Question : यह स्पष्ट कीजिये कि किस प्रकार दुर्बल एवं निरीह चीन ने पड़ोसी जापान में सैन्यवाद के उद्भव एवं प्रजातंत्र के विघटन को जन्म दिया?
(1994)
Answer : उग्रवादी जापानी नेता प्रथम विश्व युद्ध के बाद चीन की राजनीति में नयी प्रवृत्तियों को देखकर घबरा गये। 1926 में जब च्यांग काई शेक का नानकिंग-सरकार पर प्रभाव कायम हुआ, तबसे चीन में राजनीतिक एकता कायम करने की दिशा में प्रबल प्रयास किया गया। च्यांग काई शेक ने सैनिक सरदारों का सफाया कर दिया और कम्युनिस्टों के साथ घोर मतभेद के बावजूद चीन की राजनीतिक एकता बहुत हद तक कायम कर ली। उसने चीन में ....
Question : "आर्थिक बेचैनी का स्थायीकरण यूरोप में आगामी दो दशकों (1919-39) के दौरान राजनीतिक अस्थिरता का मुख्य कारण था।" इस कथन की व्याख्या कीजिये।
(1994)
Answer : आर्थिक संकट (1919-1932) के इस काल को तीन भागों में बांटा जा सकता है। 1919 से 1923 तक का काल पहली स्थिति को दर्शाता है, जिसमें एक कड़े कूटनीतिक आदान-प्रदान के पश्चात् हारी शक्तियों, विशेषतया जर्मनी से वसूल किया जाने वाला मुआवजा निश्चित किया गया और प्रसिद्ध जर्मन औद्योगिक क्षेत्र रूर घाटी के खदान क्षेत्रों पर मित्र राष्ट्रों का कब्जा हुआ। जर्मनी से 136,000,000,000 मार्क मुआवजे के रूप में वसूला गया, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति ....
Question : "पुनर्जागरण राजनीतिक अथवा धार्मिक आन्दोलन नहीं था। वह एक मनोदशा थी।"
(1994)
Answer : यदि गहराई से देखा जाये तो पुनर्जागरण एक पूर्णतः नए राजनीतिक अथवा धार्मिक आन्दोलन की बजाय तत्कालीन मानसिक स्थिति को कहीं ज्यादा व्यक्त करता है। लेकिन इस विचार को बिल्कुल हाल ही में मान्यता मिल सकी। एक लंबे अर्से तक विद्वानों में यह मानने का फैशन-सा चल पड़ा था कि 14वीं से 16वीं सदी का पुनर्जागरण आंदोलन, जो एक लंबी ‘नैतिक एवं बौद्धिक जड़ता’ के बाद अस्तित्व में आया था, मानव चेतना के क्षेत्र में ....
Question : "प्रोटेस्टेन्टवाद ने पूंजीवाद के उद्भव में विशिष्ट योग दिया।"
(1994)
Answer : इस विवादित सम्बन्ध के बारे में एंगेल्स ने उल्लेख किया है। जर्मन समाजशास्त्री मैक्स वेबर ने अपने ‘प्रोटेस्टेंट नीतिशास्त्र और पूंजीवाद की मूल भावना’ (Protestant Ethics and Spirit of Capitalism, 1902) नामक ग्रन्थ में मार्क्सवाद के आर्थिक नियतत्ववादी लोक प्रचार के विरुद्ध प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए तर्क दिया कि काल्विनवादी नैतिकता ने "पूंजीवादी भावना" के विकास में योगदान दिया है।
(क) प्रोटेस्टेंट इंग्लैण्ड और हॉलैण्ड ने पूंजीवादी विकास का मार्ग प्रशस्त किया; फ्रेंच काल्विनवादी (“यूगेनाट) व्यापार ....
Question : "1919 ई- के पश्चात् मध्य पूर्व के देश सतत् उत्तेजना एवं कतिपय आकर्षक परिवर्तनों के केन्द्र बन गये।"
(1994)
Answer : 1919 ई- के पश्चात् मध्य पूर्व के देश प्रथम विश्व युद्ध में विजयी मित्र राष्ट्रों के लिए एक ऐसा रोटी बन गये थे, जिसमें सभी मित्र राष्ट्र हिस्सा चाहते थे। मध्य पूर्व देशों से सम्बन्धित युद्धोत्तर-व्यवस्था की कठिनाई के मूल में दो बातें थीं। एक तो विल्सन के चौदह सूत्रों के आधार पर मित्र राष्ट्रों ने युद्धोपरान्त तुर्की की पराजय के बाद अरबों को स्वतन्त्र कर देने का आश्वासन दिया था। लेकिन दूसरी तरफ विजयी ....
Question : सोलहवीं एवं सत्रहवीं शताब्दियों के दौरान वैज्ञानिक ज्ञान का विकास क्रम किस हद तक परिवर्तनशील समाज की आवश्यकताओं की उपज था?
(1994)
Answer : पुनर्जागरण, व्यापारिक क्रान्ति, नये प्रदेशों की खोज, धार्मिक सुधार आंदोलन आदि द्वारा एक ऐसे युग का सूत्रपात हुआ, जिसमें पुरानी मान्यताओं और विश्वासों के विरुद्ध एक प्रकार की क्रान्ति उत्पन्न हुई। सोलहवीं तथा सत्रहवीं शताब्दी में प्रश्नोत्तर, निरीक्षण और परीक्षण पद्धतियों को बढ़ावा दिया गया ताकि नये-नये वैज्ञानिक तथ्य उद्घाटित हो सकें। इस बात पर बल दिया गया कि सत्य के निर्धारण में प्राचीन ग्रंथों का आश्रय नहीं लेना चाहिये, अपितु स्वयं के प्रत्यक्ष ज्ञान ....
Question : "एशियाई राष्ट्रवाद उन्नीसवीं शताब्दी के अन्तिम दशकाें के दौरान एशियाई बुद्धिजीवी वर्ग पर मात्र पाश्चात्य प्रभाव की ही उपज है।"
(1994)
Answer : एशिया के अधिकतर देश उन्नीसवीं शताब्दी की शुरुआत में पश्चिमी देशों (यूरोपीय देशों) के उपनिवेश बन चुके थे। इन यूरोपीय देशों के लिए यह संभव नहीं था कि सिर्फ अपने ही लोगों के द्वारा एशियाई उपनिवेशों का प्रशासन चलाया जा सके। इसलिए उन्होंने उपनिवेशों में अपनी शिक्षा प्रणाली, जो यूरोपीय विज्ञान, दर्शन, राजनीति और इतिहास पर आधारित थी, की शुरुआत की। पाश्चात्य दर्शन से ओत-प्रोत इस शिक्षा ने यहां के चन्द लोगों को ही सही ....
Question : "एक क्लांत और भीरु पीढ़ी के लिए मेटरनिख ही आवश्यक व्यक्ति था।"
(1993)
Answer : नेपोलियन के पतन के बाद क्रान्ति के विरुद्ध प्रतिक्रियावाद का जमाना आया, जिसका नेता आस्ट्रिया का चान्सलर मेटरनिख था। 1815 से 1848 तक वह यूरोप का सबसे अधिक प्रभावी राजनीतिज्ञ रहा और इस काल को ‘मेटरनिख युग’ कहा जाता है। वह फ्रांस की क्रांति और उसकी राष्ट्रीयता और प्रजातन्त्र के सिद्धान्त को एक भयानक रोग समझता था, अर्थात् वह निरकुंश राजतन्त्र को बनाये रखने के लिए किसी भी प्रगतिशील विचार के उदय का विरोध करता ....
Question : 1852 तक इटली के एकीकरण में क्या बाधायें थीं? किस प्रकार और किन उपायों से इटली का एकीकरण प्राप्य हुआ?
(1993)
Answer : उन्नीसवीं शताब्दी के आरम्भ में इटली में राष्ट्रीयता और उदारवाद की विचारधाराओं का विकास हुआ। इटली की जातियों की महिमा, रोमन साम्राज्य की धूमिल स्मृतियां, दांते की कविताएं, रेनासां की कला और विज्ञान के द्वारा इस भावना को जीवित रखा कि इटालियन एक महान जाति के थे। इन सबके बावजूद भी इटली के एकीकरण के मार्ग में अनेक कठिनाइयां थीं, जो निम्नलिखित हैं:
1. कई राज्यों में विभक्त: इटली की सबसे बड़ी कठिनाई उसकी भौगोलिक आकृति ....
Question : ‘अरब राष्ट्रीयता और तेल’ वे प्रमुख कारक थे, जो बाह्य जगत के साथ पश्चिम एशियाई देशों के संबंधों को जटिल बनाते थे। क्या आप इससे सहमत हैं?
(1993)
Answer : प्रथम विश्व युद्ध और उसके बाद अरब जगत में राष्ट्रवाद का उदय पश्चिमी एशिया के इतिहास की सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटना थी। यह राष्ट्रवाद पहले ऑटोमन साम्राज्य (तुर्की) के विरुद्ध और बाद में यूरोपीय साम्राज्यवादी शक्तियों के विरुद्ध उदित हुआ। प्रथम विश्व युद्ध के पूर्व आधुनिक इराक, जॉर्डन, सीरिया, लेबनान तथा फिलीस्तीन आदि पश्चिमी एशियाई देश ऑटोमन साम्राज्य के अंग थे। इन देशों के निवासी अरब और उनके शासक तुर्क थे। राष्ट्रवाद की भावना से प्रेरित ....
Question : फ्वर्साय संधि बीस वर्षों का एक युद्धविराम मात्र था।"
(1993)
Answer : फ्रांस के मार्शल फाश ने उचित ही कहा था, "यह (वर्साय) संधि कोई शान्ति सन्धि नहीं है। यह केवल बीस वर्षों के लिए युद्ध विराम है।" उसकी बात सही सिद्ध हुई और 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध आरंभ हुआ। वर्साय की सन्धि से सिर्फ जर्मनी, तुर्की आदि ही नाराज नहीं थे, मित्र राष्ट्रों में से एक इटली भी अपने मनोवांछित लाभ नहीं प्राप्त होने के कारण नाराज था। इधर वर्साय की संधि में पूरा प्रयास ....
