की राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक दशाओं के बारे में फाहयान द्वारा प्रदान की गयी जानकारी का परीक्षण कीजिए। उसके द्वारा दिये गये विवरण का हवेनसांग द्वारा दिये गये विवरण के साथ तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
(2003)
Answer : चीनी यात्री फाहयान ने चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के शासन काल में भारत की यात्र की थी। 399 ई. से 414 ई. तक उसने भारत के विभिन्न स्थानों का भ्रमण किया। उसके द्वारा छोड़ा गया भ्रमण-वृत्तान्त चन्द्रगुप्तकालीन भारत की राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक दशाओं का सुन्दर निरुपण करता है। हवेनसांग भी एक चीनी यात्री थी, जिसने 630 और 644 ई. के बीच भारत की यात्र की थी। उस काल में भारत का सम्राट हर्षवर्धन था। फाहयान ....
Question : मौर्य राज्य की प्रकृति का परीक्षण कीजिये। उसकी प्रशासनिक व्यवस्था की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिये।
(2002)
Answer : मौर्य प्रशासन के बारे में हमें विशिष्ट जानकारी कौटिल्य द्वारा रचित अर्थशास्त्र, विदेशी यात्रियों के विवरण एवं मौर्यकालीन अभिलेखों से मिलती है। मौर्य शासनकाल में भारत में पहली बार राजनीतिक एकता प्रतिस्थापित हुई। गणराज्यों का ”ास होने लगा और सत्ता अत्यधिक केंद्रित होने लगी। इस काल में परंपरागत मान्यताओं के विपरीत राजाज्ञा को प्रमुखता दी गयी। स्रोतों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण कौटिल्य द्वारा रचित अर्थशाड्ड को माना गया है। अर्थशाड्ड की खोज पंडित श्यामजी शास्त्री ने ....
Question : प्राचीन भारतीयों की विभिन्न हस्त शिल्पों, विज्ञान एवं गणित में निपुणता का परीक्षण कीजिये।
(2002)
Answer : पाषाण कालीन सभ्यतायें जो कि सोहन घाटी, नर्मदा घाटी एवं बेलन घाटी जैसे स्थलों में विकसित हुई, से प्रस्तर कुठारों एवं लघु अश्मकों के विकास का प्रर्याप्त प्रमाण-पत्र होते हैं। भारत में नव पाषाण काल में कृषि की वैज्ञानिक पद्धति अस्तित्व में आई। इसका प्रमाण मेहरगढ़ (अब पाकिस्तान) से प्राप्त होता है। उल्लेखनीय बात यह है कि सिधु काल में ही सर्वप्रथम कपास की खेती का कार्य आरंभ हुआ। कालीबंगन के प्राग सैंधव स्थल से ....
Question : इस प्रश्न-पत्र के साथ दिए जा रहे मानचित्र में, निम्नलिखित स्थानों में से किन्हीं पंद्रह पर निशान लगाइए तथा मानचित्र में अंकित स्थानों पर संक्षिप्त वर्णनात्मक टिप्पणियां लिखिएः
1. अजन्ताः 2. बोधगयाः 3. धौलावीराः 4. द्वारकाः 5. गिरनारः 6. हस्तिनापुरः 7. कांचीपुरमः 8. कौशाम्बीः 9. मदुरैःकदंबन 10. मालखेड़ः 11. मोहनजोदड़ोः 12. नालंदाः 13. पुरुषपुरः 14. रोपड़ः 15. सांचीः 16. श्रवणबेलगोलाः 17. श्रावस्तीः 18. तंजोरः 19. थोनश्वरः 20. वाराणसीः
(2002)
Answer : 1. अजन्ताः यह वर्तमान में महाराष्ट्र में स्थित है। यह गुप्त काल तथा गुप्तोत्तर काल में सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र था। यहां पर बौद्ध धर्म से संबंधित अनेक गुफाऐं मिलती हैं जिनका निर्माण मुख्यतः वाकाटक शासकों ने कराया था।
2. बोधगयाः भगवान बुद्ध को यहीं पर बोधिवृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था। ह्नेनसांग के अनुसार सिहल नरेश ने यहां महाबोधि संघाराम का निर्माण करवाया था।
3. धौलावीराः 1991 ई. में उत्खनित इस स्थल से 4500 ....
