Question : "औरंगजेब अत्यधिक बदनाम बादशाह है।" इस प्रस्ताव के पक्ष एवं विपक्ष में तर्क प्रस्तुत कीजिये।
(1994)
Answer : मुगल बादशाहों में शायद सबसे ज्यादा बदनाम बादशाह औरंगजेब ही है। यदुनाथ सरकार जैसे इतिहासकारों ने औरंगजेब के शासन काल की समीक्षा करते हुए जाटों, सतनामियों, सिखों, मराठों एवं राजपूतों में औरंगजेब के शासन के विरुद्ध विद्रोह करने को औरंगजेब की मुस्लिम कट्टरवादी विचारों के साथ जोड़ते हुए औरंगजेब को एक धर्मांध राजा कहा है। लेकिन इस विचार को सतीश चन्द्र, अतहर अली आदि इतिहासकारों ने मानने से इंकार करते हुए औरंगजेब की नीतियों के ....
Question : सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान व्यापार के ढांचे का विवेचन कीजिये। उसने भारतीय उपमहाद्वीप में तत्कालीन बस्तियों के स्वरूप को कहां तक प्रभावित किया?
(1994)
Answer : सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान व्यापार का ढांचा बहुत विकसित अवस्था में थे। सभ्यता की छोटी से छोटी बस्तियों में भी बहुमूल्य पत्थरों और धातुओं के औजार पाये गये हैं, जो अमीर लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक विस्तृत विनिमय या व्यापार तंत्र की ओर संकेत करते हैं। सिन्धु सभ्यता के लोग राजस्थान की खेतड़ी खानों से तांबा, बलूचिस्तान और उत्तरी-पश्चिमी सीमांत से तांबा, कर्नाटक के कोलार क्षेत्र और कश्मीर से सोना, ....
Question : मुगल सम्राट एवं ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी।
(1994)
Answer : इंग्लैण्ड के सम्राट जेम्स (प्रथम) के प्रतिनिधि के रूप में कैप्टन हॉकिन्स 1608 ई. में जहांगीर के दरबार में पहुंचा था, किन्तु वह सूरत में फैक्ट्री की स्थापना की अनुमति पाने में सफल नहीं हो सका था। जहांगीर ने उसे ‘खान’ की उपाधि एवं 500 ‘जात-सवार’ की उपाधि दी थी। सन् 1611 में पुर्तगालियों के विरोध के बावजूद कैप्टन मिटलटन सूरत के समीप स्वालली पहुंचा और मुगल गवर्नर से वहां व्यापार करने की अनुमति लेने ....
Question : महाराष्ट्र धर्म का अर्थ एवं विशेषताएं
(1994)
Answer : 16वीं-17वीं शताब्दी में महाराष्ट्र में संत तुकाराम तथा गुरु रामदास समर्थ आदि द्वारा फ्महाराष्ट्र धर्म" का प्रचार हुआ, जिसके सिद्धान्त भक्ति आंदोलन से प्रभावित थे। इस धर्म के प्रणेताओं- ज्ञानेश्वर, हेमाद्रि और चक्राधर से लेकर एकनाथ, तुकाराम और रामदास तक, महाराष्ट्र के सभी संतों और दार्शनिकों ने भक्ति के सिद्धान्त एवं इस बात पर बल दिया कि सभी मनुष्य परमपिता ईश्वर की संतान हैं और इस कारण समान हैं। उनके जाति प्रथा का विरोध करने ....
Question : अभिलेखों तथा यूरोपीय यात्रियों के वृत्तान्तों से विजयनगर की प्रशासनिक संरचना के पूर्वांगों एवं दाय पर क्या प्रकाश पड़ता है?
(1994)
Answer : विजयनगर से सम्बन्धित अभिलेख अधिकांशतः मन्दिर से प्राप्त हुए हैं। इनमें से प्रमुख हैं- बेगापेल्लसी ताम्र पात्र अभिलेख (हरिहर-प्रथम का), भितरागुन्ता दान अभिलेख (संगम-प्रथम का), चन्नाराय पत्तिना अभिलेख (देव राय-द्वितीय)। यूरोपीय यात्रियों में से निकोली कॉन्टी (वेनेटियन का) ने देवराय प्रथम के काल का, पुर्तगाली डोमिन्गो पायस ने कृष्णदेव राय के समय का, पुर्तगाली नुनिज एवं बारबोसा ने भी कृष्णदेव राय के समय के प्रशासन एवं अर्थव्यवस्था की उपयोगी जानकारी दी है।उपरोक्त वर्णित अभिलेखों एवं ....
Question : इतिहासकार के रूप में जियाउद्दीन बरनी।
(1994)
Answer : सल्तनत युग का सबसे प्रमुख इतिहासकार जियाउद्दीन बरनी था। उसकी कृति तारीख-ए-फिरोजशाही उस युग की इतिहास कृतियों में से सर्वाधिक महत्वपूर्ण रचना है। बरनी ने इस ग्रंथ को 74 वर्ष की उम्र में 1357 ई- में पूर्ण किया। इस पुस्तक का शीर्षक फिरोजशाह तुगलक पर रखा गया है। बरनी ने इस पुस्तक का लेखन जब प्रारंभ किया तब उसकी याददाशत कमजोर हो चुकी थी, जिसके फलस्वरूप इसमें कई कालानुक्रमिक त्रुटियां रह गईं। इसके अलावा उसके ....
Question : जहांगीर एवं अकबर कालीन कथात्मक चित्र
(1994)
Answer : अकबर एवं जहांगीर का कलाओं के प्रति अत्यधिक रुझान था। मुगल चित्रकला का अन्य शैलियों से भिन्न एक अलग स्कूल के रूप में स्थान प्राप्त करना अकबर की इसी रुचि का परिणाम था। हालांकि ईरान में छवि चित्रण बनाने की परम्परा थी, परन्तु ऐतिहासिक घटनाओं के चित्रण का आयाम बिल्कुल नया था। घटना ऐतिहासिक हो या चित्रकार की शुद्ध कल्पना, शिकार या युद्ध के दृश्यों का अंकन करते समय चित्रकार एक बने- बनाये सूत्र का ....
Question : क्या आप इस विचार से सहमत हैं कि लगभग 750 एवं 1200 ई. के बीच दक्षिण भारतीय मंदिरों के स्थापत्य का रूप विधान एवं वर्ण्य विषय विशिष्ट आर्थिक एवं राजनीतिक पृष्ठभूमि की उपज थी?
(1994)
Answer : प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर यह कहना उचित ही होगा कि लगभग 750 एवं 1200 ई. के बीच दक्षिण भारतीय मंदिरों के स्थापत्य का रूप विधान एवं वर्ण्य विषय विशिष्ट आर्थिक एवं राजनीतिक पृष्ठभूमि की उपज थी। 750 से 1200 ई. के बीच दक्षिण भारतीय आर्थिक एवं राजनीतिक स्थिति तीन प्रमुख विशेषतायें लिए हुए थी। प्रथम, आठवीं सदी ई. के बाद से कृषि विस्तार और व्यवस्था में मंदिरों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गयी ....
Question : मनसबदारी व्यवस्था के गुण और दोषों का विश्लेषण कीजिये। अकबर के उत्तराधिकारियों के अधीन यह किस प्रकार चला?
(1993)
Answer : अकबर द्वारा शुरू की गयी मनसबदारी प्रथा मुगल साम्राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था की अनुपम विशेषता थी। मुगल प्रशासन में मनसब (अर्थात् पद, स्थिति या प्रतिष्ठा) शब्द सरकारी पदानुक्रम में इसके धारक (मनसबदार) की प्रतिष्ठा का सूचक था। मनसबदारी प्रथा का उद्भव मध्य एशिया में हुआ था। एक विचारधारा के अनुसार बाबर इसे उत्तर भारत में लाया था। लेकिन इसे संस्थागत स्वरूप प्रदान करने का श्रेय अकबर को जाता है, जिसने इसे मुगल सैनिक संगठन और ....
Question : हिन्द महासागर पर पुर्तगाली नियंत्रण और इसका प्रभाव।
(1993)
Answer : 1948 ई. में वास्को डी-गामा के कालीकट आगमन के उपरांत हिंद महासागर पर पुर्तगालियों का नियंत्रण क्रमशः बढ़ता गया। राज्य संरक्षण, सुदृढ़ नौ सेना तथा चतुर कूटनीति के माध्यम से उन्होंने शीघ्र ही इस क्षेत्र के समुद्री व्यापार पर अपना एकाधिकार स्थापित कर लिया। सोलहवीं शताब्दी में पुर्तगालियों का मूल उद्देश्य सैन्य बल के प्रयोग द्वारा अपने देश और अपने आपको समृद्ध करना था। उनका स्पष्ट, लेकिन दुहरा लक्ष्य था- यूरोप भेजे जाने वाले मसालों ....
Question : पूर्वकालीन वैदिक और उत्तरकालीन वैदिक संस्कृतियों के बीच परिवर्तन और सातत्य के तत्त्वों को स्पष्ट कीजिये।
(1993)
Answer : ऋग्वैदिक-उत्तर वैदिक साहित्य की रचना के लगभग 500 वर्ष एक महत्वपूर्ण युग का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह वह काल था, जबकि लगभग संपूर्ण उत्तरी भारत में जीवन के सभी पहलुओं में एक निश्चित दिशा में परिवर्तन हो रहा था। यह सत्य है कि इस काल का तथाकथित राजनीतिक इतिहास एक कथात्मक-परंपरा से आच्छादित है और किसी प्रकार के पुरातात्विक-साक्ष्य से दोषित नहीं है, किन्तु फिर भी सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक क्षेत्रों में एक ऐसे ढांचे ....
Question : चोल साम्राज्य के विकास के लिए राजराजा प्रथम और राजेन्द्र प्रथम के योगदान की विवेचना कीजिये। चोलों के नौसेनिक अभियानों के कारणों और प्रभावों का विश्लेषण कीजिये।
(1993)
Answer : चोल साम्राज्य के विकास के लिए राजराजा प्रथम और राजेन्द्र प्रथम के योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण रहे हैं। चोल राज्य का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक राजराजा प्रथम था, जिसने 985 में 1014 ई- तक राज्य किया। उसके तंजौर अभिलेख में उसकी युद्ध सम्बन्धी सफलताओं का वर्णन इस प्रकार दिया गया हैः "उसने कन्दलपुर सलाई में जहाजों को नष्ट किया और महान् युद्धों में सफल अपनी सेना (साढ़े सात लाख सैनिकों) द्वारा वेंगयी-नादु, गंगपदी, तदिगौपदी, नोलम्बपदी, कुदामलाई-नादु, ....