Question : "मंचूरियाई संकट ने लीग ऑफ नेशन्स के भाग्य का निर्णय कर दिया।"
(1993)
Answer : पेरिस शान्ति वार्ता के समय ही 8 जनवरी, 1918 को अमेरिका के राष्ट्रपति विल्सन ने एक राष्ट्रसंघ स्थापित करने की घोषणा की थी। इसके बाद राष्ट्रसंघ की स्थापना अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा की प्राप्ति, भविष्य में युद्धों को असंभव बनाना तथा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सहिष्णुता को बढ़ावा देने के उद्देश्य के साथ हुई। लेकिन राष्ट्रसंघ शुरू से ही अमेरिका, रूस, जर्मनी, आस्ट्रिया, हंगरी और तुर्की के सदस्य नहीं बनने के कारण सर्वभौम नहीं बन सका ....
Question : यूरोप में पन्द्रहवीं और सोलहवीं शताब्दियों में जो बौद्धिक चेतना घटित हुई, उसका मूल्यांकन कीजिये। इसने आधुनिक समाज और सभ्यता को किस प्रकार प्रभावित किया?
(1993)
Answer : यूरोप में पन्द्रहवीं और सोलहवीं शताब्दियों में जो बौद्धिक चेतना घटित हुई, उसकी सबसे बड़ी विशेषता थी कि इसने मध्ययुगीन धर्म और परम्पराओं से नियन्त्रित चिन्तन को मुक्त कर तर्क को बढ़ावा दिया। अरस्तू के विचारों एवं पेरिस, वोलोन, ऑक्सफोर्ड एवं कैम्ब्रिज के विश्वविद्यालयों ने तार्किक चिन्तन की दिशा में मानव को प्रेरित किया। इस काल के बौद्धिक चेतना की एक प्रमुख विशेषता थी-मानवतावाद, अर्थात् मानव जीवन में रुचि लेना, मानव की समस्याओं का अध्ययन ....
Question : "लुई चतुर्दश के राजतंत्र का माप, वैभव और संगठित शक्ति यूरोप में सर्वथा नवीन थी।"
(1993)
Answer : माजारैं एवं कोलबर्ट जैसे योग्य व्यक्तियों की सहायता से लुई चतुर्दश ने अपने राज्य काल में फ्रांस को सारे यूरोप में सैनिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक एवं कला की दृष्टि से सिरमौर बना दिया था। उसने मनसर्ट, जिरारदों एवं लूर्वे जैसे शिल्पकारों की मदद से पेरिस से 12 मील दूर वर्साय नामक स्थान पर 10 करोड़ डॉलर खर्च कर नयी राजधानी बनायी थी, जो बेहद खूबसूरत थी। लुई ने फ्रांसीसी भाषा एवं साहित्य को इतना बढ़ावा दिया ....
Question : फ़ासिज्म के प्रमुख अभिलक्षणों की चर्चा कीजिए।
(2007)
Answer : 20वीं सदी के तीसरे दशक में यूरोप में सर्वसत्तावाद का विकास हुआ। सर्वसत्तावाद वैसी शासन पद्धति है, जिसमें एक निश्चित अल्पसंख्यक शक्ति और धमकी के बल पर सामाजिक जीवन केसभी अवयवों पर अपनी इच्छा थोप देता है।
सर्वसत्तावाद के दोनों रूप मिलते हैं-यथा वामपंथी और दक्षिणपंथी। इसका वामपंथी रूप रूस की साम्यवादी सरकार में एवं दक्षिणपंथी रूप फासीवाद एवं नाजीवाद में देखा जा सकता है। फासीवाद कोई मौलिक दर्शन नहीं है। यह डार्विनवाद, बुद्धि विरोधवाद, परंपरावाद, ....
Question : ‘1980 के दशक तक आते-आते सोवियत संघ का साम्यवादी तेज परमशक्ति के रूप में देश की भूमिका को बनाए रखने में अक्षम हो गया था।’ इस कथन को सुस्पष्ट कीजिए।
(2007)
Answer : विश्व राजनीति में 1980 के दशक के उत्तरार्द्ध के भूकंपीय हलचल की संज्ञा दी जाती है। 1985-91 के बीच घटित घटनाओं ने सोवियत संघ जैसी महाशक्ति तथा सुंसगठित साम्यवादी खेमे को विघटन की प्रक्रिया बहुत पहले से प्रारंभ हो गयी थी एवं 1980 के दशक के आगमन के साथ ही प्रतीत होने लगा कि सोवियत संघ की शक्ति का अवसान देर-सबेर ही सही अवश्यम्भावी है। हालांकि सोवियत साम्यवाद एवं सोवियत संघ के विखंडन की प्रक्रिया ....
Question : “युद्ध (प्रथम विश्व युद्ध) के युद्धोत्तर वर्षों की भावना को सबसे ज्यादा स्थायी योगदान मोह-भंग था।”
(2007)
Answer : प्रथम विश्व युद्ध के उपरान्त इस प्रकार के प्रयासों पर जोर दिया कि भविष्य में किसी प्रकार के संघर्ष को टाला जाय। हालांकि पेरिस शान्ति सम्मेलन के घोषित उद्देश्य भले ही अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति एवं सहयोग पर बल देना हो, लेकिन वास्तव में उसने स्थितियों में सुधार के दृष्टिकोण से शायद ही योगदान दिया हो। 1919 के बाद से अमेरिका क्रमशः यूरोपीय मामलों से अलग हटने लगा एवं यूरोप में सुरक्षा संबंधी मामलों पर अपनी प्रतिबद्धता ....
Question : “नव साम्राज्यवाद एक राष्ट्रीयता मूलक, न कि एक आर्थिक प्रघटना थी।”
(2007)
Answer : उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में यूरोप में नव साम्राज्यवाद का उदय हुआ। इसका स्वरूप मुख्यतः राष्ट्रीय दृष्टिकोण से प्रेरित प्रतीत होता है, लेकिन इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि आर्थिक कारक भी नवसाम्राज्यवाद के मूल में एक प्रमुख कारक था। वस्तुतः 1860 के बाद औद्योगिक क्रांति का प्रसार इंग्लैंड के अतिरिक्त फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम आदि अनेक देशों में हो गया था।
बाद में इसमें अमेरिका, जापान और रूस भी शामिल हो गए। पुनः ....
Question : “सीसी क्रान्ति जैसी सर्वसमावेशी कोई भी घटना कभी बौद्धिक-शून्य में नहीं घटती है।”
(2007)
Answer : कहा जाता है कि यदि फ्रांसीसी क्रान्ति की पृष्ठभूमि में एक परिवर्तनकारी सशक्त दार्शनिक एवं आर्थिक विचारधारा नहीं होती, तो यह क्रान्ति हिंसक प्रतिरोधों के सिवा कुछ प्राप्त नहीं कर पाती। वस्तुतः फ्रांस की क्रान्ति का वास्तविक निर्देशन एवं एक हद तक इसके स्वरूप का निर्धारण बुद्धिजीवियों एवं दार्शनिकों द्वारा ही किया गया था। दार्शनिकों ने ही तर्कवाद की प्रतिष्ठा करते हुए फ्रांस की क्रान्ति के दौरान लोगों में सकारात्मक सोच एवं आशावादी दृष्टिकोण को ....
Question : “नाटो’ अनेक तरीकों से उस कुंजी भूमिका का प्रतीक था, जो संयुक्त राज्य-अमेरिका यूरोप में निभाने आया था।”
(2007)
Answer : शीतयुद्ध के दौर में नाटो की स्थापना अप्रैल 1949 में की गई। वैसे तो नाटो की स्थापना पश्चिमी यूरोपीय देशों एवं अमेरिका की पारस्परिक सहमति के आधार पर की गई, जिसमें दोनों पक्षों के हितों की रक्षा होनी थी। लेकिन वास्तव में नाटो के माध्यम से अमेरिका ने यूरोप में अपने व्यापक हितों की पूर्ति करनी चाही एवं उसमें उसे सफलता भी प्राप्त हुई। सर्वप्रथम अमेरिका किसी कीमत पर पश्चिमी यूरोप में साम्यवाद के प्रसार ....
Question : ‘पुनर्जागरण विद्वानों ने अंडे दिये थे, जिनको बाद में धर्म-सुधार आन्दोलन के जनक लूथर ने सेआ था’ चर्चा कीजिए।
(2006)
Answer : पुनर्जागरण का अर्थ है- पुनर्जन्म। पुनर्जागरण एक बुद्धिवादी, उदार, सांस्कृतिक, सामाजिक, धार्मिक आंदोलन था, जिसमें प्राचीन आदर्शां, सिद्धांतों, मान्यताओं, विचारों एवं अवधारणाओं के आधार पर नए यूरोप का निर्माण हुआ। इसमें नवीन आविष्कारात्मक, अनुसंधानात्मक, आलोचनात्मक, वैज्ञानिक प्रवृत्तियों का व्यापक प्रसार हुआ।
पुनर्जागरण वह आन्दोलन था जिसके द्वारा पश्चिमी राष्ट्र मध्य युग से निकलकर आधुनिक युग में प्रविष्ट हुए। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसने मानव बुद्धि को धर्म के ठेकेदारों से मुक्त कराया और ....
Question : 1949 की चीनी क्रांति के कारणों और परिणामों का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए।
(2006)
Answer : सन् 1949 ई. में चीनी कम्युनिस्टों ने छापामार लड़ाई को त्याग कर च्यांगकाईशेक की सेना को सीधी चुनौती दी तथा पेकिंग पर अधिकार कर लिया।
1949 ई. के अंत तक च्यांग की बची खुची सेना चीन की मुख्य भूमि को माओत्से तुंग के नियंत्रण में छोड़कर ताइवान के टापू में भाग गयी। इस प्रकार सम्पूर्ण चीन में साम्यवाद का बिगुल बज गया और यहां चीनी जनवादी गणतंत्र की स्थापना हुई।
चीन की क्रांति के अनेक कारण थे। ....