Question : अशोक महान के समय तक मगध के साम्राज्यवाद की सफलता के कारणों का विश्लेषण कीजिये।
(2001)
Answer : मगध के उत्थान में विभिन्न भौगोलिक, सांस्कृितक और राजनीतिक परिस्थितियों का योगदान रहा। मगध की भौगोलिक परिस्थितियों ने मगध के उत्कर्ष में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। गंगा ओर उसके उत्तर में गंडक तथा घाघरा नदियों ने तथा दक्षिण में सोन नदी ने मगध को सुरक्षा तथा यातायात और व्यापारिक प्रगति के लिए साधन प्रदान किये। मगध की प्राचीन राजधानी राजगृह सात पहाडि़यों से घिरी हुई थी और बाद की राजधानी पाटलिपुत्र भी गंगा तथा सोन ....
Question : इस प्रश्न-पत्र के साथ दिये जा रहे मानचित्र में, निम्नलिखित स्थानों में से किन्हीं पन्द्रह पर निशान लगाइये और मानचित्र में अंकित स्थानों पर वर्णनात्मक टिप्पणियां लिखिएः-
1. अजमेर, 2. अहमदनगर, 3. इलाहाबाद, 4. बादामी, 5. भुवनेश्वर, 6. चित्रकूट, 7. चित्तौड, 8. चंडीगढ़, 9. देहरादून, 10. धारा, 11. एलिफैन्टा, 12. एलोरा, 13. गुवाहाटी, 14. हैदराबाद, 15. हड़प्पा, 16. इन्द्रप्रस्थ, 17. जगन्नाथपुरी, 18. कल्याण, 19. कावेरीपट्टनम, 20. लोथल।
(2001)
Answer : 1. अजमेर: अजमेर अथवा अजयमेरू राजस्थान के तारागढ़ की प्रमुख तराई में स्थित एक प्रमुख नगर है। 1113 ई. में शाकंभरी के अजय देव ने अजमेर की स्थापना की थी। चौहान वंश के शासकों ने अजमेर को गौरवशाली बनाया था। कुतुबुद्दीन ऐबक ने यहां ढाई दिन का झोपड़ा मस्जिद का निर्माण कराया था। शेरशाह और अकबर के साम्राज्य में भी यह सम्मिलित था। अजमेर में प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है। यहां ....
Question : मौर्यवंश के इतिहास जानने के साधनों का उल्लेख कीजिए। अशोक के शिलालेखों का ऐतिहासिक साधन के रूप में उनके महत्व का परीक्षण कीजिये।
(1999)
Answer : भारतीय इतिहास में मौर्यकाल का महत्वपूर्ण स्थान है। मौर्यों ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना कर राजनीतिक एकता स्थापित की। इस वंश के प्रमुख शासकों में चंद्रगुप्त (संस्थापक), बिंदुसार और अशोक के नाम उल्लेखनीय हैं। मौर्यों ने राजनीतिक एकीकरण के अतिरिक्त आर्थिक, सामाजिक, प्रशासनिक और धार्मिक क्षेत्रों के अभ्युदय तथा कला-कौशल के विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया। मौर्य वंश के इतिहास की जानकारी हमें अनेक स्रोतों से प्राप्त होती है, जिसे निम्नलिखित भागों में विभाजित ....
Question : फ्हर्षवर्धन स्वयं महान था, परंतु उसे बाण एवं ह्नेनसांग ने महत्तर बना दिया।य् इस कथन की विवेचना कीजिए।
(1999)
Answer : हर्षवर्द्धन सातवीं शताब्दी की भारतीय राजनीति का श्रेष्ठतम नायक था। एक कुशल योद्धा, साम्राज्य निर्माता, प्रशासक, लोक कल्याणकारी और विद्यानुरागी शासक के रूप में सभी उसकी प्रशंसा करते हैं। अनेक विद्वान उसे अंतिम हिंदू सम्राट एवं साम्राज्य निर्माता मानते हैं। परंतु उनकी उपलब्धियों को प्रकाश में लाने का श्रेय उसके दरबारी बाणभट्ट एवं चीनी पर्यटक ह्नेनसांग को जाता है।
हर्षवर्द्धन के दो महत्वपूर्ण अभिलेख भी प्राप्त हुए हैं- मधुबन (आजमगढ़ उत्तर प्रदेश) तथा बांसखेड़ा (शाहजहांपुर, उत्तर ....