Question : अलाउद्दीन खिलजी के प्रशासनिक सुधारों के महत्व का परीक्षण कीजिये। क्या वह इन उपायों को लागू करने में सफल हुआ था?
(1993)
Answer : अलाउद्दीन एक दूरदर्शी राजनीतिज्ञ, व्यावहारिक राजनेता तथा महान प्रशासक था। उसने अपने शासन के पूर्व प्रचलित शासन व्यवस्था का बारीकी से मूल्यांकन किया और इसमें व्यापक सुधार किये। उसके द्वारा किये गये कुछ महत्वपूर्ण सुधार इस प्रकार हैं:
(I)विद्रोहों को रोकने के उपाय: अलाउद्दीन को अपने शासन के प्रारम्भिक दिनों में अकत खां, मलिक उमर और मंगू खां तथा हाजी मौला के नेतृत्व में तीन विद्रोहों का सामना करना पड़ा। इन विद्रोहों से आशंकित होकर सुल्तान ....
Question : मुगल चित्रकला
(2007)
Answer : भारत में मुगलों ने चित्रकला की जिस शैली की नींव डाली, वह एक उन्नतिशील एवं शक्तिशाली कला आंदोलन के रूप में विकसित हुई। हालांकि मुगल वंश की नींव बाबर ने रखी लेकिन मुगल चित्रकला का विकास हुमायूं के समय आरंभ हुआ, जब हुमायूं शेरशाह से पराजित होकर ईरान में निवास कर रहा था। उसी समय ईरानी चित्रकार मीर सैयद अली और ख्वाजा अबदुस्समद की सेवाएं प्राप्त हुईं। ये दोनों चित्रकार हुमायूं की अस्थाई राजधानी काबुल ....
Question : दर्शाइए की भारत में प्रशासनिक तंत्र चोल काल के दौरान एक अत्यंत उच्च स्तर पर पहुंच गया था।
(2007)
Answer : सामान्यतः चोलकाल सैन्यविजयों, विस्तृत साम्राज्य निर्माण की प्रक्रिया एवं दक्षिण भारत में राजनीतिक एकता की स्थापना के युग के तौर पर जानी जाती है। लेकिन विद्वानों का एक विशाल समूह चोलकालीन प्रशासनिक व्यवस्था एवं इसकी अद्भूत विशेषताओं को चोल काल की वास्तविक उपलब्धि मानते हैं। हालांकि बर्टेन स्टीन जैसे कई इतिहासकार चोलकालीन प्रशासनीक पद्धति को बहुत महत्व प्रदान न करते हुए इसे एक ‘खंडित राज्य’ ही मानते हैं। परन्तु वास्तव में, चोलकालीन प्रशासनिक व्यवस्था अत्यंत ....
Question : “हिन्दू और मूसलमान रहस्यवादियों के धार्मिक सिद्धान्त इतने अधिक समान थे कि दोनों धमों के अनुयायियों की समत्वयी गतियों के लिए भूमि परिपक्व थी।” इस बात को स्पष्ट कीजिए।
(2007)
Answer : संतों और सूफियों के प्रयासों से जो भक्ति और सूफी आंदोलन आरंभ हुए उससे मध्य भारत के सामाजिक एवं धार्मिक जीवन में एक नवीन शक्ति एवं गतिशीलता का संचार हुआ। इन दोनों आंदोलनों ने सामाजिक तनाव एवं प्रतिस्पर्द्धा को समाप्त किया जिसके कारण इस्लाम के साथ सहयोग और सहिष्णुता की भावना का विकास हुआ। इस सहयोग और सहिष्णुता के कारण जाति व्यवस्था के बंधनों में शिथिलता आई और विचार एवं कर्म के स्तर पर मध्यकालीन ....
Question : बहमनी राज्य।
(2007)
Answer : बहमनी राज्य की स्थापना दक्षिण भारत में तुगलक साम्राज्य के अवशेषों पर किया गया। मुहम्मद बिन तुगलक के शासन काल में निरंतर विद्रोह और अशांति के कारण दक्षिण भारत के तुर्क सरदारों को भी स्वतंत्र सत्ता स्थापित करने की प्रेरणा मिली। तुगलक साम्राज्य का प्रशासन चलाने के लिए पश्चिम और दक्षिणी प्रांतों में ऐसे सैनिक सरदारों की नियुक्ति की गई थी जो ‘अमीराने सदा’ कहलाते थे। ये लगभग सौ गांवों के समूह के प्रशासक थे। ....
Question : मराठा
चौथ और सरदेशमुखी
(2007)
Answer : मराठा शासक शिवाजी के शासन काल में मराठा राज्य की आय के दो अन्य स्रोत थेः चौथ तथा सरदेशमुखी।
चौथः चौथ किसी भी क्षेत्र से प्राप्त कुल भूमि आय का एक चौथाई होता था। चौथ उस क्षेत्र से वसूला जाता था, जिस क्षेत्र पर मराठा आक्रमण नहीं करते थे और यदि उस क्षेत्र पर किसी अन्य बाहरी शक्ति द्वारा आक्रमण किया जाता है तो चौथ देने वाले क्षेत्र की रक्षा मराठा सैनिक करते थे। इतिहासकार रानाडे ....
Question : “अकबर ने राजपूतों का समर्थन प्राप्त करने के द्वारा मुगल साम्राज्य का निर्माण किया था, औरंगजेब ने राजपूतों को अपने से अलग करने के द्वारा उसी को ध्वस्त कर दिया था।” समालोचनात्मक रूप से चर्चा कीजिए।
(2007)
Answer : अकबर ने सिंहासन पर अपने अधिकार को सुदृढ़, स्थिर और प्रारंभिक समस्याओं का समाधान करने के पश्चात अपने साम्राज्य के विस्तार करने की नीति को सुनियोजित ढंग से प्रारंभ किया। उस काल में राजपूत एक महत्वपूर्ण शक्ति थे। उन्हें अकबर ने उदारनीति के द्वारा अपना सहयोगी बना लिया।
उनके शक्ति एवं सहयोग से अकबर ने न केवल एक विशाल मुगल साम्राज्य का निर्माण किया अपितु परवर्ती काल में मुगल साम्राज्य की स्थिरता के लिए उनके सहयोग ....
Question : दारा शिकोह
(2006)
Answer : शाहजहां के ज्येष्ठ पुत्र दारा शिकोह का जन्म 1615 ई. में हुआ था। मुगलकालीन इतिहास में अपने उदार धार्मिक दृष्टिकोण तथा साहित्यिक-सांस्कृतिक क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के कारण वह चर्चित रहा। यद्यपि दारा उच्च आदर्शवादी व्यक्ति था, तथापि प्रशासन के निमित्त वह अयोग्य था। वह युवराज था तथा इलाहाबाद, पंजाब एवं मुल्तान जैसे संपन्न प्रांतों का गवर्नर भी रहा। शाहजहां ने उसे 40,000 का मनसब और शाह बुलन्द इकबाल की उपाधि प्रदान की थी। सिंहासन ....
Question : अकबर की धार्मिक सहिष्णुता
(2006)
Answer : अकबर की धार्मिक सहिष्णुता के विकास में उसके पूर्वजों, शिक्षकों, राजपूतों के साथ संबंधों तथा स्वयं उसके व्यक्तित्व का विशेष योगदान रहा। उसने यह चिंतन किया कि धर्म एवं जाति का भेद-भाव किये बिना प्रजा का कल्याण ही ईश्वर की सच्ची उपासना है। संभवतः इसी से प्रेरित होकर 1562 ई. में उसने युद्धबंदियों को दास बनाने तथा बलपूर्वक इस्लाम स्वीकार कराने पर प्रतिबन्ध लगा दिया। 1563 ई. में तीर्थयात्र कर तथा 1564 ई. में जजिया ....
Question : उत्तरी भारत में सूफीवाद
(2006)
Answer : सूफी शब्द की उत्पत्ति अरबी शब्द सफा से हुई है, जिसका अर्थ पवित्रता है। अर्थात् जो लोग आध्यात्मिक रूप से तथा आचार-विचार से पवित्र थे, वे सूफी कहलाए। सूफीवाद इस्लाम में रहस्यवादी विचारों और उदार प्रवृत्तियों का प्रतिनिधित्व करता है।
उत्तरी भारत में सूफीवाद का प्रारंभ मुख्यतः ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती के अजमेर में आकर बसने के साथ होता है। इनके अनेक अनुयायी बने, जिन्होंने चिश्ती सिलसिले को उत्तरी भारत में प्रमुखता प्रदान की। कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी ....
Question : मुगलकाल में साहित्य के विकास पर संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
(2006)
Answer : मुगल बादशाहों ने साहित्य की विभिन्न शाखाओं के विकास को प्रोत्साहन प्रदान किया। तैमूरी बादशाह विद्वानों के पोषक तो थे ही, स्वयं भी साहित्य-सर्जन करते थे। यही कारण है कि मुगलकाल में फारसी, तुर्की, संस्कृत, हिन्दी, बंगला और पंजाबी साहित्य का विकास हुआ।
तुर्की और फारसी साहित्यः बाबर अपनी मातृ भाषा तुर्की के साथ-साथ फारसी भाषा का भी एक उच्च कोटि का कवि एवं लेखक था। उसने तुर्की भाषा में अपनी आत्मकथा की रचना की जो ....
Question : 16वीं और 17वीं शताब्दियों के दौरान भारत में यूरोपीय व्यापार के प्रारंभ एवं विकास के लिए उत्तरदायी कारकों का परीक्षण कीजिए।
(2006)
Answer : प्राचीन काल से ही यूरोप के साथ भारत के व्यापारिक संबंध रहे थे। 1453 ई. में कुस्तुनतुनिया पर तुर्कों द्वारा अधिकार स्थापित कर लेने से यूरोपी देशों को एशियाई व्यापारिक माल मिलने में कठिनाई का सामना करना पड़ा। यूरोप के अनेक देश अब स्थलमार्ग की अपेक्षा भारत पहुंचने के लिए समुद्री मार्ग की खोज में लग गए। वास्कोडिगामा 1498 ई- में आशा अंतरीप के रास्ते अफ्रीका महाद्वीप का चक्कर लगाकर कालीकट पहुंचने में सफल हुआ। ....