Question : ‘चतुर विजेता अपने विजित पर अपनी मांगे हमेशा किस्तों में आरोपित करेगा’।
(2006)
Answer : चतुर विजेता अपने द्वारा पराजित शक्ति से क्षति-पूर्ति के नाम पर अधिकाधिक प्राप्त करने का प्रयत्न करता है। युद्ध के लिए वह अपने विजित को एकमात्र जिम्मेवार मानते हुए उसे दण्डित करता है तथा एक-एक कर अनेक संधियां उसपर आरोपित कर देता है। विजित से उसके महत्वपूर्ण प्रदेश ले लिए जाते हैं। उसके खनिजों, कल-कारखानों आदि पर विजेता अधिकार स्थापित करने का प्रयत्न करता है तथा युद्ध की क्षतिपूर्ति के नाम पर किस्तों में अधिकाधिक ....
Question : दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के विरूद्ध संघर्ष का एक संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
(2006)
Answer : दक्षिण अफ्रीका में पहली यूरोपीय बस्ती का निर्माण डच ईस्ट इंडिया द्वारा 1652 ई. में केप ऑफ गुड होप में की गई। यह बस्ती दक्षिण के दक्षिणी छोर पर स्थापित कर लिया तथा किसानों को खदेड़कर स्वयं कृषि-पेशा अपना लिया। ये डच कृषक बोअर कहलाए। 1795 ई. के बाद इन क्षेत्रों में अंग्रेजों का आगमन हुआ जिसने डचों को वहां से खदेड़ दिया। अतः बोअर लोग उत्तर की ओर पलायन कर गए तथा 1838 से ....
Question : ‘उपनिवेश फलों की भांति होते हैं, जो पेड़ से तभी तक जुड़े रहते हैं जब कि वे पक न जाएं’।
(2006)
Answer : किसी साम्राज्यवादी राज्य के उपनिवेश तभी तक उस राज्य से जुड़े रहते हैं, जबतक उनका विकास नहीं हो जाता है। उपनिवेशों की जनता को जब प्रशिक्षण प्राप्त हो जाता है, तब साम्राज्यवादी राज्य के लिए इसे बनाए रखना संभव नहीं रह जाता। उपनिवेशों की जनता में साम्राज्यवादी राज्य द्वारा उनके शोषण के चलते स्वाभिमान की भावना पैदा होती है। अंततः साम्राज्यवाद विरोधी शक्तियों का जन्म होता है तथा उपनिवेशमुक्ति को प्रोत्साहन मिलता है। भारत समेत ....
Question : ‘‘वर्साय की संधि में भावी द्वंद्व के बीज शामिल थे’’
(2006)
Answer : द्वितीय विश्व युद्ध के लिए वर्साय की संधियां प्रत्यक्ष रूप से जिम्मेवार थीं। ऐसी अपमानजनक तथा कठोर संधियों को कोई भी राष्ट्र एक लम्बे अरसे तक सहन नहीं कर सकता था। यह निश्चित था कि भविष्य में जर्मनी फिर युद्ध द्वारा ही अपने इस अपमान को धोने का प्रयास करेगा।
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद पराजित जर्मनी के समक्ष संधि को स्वीकार करने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं था। लेकिन समय बीतने के साथ-साथ जर्मनी शक्ति का ....
Question : ‘प्रतिनिधित्व के बिना कोई करारोपण नहीं’।
(2006)
Answer : ब्रिटिश सरकार कई उपायों द्वारा अमरीकी जनता से धन उगाहना चाहती थी। अनेक आयातित मालों और व्यावसायिक दस्तावेजों पर कर लगाया गया। सरकार उपनिवेशों पर प्रत्यक्ष कर लगाकर एक बड़ी सेना का निर्माण करना चाहती थी। किन्तु अमेरिकावासी सरकार को किसी प्रकार की सहायता देने को तैयार नहीं थे। ब्रिटिश प्रधानमंत्री ग्रेनविल ने सन् 1765 में संसद में स्टाम्प अधिनियम पारित कराया। इस अधिनियम के अनुसार अमेरिका में सभी सरकारी दस्तावेजों एवं कानूनी कागजातों पर ....
Question : 1947 एवं 1962 के मध्य शीत युद्ध के विभिन्न आयामों तथा अवस्थाओं का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
(2005)
Answer : ‘शीत युद्ध’ शब्द दो महाशक्तियों के बीच द्वितीय विश्व युद्ध के बाद उत्पन्न तनाव के लिए प्रयोग किया जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान दोनों महाशक्तियों के मध्य एक अभूतपूर्व मित्रता विकसित हुई थी। लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के अंत के साथ ही दोनों के बीच की मित्रता भी समाप्त हो गई तथा दोनों मित्र राष्ट्रों के खेमे में जो संघर्ष या तनाव छिपा हुआ था, वह धीरे-धीरे उभकर सतह पर आ गया। हालांकि ....
Question : ‘उन्होंने मुझे कूटनीति के द्वारा उत्तर से इटली का निर्माण करने से रोक दिया है, मैं क्रांति के द्वारा दक्षिण से इसका निर्माण करूंगा।’
(2005)
Answer : काबूर की मान्यता थी कि इटली का एकीकरण सार्डिनिया के नेतृत्व में ही हो सकता है, क्योंकि सार्डिनिया ही आस्ट्रिया को इटली से निकाल सकता है तथा बिना आस्ट्रिया को इटली से निकाले एकीकरण संभव नहीं है। आगे उसका विचार था कि आस्ट्रिया को इटली से निकालने के लिए सार्डिनिया को विदेशी सहायता आवश्यक है तथा यह सहायता फ्रांस और इंग्लैंड ही कर सकता है। लेकिन इंग्लैंड यूरोपीय राजनीति में हिस्सा लेना छोड़ दिया था। ....
Question : ‘यद्यपि सुधार अवश्यम्भावी था फिर भी वह विधेयक (1832) जिसके द्वारा पारित किया गया। आलोचना का गंभीर कारण बना।’
(2005)
Answer : नेपोलियन के पतन तथा युद्धों से मुक्ति मिलने के बाद इंग्लैंड में सुधार आंदोलन जोर पकड़ने लगा। मध्यम वर्ग भी सुधारोंके पक्ष में हो गया था। इधर जनता की आर्थिक कठिनाईयों में वृद्धि हो रही थी और मजदूरों में असंतोष फैल रहा था। इसका फायदा उठाकर कुछ राजनीतिक नेता मजदूरों को हिंसा के लिए प्रेरित कर रहे थे। इन घटनाओं के कारण मध्यम वर्ग में यह भय उत्पन्न हो गया कि यदि समय पर उचित ....
Question : दार्शनिकों की रचनाओं ने लोगों के मस्तिष्क पर भारी प्रभाव डाला। उसमें क्रांतिकारी चेतना उत्पन्न की और फ्रांसीसी क्रांति के बौद्धिक मत का निर्माण किया।
(2005)
Answer : 18वीं शताब्दी में अनेक दार्शनिकों और साहित्यकारों ने फ्रांस की पुरातन व्यवस्था की बुराईयों की तीखी आलोचना की तथा अपनी लेखनी द्वारा युग के असंतोष, क्रोध और आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति दी। हालांकि इस काल में यूरोप के सभी देशों में थोड़ी बहुत बौद्धिक क्रांति हुई। परंतु फ्रांस इससे विशेष रूप से ही प्रभावित था। तत्कालीन समाज के दार्शनिक आलोचना में 18वीं शताब्दी के फ्रांस ने यूरोप का नेतृत्व किया। मांतेस्क्यू, वाल्तेयर ,रूसो, दिदरो तथा अन्य ....
Question : ‘रूसी क्रांति (1917) एक आर्थिक विस्फोट थी जो कि निरंकुश सरकार की बुद्धिहीनता के कारण जल्द घटित हुई।’
(2005)
Answer : बीसवीं शताब्दी के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना रूस की क्रांति थी। इस क्रांति ने सम्राट के एकतंत्रीय निरंकुश शासन का अंत कर मात्र लोकतंत्र की स्थापना का ही प्रयत्न नहीं किया अपितु सामाजिक, आर्थिक और व्यवसायिक क्षेत्रों में कुलीनों, पूंजीपतियों और जमींदारों की शक्ति का अंत किया तथा मजदूरों और किसानों की सत्ता की स्थापना भी किया। इस क्रांति का बीज वहां की आर्थिक अव्यवस्था में स्पष्ट रूप से ढूंढा जा सकता है। 1917 ....
Question : 1949 की चीनी क्रांति की परिस्थितियों की विवेचना करते हुए उसके महत्व का विश्लेषण कीजिए।
(2005)
Answer : चीन की साम्यवादी क्रांति अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में उत्तर द्वितीय-विश्व युद्ध की एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटना थी। यह क्रांति एक दीर्घकालीन संघर्ष एवं गृह युद्ध के दौर से गुजरने के बाद सफल हुई। यह क्रांति एक दल की विजय और दूसरे की पराजय मात्र नहीं थी बल्कि इसने विश्व के सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश के इतिहास में एक नए युग का सूत्रपात किया। जब द्वितीय विश्व युद्ध आरंभ हुआ तो चीन में तीन तरह की ....
Question : अमेरिकी संविधान की रचना में किन तत्वों का प्रभाव रहा? क्या आप बेयर्ड के कथन से सहमत हैं कि संविधान एक आर्थिक दस्तावेज है?
(2005)
Answer : नव स्वाधीनता प्राप्त संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान निर्माण सहज कार्य नहीं था क्योंकि संविधान निर्माण के लिए जो फिलाडेल्फिया सम्मेलन बुलाया गया था उसमें भिन्न-भिन्न विचारधारा के लोग शामिल थे तथा वे अपने हितों के अनुरूप संविधान की रचना करना चाहते थे। इसमें जो प्रजातंत्र की परंपरा में विश्वास करने वाले लोग थे, वे सरकार के कार्यक्षेत्र एवं शक्ति सीमित रखना चाहते थे। इस विचारधारा के लोग धनी वर्ग की अपेक्षा साधारण नागरिकों के ....