Question : सिंधु घाटी सभ्यता की मूलभूत विशेषताओं का वर्णन कीजिये। महत्वपूर्ण स्थानों के नाम बताइये, जहां से इस सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए हैं। सभ्यता के नष्ट होने के कारणों का परीक्षण कीजिये।
(1999)
Answer : विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में सिंधु घाटी या हड़प्पा की सभ्यता एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इस सभ्यता के अवशेषों के प्रकाश में आने से अब निश्चित हो गया है कि आर्यों के आगमन के पूर्व ही भारत में पूर्ण विकसित नागरिक सभ्यता का उदय हो चुका था। अब यह निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि भारत की सभ्यता भी मिड्ड और मेसोपोटमिया की सभ्यताओं की तरह ही अति प्राचीन है। ....
Question : दिये मानचित्र में निम्नलिखित स्थानों पर निशान लगाइए और मानचित्र में अंकित स्थानों पर संक्षिप्त विवरणात्मक टिप्पणियां लिखिये:
1. ऐहोल, 2. अमरावती, 3. बेसनगर,4. भगवानपुर, 5. भरुकच्छ, 6. धौलावीरा, 7. दैमाबाद, 8. गिरिनगर, 9. इनामगांव, 10. कलिंगनगर, 11. कन्हेरी, 12. कार्ले, 13. कौशाम्बी, 14. कयथा, 15.किली-गुल-मुहम्मद, 16. कोटदिजी, 17. कुशीनगर, 18. मामल्लपुरम्, 19. मास्की, 20. मेहरगढ़, 21. प्रयाग, 22. पुष्कलावती, 23. सारनाथ, 24. सुर्पारक, 25. श्रुघ्न, 26. टेक्कलकोट्टा, 27. टोपरा, 28. उज्जयिनी, 29. उरैयर, 30. वल्लभी।
(1998)
Answer : 1. अयहोल/ऐहोलः अयहोल कर्नाटक राज्य के बीजापुर जिले में स्थित है। अयहोल को भारतीय मंदिर वास्तुकला की पाठशाला कहा गया है। यहां से 70 मंदिरों के अवशेष मिले हैं। चालुक्यों ने 610 ई. के आस-पास यहां अनेक मंदिर बनवाये, जिनमें प्रमुख थेः लाड खान मंदिर, दुर्गा मंदिर और हुचीमललीगुड़ी मंदिर। यहां से मेगुती के अधूरे जैन मंदिर का अवशेष भी मिला है। यहां के मंदिर द्रविड़, नागर एवं बेसर वास्तुकला की शैली में बने हुए ....
Question : प्रशासन और कला के क्षेत्र में पल्लवों की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिये।
(1997)
Answer : पल्लव शासन व्यवस्था का भारतीय इतिहास में विशिष्ट महत्व है। उसके इस महत्व का कारण उसकी समन्वयवादी प्रकृति है। पल्लव शासन व्यवस्था में एक ओर तो दक्षिण भारतीय शासन पद्धति का मूल तत्त्व स्थानीय स्वायत्तता सुरक्षित थी, तो दूसरी ओर उसमें उत्तरी भारत की मौर्य व गुप्त शासन व्यवस्था की केन्द्रीय प्रशासन व्यवस्था को भी स्थान दिया गया था। केन्द्रीयभूत प्रशासन का स्थानीय स्वायत्तता से मेल, यही समन्वय पल्लव शासन व्यवस्था को विशिष्ट रूप प्रदान ....
Question : गुप्तकाल के दौरान दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में भारतीय संस्कृति का विस्तार किस प्रकार हुआ?
(1997)
Answer : प्राचीन भारतीय इतिहास की एक प्रमुख विशेषता है कि इस काल में भारतीयों ने अपनी सर्जनात्मक शक्ति का उपयोग भारत के ही सांस्कृतिक विकास के लिए नहीं किया, अपितु विदेशों में जाकर वहां भी अपनी संस्कृति को स्थापित किया। दक्षिण-पूर्व एशिया में भारतीय किसी एक स्थान से और एक साथ नहीं गये, अपितु वह वहां पर अलग-अलग समय में अलग-अलग क्षेत्रों से मानव लहर की तरह पहुंचे। परंतु गुप्तकाल में यह प्रक्रिया अपने चरमोत्कर्ष पर ....