Question : खिलजी क्रांति
(2006)
Answer : सामान्यतः खिलजियों द्वारा सत्ता पर नियंत्रण, तुर्की शासन की समाप्ति, एक नए शासन की शुरुआत तथा प्रतिष्ठित इल्बरी वंश की समाप्ति को खिलजी क्रांति की संज्ञा दी जाती है। यह इस मिथ्या धारणा की समाप्ति से संबंधित है कि राज्य पर केवल विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग का ही एकाधिकार है। खिलजी क्रांति ने शाही रक्त की तुलना में सर्वसाधारण के जनमत का आधिपत्य स्थापित किया। यह शासक वर्ग के सामाजिक आधार के विस्तार को प्रदर्शित करता ....
Question : तुर्क-अफगान काल के दौरान दिल्ली सल्तनत के अधीन प्रशासनिक तंत्र के प्रमुख अभिलक्षणों पर प्रकाश डालिए।
(2006)
Answer : हिन्दुस्तान में मुस्लिम साम्राज्य की नींव तुर्की शासकों द्वारा सुल्तान की उपाधि धारण करने के साथ शुरू होती है। सुल्तान राजनीतिक तथा धार्मिक मामलों दोनों का श्रेष्ठ अधिपति है। राज्य की सम्पूर्ण शक्तियां उसके हाथ में संकेन्द्रित थीं। यद्यपि इस्लामी राजसत्ता का रूप लोकतांत्रिक था, परन्तु तुर्क-अफगान काल में प्रशासनिक-तंत्र परिस्थितियों के कारण केन्द्रीकृत था।
सिद्धान्ततः धर्मिक मामलों में उसकी शक्ति कुरान के पवित्र कानून द्वारा सीमित थी, परन्तु व्यावहारिक रूप में तुर्क अफगान शासकों पर ....
Question : मुगल चित्रकला
(2005)
Answer : भारत में मुगलों ने चित्रकला की जिस शैली की नींव डाली, वह एक उन्नतिशील एवं शक्तिशाली कला आंदोलन के रूप में विकसित हुई। हालांकि मुगल वंश की नींव बाबर ने रखी लेकिन मुगल चित्रकला का विकास हुमायूं के समय आरंभ हुआ, जब हुमायूं शेरशाह से पराजित होकर ईरान में निवास कर रहा था।उसी समय ईरानी चित्रकार मीर सैयद अली और ख्वाजा अबदुस्समद की सेवाएं प्राप्त हुईं। ये दोनों चित्रकार हुमायूं की अस्थाई राजधानी काबुल में ....
Question : मुगल काल के दौरान शहरी विकास पर अपना मत प्रस्तुत कीजिए।
(2005)
Answer : प्राचीन काल या मध्यकाल में जब हम शहर की बात करते हैं तो इस बात को ध्यान में रखना आवश्यक हो जाता है कि उस समय के शहर या नगर आज के शहरों या नगरों की तरह नहीं होते थे। इन नगरों की दो प्रमुख विशेषताएं होती थीं- पहला, एक सीमित स्थान पर आबादी का उच्च घनत्व और दूसरा जनसंख्या का मुख्यतः गैर-कृषक खासकर गैर-खेतीहर स्वरूप।
इन्हीं दो विशेषताओं के कारण ये शहर गांवों से भिन्न ....
Question : ‘हिंदू एवं मुसलमान रहस्यवादियों के धार्मिक सिद्धांत इतने अधिक समान थे कि दोनों धर्मों के अनुयायियों के बीच सहक्रियात्मक आवाजाही के लिए भूमि तैयार हो चुकी थी।’ इसको सुस्पष्ट कीजिए।
(2005)
Answer : बहमनी राज्य की स्थापना दक्षिण भारत में तुगलक साम्राज्य के अवशेषों पर किया गया। मुहम्मद बिन तुगलक के शासन काल में निरंतर विद्रोह और अशांति के कारण दक्षिण भारत के तुर्क सरदारों को भी स्वतंत्र सत्ता स्थापित करने की प्रेरणा मिली। तुगलक साम्राज्य का प्रशासन चलाने के लिए पश्चिम और दक्षिणी प्रांतों में ऐसे सैनिक सरदारों की नियुक्ति की गई थी जो ‘अमीराने सदा’ कहलाते थे। ये लगभग सौ गांवों के समूह के प्रशासक थे। ....
Question : चैतन्यदेव और वैष्णववाद
(2005)
Answer : चैतन्यदेव का जन्म बंगाल के नदिया में 1486 ई. में हुआ था। उन्होंने बंगाल एवं पूर्वी भारत में एक महत्वपूर्ण धार्मिक हलचल और भक्ति आंदोलन की शुरुआत की। चैतन्य ने भक्ति के माध्यम से ब्रह्मा की उपासना का उपदेश दिया। उनका कहना था कि जिस प्रकार राधा और कृष्ण के बीच प्रेम था, वैसा ही प्रेम भक्तों को अपने प्रभु के लिए प्रकट करना चाहिए। चैतन्य के धर्मोंपदेश में गुरु का महत्वपूर्ण स्थान था। उन्होंने ....
Question : भारत के इतिहास में अठारहवीं शताब्दी का आप किस प्रकार से लक्षण-वर्णन करना चाहेंगे?
(2005)
Answer : 18वीं शताब्दी भारतीय इतिहास में संक्रमण का काल था। इस समय भारत का महान मुगल साम्राज्य कमजोर पड़ गया तथा इस शताब्दी के अंत होते-होते वह दिल्ली और उसके आस-पास के क्षेत्रों तक ही अपनी सत्ता को बनाए रख सका। मुगल बादशाह मुहम्मद शाह (1719-1748) के शासन काल में मुगल साम्राज्य के विघटन की प्रक्रिया आरंभ हुई तथा हैदराबाद, बंगाल और अवध में प्रायः स्वतंत्र राज्य स्थापित हो गए। मराठों ने अपनी स्वतंत्र सत्ता की ....
Question : सामंत प्रणाली
(2005)
Answer : भारत में सामंती प्रणाली का आरंभ गुप्त काल में देखते हैं, लेकिन इसका पूर्ण विकास पूर्व मध्य काल में ही हुआ। इस प्रणाली के विकास में तत्कालीन राजनैतिक, आर्थिक तथा सामाजिक परिस्थितियों के कारण केंद्रीय सत्ता निर्बल हुई तथा चारों ओर राजनीतिक अराजकता एवं अव्यवस्था फैल गई। केंद्रीय शक्ति की कमजोरी ने समाज में प्रभावशाली व्यक्तियों का एक ऐसा वर्ग तैयार किया, जिन पर स्थानीय सुरक्षा का भार आ पड़ा। अरबों तथा तुर्कों के आक्रमणों ....
Question : औरंगजेब की राजपूत तथा धार्मिक नीतियां उसके पूर्वजों की नीतियों से किस प्रकार भिन्न थीं? उसके द्वारा किये गये परिवर्तनों के क्या परिणाम हुए?
(2004)
Answer : मुगलों द्वारा अपनायी गयी विभिन्न नीतियों में राजपूत नीति का विशेष महत्व है। मुगल शासक अकबर के शासनकाल में सर्वप्रथम मुगल-राजपूत नीति को सुनिश्चित रूप मिला। अकबर ने राजपूत वर्ग के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाकर न केवल उन्हें सहयोगी बनाया बल्कि सांप्रदायिक असहिष्णुता को भी कम करने का प्रयास किया।
अकबर के काल में अनेक समस्याएं थीं। जैसे अफगान समस्या, हिंदू जनता का विरोध आदि। भारत में राजपूत शासकों का वर्ग सबसे शक्तिशाली था। उनसे सहयोग ....
Question : क्या दीन-ए-इलाही ‘अकबर की मूर्खता का स्मारक’ था?
(2004)
Answer : मुगल सम्राट अकबर की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि सांस्कृतिक एवं सामाजिक समन्वय के क्षेत्र में थी। उस युग में भारत में सांप्रदायिक सौहार्द्र की कमी थी। हिंदू एवं मुस्लिम वर्गों के मध्य धार्मिक आधार पर वैमनष्यता व्याप्त थी। मध्यकाल में शासक वर्ग का धर्म मुस्लिम था और उनके द्वारा मुस्लिम धर्म को प्रश्रय देने के कारण राजदरबार एवं समाज में मुस्लिम कट्टरपंथियों का बोलबाला था। ऐसे समय में परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए अकबर ने ....
Question : कहा जाता है कि चोल राजाओं ने एक शक्तिशाली तथा सुसंगठित प्रशासन की स्थापना की, जिसमें स्थानीय स्तर पर स्वशासन का तत्व विद्यमान था। क्या आप सहमत हैं? कारण सहित उत्तर दीजिए।
(2004)
Answer : चोल शासकों ने सैन्य विजयों द्वारा दक्षिण भारत में राजनीतिक एकता स्थापित की और इससे भी महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि उन्होंने एक मजबूत और स्थिर प्रशासन भी दिया जो कि अनेक विशेषताओं वाली थी। प्रशासन के क्षेत्र में उनकी सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि स्थानीय स्वशासन की पद्धति थी। अपने आप में यह अद्वितीय थी। इन सबकी जानकारी उनके शिलालेखों से होती है। चोलों की राजनीतिक पद्धति ऐसी थी जिसने केंद्रीय प्रशासन की विशिष्टताओं को सुरक्षित ....
Question : वातापी के चालुक्यों के उत्थान तथा उनके अन्य शासकों से संघर्ष का विवरण दीजिए। उनके द्वारा कलाओं के संरक्षण पर एक टिप्पणी लिखिए।
(2004)
Answer : छठी शताब्दी में दक्षिण भारत में वातापी के चालुक्यों की उत्पत्ति एक महत्वपूर्ण घटना थी। लगभग 550 से 750 ई- के काल में न केवल दक्षिण भारत बल्कि उत्तर भारत की राजनीति को भी वातापी के चालुक्यों ने प्रभावित किया। वातापी के चालुक्यों के संबंध में बहुत कम ऐतिहासिक सामग्री उपलब्ध है। विक्रमांक देवचरित के लेखन एवं विक्रमादित्य छठे के दरबारी कवि बिल्हण और परवर्ती चालुक्य वंश के शिलालेखों से ज्ञात होता है कि चालुक्य ....
Question : ‘चालीस अमीरों का दल’ तथा उसके सुल्तानों से संबंध।
(2004)
Answer : इल्तुतमिश ने एक ‘चालीस गुलामों’ के दल का निर्माण किया और लगभग सभी ऊंचे पद इन्हीं लोगों को दिये। मुईजुद्दीन अथवा कुत्बुद्दीन के समय के अमीरों में से विरोधी अमीर पदच्युत कर दिये गये अथवा मार डाले गये। इस कारण शेष अमीर इल्तुमिश के अधीन हो गये। ‘चालीस अमीरों के दल’ ने इल्तुतमिश का अठत तक साथ दिया। सल्तनत के राज्य विस्तार तथा स्थायित्व में इन्होंने योगदान दिया। अंतिम समय में इल्तुतमिश अपने पुत्रों की ....