Question : वाइमर गणतंत्र की दुर्बलताओं और कठिनाइयों पर प्रकाश डालिए। अपनी तानाशाही स्थापित करने में हिटलर को किस प्रकार सफलता मिली।
(2004)
Answer : प्रथम विश्वयुद्ध के अंतिम दिनों में जर्मन जनता के कष्ट बहुत बढ़ गये थे। इस कारण वहां राजसत्ता के विरूद्ध विद्रोह हाेने लगे। इसी क्रम में नवंबर 1918 ई- में जर्मनी के मध्य वर्ग ने एक क्रांति कर राजतंत्र को समाप्त कर गणतंत्र की स्थापना की। गणतंत्र की स्थापना के लिए एक सभा का चुनाव हुआ और सभा का प्रथम अधिवेशन ‘वाइमर’ नामक स्थान पर हुआ। यहीं पर विभिन्न दलों ने साथ मिलकर एक अन्तरिम ....
Question : ‘1991 के बाद के वर्षों की सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात फ्रांस द्वारा सुरक्षा की मांग थी।’
(2004)
Answer : 1991 ई- के बाद फ्रांसीसी सुरक्षा की मांग यूरोपीय राजनीति का सबसे महत्वपूर्ण तथ्य था। फ्रांस का सारा भय जर्मनी से था। यद्यपि प्रथम विश्वयुद्ध में फ्रांस को विजय प्राप्त हुई थी। इसके अतिरिक्त फ्रांस जर्मनी से क्षेत्रफल, जनसंख्या तथा संसाधनों तीनों में आगे था। परंतु फ्रांसीसी लोग अपनी कमजोरी को भली-भांति समझते थे और जर्मनी के मुकाबले में कोई ऐसी व्यवस्था चाहते थे जिसमें उनकी सुरक्षा की गारंटी मिल सके।
जर्मनी के भावी आक्रमण से ....
Question : 1985-1991 के दौरान रुसी साम्यवाद और सोवियत संघ के पतन के कारणों का विश्लेषण कीजिए।
(2004)
Answer : सोवियत संघ का पतन दुनिया के इतिहास में एक नवीन समाज में की गई गलतियों एवं भटकाव के कारण हुआ। नये समाज के निर्माण के लिए सक्रिय भागीदारी व सहयोग आवश्यक था। वहां पर सत्ता सर्वहारा वर्ग के हाथ में नहीं थी बल्कि सर्वहारा वर्ग पर राज्य व साम्यवादी पार्टी के नेताओं का वर्चस्व था। इसलिए जनता राज्य तथा व्यवस्था के प्रति उदासीन हो गयी और व्यवस्था को जीवंत रखने के लिए आवश्यक था कि ....
Question : ‘बिस्मार्क के लिए 20 मई, 1882 की संधि इस प्रणाली की परिसमाप्ति थी।’
(2004)
Answer : 1871 ई- के बाद बिस्मार्क की विदेश-नीति का प्रमुख उद्देश्य यूरोप में जर्मनी के प्राधान्य के साथ यूरोप में शांति बनाए रखना था। उस समय यूरोप की शांति व्यवस्था को दो तरह से खतरा था- एक तो फ्रांस की प्रतिरोध की भावना से तथा दूसरे बाल्कन क्षेत्र में आस्ट्रिया और रूस की प्रतिद्वन्द्विता से। फ्रांस की ओर से बिस्मार्क को अधिक भय था, क्योंकि फ्रांस एल्सेस-लारेनप्रांत छिन जाने से बहुत असंतुष्ट था और वह 1870 ....
Question : ‘रूसो के राजनैतिक दर्शन में समाजवाद, निरंकुशवाद और प्रजातंत्र के बीज विद्यमान है।’
(2004)
Answer : रूसो ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘सोशल कॉन्ट्रेक्ट’ में अपने राजनैतिक विचारों को व्यक्त किया है। उसने लिखा है कि आदिम काल में मनुष्यों में स्वतंत्रता, समानता और भातृत्व भाव’ था। ‘स्वतंत्रता, समानता और भातृत्व भाव का उसने समर्थन किया है। यहां पर उसके समाजवादी तथा प्रजातांत्रिक विचारों के दर्शन होते हैं। उसने किसी एक व्यक्ति या संस्था में विश्वास प्रकट न करके केवल मानव मात्र में आस्था प्रकट की है। वह सभी व्यक्तियों को स्वतंत्र ....
Question : चार्टिस्ट आंदोलन की पृष्ठभूमि की समीक्षा कीजिए। इसके असफल हो जाने के बावजूद बाद के वर्षों में उनकी मांगों की पूर्ति किस प्रकार हुई?
(2004)
Answer : 19वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में इंग्लैंड में एक उग्र राजनीतिक आंदोलन का जन्म हुआ। इसे ‘चार्टिस्ट आंदोलन’ के नाम से जाना जाता है। इंग्लैंड के आधुनिक इतिहास में श्रमिकों का यह प्रथम संगठित आंदोलन था। 1838 ई. में जब मैलबोर्न मंत्रिमंडल सत्ता में था, तब मजदूर नेताओं ने अपनी मांगें संसद के समक्ष एक चार्टर के रूप में प्रस्तुत की। इसलिए इस आंदोलन का नाम ‘चार्टिस्ट आंदोलन’ पड़ा तथा चार्टर के समर्थक चार्टिस्ट कहलाये। यह ....
Question : नेपोलियन क्रांति से जन्मा था, किंतु उसने अनेक प्रकार से उसी आंदोलन के उद्देश्यों एवं सिद्धांतों को ही उलट दिया, जिससे वह स्वयं उत्पन्न हुआ था।
(2004)
Answer : बंधुत्व, समानता एवं स्वतंत्रता ये तीन शब्द 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रांति के महत्वपूर्ण सांकेतिक शब्द थे। नेपोलियन बोनापार्ट के कुछ प्रशासकीय कार्यों से तो यह कुछ हद तक बोध होता है कि वह क्रांति की उपज था, जबकि उसके कुछ कार्यों से यह प्रतीत होता है कि उसने क्रांति के आदर्शों एवं उद्देश्यों को उलट कर रख दिया। अपने शासन काल में नेपोलियन ने फ्रांसीसी लोगों की सामाजिक एवं आर्थिक समानता की स्थायी सुरक्षा ....
Question : बिस्मार्क ने जर्मनी का एकीकरण वोटों और भाषणों की बहुसंख्या द्वारा नहीं बल्कि ‘रक्त एवं लौह’ की नीति के द्वारा किया था। इस कथन के प्रकाश में जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क के योगदान का आकलन कीजिए।
(2003)
Answer : जर्मनी एकीकरण का सूत्रधार बिस्मार्क 1862 में प्रशा का चांसलर बना। उसके द्वारा प्रशा के चांसलर के पदभार ग्रहण करने के साथ ही देश के एकीकरण आंदोलन ने एक नया यथार्थवादी और व्यावहारिक रूप अख्तियार किया। बिस्मार्क यथार्थवादी का शास्त्रीय अभ्यासकर्ता था और उसका दृढ- विश्वास था कि समकालीन महान प्रश्नों का समाधान बौद्धिक भाषणों, आदर्शवाद अथवा बहुमत के निर्णय से नहीं वरन् ‘रक्त और लौह’ अर्थात युद्ध द्वारा ही किया जा सकता है।
वास्तव में ....
Question : शीत युद्ध की समाप्ति के लिए उत्तरदायी कारकों का विश्लेषण कीजिए और विश्व में संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रभुत्व के कारण बताइए।
(2003)
Answer : पूर्वी यूरोप में साम्यवादी सरकारों के पतन तथा सोवियत संघ के विघटन को शीत युद्ध की समाप्ति का सूचक माना जाता है। सोवियत संघ के विघटन ने शीतयुद्ध काल की एक महाशक्ति के अस्तित्व को अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक पटल से विलोपित कर दिया। अब संयुक्त राज्य अमेरिका एकमात्र महाशक्ति के रूप में वर्चस्वमान था। 1990 में शीतयुद्ध की समाप्ति हुई। जिस समय शीत युद्ध की समाप्ति हुई थी, उस समय स्वयं पश्चिमी पूंजीवादी देशों को भी ....
Question : ‘17 मार्च 1948 की ब्रसेल्स संधि ने ‘नाटो’ के गठन का मार्ग प्रशस्त किया था।’
(2003)
Answer : द्वितीय विश्व युद्ध के उपरांत पश्चिमी यूरोप के देश साम्यवादी सोवियत संघ के पूर्वी एवं मध्य यूरोप में बढ़ते प्रभाव से चिंतित थे। 17 मार्च, 1948 में बेल्जियम, फ्रांस, लक्जेमबर्ग, ब्रिटेन तथा नीदरलैंड्स द्वारा आपसी आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं सैनिक सहयोग को सुनिश्चित करने के लिए ब्रुसेल्स संधि पर हस्ताक्षर किये गये। इस संधि की अवधि पचास वर्ष निर्धारित की गयी थी। इस संधि में पांचों शक्तियों ने यह बचन दिया था कि यदि यूरोप ....
Question : ‘सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र-संघ का हृदय है।’
(2003)
Answer : संयुक्त राष्ट्र संघ के अनेक अंग हैं, जिनमें महासभा तथा सुरक्षा परिषद प्रमुख हैं। महासभा संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख अंगों में सर्वाधिक वृहत है। महासभा अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा संबंधी प्रश्नों के समाधान में प्रमुख रूप से भाग लेता है। परंतु संयुक्त राष्ट्र की संपूर्ण शांति सुरक्षा परिषद् में निहित है। सुरक्षा परिषद को अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा का पहरेदार माना जाता है। महासभा की अपेक्षा सुरक्षा परिषद बहुत ही छोटा सदन है परंतु उसकी ....