Question : ‘नालंदा का महाविहार’ पर 200 शब्दों की सीमा में निबंध लिखिये?
(1997)
Answer : नालंदा का महाविहार गुप्तोत्तर काल का सर्वप्रमुख शिक्षा केंद्र था, जहां चीनी यात्री ह्नेनसांग ने उस महाविहार के अध्यक्ष शीलभद्र के चरणों में बैठकर योग का अध्ययन किया था। नालंदा एक स्नातकोत्तर विश्वविद्यालय था, जिसमें 8,500 विद्यार्थी और 1,510 शिक्षक थे। शिक्षकों और विद्यार्थियों का अनुपात 1ः 5 था। इस अनुपात के अनुसार शिक्षकों और विद्यार्थियों का वैयक्तिक शिक्षा संपर्क था। नालंदा में कठिन परीक्षा के बाद प्रवेश मिलता था। यहां कोरिया, मंगोलिया, जापान, तिब्बत ....
Question : सांची के महान स्तूप की स्थापत्यात्मक एवं कलात्मक विशेषतायें।
(1997)
Answer : सांची एकमात्र ऐसा स्थल है जहां बौद्धकालीन शिल्प कला के सारे नमूने विद्यमान हैं। सांची में तीन स्तूप हैं जो अत्यंत सुंदर एवं प्राचीन हैं। इन तीनों स्तूपों में एक मुख्य स्तूप है, जिसका व्यास 36.5 मीटर का है और ऊंचाई 16.4 मीटर है। इस स्तूप के तोरण पर बुद्ध के जीवन की झलकियां उत्कीर्ण हैं। इस स्तूप का निर्माण महान् मौर्य सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म की दीक्षा लेने के पश्चात् ईसा पूर्व तीसरी ....
Question : सिन्धु सभ्यता का धर्म
(1996)
Answer : सिन्धु सभ्यता के धर्म के संबंध में जानकारी ध्वंस स्मारकों, मूर्तियों, मुहरों एवं ताबीजों आदि से प्राप्त की जाती है। अभाग्यवश सिन्धु लिपि अभी तक अपठनीय है और इसलिए निश्चित निष्कर्ष निकालना मुश्किल है।
हड़प्पा में पकी मिट्टी की स्त्री-मूर्तिकाएं भारी संख्या में मिली हैं। एक मूर्तिका में स्त्री के गर्भ से निकलता एक पौधा दिखाया गया है जो संभवतः पृथ्वी देवी की पूजा का संकेत देता है। इस तरह मालूम पड़ता है कि हड़प्पा के ....
Question : मौर्य-पूर्व काल (600-325 ई.पू.) में भारत की सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियां।
(1996)
Answer : बुद्ध के समय से लोगों के जीवन में स्थायित्व के तत्त्व प्रकट रूप से सामने आये। कबीलाई समाज या समतामूलक समाज चार वर्णों में स्पष्टतः विभक्त हो गया: ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। धर्मसूत्रों में हर वर्ण के लिए अपने-अपने कर्त्तव्य (पेशा) तय कर दिये गये। उच्च वर्णों से उच्च कोटि के नैतिक आचरण की अपेक्षा की जाती थी। शूद्रों पर हर प्रकार की अपात्रता लाद दी गयी थी। यहां तक कि जैन और बौद्ध ....
Question : जिन घटनाओं का भारत के इतिहास पर अपूर्व प्रभाव पड़ा, उनमें 647 ई. में हुई हर्ष की मृत्यु का स्थान महत्वपूर्ण है, क्यों? स्पष्ट कीजिये।
(1996)
Answer : कई दृष्टि से भारतीय इतिहास में हर्ष का स्थान महत्वपूर्ण माना जाता है। उसकी मृत्यु के बाद से मुसलमानों की विजय तक के युग को राजपूत युग की संज्ञा दी जाती है। इस काल-खंड में ऐसे-ऐसे महत्वपूर्ण बदलाव आने लगे कि इसे एक युग का अन्त और दूसरे युग की शुरुआत के रूप में देखा जाने लगा। बहुत से इतिहासकार भारतीय इतिहास में मध्यकाल का पदार्पण हर्ष की मृत्यु के बाद ही मानते हैं। ये ....