Question : कबीर तथा नानक के योगदान पर बल देते हुए भक्ति आंदोलन के निर्गुण संप्रदाय के विकास की विवेचना कीजिए।
(2004)
Answer : मध्यकालीन भारत में धार्मिक विचारों के क्षेत्र में एक महान आंदोलन का विकास 15वीं एवं 16वीं शताब्दी में हुआ, जिसका संबंध मुख्य रूप से हिंदू धर्म एवं समाज में सुधार के साथ-साथ धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देने से था। इसे ‘भक्ति आंदोलन’ के नाम से जाना जाता है। भक्ति आंदोलन आंतरिक रूप से वैविध्यपरक था और इसमें दो भिन्न-भिन्न धारणाएं दृष्टिगोचर होती है प्रथम है सगुण संत-परंपरा तथा द्वितीय निर्गुण-संत परंपरा।
निर्गुण भक्ति धारा के संतों ....
Question : मराठा शासकों के द्वारा चौथ तथा सरदेश मुखी की वसूली की व्यवस्था।
(2004)
Answer : ‘चौथ’ किसी भी क्षेत्र से प्राप्त कुल भूमि आय का एक चौथाई होता था। चौथ उस क्षेत्र से वसूला जाता था, जिस क्षेत्र पर मराठा आक्रमण की पूर्ण संभावना होती थी। चौथ देने वाले क्षेत्रों पर ब्राह्य आक्रमण से रक्षा मराठा सैनिक करते थे। चौथ का 3/4 भाग मराठा सरदार ‘सरंजाम’ के रूप में स्वयं के और अपने सैनिकों के खर्च के लिए प्राप्त करते थे। चौथ का 6 प्रतिशत भाग ‘सहोत्र’ (कर) के रूप ....
Question : मुहम्मद तुगलक द्वारा स्थापित सांकेतिक मुद्रा प्रणाली।
(2004)
Answer : मुहम्मद बिन तुगलक 1327-30 ई. में चांदी के टंके बराबर कांसे के रूप में सांकेतिक मुद्रा को प्रचलन में लाया। इस प्रयोग के संबंध में बरनी का विचार है कि सुल्तान ने विदेश विजय की इच्छा से प्रेरित होकर तथा राजकोष की दयनीय स्थिति के कारण सांकेतिक मुद्रा को प्रचलित किया। परंतु इसमें सत्यता का अभाव हैै। नैल्सन राइट ने सुल्तान के सिक्कों की व्याख्या के आधार पर अपना विचार व्यक्त किया है कि 1327-30 ....
Question : इतिहास कार के रूप में कल्हण
(2003)
Answer : भारतीय इतिहास में एक इतिहासकार के रूप में कल्हण का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान हैं उनके द्वारा संस्कृति में रचित ग्रंथ ‘राजतरंगिणी’ अपने ढंग की अकेली रचना है। यह संस्कृत में उपलब्ध उन रचनाओं में सर्वाधिक पहली महत्वपूर्ण रचना है जिसमें ऐतिहासकि की विशेषताएं पायी जाती है। इसमें कल्हण ने भू-वैज्ञानिक युग से लेकर स्वयं अपने युग तक के (बारहवीं शदी) कश्मीर के इतिहास का विवरण दिया है। कल्हण ने अपने कृति में केवल एक महान ....
Question : कबीर और नानक ने भारतीय समाज और संस्कृति पर क्या प्रभाव छोड़ा था?
(2003)
Answer : संतों की ओर से सामाजिक कुरीतियों, धार्मिक बा“य आडम्बरों तथा अंधविश्वासों को चुनौती बहुत पुराने समय से मिल रही थी। कबीर और नानक भी इसी परंपरा के प्रमुख संत थे। वे मध्यकालीन निर्गुण भक्ति आंदोलन से जुड़े हुए थे। भक्ति आंदोलन का उद्भव भी सामाजिक कुरीतियों तथा धार्मिक बा“यों आडम्बरों के विरोध में हुआ था। 14वीं-15वीं शताब्दी के लगभग जन सामान्य की आस्था तथा भक्ति के भीतर से एक व्यापक आंदोलन उठ खड़ा हुआ जो ....
Question : सूफी आंदोलन
(2003)
Answer : इस्लामी इतिहास में सूफी रहस्यवाद की उत्पत्ति 10वीं शताब्दी के आस-पास हुई। मुस्लिम रहस्यवादियों का जन्म इस्लाम के अंतर्गत बहुत पहले हो गया था। यही बाद में सूफी कहलाये। सूफी मत इस्लाम में रहस्यवादी विचारों तथा उदार प्रवृतियों का प्रतिनिधित्व करता है। कुरान के उपदेशों की उदार व्याख्या का आधार तरीकत है जो सूफी मत का आधार है। कलांतर में सूफी मत अनेक संप्रदायों में बंट गया तथा इन संप्रदायों ने संगठित होकर भारत के ....
Question : मुहम्मद तुगलक के प्रयोग
(2003)
Answer : मध्यकालीन भारतीय इतिहस में मुहम्मद तुगलकअपने नये तथा क्रांतिकारी प्रयोगों के कारण जाना जाता है। उसने पांच योजनाएं बनायी और उनकों पूरा करने का प्रयास किया। परंतु योजनाओं के क्रियान्वयन पर पूर्ण नियंत्रण नहीं रख पाया तथा उस समय प्राकृतिक विपदा आ जाने के कारण उसके प्रयोग सफल नहीं हो पाये। इतिहासकारों के अनुसार वस्तुतः उसके प्रयोग गलत नहीं थे। बल्कि वे समय से आगे थे तथा गलत समय पर किया गया था।
1. राजधानी परिवर्तनः ....
Question : अलबरुनी के लेखनों के प्रकाश में भारतीय विज्ञान एवं सभ्यता पर एक समालोचनात्मक निबंध लिखिए। उसके विवरण से आप कौन से गुण-अवगुण और त्रुटियां पाते हैं?
(2003)
Answer : अलबरुनी मध्यकाल में महमूद गजनवी के साथ भारत आया था। अलबरुनी 1017 से 1030 ई- के बीच भारत के जीवन एवं पद्धति का निरीक्षण कर भारतीय विज्ञान एवं सभ्यता के बारे में लिखा। अलबरुनी की अभिरुचि विविध विषयों में थी और भारतीय ज्ञान-विज्ञान की सम्पदा से वह परिचित था। उसने कई भारतीय रचनाओं का अनुवाद पढ़ा था और गणित, विज्ञान, दर्शन, खगोल विद्या ज्योतिष शास्त्र आदि के क्षेत्रों में वह भारतीय ज्ञान की सम्पदा से ....
Question : हड़प्पा संस्कृति में नगर सभ्यता के तत्वों का विश्लेषण कीजिये। उसके पतन के लिए उत्तरदायी कारक क्या थे?
(2002)
Answer : हड़प्पा क्षेत्र में होने वाली कृषि अधिशेषों ने यहां नगर सभ्यता को जन्म दिया। हड़प्पा संस्कृति की विशेषता थी इसकी नगर योजना प्रणाली। नगर मुख्यतः दो भागों में विभक्त थे। उच्च नगर को किला नगर भी कहा गया है सामान्यतः यह ऊंचे टीले या चबूतरे पर स्थित है। यह क्षेत्र सामान्यतः दुर्गीकृत है और इसके लिए प्रवेशद्वार एवं वाच टावर का भी निर्माण हुआ था। निम्न नगर सामान्यतः छोटे मकानों वाला अधिवासीय क्षेत्र था। उच्च ....
Question : मनसबदारी व्यवस्था
(2002)
Answer : मनसबदारी व्यवस्था एक विशिष्ट प्रशासनिक व्यवस्था थी जिसका प्रचलन मुगल शासक अकबर द्वारा दिया गया था। यह व्यवस्था मुगल साम्राज्य की सैन्य व सिविल सेवाओं का आधार बनी रही। अकबर के शासन काल के 11वें वर्ष में पहली बार हमें मनसब प्रदान किये जाने का संदर्भ प्राप्त होता है। यह कोई पदवी या पद-संज्ञा नहीं थी, प्रत्युत इसमें मुगल प्रशासनिक सेवा अनुक्रम में किसी व्यक्ति या अमीर की स्थिति का बोध होता था। इस प्रकार ....
Question : अकबर के शासनकाल की स्थापत्य कला की प्रमुख विशेषताओं को समझाइए। शाहजहां ने उनमें क्या परिवर्तन किए?
(2002)
Answer : अकबर के काल में मुगल स्थापत्य को जहां एक नवीन आयाम प्राप्त हुआ, वहीं शाहजहां के काल में यह चरमोत्कर्ष पर पहुंचा। अकबर काल की प्रथम महत्वपूर्ण इमारत तो वस्तुतः हुमायुं का मकबरा है, जिसमें चार बाग प्रणाली एवं कृत्रिम फव्वारा की योजना के साथ-साथ डबल-डोम का सुंदर प्रयोग हुआ है। यह मकबरा ऊंचे चबूतरे के ऊपर लाल बलुआ पत्थर एवं सफेद संगमरमर के मिश्रित प्रयोग से बना है। इसे शाहजहां कालीन ताजमहल का पूर्ववर्ती ....
Question : पानीपत के तृतीय युद्ध के परिणाम
(2002)
Answer : उत्तर में मराठों के अलाभकारी अभियानों से क्षुब्ध होकर पेशवा ने सदा शिवराव को उत्तरी अभियान का नेतृत्व सौंपा था। किंतु यह उसकी भूल थी क्योंकि सदाशिव उत्तर की राजनीति तथा युद्ध प्रणाली से परिचित नहीं था। पानीपत के तृतीय युद्ध में राजपूतों की भूमिका तटस्थ थी। सूरजमल से अपमानजनक व्यवहार के कारण उसने जाटों की मित्रता खो दी थी। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद मराठों ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया था। 29 अक्टूबर 1761 ....
Question : अकबर के धार्मिक विचारों के विकास की रूपरेखा दीजिये। उसकी सुलहे कुल की नीति पर एक टिप्पणी लिखिये।
(2002)
Answer : इतिहासकारों में अकबर की धार्मिक नीति के स्वरूप तथा प्रेरक उद्देश्यों को ले कर भारी मतभेद है। स्मिथ तथा निजामी के मत में वह पैगंबर का रुतबा प्राप्त करने की चेष्टा कर रहा था। अहतर अली के अनुसार अकबर का उद्देश्य एक धर्म-निरपेक्ष राज्य की स्थापना करना था। कुछ इतिहासकारों के अनुसार अकबर की धार्मिक नीति का उद्देश्य अभिजात प्रशासक वर्ग में, जिसका गठन विभिन्न जातियों वर्गों तथा धर्मों के लोगों द्वारा हुआ था, संतुलन ....