Question : 1917 की रूसी क्रांति के कारणों का परीक्षण कीजिए और विश्व इतिहास में उसके महत्व का निरुपण कीजिए।
(2003)
Answer : रूस की राज्य क्रांति बीसवीं शताब्दी के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना थी। इस घटना के पूर्व में भी अठारहवीं और उन्नीसवीं शताब्दी में अमेरिका और फ्रांस में क्रांतियां हुई थीं, किंतु रूस की क्रांति का अपना अलग ही महत्व है। प्रत्येक क्रांति अपनी प्रकृति, विस्तार एवं उद्देश्यों में अन्य क्रांतियों से भिन्न होती है। जहां अमेरिका की क्रांति उपनिवेशवाद को चुनौती थी, वही फ्रांस की राज्य क्रांति के कारण लोकतंत्र, राष्ट्रीयता और सामाजिक न्याय ....
Question : ‘फ्रांस की क्रांति ने विशेषाधिकारों पर आक्रमण किया था न कि संपत्ति पर।’
(2003)
Answer : किसी भी देश में होने वाली क्रांति उस देश की जनता की स्थिति और मनोदशा में निहित रहती है। तत्कालीन फ्रांसीसी समाज विषम एवं विघटित था। वह सामन्तवादी पद्धति, असमानता और विशेषाधिकार के मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित था। समाज मुख्यतः तीन वर्गों में विभक्त था- पादरी, कुलीन वर्ग और सर्वसाधारण। उच्च पादरी एवं कुलीन सुविधा प्राप्त वर्ग थे और कृषक, मजदूर तथा मध्यम श्रेणी के लोग सुविधाहीन वर्ग के थे। प्रत्येक वर्ग की भीतर, विभिन्न ....
Question : ‘फासीवाद के अभ्युदय की जड़ें शांति संधियों में थीं।’
(2003)
Answer : इटली में फासीवाद का जनक वेनिटो मुसोलिनी को माना जाता है। उसके नेतृत्व में इटली एक सशक्त राष्ट्र के रूप में उभरा। प्रादेशिक लाभ के प्रलोभन में पड़कर इटली प्रथम विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्रों की ओर से प्रविष्ट हुआ था। 1915 की लंदन की गुप्त संधि के अनुसार इटली को कई भू-भागों पर अधिकार दिलाने का आश्वासन दिया गया था। युद्धोपरांत इटली विजेताओं की पंक्ति में खड़ा था और प्रधानमंत्री ऑरलैंडों पेरिस शांति-सम्मेलन में ....
Question : ‘द्वितीय विश्व युद्ध के सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण परिणामों में से एक था ‘यूरोप का विभाजन’, पूर्वी एवं पश्चिमी।’
(2002)
Answer : द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यूरोप के इतिहास में अनेक नयी प्रवृतियों का उदय हुआ। राष्ट्रीयता की भावना के साथ-साथ अब नयी विचारधाराओं ने अपना स्थान बनाना प्रारंभ कर दिया। नये विचारधाराओं के प्रभाव में यूरोपीय समाज वस्तुतः दो अलग-अलग खण्डों में विभाजित हो गया। प्रथम विचारधारा जो पूर्वी यूरोप के क्षेत्र में प्रभावकारी रही, वह थी साम्यवाद। दूसरी ओर पश्चिमी यूरोप में जो विचारधारा पल्लवित हो रही थी, वह लोकतंत्र के सैद्धान्तिक आवरण में पूंजीवाद ....
Question : ‘राजतंत्रीय कुशासन ने यदि फ्रांस की क्रान्ति को प्रज्ज्वलित किया, तो उच्च आदर्शों ने इसे प्रेरित भी किया और बनाए भी रखा।’
(2002)
Answer : फ्रांस की क्रांति वहां की राजनीतिक निरंकुशता के विरुद्ध एक वैचारिक प्रतिक्रिया थी। फ्रांसिसी शासक लुई चौदहवें के काल के पश्चात् सम्पूर्ण फ्रांस में शोषण एवं कदाचार की विभिन्न परिस्थितियां पैदा हो गयी थीं। लुई चौदहवें के शब्दों में ही वह स्वयं राज्य था। लुई सोहलवां भी निरंकुश राजतंत्र का समर्थक था। वह अपने द्वारा दी गयी राजाज्ञाओं को विधि की संज्ञा दे डाली। विदित हो कि इस समय तक राज्य की कुल आय राजा ....
Question : सोवियत संघ के निपात के लिए उत्तरदायी मुख्य कारकों की विवेचना कीजिये।
(2002)
Answer : सोवियत संघ का विघटन आधुनिक इतिहास की कोई आकस्मिक घटना नहीं थी। वस्तुतः स्वयं अर्थव्यवस्था के स्वरूप में ही विघटन के तत्व अन्तर्निहित थे। यदि सोवियत संघ के इतिहास पर दृष्टिपात किया जाये तो यह स्पष्ट होता है कि मार्क्सवादी अर्थव्यवस्था का, जो स्वरूप वहां विकसित किया गया था वह आर्थिक विकास की प्रक्रिया को तीव्र करने के उद्देश्य से बनाया गया था, परन्तु वह स्वयं अर्थव्यवस्था के विकास के लिये आवश्यक स्वतंत्र बाजारू प्रतियोगिता ....
Question : 1945-49 के वर्षों में चीन की परिस्थितियों की समीक्षा कीजिये। संयुक्त राज्य (अमेरिका) ने वहां राष्ट्रवादियों एवं साम्यवादियों के मध्य संघर्ष को सुलझाने के लिए क्या उपाय किये?
(2002)
Answer : जब द्वितीय विश्व युद्ध प्रारम्भ हुआ, तो चीन में तीन तरह की सरकारें थी। मंचुरिया में एक स्वतंत्र व पृथक राज्य था, जिसे मंचूकाओं कहा जाता था। यह राज्य जापान के प्रभाव में था और नानकिंग को राजधानी बनाकर वहां एक स्वतंत्र चीनी सरकार की स्थापना हो चुकी थी। दूसरी चीनी सरकार महासेनापति च्यांग काई शेक के नेतृत्व में राष्ट्रीय सरकार कहलाती थी, उसकी राजधानी चुंगकिंग थी। तीसरी सरकार साम्यवादियों की थी, जिसकी राजधानी चेयान ....
Question : ‘नेपोलियन ने राष्ट्रीय भावना जागृत की, लेकिन जर्मन एकता बिस्मार्क द्वारा प्राप्त की गयी।’ विवेचन कीजिये।
(2002)
Answer : जर्मनी में राष्ट्रीयता की भावना के विकास का श्रेय यदि किसी को जाता है, तो वह नेपोलियन है। नेपोलियन का सबसे ज्यादा दबाव जर्मनी ने ही महसूस किया था और यहीं उसकी सत्ता को सबसे बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। वस्तुतः जर्मनी में नेपोलियन की सरकार बनना एक दुःखद किन्तु लाभदायक घटना थी। यह स्मरणीय है कि फ्रांसीसी क्रांति से पहले जर्मनी यूरोपीय देशों में राजनीतिक दृष्टि से सर्वाधिक विभक्त देश था, जिसमें लगभग ....
Question : ‘विश्वव्यापी मन्दी (1929-34) के कारण आर्थिक और राजनीतिक दोनों क्षेत्रों में महत्वपूर्ण परिणाम हुए।’
(2002)
Answer : विश्वव्यापी मन्दी के कारण उपजे आर्थिक संकट में सरकार व समाज के प्रत्येक वर्ग को कठिनाई तथा हानि हुई। सरकारी बजट में घाटा आया। इससे सरकार को करों में वृद्धि करनी पड़ी। बहुत से कारखाने बन्द हो गये, लाखों मजदूर बेकार हो गये। गोदाम वस्तुओं से भर गये, परन्तु उनका कोई खरीदार नहीं था। मध्यम वर्ग के जिन लोगों का धन कल-कारखानों में शेयरों के रुप में लगा था, वे भी परेशान थे। सरकार ने ....
Question : ‘पुनर्जागरण संसार और मानव की खोज थी।’
(2002)
Answer : पुनर्जागरण में प्राचीन मूल्यों की संस्थापना का प्रयत्न एवं नयी वैज्ञानिक अवधारणाओं को प्रचारित करने का संकल्प सम्मिलित था। भौगोलिक खोजों के आलोक में प्राचीन भ्रमात्मक धार्मिक विचारों का खंडन संभव हो सका एवं प्रयोग एवं परीक्षण पर आधारित नये दृष्टिकोण का सृजन भी। प्रथमतः तो मैगलन जैसे नाविक के समुद्री यात्र से क्रिश्चियन धर्म की इस अवधारणा कि विश्व एक चौड़ा भूखंड है का खंडन संभव हुआ एवं पुनः इस शंका का निवारण भी ....
Question : "विउपनिवेशीकरण (Decoloni Sation) ने साम्राज्यों के विघटन को बढ़ावा दिया।"
(2001)
Answer : यह सत्य है कि विउपनिवेशीकरण ने अनेक साम्राज्यों के विखंडन का मार्ग प्रशस्त कर दिया। द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त होने के 25 वर्षों के अंदर ही एशिया, अफ्रीका तथा लातिन अमेरिका के बहुत से देश जो परतंत्र थे, स्वतंत्र हो गये। अन्य जो बचे थे वे भी अगले पांच वर्षों में स्वतंत्र हो गये। विउपनिवेशीकरण ने औपनिवेशिक शक्तियों की सैनिक शक्ति के साथ-साथ आर्थिक शक्ति को भी छिन्न-भिन्न कर दिया। अनेक यूरोपीय देश जो औपनिवेशिक शक्ति ....
Question : 19वीं सदी में अफ्रीका में यूरोपीय साम्राज्यवाद के विभिन्न चरणों को रेखांकित करें।
(2001)
Answer : अफ्रीका में उपनिवेशवाद की शुरुआत 19वीं सदी में हुई। यूरोप के निकट स्थित होने के बावजूद यूरोपवासी इस महाद्वीप की भौगोलिक स्थिति से अनभिज्ञ थे। उन्हें मिस्र, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया तथा मोरक्को जैसे तटीय देशों को छोड़कर अफ्रीका के शेष भागों का ज्ञान तक नहीं था। उत्तरी तट पर फ्रांस ने 1830 ई. में अल्जीरिया को अपने संरक्षण में ले लिया। 1843 ई. में इंग्लैंड ने केप उपनिवेश तथा बाद में नाटाल पर अधिकार कर लिया।
पश्चिमी ....