Question : हूणों के साथ स्कंदगुप्त का युद्ध
(1996)
Answer : स्कंदगुप्त (455-469 ई.) के प्रारंभिक वर्ष अत्यंत ही संघर्ष के वर्ष थे। हूणों का गुप्त साम्राज्य पर आक्रमण स्कंदगुप्त के शासनकाल की सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटना थी। हूण बर्बर योद्धा थे, जो मध्य एशिया के खानाबदोश लोग थे। अपनी बर्बरता एवं युद्धकौशल से हूणों ने यूरोप से लेकर भारत तक के क्षेत्र को आतंकित किया। परंतु स्कंदगुप्त ने अत्याचारी हूणों को परास्त कर न केवल गुप्त साम्राज्य की रक्षा की, वरन् आर्य सभ्यता एवं संस्कृति को ....
Question : गुप्त साम्राज्य के उत्थान और पतन के कारक
(1996)
Answer : तीसरी सदी ईस्वी में कुषाणों के अवसान सत्र में उन्हीं के सामन्त गुप्तों ने साम्राज्य निर्माण की दिशा में कदम उठाया। गुप्तों के प्रारंभिक शक्ति स्थल बिहार और उत्तर प्रदेश थे। लगता है कि गुप्तों ने जीन, लगाम, बटन वाले कोट, पतलून और जूतों का इस्तेमाल कुषाणों से सीखा। इन सभी से उनमें गतिशीलता आयी। अपने पूर्ववर्त्ती शासकों के नक्शे-कदम पर गुप्तों ने रथ और हाथी के स्थान पर घोड़ों को महत्व दिया। गुप्त शासकों ....
Question : आरंभिक जैनधर्म का सार।
(1995)
Answer : जैन धर्म मूल रूप से नास्तिकतावादी आंदोलन की उपज है। हालांकि इस धर्म में ईश्वर के अस्तित्व को स्वीकार किया गया है, पर उनका स्थान जिन अर्थात् महावीर से नीचे रखा गया है। इसके अनुसार संसार अनादि काल से है और इसका रचयिता ईश्वर नहीं है। संसार के सभी प्राणी अपने पूर्व जन्मों के कर्मों के अनुसार विभिन्न योनियों में जन्म लेते हैं। कर्म-फल से छुटकारा पाकर ही व्यक्ति निर्वाण प्राप्त कर सकता है। इसके ....
Question : फ्लगभग ई.पू. 200 एवं लगभग 300 ई. के बीच की शताब्दियां भारत के सामाजिक एवं धार्मिक इतिहास का महत्वपूर्ण भू-चिह्न हैं।य् इस प्रस्ताव का विश्लेषण कीजिये।
(1995)
Answer : ई.पू. 200 एवं 300 ई. के बीच भारत के सामाजिक- धार्मिक अवस्था में आये बदलाव काफी महत्वपूर्ण हैं। यह वह समय था जब विदेशी शक्तियों, यथा-यवन, पार्थियन, शक और कुषाणों ने देश के विभिन्न हिस्सों में शासन किया। इन विदेशी शासकों को भारतीय समाज में प्रचलित वर्ण-व्यवस्था के अन्दर किस तरह शामिल किया जाये, यह समस्या उत्पन्न हो गयी थी। शास्त्रीय दृष्टिकोण से वर्ण जन्म पर आधारित होने के कारण ब्राह्मण धर्म में इनका स्वीकरण ....
Question : लगभग ई.पू. 2000 एवं ई.पू. 500 के बीच भारतीय उप-महाद्वीप में प्राप्य प्रमुख पुरातात्चिक संस्कृतियों की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
(1995)
Answer : पुरातात्त्विक संस्कृति से अभिप्राय उस संस्कृति का होता है, जिसके बारे में जानकारी मुख्य रूप से ऐतिहासिक लेखन द्वारा न होकर उस काल के अन्य भौतिक साक्ष्यों द्वारा होता है। भारत में 2000 ई.पू. का काल हड़प्पा संस्कृति की नागरिक अवस्था के अवसान का काल माना जाता है। इसके बाद के काल को उत्तर-हड़प्पा संस्कृति का नाम दिया गया है जो मूलतः ताम्र-पाषाणिक है, जिसमें पत्थर और तांबे के औजार चलते थे। हालांकि तकनीकी दृष्टि ....