Question : ऐतिहासिक ड्डोत के रूप में बाबरनामा
(2002)
Answer : ऐतिहासिक ड्डोत के रूप में बाबरनामा की महत्ता दो प्रमुख बातों में निहित थी। प्रथमतः बाबर का अपने पूर्वजों एवं अपने निवास फरगना के संदर्भ में विवरण एवं द्वितीय उसका भारत में अनुभव। बाबर ने वस्तुतः अपनी डायरी में अपने अनुभवों एवं मनोदशाओं का वर्णन किया है। उसकी इस डायरी को तुर्की काव्य शैली का एक महत्वपूर्ण रचना माना गया है। इसे सामान्यतः तुजुक-ए-बाबरी के नाम से जाना जाता था। जब अकबर के काल में ....
Question : बलबन के राजत्व की संकल्पना की विवेचना कीजिये। अलाउद्दीन खिलजी ने उसमें क्या परिवर्तन किए थे?
(2002)
Answer : संभवतः बलबन दिल्ली का एकमात्र सुल्तान है जिसने राजत्व से संबंधित अपने विचारों का विस्तार पूर्वक विवेचन किया है। सुल्तान के उच्च पद और शासक के कर्तव्यों के विषय में उसने अपने स्पष्ट व विस्तृत विचार प्रकट किये। राज मुकुट को उच्च व सम्मानित स्तर पर स्थापित करने के लिये यह आवश्यक था कि राजा के पद को अधिक प्रतिष्ठित बनाया जाये। हिदू विद्रोहियों एवं मंगोल आक्रमणों के विरुद्ध एक संगठित शासन की आवश्यकता थी, ....
Question : भक्ति आंदोलन का उद्गम
(2002)
Answer : सामान्यतः यह माना जाता रहा है कि भक्ति आंदोलन का उद्गम सूफी सिलसिला के प्रभाव में हुआ। परंतु यह बात सर्व स्वीकृत नहीं है क्योंकि मध्यकालीन भक्ति का उद्भव दक्षिण भारत में देश के पश्चिम सीमा क्षेत्र में सूफी संतों के आगमन के पूर्व हुआ। यह भी माना जाता रहा है कि प्रपति मार्ग वाली भक्ति शंकराचार्य के ज्ञान मार्ग वाले अद्वैतवादी दर्शन के विरुद्ध एक वैचारिक प्रतिक्रिया थी। यह मत भी केवल आंशिक रूप ....
Question : क्या राष्ट्रकूट, गुर्जर-प्रतिहार, पाल त्रिकोणात्मक संघर्ष ने उत्तर भारत में राजनैतिक शून्य उत्पन्न करके महमूद गजनवी के आक्रमणों का मार्ग प्रशस्त कर दिया था?
(2001)
Answer : सम्राट हर्षवर्द्धन की मृत्यु के पश्चात उसका साम्राज्य छिन्न-भिन्न हो गया और उसका स्थान छोटे-छोटे राज्यों ने ले लिया। उत्तर भारत के सम्राट की राजधानी होने का गौरव पाटलिपुत्र के स्थान पर अब कन्नौज ने ले लिया था। आगे भारत के यशस्वी शासकों ने कन्नौज को राजधानी बनाने अथवा उसे अपने अधिपत्य में लेने के लिए संघर्ष किये। कन्नौज पर अधिकार करने के लिए मुख्यतः तीन वंश के शासकों- पश्चिम भारत के गुर्जर-प्रतिहार, दक्षिण के ....
Question : क्या मराठे भौगोलिक-राजनीतिक सीमाओं के कारण भारत की सार्वभौम शक्ति बनने में असमर्थ रहे?
(2001)
Answer : मुगल साम्राज्य के पतन के बाद मराठे सर्वाधिक शक्तिशाली राष्ट्रीय शक्ति बनकर उभरे। पेशवा बालाजी विश्वनाथ (1713-20) ने दक्कन में मराठा शक्ति को सुदृढ़ किया, जबकि उसके उत्तराधिकारी बाजीराव (1720-40) ने मराठा संघ के अन्य शक्तिशाली सरदारों, जिन्होंने अपने लिए स्वतंत्र राज्य बना लिये थे, की सशक्त हिस्सेदारी से मालवा और गुजरात को जीत लिया; वे मराठा सरदार थे- नागपुर के राघोजी भोंसले, बड़ौदा के पिल्लाजी गायकवाड़, इंदौर के मल्हार राव होल्कर और ग्वालियर के ....
Question : समसामयिक अर्थ-व्यवस्था एवं समाज पर अलाउद्दीन खिलजी के बाजार सुधारों के प्रभाव का मूल्यांकन कीजिये।
(2001)
Answer : अलाउद्दीन द्वारा महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार लागू किये गये, जिनका संबंध राजस्व प्रणाली एवं व्यापार-वाणिज्य से था। अलाउद्दीन द्वारा आर्थिक सुधारों को अपनाने की प्रेरणा उसके राजनैतिक सिद्धांत में निहित थी। वह बाह्य नीति में साम्राज्य विस्तार और आंतरिक नीति में शक्तिशाली शासन प्रबंध का इच्छुक था। इन दोनों उद्देश्यों की प्राप्ति आर्थिक सुधारों के बिना संभव नहीं थी। उसके आर्थिक सुधारों में सबसे विलक्षण और महत्वपूर्ण उसकी मूल्य निर्धारण योजना या बाजार नियंत्रण की नीति ....
Question : शंकराचार्य का वेदान्त
(2001)
Answer : पूर्व मध्य कालीन भारत में हिन्दू धर्म और दर्शन के क्षेत्र में जिन लोगों का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान रहा है, उनमें आदि शंकराचार्य सबसे महत्वपूर्ण थे। उन्होंने वेदान्त दर्शन की एक नयी व्याख्या प्रस्तुत की और उसके माध्यम से बौद्ध धर्म और दर्शन द्वारा प्रस्तुत चुनौती का न केवल तार्किक निदान प्रस्तुत किया, बल्कि हिन्दू धर्म के जीर्णोद्धार में तथा उसे व्यापक लोकप्रियता प्रदान कराने में निर्णायक योगदान दिया। अपने 32 वर्ष के छोटे से ....
Question : सवाई जयसिंह ज्योतिषाचार्य।
(2001)
Answer : अपने पिता किशन सिंह की मृत्यु के पश्चात 1700 ई. में जयसिंह शासक बना। 12 वर्ष की उम्र में जब वह सिंहासन पर बैठा ही था, औरंगजेब ने उसे दक्षिण भारत बुला भेजा। दक्षिण भारत के युद्धों में साहसपूर्वक भाग लेने के कारण उसे मालवा का नायब सूबेदार बनाया गया। बादशाह जहांदारशाह ने 1712 ई. में जयसिंह को मिर्जा राजा का पद दिया। 1713 ई. में बादशाह फर्रुखसियर ने इसे ‘सवाई’ का पद और मालवा ....
Question : शाहजहां के काल में मुगल स्थापत्य का चरमोत्कर्ष
(2001)
Answer : भारत में मुगल स्थापत्य काविकास वास्तव में अकबर के साथ ही आरंभ हो सका। यद्यपि बाबर और हुमायूं द्वारा कुछ भवनों का निर्माण हुआ, परन्तु उनकी शैली में कोई विशिष्टता प्रतीत नहीं हुई। यद्यपि अकबर के काल में ही स्थापत्य की एक नयी शैली का पूर्ण विकास हो चुका था, तथापि इसकी क्रमिक उन्नति जहांगीर एवं शाहजहां के काल में हुई और शाहजहां के अधीन मुगल स्थापत्य कला अपनी पराकाष्ठा पर पहुंची। यह स्थापत्य का ....
Question : क्षेत्रीय भाषाओं एवं जन-सामान्य के लिए जीवन एवं चिंतन पर सूफी एवं भक्ति आन्दोलनों के प्रभाव की समीक्षा कीजिये।
(2001)
Answer : मुस्लिम आक्रमणों के साथ इस देश में ऐसे निश्चित सामाजिक एवं धार्मिक विचारों ने प्रवेश किया, जो मौलिक रूप से भारतीय विचारों से भिन्न थे। जब कभी दो सभ्यताएं सदियों तक एक-दूसरे के साथ घनिष्ठ संपर्क में आती हैं, तब दोनों का एक-दूसरे से प्रभावित होना अनिवार्य हो जाता है। इस प्रकार लंबी अवधि तक संसर्ग, स्वधर्म छोड़ मुसलमान बनने वाले भारतीयों की संख्या वृद्धि हुई तथा भारत में अनेक उदार आन्दोलनों के प्रभाव वफ़े ....
Question : ‘तुर्क, अफगान एवं मुगलों द्वारा राजपूतों की पराजय का एकमात्र कारण निम्नकोटि की अश्वारोही सेना ही नहीं थी।’ विवेचना कीजिये।
(2001)
Answer : भारत ने इस्लाम की बढ़ती हुई शक्ति का मुकाबला प्रायः तीन सौ वर्षों तक अपनी उत्तर-पश्चिम सीमा पर किया। अरबों का भारत पर आक्रमण सिंध और मुल्तान तक सीमित रहाऔर तुर्कों द्वारा काबुल, अफगानिस्तान तथा पंजाब पर विजय आसानी से नहीं हुई। यह एक गौरवपूर्ण बात थी कि जिस इस्लाम ने एशिया, अफ्रीका और यूरोप के अधिकांश भाग को जीतकर अपना अंग बना लिया, उसका मुकाबला हिन्दू एक लंबे समय तक कर सके थे। 11वीं ....
Question : अलाउद्दीन खिलजी एक अनोखा साम्राज्यवादी था।
(1999)
Answer : अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली सल्तनत के महानतम शासकों में से एक था। उसका शासनकाल साम्राज्य विस्तार एवं प्रशासनिक सुधार दोनों ही दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ। उसने एक शक्तिशाली सैन्य व्यवस्था का गठन किया और उसकी सहायता से अपनी आंतरिक स्थिति सुदृढ़ की एवं पड़ोसी क्षेत्रों को जीतकर साम्राज्यवादी विस्तार को संभव बनाया। उसके अनुसार सुल्तान का पद वहीं व्यक्ति प्राप्त करता है, जो इसके लिए सक्षम हो। शासक बनने का अधिकार उसे ही है, जो ....