Question : बिस्मार्क ने लौह एवं रक्त की नीति के आधार पर नए जर्मनी का निर्माण किया।"
(2001)
Answer : जर्मनी के एकीकरण का रचयिता ओटोवॉन बिस्मार्क अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए रक्त एवं लौह (सैन्यवाद) की नीति में विश्वास करता था। प्रशियन डाइट के लोकप्रिय सदन के प्रतिरोध की परवाह न करते हुए बिस्मार्क ने महत्वाकांक्षी सैन्यीकरण के कार्यक्रम को जारी रखा। इसने न केवल भारी मात्र में सैनिकों की भर्ती की अपितु उन्हें अत्याधुनिक हथियारों के प्रयोग करने तथा प्रशिक्षण देने की भी व्यवस्था की। इसका परिणाम यह हुआ कि प्रशा ....
Question : नेपोलियन के साम्राज्य का पतन उसमें अंतर्निहित त्रुटियों एवं आत्मघाती विरोधाभासों के कारण हुआ। स्पष्ट करें।
(2001)
Answer : नेपोलियन के विशाल साम्राज्य का पतन उसमें अंतर्निहित आत्मघाती विरोधाभासों का तार्किक परिणाम था। वह अपने विनाशकारी जाल में खुद फंस गया और ब्रिटिश प्रतिरोध के समक्ष उसका टिक पाना मुश्किल हो गया। 1803 से लेकर 1814 ई. में नेपोलियन के पतन तक यूरोप में कोई संधि नहीं हुई। उसने ब्रिटेन पर आक्रमण करने का असफल प्रयास किया। ट्रैफल्गर के युद्ध में ब्रिटेन की नौसैनिक क्षमता की सर्वोच्चता स्पष्ट हो गयी। इसलिए नेपोलियन ने आर्थिक ....
Question : "मार्क्सवादी साम्यवाद मुख्यतया जर्मन हीगलवाद और फ्रांसीसी समाजवाद की संतान है।"
(2001)
Answer : मार्क्सवादी विचारधारा प्रमुख रूप से जर्मन की हीगलवादी विचारधारा तथा फ्रांसीसी समाजवादी विचारधारा की संतान है। कार्ल मार्क्स 19वीं शताब्दी के मध्य में यूरोप में उपजे बौद्धिकवादी तथा आदर्शवादी विचारधाराओं से प्रभावित था। इस बौद्धिक विचारधारा में समाजवादी रुझान तथा फ्रांसीसी क्रांति के नारे तथा हीगल के दर्शन का समावेश था।
बर्लिन विश्वविद्यालय में अपने अध्ययन के दौरान कार्ल मार्क्स पर हीगल के दर्शन का गंभीर प्रभाव पड़ा। मार्क्स हीगल के दर्शन के इतिहास तथा तर्कशास्त्र ....
Question : फ्पेरिस (शांति सम्मेलन) में केवल सिद्धांतों का ही अंतर नहीं था वरन व्यक्तित्व का भी टकराव था।"
(2001)
Answer : प्रथम विश्व युद्ध के समापन के बाद पेरिस में आयोजित शांति सम्मेलन न केवल वैचारिक विरोधाभाषों से भरपूर था अपितु विश्व के महत्वपूर्ण नेताओं, अमेरिकन राष्ट्रपति वुडरो विल्सन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री लायड जार्ज, फ्रांसीसी प्रधानमंत्री क्लीमेंसू तथा इटली के प्रधानमंत्री ओरलैंडो के आपसी व्यक्तित्वों का भी संघर्ष था। वुडरो विल्सन यहां पर भेदभाव रहित तथा न्याय पर आधारित लंबी शांति की स्थापना हेतु अमेरिकी प्रतिनिधि मंडल का प्रतिनिधित्व करते हुए आये थे। विल्सन एक आदर्शवादी थे, ....
Question : अरब लीग के गठन के उद्देश्यों की चर्चा करें तथा अरब राष्ट्रों के हितों की रक्षा में इसकी भूमिका का मूल्यांकन करें।
(2001)
Answer : ‘अरब लीग’ की स्थापना का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच पारस्परिक संबंधों को मजबूत करने के लिए होने वाले समझौतों को लागू करना, समय-समय पर उनकी बैठक बुलाना, राजनीतिक क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना, सदस्य राष्ट्रों की स्वतंत्रता तथा संप्रभुता की रक्षा करना, अरब राष्ट्रों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करना तथा आर्थिक, सांस्कृतिक व यातायात क्षेत्र में एक-दूसरे का सहयोग करना है।
अरब लीग के मुख्य सिद्धांत इस प्रकार हैं: सदस्य राष्ट्रों की संप्रभुता व क्षेत्रीय ....
Question : द्वितीय विश्व युद्ध के उत्तरवर्ती परिदृश्य में महायुद्ध के दौरान के मित्र, शांतिकाल में मित्र नहीं रह गये। अपने अध्ययन की कालावधि के दौरान इस मत की सत्यता का परीक्षण कीजिये।
(1999)
Answer : द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के पश्चात् विश्व के राजनीतिज्ञों व नागरिकों को यह आशा थी कि संसार में अब दीर्घकालीन शांति स्थापित हो जायेगी और विजयी मित्र राष्ट्र युद्धकालीन मित्रता एवं सहयोग को बनाये रखकर युद्धोत्तर कालीन जटिल समस्याओं को भी आपसी सूझबूझ से सुलझा लेंगे। किन्तु लोगों की यह आशा फलीभूत न हो सकी। यह सत्य है कि हिटलर को परास्त करने के लिए ब्रिटेन और अमेरिका ने रूस से सहयोग किया था किन्तु ....
Question : फ्स्टालिन का रूस एक निरंकुश शासन का देश था।" इस विचार का आलोचनात्मक दृष्टि से परीक्षण कीजिये।
(1999)
Answer : 1924 में लेनिन की मृत्यु के बाद अपनायी जाने वाली नीतियों को लेकर शासक कम्युनिस्ट पार्टी में अनेक गंभीर मतभेद उभरे जो अस्तित्व में रहने वाली अकेली राजनीतिक पार्टी थी। विभिन्न समूहों और अलग-अलग नेताओं के बीच सत्ता के लिए गंभीर संघर्ष भी चल रहे थे। इस संघर्ष में स्टालिन की विजय हुई। 1927 में ट्राटस्की को, जिसने क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी और लाल सेना का गठन किया था, कम्युनिस्ट पार्टी से निकाल ....
Question : विश्वयुद्धों के बीच की अवधि में नये यूरोपीय समाज के उत्थान और विकास का विवरण दीजिये।
(1999)
Answer : प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्धों के बीच के 20 वर्ष का काल दुनिया भर में जबर्दस्त परिवर्तनों का दौर था। यूरोप में ऐसी अनेक घटनाएं हुईं, जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के लिए उपयुक्त वातावरण बनाया। इस काल में एक व्यापक आर्थिक संकट आया जिसने दुनिया के लगभग सारे भागों और खासकर पश्चिम के सबसे उन्नत पूंजीवादी देशों को प्रभावित किया। इस काल में हुए परिवर्तन और विकास द्वितीय विश्वयुद्ध के कारणों को ही नहीं बल्कि युद्ध ....
Question : दुनिया की खोज के अग्रणी देश, पुर्तगाल और स्पेन समुद्र पार स्थित देशों को जीतने की दौड़ में भी प्रथम थे।
(1999)
Answer : भौगोलिक खोजों का आधुनिक विश्व के इतिहास में अद्वितीय स्थान है। यूरोपीय देशों की सुदूर सामुद्रिक यात्राओं की महत्वपूर्ण उपलब्धियों के परिणाम स्वरूप विश्व के इतिहास में एक नये युग का आरंभ हुआ। यूरोपवासियों की निरंतर बढ़ती हुई आर्थिक आवश्यकताएं भौगोलिक खोजों का महत्वपूर्ण कारण थी। इस स्थिति में पश्चिम यूरोप के देश विशेष रूप से पुर्तगाल एवं स्पेन ऐसे सुलभ जलमार्गों की खोज करने के लिए अत्यधिक व्यग्र थे जिससे उनको अरब तथा इटली ....
Question : जर्मनी के राजनीतिक एकीकरण को पूरी तरह बिस्मार्क ने अंजाम दिया।
(1999)
Answer : जर्मनी के एकीकरण का सूत्रधार बिस्मार्क ही था। बिस्मार्क का मुख्य उद्देश्यप्रशा को शक्तिशाली बनाकर, जर्मन संघ से आस्ट्रिया को बाहर निकालना एवं जर्मनी में उसके प्रभाव समाप्त करके प्रशा के नेतृत्व में जर्मनी का एकीकरण करना था। अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए बिस्मार्क को बहुत-सी आंतरिक एवं बाह्य कठिनाइयों का सामना करना पड़ा किन्तु वह बड़े साहस और लगन के साथ आगे बढ़ता गया। प्रशा के कंधों पर जर्मनी के एकीकरण का जो ....
Question : कुछ सीमा तक अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम ने फ्रांस की राज्य क्रांति को प्रेरित किया।
(1999)
Answer : अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम ने यूरोप के अन्य राष्ट्रों की आंखें खोल दीं। अमेरिका वासियों के स्वतंत्रता संग्राम और उनकी सफलता ने फ्रांस की जनता पर गहरा प्रभाव डाला और फ्रांस की राज्य क्रांति के नेताओं को जन्म दिया। फ्रांस ने अमेरिका को इंग्लैंड के विरुद्ध धन-जन से सहायता की। अमेरिका में फ्रांसीसी सैनिक अंग्रेजों के विरुद्ध लड़े भी। उपनिवेशवासी इस युद्ध में सफल रहे। उनकी सफलता ने फ्रांसीसियों को भी प्रेरित किया कि वे ....