Question : शिवाजी के उत्कर्ष के लिए उत्तरदायी परिस्थितियों की समीक्षा कीजिये। शिवाजी की देन पर भी प्रकाश डालिये।
(1999)
Answer : मराठों के राजनीतिक उत्कर्ष एवं मराठा राज्य की स्थापना में शिवाजी का बहुमूल्य योगदान है। उन्होंने शाहजी भोंसले द्वारा आरंभ किये गये कार्य को आगे बढ़ाया तथा दक्षिणी रियासतों एवं मुगलों से संघर्ष कर एक स्वतंत्र मराठा राज्य की स्थापना की। शिवाजी भारतीय इतिहास में एक वीर योद्धा, विजेता, कुशल राजनीतिज्ञ एवं प्रशासक के रूप में विख्यात हैं। इतिहासकार सरदेसाई के अनुसार, शिवाजी का व्यक्तित्व अपने युग में ही नहीं बल्कि संपूर्ण आधुनिक युग में ....
Question : आपको दिये गये मानचित्र में निम्नलिखित में से किन्हीं 15 स्थानों पर निशान लगाइये एवं अंकित स्थानों पर संक्षिप्त टिप्पणियां लिखियेः
1. अंबक, 2. कान्यकुब्ज, 3. किष्किंधा, 4. कुंडलवन, 5. खजुराहो, 6. गिहलोट, 7. गोकुल, 8. चिदम्बरम, 9. जहाजपुर, 10. जैसलमेर, 11. तक्षशिला, 12. द्वारका, 13. जलालाबाद, 14. नालंदा, 15. पंचवटी, 16. पाटलिपुत्र, 17. फतेहपुर सीकरी, 18. बद्रीनाथ,19. बहमनाबाद, 20. बालब्रह्मेश्वर, 21. बीजापुर, 22. बुरहानपुर, 23. बैराठ, 24. भद्रावती, 25. भीतरगांव, 26. वारंगल, 27. विलासपुर, 28. शत्रुंजय, 29. श्रीपुर, 30. कारगिल

(1999)
Answer : 1. अबंक: चेदि महाजनपद की राजधानी शक्तिमती के निकट अंबक स्थित था। यहां से उत्तरवैदिक कालीन पुरातात्विक अवशेषों की प्राप्ति हुई है। यहां से चित्रित धूसर मृद्भांड, लौह उपकरण एवं कुछ मृण्यमूर्तियां मिली हैं।
2. कान्यकुब्ज: महाभारत, रामायण तथा पतंजलि के ‘महाभाष्य’ में उल्लिखित कान्यकुब्ज के वैभव का युग सातवीं सदी से प्रारंभ हुआ, जब इसे पुष्यभूति वंश के राजा हर्षवर्द्धन ने अपनी राजधानी बनाया। इसके पूर्व यह मौखरि वंश की राजधानी थी।
3. किष्किंधा: कर्नाटक राज्य ....
Question : भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति पर इस्लाम के प्रभाव का उल्लेख कीजिये।
(1999)
Answer : भारतीय जनजीवन पर इस्लाम का प्रभाव कोई एक ही रात में पड़ना शुरू नहीं हो गया था। यह प्रभाव तो एक सतत् प्रक्रिया के रूप में उभरकर सामने आया था, जिसमें विरोध और समन्वय दोनों ही शामिल थे, क्योंकि हिंदू धर्म और इस्लाम के मूल धार्मिक- सामाजिक आदर्शों में अंतर था। इस अंतर के कारण पहले-पहल इन दोनों धर्मों में एक तनाव की स्थिति उत्पन्न हुई। कुछ मुसलमान शासकों ने अपने शासक होने की स्थिति ....
Question : शेरशाह के व्यक्तित्व में शेर और लोमड़ी के स्वाभाव का सम्मिश्रण था।
(1999)
Answer : शेरशाह मध्यकालीन शासकों में एक विशेष स्थान रखता है। एक श्रेष्ठ सैनिक के गुण और विशेषतायें उसके अंदर थी और सैनिक कार्य को वह अच्छी तरह समझता भी था। एक सैनिक के रूप में उसके अंदर अमिट साहस, अपूर्व शक्ति और असाधारण शौर्य था। एक सेनापति के रूप में उसने प्रत्येक सैनिक कार्यवाही में अपनी श्रेष्ठ प्रतिभा और चातुर्य का परिचय दिया था। किसी सैनिक अभियान में उसे जहां-जहां ठहरना पड़ता था, वहां वह व्यूह ....
Question : राणा प्रताप की देशभक्ति ही उनका एकमात्र अपराध था।
(1999)
Answer : यद्यपि मेवाड़ पर फरवरी 1568 में मुगलों का अधिकार हो गया था, तथापि राज्य का एक बड़ा भाग अभी तक राणा उदय सिंह के अधिकार में रह गया था। उसके पराक्रमी पुत्र राणा प्रताप ने मुगलों का बड़ी दृढ़ता से सामना करने का निश्चय किया। महाराणा प्रताप ही राजपूताना का एक ऐसा सम्राट था, जिसने अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और मातृभूमि की रक्षा हेतु अपना सब कुछ अर्पण कर अपने पुत्र एवं पत्नी ....
Question : राष्ट्रकूटों का कला एवं संस्कृति के लिए योगदान की विवेचना कीजिये।
(1999)
Answer : दक्षिण भारत के इतिहास में राष्ट्रकूटों का विशेष महत्व है। राष्ट्रकूटों ने लगभग 225 वर्षों तक राज्य किया। राष्ट्रकूटों ने भारतीय कला को अनुपम भेंट दी। चट्टान काटकर बनाये गये एलोरा और एलीफैण्टा के पवित्र स्थल इसी काल के हैं। जिस समय दंतिदुर्ग ने 753 ई. में चालुक्य राजा कीर्तिवर्मन द्वितीय को पराजित किया और उससे उसका राज्य छीन लिया; उस समय इस घटनाका केवल राजनीतिक प्रभाव ही नहीं पड़ा, बल्कि उसके द्वारा स्थापित नवीन ....
Question : स्पेन के फोड़े ने नेपोलियन बोनापार्ट को बर्बाद कर दिया, दक्षिण की समस्या ने औरंगजेब को बर्बाद किया था।
(1999)
Answer : औरंगजेब के शासन का उत्तरार्द्ध (1681-1707) दक्षिणी शक्तियों से युद्ध करने एवं दक्षिण में अपनी शक्ति सुदृढ़ करने में ही बीत गया। दक्षिण की समस्याओं में वह इस बुरी तरह घिर गया कि उसे उत्तरी भारत की ओर ध्यान देने का अवसर ही नहीं मिला, जिसके घातक परिणाम निकले। एक इतिहासकार के शब्दों में, जिस प्रकार स्पेन के फोड़े ने नेपालियन को बर्बाद कर दिया, उसी प्रकार दक्षिण के नासूर ने औरंगजेब को नष्ट कर ....
Question : मुगलकालीन कला एवं स्थापत्य के विकास का निरूपण कीजिये तथा इनमें मिश्रित हिन्दू-तत्त्वों का निर्देश कीजिये।
(1998)
Answer : मुगलकालीन कला एवं स्थापत्य के विकास का अवलोकन करते हुए यह आसानी से देखा जा सकता है कि इनमें हिन्दू-तत्त्वों का मिश्रण बड़ी मात्र में था। चित्रकला की हिंदू और फारसी शैलियों के बीच आरंभिक आदान-प्रदान के अवशेष गुजरात में मिलते हैं। मुगलकाल से पूर्व के इन सूक्ष्म चित्रों का प्रयोग कल्पसूत्र और कालिकाचार्य कथा जैसे जैन धर्म ग्रंथों के चित्रण में किया गया है। सूक्ष्म चित्रकारी का प्रयोग बंसल विलास जैसे धर्मनिरपेक्ष ग्रंथों को ....
Question : चोलों की उपलब्धियों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये?
(1998)
Answer : चोलों का शासनकाल द्रविड़ इतिहास का स्वर्ण काल कहा जाता है। चोल वंश पल्लवों का उत्तराधिकारी राजवंश था। अतः उन्हें पल्लवों की कला संपदा भी विरासत में मिली थी, जिसे चोल शासकों ने और अधिक समृद्ध किया। उनके शासनकाल में द्रविड़ स्थापत्य कला, शिल्प कला, साहित्य एवं प्रशासन अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंच गये।
चोलकाल में तमिल साहित्य ने बहुत प्रगति की। वैष्णव तथा शैव संतों द्वारा भक्ति आंदोलन को बढ़ाने के कारण धार्मिक साहित्य के निर्माण ....
Question : ‘अलबरुनी का भारत’ पर एक लेख लिखिये, जो 200 शब्दों से अधिक न हो।
(1998)
Answer : भारत आने वाले प्रमुख अरब यात्रियों में खीव में जन्मा अलबरुनी उर्फ अबूरैथन भी था। वह महमूद गजनवी के सोमनाथ पर आक्रमण (1025 ई.) के समय भारत आया था। यहां रहते हुए उसने खगोल विद्या, ज्योतिष-प्राकृतिक विज्ञान, धातु शास्त्र, चिकित्सा शास्त्र तथा रसायन शास्त्र आदि विषयों का विस्तृत अध्ययन किया। अलबरुनी की पुस्तक तहकीक-ए-हिन्द अथवा किताबुल-हिन्द (हिन्दुतान का यथार्थ अथवा हिन्दुस्तान का परिचय) ग्यारहवीं शताब्दी के भारत का चित्र प्रस्तुत करती है। अलबरुनी ने भारत ....
Question : राजपूतों की सामाजिक संरचना
(1998)
Answer : जाति प्रथा राजपूत क्षेत्र में प्रचलित थी। वहां ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र के अतिरिक्त कई नयी उपजातियां भी थीं। राजपूत समाज में ब्राह्मणों का सबसे ऊंचा स्थान था और उनका सबसे अधिक सम्मान किया जाता था। वे समस्त आध्यात्मिक या लौकिक ज्ञान के एकमात्र अधिकारी होने का दावा करते थे। वे राजपूत राजाओं के सभासद और मंत्री होते थे। उनमें से अधिकांश अध्ययन, अध्यापन, यज्ञ, धार्मिक, संस्कार तथा अन्य पुण्य कर्म करने में ही ....
Question : पानीपत का तृतीय युद्ध
(1998)
Answer : पानीपत का तृतीय युद्ध मराठों के इतिहास के लिए मात्र इसलिए महत्वपूर्ण नहीं है कि इसने मराठा शक्ति को तहस-नहस कर दिया था, बल्कि शिवाजी ने जिस नैतिक और रणनीतिक आधार पर मराठा शक्ति को संगठित किया था,उसके अंत का भी संकेत है। युद्ध में पराजय की घटना ने यह संकेत दे दिया था कि अब पेशवा एवं केंद्रीय सत्ता की पकड़ मराठा सामंतों पर पहले जैसी नहीं रहेगी और अब मराठा सामंत केन्द्र के ....
Question : सल्तनत काल की भूमि-राजस्व व्यवस्था पर प्रकाश डालिये?
(1998)
Answer : सल्तनत काल की भूमि-राजस्व व्यवस्था मुस्लिम विचारधारा और पूर्व प्रचलित देशी संस्थाओं का सम्मिश्रण थी। सुल्तानों ने इस प्रकार के भू-राजस्व संबंधी नियम स्थापित किये थे, जिनके द्वारा अधिशेष उत्पादन (Surplus) मुख्यतः इक्ता प्रणाली द्वारा प्राप्त किया जाता था।
वैसे सामान्य रूप से तुर्कों ने इस्लामी अर्थव्यवस्था संबंधी सिद्धांतों को अपनाया। यह व्यवस्था बगदाद के मुख्य काजी अबू याकूब द्वारा लिखित ‘किताब-उल-खराज’में लिपिबद्ध है। इस व्यवस्था का आधार खराज और उस्र है, जो जमीनों की किस्म ....
Question : अकबर की उदारता की नीति का सोदाहरण प्रतिपादन कीजिये।
(1997)
Answer : अकबर उत्तर मध्यकालीन भारत का एक महान शासक था। मुगल बादशाहों में वह सर्वश्रेष्ठ तो था ही, परंतु उसकी गणना विश्व के महानतम विभूतियों में भी होती है। लगभग सभी तत्कालीन एवं आधुनिक इतिहासकारों ने मुक्तकंठ से अकबर की प्रशंसा की है। वह अपनी उदारता की नीति से वह सभी लोगों को अपनी ओर आकृष्ट कर पाया और अपने कार्यों से वह राष्ट्रीय सम्राट की दर्जा पा सका। उसने अपनी धार्मिक नीति में, सामाजिक अंतःक्रिया ....
Question : "अपने उत्तरवर्ती युगों तक, सिंधु सभ्यता की अविच्छिÂ व्याप्ति मात्र धार्मिक एवं आध्यात्मिक क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं थी।य् इस वक्तव्य का विश्लेषण कीजिये।
(1997)
Answer : प्रायः प्रत्येक सभ्यता अपनी पूर्ववर्ती संस्कृति का परिवर्तित एवं विकसित रूप होती है और अपने परवर्त्ती सभ्यताओं को कुछ देकर ही विलीन होती है। इसी क्रम में पुरातत्त्व की दृष्टि से किये गये अनुसंधानों से पता चलता है कि हड़प्पा चरण से अब तक एक शैलीगत निरंतरता बनी रही है। नगरों के अंत का अर्थ यह नहीं है कि हड़प्पा सभ्यता का अंत हो गया। इसे तो शासन तंत्र और अर्थव्यवस्था में केन्द्रीयकृत व्यवस्था का ....
Question : दिये गये मानचित्र में निम्नलिखित स्थानों पर निशान लगाइए और मानचित्र में अंकित स्थानों पर संक्षिप्त टिप्पणियां लिखियेः
1. अमरकोट, 2. असीरगढ़, 3. औरंगाबाद, 4. बेलूर, 5. बुरहानपुर, 6. चंदेरी 7. चंद्रनगर, 8. गोलकुंडा, 9. हांसी, 10. जंजीरा, 11. जौनपुर, 12. जूनागढ़, 13. कांची, 14. कंधार, 15. कन्नौज, 16. कड़ा, 17. कावेरीपत्तनम, 18. कोणार्क, 19. मुल्तान, 20. मुर्शिदाबाद, 21. नागपुर , 22. नासिक, 23. पुरी, 24. राजामुंदरी, 25. रत्नागिरी, 26. सतारा, 27. तालीकोटा, 28. तिरुचिरापल्ली, 29. वातापी, 30. वेंगी।

(1997)
Answer : 1. अमरकोट: पाकिस्तान में सिंध राज्य के थारपारकर जिले में स्थित अमरकोट में ही हुमायूं ने अपने निर्वासन के काल में शरण ली थी और यहीं के शासक वीरसाल के घर में महान मुगल सम्राट अकबर का जन्म हुआ था।
2. असीरगढ़: मध्य प्रदेश राज्य के खंडवा जि़ले में स्थित असीरगढ़ मध्यकाल में अपने मजबूत किले के कारण अतिविख्यात था। यह दिल्ली सल्तनत एवं फर्रूखी शासन के अधीन रहा था, लेकिन 1601 ई. में इसे अबकर ....
Question : अलाउद्दीन खिलजी के साम्राज्यवादी शासन के अंतर्गत प्रशासनिकऔरआर्थिक विनिमयों का भारतीय राज्य एवं जनता पर क्या प्रभाव पड़ा?
(1997)
Answer : अलाउद्दीन खिलजी एक प्रतिभा संपन्न एवं दूरदर्शी शासक था। वह सिर्फ अपनी निरंकुशता ही कायम नहीं करना चाहता था बल्कि जनसाधारण एवं सैनिकों के लिए कम कीमत पर सामान उपलब्ध कराकर लोकप्रियता भी प्राप्त करना चाहता था। वह लोगों को निर्धन बनाकर उनकी षड्यंत्रकारी मनोवृत्तियों पर भी अंकुश लगाना चाहता था तथा मंगोलों से सुरक्षा के लिए एक विशाल सेना भी रखना चाहता था। इन्हीं उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए अलाउद्दीन ने अपनी प्रशासनिक ....
Question : फ्विंध्याचल के दक्षिण पर प्रभुत्व प्राप्त कर लेने भर से ही राष्ट्रकूटों की महत्त्वाकांक्षाओं का परितोष नहीं हुआ, उनकी इच्छा तो गंगा के मैदानी क्षेत्रों पर भी प्रभुत्व प्राप्त करने की थी।" इस कथन का अभिप्राय स्पष्ट करते हुए टिप्पणी कीजिये।
(1997)
Answer : दक्षिण भारत के इतिहास में राष्ट्रकूटों का विशेष महत्व है। राष्ट्रकूटों ने लगभग 225 वर्षों तक राज्य किया। बहुत कम हिन्दू राजवंशों को इतने लम्बे समय तक सम्मानपूर्वक राज्य करने का मौका मिला। दक्षिण भारत में 753 ई. से 975 ई. तक राष्ट्रकूट वंश की सर्वोच्चता का काल संभवतः उसके इतिहास का सर्वाधिक शोभनीय अध्याय है। दक्षिण में उनकी सफलताएं अपूर्व थी लेकिन ध्रुव, गोविन्द तृतीय एवं इंद्र तृतीय जैसे शासक अपना विजय अभियान उत्तरी ....
Question : निम्न ऐतिहासिक स्थलों को मानचित्र पर अंकित कीजिये तथा उन पर संक्षिप्त टिप्पणी भी लिखिये
1. अजमेर, 2. अटक, 3. बनारस, 4. भटनेर, 5. चंपानेर, 6. कच्छ, 7. दौलताबाद, 8. दिल्ली, 9. देवगिरि, 10. दीव, 11. एलिचपुर, 12. एलोरा, 13. गजनी, 14. गोर, 15. ग्वालियर, 16. हम्पी, 17. हिसार, 18. जोधपुर, 19. काबुल, 20. कटनी, 21. खैबर का दर्रा, 22. लाहौर, 23. पेशावर, 24. रामेश्वरम, 25. रणथम्भौर, 26. सियालकोट, 27. थानेश्वर, 28. थट्टा, 29. उत्तर मेरुर, 30. वारंगल

(1996)
Answer : 1. अजमेर: राजस्थान स्थित अजमेर मध्य युग में प्रमुख व्यापारिक मार्ग तथा उत्तर भारत से पश्चिम भारत की ओर जाने वाले मार्ग पर अवस्थित था। इसकी स्थापना शाकम्भरी के अजयदेव ने 1113 ई. में की थी। चौहान वंश के शासकों के अधीन अजमेर ने महानता प्राप्त की। पृथ्वीराज चौहान के समय भी अजमेर साम्राज्य का अंग था।
कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा बनवाया गया मस्जिद अढाई दिन का झोंपड़ा यहीं है। ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती का दरगाह अजमेर को ....
Question : "प्राचीन भारत के लोगों की इतिहास लेखन में कोई रुचि नहीं थी। उस समय के विद्वानों ने धर्म, अध्यात्म और दर्शन के अध्ययन की ही अधिक चिन्ता की। भारतीय इतिहास लेखन वस्तुतः इस्लामी शासन की देन है।" भारतीय इतिहास में मध्यकाल के इतिहास के पुनर्निर्माण में सहायक होने वाले तत्कालीन लेखकों और उनकी रचनाओं का विशेष उल्लेख करते हुए इस कथन की समीक्षा कीजिये।
(1996)
Answer : प्राचीन भारत के लोगों पर यह आरोप लगाया जाता रहा है कि उनमें ऐतिहासिक दृष्टि का अभाव था। यह सही है कि उन्होंने वैसा इतिहास नहीं लिखा जैसा आजकल लिखा जाता है। यहां यूनान के हिरोडोटस या रोम के लिवी जैसे इतिहास लेखक नहीं हुए, इसलिए कुछ पाश्चात्य विद्वानों की यह धारणा बन गयी थी कि भारतीयों को इतिहास की ठीक संकल्पना ही नहीं थी। परंतु ऐसा समझना एक भूल है। वस्तुस्थिति यह है कि ....
Question : गयासुद्दीन बलबन का मूल्यांकन कीजिये।
(1996)
Answer : दिल्ली के आरंभिक तुर्क शासकों में बलबन विशेष महत्व रखता है। उसी के अधीन दिल्ली सल्तनत को सुदृढ़ता प्रदान करने का काम संपन्न हुआ और दिल्ली सल्तनत एक शक्तिशाली और सुसंगठित राज्य के रूप में प्रकट हुई। दास के रूप में जीवन शुरू करने वाला व्यक्ति अपनी योग्यता और प्रतिभा के बल पर जल्द ही पदोन्नति पाते हुए मशहूर ‘चालीसा’ के दल में शामिल हो गया। नासिरूद्दीन महमूद ने 20 वर्षों तक उसे अपना प्रधानमंत्री ....