Question : 1911 में नानकिंग में एक चीनी गणराज्य की घोषणा, जिसके राष्ट्रपति सन-यात-सेन थे, के साथ फ्पुराना चीन तेजी से निस्तेज होता चला गया।"
(1999)
Answer : चीन में 1911 का वर्ष ऐतिहासिक है। इस वर्ष में सदियों से चले आ रहे राजतंत्र की समाप्ति कर गणतंत्र की स्थापना की गयी जो चीन के इतिहास की पहली क्रांतिकारी घटना थी। इसके बाद चीन की पारंपरिक राजव्यवस्था धीरे-धीरे परिवर्तित होती चली गयी। डॉ- सनयात सेन जैसे ख्याति प्राप्त राष्ट्र नेता इस गणराज्य के अध्यक्ष बने। डॉ सनयान सेन प्रखर राष्ट्रवादी नेता एवं उच्च चरित्र के व्यक्ति थे। उनके चिंतन पर पश्चिमी राजनीतिक प्रजातंत्र ....
Question : यूरोप के सामाजिक तथा आर्थिक जीवन में औद्योगिक क्रांति द्वारा महान परिवर्तन हुए। स्पष्ट कीजिये?
(1998)
Answer : आधुनिक युग के आरंभ में यूरोप में हुए पुनर्जागरण ने समाज में मध्य वर्ग और मध्यवर्गीय मूल्यों की स्थापना करके एक नये युग का आरंभ किया था, लेकिन लम्बे समय तक मध्यवर्ग की शक्ति उजागर नहीं हो पायी थी। औद्योगिक क्रांति ने इस वर्ग की शक्ति को अभिव्यक्त किया। अब वैज्ञानिकों, कुशल शिल्पियों, प्रबंधकों आदि का प्रभाव बढ़ गया।
औद्योगिक क्रांति ने मजदूरों की संख्या में भारी वृद्धि की। श्रमिकों को अमानुषिक एवं निराशाजनक परिस्थितियों में ....
Question : लॉर्ड बीकन्ज़फील्ड ने बर्लिन सम्मेलन (1878) से लौटने पर यह दावा किया कि उन्होंने ‘‘सम्मानपूर्वक शांति की स्थापना की है।’’
(1998)
Answer : लॉर्ड बीकन्ज़फील्ड ने बर्लिन सम्मेलन (1878) से लौटने पर यह दावा किया कि उन्होंने ‘सम्मानपूर्वक शांति की स्थापना की है।’ इसमें कोई शक नहीं है कि इस सम्मेलन में की गयी संधि के आधार पर कुछ समय तक शांति बनी रही, मगर यह सम्मानपूर्वक संधि थी, यह कहना शायद गलत था। उसने रशिया (रूस) द्वारा व्यक्तिगत प्रभाव के अधिकार की मांग को अस्वीकार कर दिया था और उसे शक्तिशाली देशों की सामूहिक सत्ता को स्वीकार ....
Question : 15वीं सदी की भौगोलिक खोजों का एक महान प्रभाव यह था कि "यूरोप के लोगों में यह धारणा बढ़ने लगी कि अमेरिका, एशिया तथा अफ्रीका का व्यापक प्रयोग उन्हीं (यूरोप के लोगों) के लाभ के लिए किया जाना चाहिए।"
(1998)
Answer : 15वीं शताब्दी में हुए भौगोलिक खोजों के पीछे कई शक्तियां एक साथ काम कर रही थीं। पुनर्जागरण के लोगों ने मस्तिष्क को मध्ययुगीन विचारों के प्रभाव से मुक्त कर दिया था और लोगों को नये खोज करने के लिए भी प्रेरित किया था। भौगोलिक खोजों के लिए की गयी लम्बी-लम्बी समुद्री यात्राओं को इसी पुनर्जागरण की बाह्य अभिव्यक्ति माना जा सकता है। साथ ही, उस समय की व्यापारिक जरूरतों तथा भूमध्यसागर के रास्ते नये समुद्री ....
Question : रूस में लेनिन को ‘‘समाजवाद का पिता, क्रांति का संगठक और नये रूसी समाज का संस्थापक कहा गया है।’’ इस कथन का परीक्षण कीजिये।
(1998)
Answer : 1917 में साम्यवादी शासन व्यवस्था के अंतर्गत रूसी जनता में जो असंतोष व्याप्त था, वह 1920-21 से एक के बाद एक कृषक विद्रोह के रूप में प्रकट हुआ। असंतोष इतना व्यापक था कि क्रानस्टाट में स्थित सोवियत बेड़े के नाविकों तक ने, जो क्रांति के समर्थक थे, विद्रोह कर दिया और नया संविधान बनाने के लिए संविधान सभा का निर्वाचन कराने और मुक्त व्यापार फिर से आरंभ करने की मांग की। ऐसी स्थिति में अपनी ....
Question : 1853 के वर्षों में जापान का रूपांतर हुआ। स्पष्ट कीजिये।
(1998)
Answer : 1894 तक जापान अपने इतिहास के रूपांतरण काल को पूर्ण कर चुका था। उसने सरकार को स्वीकार कर लिया था और विस्तृत नौकरशाही व्यवस्था को स्थापित कर लिया था। स्वीकृत पश्चिमी नमूनों के आधार पर एक संविधान को स्थापित कर लिया गया था। पश्चिमी आधार पर शिक्षा पद्धति स्थापित कर ली गयी थी और इसके परिणाम भी अच्छे मिलने लगे थे। औद्योगीकरण का विकास अच्छी गति से हो रहा था और व्यापार एवं वाणिज्य की ....
Question : द्वितीय विश्व युद्ध का एक अत्यन्त महत्वपूर्ण परिणाम था ‘यूरोप का विभाजन’, पूर्वी एवम् पश्चिमी।
(1998)
Answer : दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सोवियत सेना 1995 के आरंभ में फिनलैण्ड को हराने के पश्चात् जर्मनी द्वारा हस्तगत किये गये कई देशों, प्रमुखतया पूर्वी यूरोप के देशों पोलैण्ड, रूमानिया, बुल्गारिया, हंगरी एवं चेकोस्लोवाकिया को आजाद कराने में सफल हो गयी थी। इन देशों में जर्मनी की शह पर फासिस्ट सरकार की स्थापना हो चुकी थी, जो सत्ता पर एकाधिकार की समर्थक थी। जब सोवियत सेना ने इन देशों को जर्मनी के प्रभाव से मुक्त ....
Question : अमेरिकी स्वतंत्रता के युद्ध ने ‘‘ग्रेट ब्रिटेन को एक साम्राज्य से तो वंचित कर दिया, लेकिन एक दूसरे साम्राज्य की नींवों को मजबूत किया।’’
(1998)
Answer : अमेरिकी स्वतंत्रता के युद्ध का तात्कालिक परिणाम यह हुआ कि अमेरिका, ब्रिटेन की गुलामी से स्वतंत्र हो गया और ब्रिटेन की सत्ता यहां से समाप्त हो गयी। यह घटना ब्रिटेन के लिए एक सबक थी कि किस तरह एक उपनिवेश का प्रशासन चलाया जाना चाहिए। अपने इस अनुभव से उन्होंने यह जाना कि उनसे अमेरिका में क्या गलतियां और भूलें हो गयी थीं और ऐसी गलतियों को अपने अन्य उपनिवेशों, विशेषकर भारत में नहीं दोहराना ....
Question : "राजतंत्रीय कुशासन ने यदि फ्रांस की क्रांति को प्रज्जवलित किया तो उच्चादर्शों ने उसे प्रेरित और प्रोत्साहित किया।"
(1997)
Answer : किसी भी देश में होने वाली क्रांति के बीज उस देश की जनता की स्थिति और मनोदशा में निहित रहते हैं। असंतोष को जन्म देने वाली भौतिक परिस्थितियां क्रांति हेतु आवश्यक पृष्ठभूमि तैयार करती है तथा बौद्धिक चेतना बहुजन को उन परिस्थितियों से मुक्ति पाने हेतु प्रेरित करती है।
फ्रांस में वंशानुगत निरंकुश राजतंत्र था तथा राजा स्वयं को पृथ्वी पर परमेश्वर का प्रतिनिधि मानता था। लुई सोलहवां (1774-1793) कहा करता था कि "यह चीज इसलिए ....
Question : "इटली के एकीकरण ने यूरोपीय व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया।"
(1997)
Answer : वियना व्यवस्था (1815) इटली के संदर्भ में एक राष्ट्रीय तथा सामाजिक हितों के विरुद्ध एक निर्णय था। 1848 में इटली में हुई क्रांति का उद्देश्य उदारवादी आर्थिक सुधार एवं संवैधानिक प्रशासन लागू करना था तथा येन-केन-प्रकारेण एकीकरण तथा स्वतंत्रता प्राप्त करना था।
कहा गया है कि क्रीमिया के कीचड़ से इटली का जन्म हुआ है और क्रीमिया युद्ध ने ही पारंपरिक यूरोपीय व्यवस्था को ध्वस्त करने की नींव रख दी, जबकि ऑस्ट्रिया और इटली के प्रतिनिधियों ....
Question : फ्रांस को अलग-थलग कर देना बिस्मार्क की विदेश नीति का मूलाधार था। व्याख्या कीजिये।
(1997)
Answer : बिस्मार्क प्रशा का एक भूस्वामी था। फ्रैंकफर्ट संसद (1848) के अधिवेशन में उन्होंने पहली बार राजनीति में भाग लिया। वहां उन्होंने प्रशा का प्रतिनिधित्व किया था। इस अधिवेशन में बिस्मार्क ने अपने आपको एक निर्मम एवं दृढ़ प्रतिज्ञ कूटनीतिज्ञ के रूप में प्रतिष्ठित किया।
बिस्मार्क का जन्म 1 अप्रेल, 1812 को ब्रैडनवर्ग में हुआ था। इनका चरित्र विचित्र था। उनकी नीतियों से प्रशा के उत्कर्ष में वृद्धि होने का सूत्रपात हुआ था। वास्तव में बिस्मार्क जर्मनी ....