Question : शिवाजी के उदय को मराठा इतिहास की एक अलग घटना नहीं माना जा सकता। वह घटना शिवाजी के व्यक्तिगत साहस और शौर्य का जितना परिणाम थी, उतना ही दक्कन की भौगोलिक स्थिति और उन एकीकरण के कारक धार्मिक प्रभावों का भी परिणाम थी जो पन्द्रहवीं और सोलहवीं शताब्दी की जनता में नई आशाओं और आकांक्षाओं का संचार कर रहे थे। स्पष्ट कीजिये।
(1996)
Answer : मुगल साम्राज्य के पतन के दिनों में शिवाजी का उदय उनके व्यक्तिगत साहस एवं शौर्य का परिणाम कही जाती है। उनके द्वारा नवस्थापित मराठा राज्य न केवल दक्षिण भारत की राजनीति वरन् उत्तर भारत की राजनीति को भी खासा प्रभावित करता रहा। 17वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में मराठा शक्ति के उदय की प्रक्रिया में कुछ तत्त्व ऐसे भी थे, जो काफी लम्बे समय से विकसित हो रहे थे। दूसरे शब्दों में, शिवाजी ने मराठा राज्य ....
Question : दक्षिण भारत के इतिहास में चोलों के महत्व का मूल्यांकन कीजिये।
(1996)
Answer : चोल शासकों ने सैन्य विजयों द्वारा दक्षिण भारत में राजनीतिक एकता स्थापित की और इससे भी महत्वपूर्ण यह तथ्य है कि उन्होंनेतमिल संस्कृति को एक निश्चित आकार व रूप दिया। प्रत्येक क्षेत्र में-चाहे वे सामाजिक संस्थाएं हों, धर्म हो या ललित कलाएं-इस काल में जो मानक स्थापित हुए, वे अत्यन्त ऊंचे माने गये। वे दक्षिण के जीवन पर छा गये। इसी काल में दक्षिण-पूर्वी एशिया के क्षेत्रों में चोल संस्कृति का विस्तार हुआ और इस ....
Question : हर्ष की मृत्यु से लेकर उत्तर भारत की मुस्लिम विजय तक की अवधि के उत्तर भारत और मध्य भारत के समाज का विवरण दीजिए।
(1996)
Answer : हर्षोत्तर भारत की सामाजिक अवस्था मध्यकाल के प्रारंभ को अभिव्यक्त करती है। पहले से ही स्थापित जाति व्यवस्था सामाजिक ढांचे का मूलाधार बन गयी। हिन्दू धर्म का बड़ी तेजी से विस्तार हो रहा था। इसी के अनुरूप सामाजिक व्यवस्थाकारों ने ब्राह्मणों के विशेषाधिकारों पर काफी बल दिया। अन्य वर्णों की अपेक्षा ब्राह्मणों की सच्चरित्रता और महानता को उजागर किया गया है। शूद्रों की छाया तक से उसे दूर रहने के लिए कहा गया है। गंभीर ....
Question : क्या आप इस विचार से सहमत हैं कि भारत में तुर्कों एवं मुगलों के आगमन ने उत्पादन साधनों में अनेक परिवर्तनों का सूत्रपात किया? अपने उत्तर के समर्थन में कारण प्रस्तुत कीजिये।
(1995)
Answer : कुछ समय पहले तक यह समझा जाता रहा है कि अंग्रेजों के आने से पहले तक भारतीय समाज की अपरिवर्तनशीलता ने प्रौद्योगिकी और उत्पादन साधनों के मामले में पिछड़ापन को बरकरार रखा था। लेकिन मुहम्मद हबीब और इरफान हबीब जैसे आधुनिक इतिहासकारों के सावधान अध्ययन ने यह तथ्य प्रतिपादित किया कि तुर्कों और मुगलों के काल में ही कई प्रौद्योगिक परिवर्तन हुए। नवीन उत्पादन साधनों ने मध्यकालीन अर्थव्यवस्था में क्रान्तिकारी परिवर्तन लाये। ‘शहरी क्रान्ति’ और ....
Question : उत्तर भारत के भूमि अनुदान-पत्र (लगभग 750 से 1200 ई)
(1995)
Answer : भूमि अनुदान-पत्र विशेष रूप से ऐसे आलेख हैं जो पत्थर या तांबे की पट्टिका पर उत्कीर्ण हैं। सामान्यतः इनसे दाता, दानग्राही, राजवित्तीय कर, दान की गयी भूमि, अनुदान के अवसर और उद्देश्यों का पता चलता है। अनुदान-पत्र में उसकी विजयों और उसके नाम के साथ कई विशेषण लगे रहते हैं जो उसकी राजनीतिक स्थिति, धार्मिक संबंध और उसकी कुछ उपलब्धियों को व्यक्त करते हैं। चूंकि दानग्राहियों में आमतौर पर ब्राह्मण होते थे, अतः वे अपने ....
Question : भारत में अरबों के आगमन के ऐतिहासिक महत्व पर एक लघु लेख लिखिये। इसका उत्तर 200 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए।
(1995)
Answer : भारत में अरबों के आगमन का राजनीतिक दृष्टि से उतना महत्व नहीं है, जितना अन्य पक्षों का है। अरब भारत में उस प्रकार का साम्राज्य नहीं बना पाये, जैसा कि उन्होंने एशिया, अफ्रीका और यूरोप के विभिन्न भागों में बनाया था। यहां तक कि सिंध में भी उनकी शक्ति अधिक दिनों तक नहीं बनी रही। किंतु दीर्घकालिक परिणामों की दृष्टि से प्रतीत होता है कि अरबों ने भारतीय जनजीवन को अत्यधिक प्रभावित किया और स्वयं ....
Question : ‘बलबन के राजत्व सिद्धांत’ पर 200 शब्दों में एक लेख लिखिये।
(1995)
Answer : दिल्ली के सुल्तानों में बलबन पहला शासक था जिसने राजत्व संबंधी सिद्धान्तों पर विस्तारपूर्वक विचार किया था। इसके पीछे निहित कारण पिछले 30 वर्षों में इल्तुतमिश के कमजोर उत्तराधिकारियों द्वारा सुल्तान के पद के गौरव और मर्यादा को बनाये रखने में असमर्थता थी। इसके अतिरिक्त बलबन को सत्ता-हरण का औचित्य भी सिद्ध करना था। इस सबके लिए आवश्यक था कि दिल्ली की गद्दी पर बैठा सुल्तान न केवल शक्तिशाली होता वरन् प्रतिष्ठा की दृष्टि से ....
Question : अलाउद्दीन खिलजी एवं शेरशाह सूरी द्वारा किये गये कृषि संबंधी सुधारों की तुलनात्मक पुनरीक्षा कीजिये।
(1995)
Answer : अलाउद्दीन खिलजी और शेरशाह सूरी दो ऐसे मध्यकालीन शासक हुए जो भारतीय इतिहास में अपने सुधारों के लिए ही सबसे अधिक याद किये जाते हैं। जहां तक इनके कृषि संबंधी सुधारों का सवाल है तो सच्चे मायनों में ये कृषि सुधार नहीं कहे जा सकते। यहां कृषि संबंधी सुधार का अर्थ भू-राजस्व या लगान संबंधी सुधारों से ली जाती है।इन दोनों शासकों के लगान संबंधी सुधार परवर्ती शासकों के लिए दिशा-निर्देशक हो गये और इसलिए ....
Question : दिये गये मानचित्र पर निम्नलिखित स्थानों को अंकित कीजिये और केवल अंकित स्थानों में से ही प्रत्येक पर लगभग 50 शब्दों में संक्षिप्त टिप्पणी लिखियेः
1. अहमदनगर, 2. अन्हिलवाड़ा, 3. बाद्गारा, 4. बालासोर, 5. बयाना 6. बीदर, 7. चिंसुरा 8. चित्तौड़, 9. दमन, 10. धर्मत, 11. दीपालपुर, 12. गंगैकोण्डचोलपुरम, 13. गौर, 14. धारगांव, 15. कामतापुर, 16. कटेहर, 17. किशनगढ़, 18. लखनावती, 19. मदुरै, 20. माण्डू, 21. नवसारी, 22. ओरछा, 23. पण्ठरपुर, 24. पानीपत, 25. पाटण, 26. कमरनगर, 27. रायचूर, 28. सिरोही, 29. सोमनाथ, 30. तिरहुत।

(1995)
Answer : 1. अहमदनगर: वर्तमान में यह महाराष्ट्र राज्य में स्थित है जिसकी स्थापना 1490 ई. में अहमद निजामशाह ने बहमनी साम्राज्य के विघटन के बाद की थी। यह राज्य दक्षिण भारत की राजनीति में प्रमुख स्थान रखता था लेकिन विजयनगर के साथ 1565 ई. के तालीकोटा के युद्ध के बाद इसकी स्थिति बदलने लगी। अकबर ने 1597 ई. में ही अहमदनगर के विरुद्ध सैनिक अभियान का आदेश दिया था लेकिन मुगल साम्राज्य में विलय नहीं कर ....
Question : ‘मध्य युग में क्षेत्रीय भाषाओं एवं साहित्य के विकास’ पर टिप्पणी कीजिये। यह टिप्पणी लगभग 200 शब्दों में होनी चाहिए।
(1995)
Answer : आज हमारे देश में जिन भाषाओं के प्रयोग बहुतायत से हो रहे हैं उनमें से अधिकांश का जन्म मध्य युग में ही हुआ था। हिन्दी, बंगाली और मराठी भाषाओं की उत्पत्ति आठवीं शताब्दी में हुई थी। उर्दू का उद्भव एक मिश्रित भाषा के रूप में हुआ जिसमें अरबी, फारसी, तुर्की के अलावा हरियाणवी, ब्रज भाषा तथा खड़ी बोली के अंश मिले हुए हैं। इसकी उत्पत्ति 11वीं शताब्दी में हुई। इन भाषाओं का विकास और साहित्यिक ....
Question : अकबर से औरंगजेब काल पर्यन्त कुलीन वर्ग की संरचना में हुए परिवर्तन
(1995)
Answer : मुगलकाल में कुलीन वर्ग या अमीर वर्ग (छवइसम) में वे मनसबदार आतेे थे जो एक हजार या उससे अधिक मनसब के हकदार थे। मुगलिया प्रशासनिक व्यवस्था का प्रचलन राज्य के राजनीतिक और सैनिक दायित्वों का भली-भांति निर्वहन, सामाजिक मानकों का अनुरक्षण और यहां तब कि स्वयं मुगल साम्राज्य का अस्तित्व एक बड़ी सीमा तक संस्था के सुव्यवस्थित प्रचलन पर आधारित था। मुगल बादशाह इस दिशा में यथोचित रूप से सफल हुए कि वे कुलीन वर्ग ....