Question : "राजतंत्रीय कुशासन ने यदि फ्रांस की क्रांति को प्रज्जवलित किया तो उच्चादर्शों ने उसे प्रेरित और प्रोत्साहित किया।"
(1997)
Answer : किसी भी देश में होने वाली क्रांति के बीज उस देश की जनता की स्थिति और मनोदशा में निहित रहते हैं। असंतोष को जन्म देने वाली भौतिक परिस्थितियां क्रांति हेतु आवश्यक पृष्ठभूमि तैयार करती है तथा बौद्धिक चेतना बहुजन को उन परिस्थितियों से मुक्ति पाने हेतु प्रेरित करती है।
फ्रांस में वंशानुगत निरंकुश राजतंत्र था तथा राजा स्वयं को पृथ्वी पर परमेश्वर का प्रतिनिधि मानता था। लुई सोलहवां (1774-1793) कहा करता था कि "यह चीज इसलिए ....
Question : विश्व युद्धों के बीच के वर्षों में जापान में हुए सैन्यवाद के विकास का विवेचन कीजिये? इससे किस प्रकार की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया को बढ़ावा मिला?
(1997)
Answer : 1915-19 की सक्रिय अवधि के बाद जापानी साम्राज्यवाद शांत सा हो गया था। लेकिन शीघ्र ही वह साम्राज्यवाद की राह पर चल पड़ा। फरवरी 1917 में जापान और ब्रिटेन के बीच एक गुप्त संधि हुई। जापान ने चीन से आश्वासन प्राप्त कर लिया कि वह प्रथम विश्व युद्ध के बाद शांतुंग प्रदेश तथा प्रशांत महासागर में स्थित द्वीपों पर जापानी अधिकारों का समर्थन करेगा। इस प्रकार प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात जापान पूर्वी एशिया की ....
Question : राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रूजवेल्ट की न्यूडील में फ्राजनीतिक अर्थव्यवस्था को एक नयी और अधिक आशापूर्ण दिशा में प्रेरित करने की विचार शक्ति थी।" क्या आप सहमत हैं?
(1997)
Answer : अमेरिकी इतिहास में राष्ट्रपति एफ-डी- रूजवेल्ट का कार्यकाल (1933-45) एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। रूजवेल्ट के पदासीन होने के समय देश पर आर्थिक मंदी छाई हुई थी और रूजवेल्ट ने अपना प्रथम कर्तव्य इस मंदी का निराकरण करना ही समझा। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए उसने न्यूडील की नीति चलाई यह योजना ‘नयी व्यवस्था’, ‘नयी सामाजिक एवं आर्थिक पद्धति’, ‘नया संदेश’ जैसे नामों से भी जानी जाती है। यह एक चतुर्मुखी योजना थी, जिसके अंतर्गत ....
Question : "वेस्टफेलिया की संधि ने यूरोपीय मन पर धर्मदर्शन के शासन को समाप्त कर दिया और यद्यपि इसने मार्ग को बाधापूर्ण छोड़ दिया, परन्तु वह तर्क बुद्धि के अन्वेक्षकों के लिए सुगम बन गया।"
(1997)
Answer : तीस वर्षीय युद्ध की समाप्ति पर हुई वेस्टफेलिया की संधि द्वारा लम्बे धार्मिक संघर्ष की समाप्ति हुई तथा सभ्यता और संस्कृति के दूसरे क्षेत्रों में प्रगति आरंभ हुई। वास्तव में पुनर्जागरण के कारण जो प्रगति आरंभ हुई थी, उसे धार्मिक झगड़ों ने गतिहीन कर दिया था। वेस्टफेलिया की संधि ने प्रगति को नवआयाम प्रदान किया। इस संधि के पश्चात् यूरोप में धार्मिक युद्ध सदा के लिए समाप्त हो गये और उनके स्थान पर राजनैतिक युद्ध ....
Question : विश्वव्यापी आर्थिक मंदी के कारण राजनीतिक परिमंडल में भी महत्त्वूपर्ण परिणाम आया।
(1996)
Answer : किसी भी देश की आर्थिक तथा राजनीतिक व्यवस्थाओं में एक अन्तर्सम्बन्ध होता है जो दोनों परस्पर एक-दूसरे पर प्रभाव डालती हैं। मन्दी के कारण जनता के सभी वर्गों को बेकारी, भुखमरी आदि कष्टों का समाना करना पड़ा, जिससे उनमें निराशा, अस्थिरता तथा असुरक्षा की भावना उत्पन्न हुई। लोकतांत्रिक सरकारें मंदी से उत्पन्न समस्याओं को सुलझाने में कामयाब न हो सकीं। फलतः लोकतंत्र के स्थान पर अधिनायकतंत्र को प्रोत्साहन मिलने लगा। इसी वजह से इटली में ....
Question : औद्योगिक क्रांति ने इंग्लैंड के चरित्र और संस्कृति को ही बदल दिया।
(1996)
Answer : इंग्लैंण्ड आज जो कुछ है वह औद्योगिक क्रान्ति की ही देन है। औद्योगिक क्रान्ति सबसे पहले इंग्लैण्ड में ही शुरू हुआ, और इसलिए इसके प्रभाव भी सबसे पहले वहीं देखे गये। इसने इंग्लैण्ड के चरित्र और संस्कृति को ऐसे बदल दिया कि पहले के इंग्लैण्ड से यह सर्वथा भिन्न हो गया। अब यह देश पूरी दुनिया का अगुवा हो गया।
औद्योगिक क्रान्ति से आये बदलाव सामाजिक आर्थिक, राजनैतिक एवं विचारधारा संबंधी अर्थात् लगभग सभी क्षेत्रों में ....
Question : ‘पुनर्जागरण द्वारा संसार और मानव के प्रति जो रुचि जगी उसी का दूसरा पक्ष था खोजों और अनुसंधानों का युग।’
(1996)
Answer : पुनर्जागरण के लौकिक दृष्टिकोण का संभवतः सबसे महत्वपूर्ण आधार था, मानवतावाद। मानवतावाद में ईश्वर के स्थान पर मनुष्य को प्रमुखता दी जाती है और इसलिए परलोक के स्थान पर इस संसार में रुचि अधिक होती है। पुनर्जागरण के द्वारा लोगों ने यह शिक्षा ली कि जीने में अपने आप में ही विशेष प्रकार का सुख है, जिसका परलोक के नाम पर त्याग करना उचित नहीं है। पुनर्जागरण के अधिकांश विद्वानों एवं वैज्ञानिकों ने मानव संसार ....
Question : फ्रांसीसी क्रांति (1789) में विद्यमान सामाजिक व्यवस्था के धार्मिक और धर्म निरपेक्ष दोनों की प्रकार के स्तंभों को उखाड़ने का यत्न किया। स्पष्ट कीजिये।
(1996)
Answer : फ्रांसीसी क्रांन्ति मुख्य रूप से विशेषाधिकार संपन्न लोगों के विरुद्ध सर्वसाधारण लोगों का प्रतिरोध था। फागे ने कहा भी है कि ‘फ्रांस की क्रांति जितनी राजंत्र के विरुद्ध नहीं थी उतनी असमानता के विरुद्ध थी। फ्रांसीसी समाज तीन वर्गों में बंटा था- पादरी, सामंत और सर्वसाधारण। इन्हें क्रम से प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय एस्टेट कहा जाता था। पहले वर्ग में एक लाख तीस हजार पादरी और दूसरे वर्ग में चार लाख सामंत या अभिजात थे। ....
Question : 1870 के बाद अफ्रीका के विभाजन के विविध चरणों को चित्रित कीजिये। इसका अन्तर्राष्ट्रीय संबंधों पर कैसा प्रभाव पड़ा?
(1996)
Answer : अफ्रीका की विजय ने खोजियों, व्यापारियों और धर्मप्रचारकों ने अपनी-अपनी भूमिकाएं निभाई। खोजियों ने इस अनजान महाद्वीप में यूरोपीयों की दिलचस्पी जगायी। दूसरी ओर धर्म प्रचारकों ने ईसाई मत के प्रसार के लिए इस महाद्वीप को उपयुक्त पया। इन दोनों द्वारा पैदा यिके हुए प्रभाव का व्यापारियों ने जल्द ही उपयोग किया। पश्चिमी सरकारों ने सेनाएं भेजकर इन सभी हितों को सहारा दिया। इस प्रकार अफ्रीका की विजय की भूमिका तैयार हो गयी।
अफ्रीका का विभाजन ....
Question : कमाल पाशा के मार्गदर्शन में हुए तुर्की के पुनर्जागरण ने अनेक स्तरों पर तुर्की जीवन में क्रान्ति का दी। विशद् विवेचन कीजिये।
(1996)
Answer : आधुनिक तुर्की का जन्मदाता कमाल पाशा को माना जाता है; इसलिए लोग उसे ‘अतातुर्क’ भी कहते हैं। ‘यूरोप का मरीज’ कहा जानेवाला देश कमाल के नेतृत्व में चंगा हो गया और एक आधुनिक एवं शक्तिशाली राष्ट्र बन गया। अपने दल के तीसरे अधिवेशन में कमाल ने सुधारों की एक विस्तृत योजना घोषित की। इस योजना में छः सिद्धांत निहित थे- गणतंत्रवाद, राष्ट्रवाद, समानतावाद, नियंत्रित अर्थवाद, धर्मनिरपेक्षतावाद तथा क्रान्तिवाद अथवा सुधारवाद। इन छः सिद्धान्तों को आधार ....
Question : कम्युनिस्ट इन्टरनेशनल और लीग ऑफ नेशन्स दोनों ने ही शक्ति संतुलन की समाप्ति की घोषणा कर दी।
(1996)
Answer : कम्युनिस्ट इन्टरनेशनल ने 1889 में अपने द्वितीय अधिवेशन में अन्तर्राष्ट्रीय शांति और स्थिरता के विचार से एक ‘संकल्प’ पारित किया था जिसमें सैन्यवाद और युद्ध के विरुद्ध आन्दोलन पर जोर दिया गया था। लगभग 30 वर्षों बाद राष्ट्रसंघ (लीग ऑफ नेशन्स) ने भी प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति और भयावहता के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय शांति की जरूरत महसूस की। अन्तर्राष्ट्रीय सद्भाव में वृद्धि करना, युद्ध के कारणों को मिटाना तथा विश्व में शान्ति स्थापित रखना राष्ट्रसंघ ....
Question : अमेरिकी क्रांति "एक वयस्क होते उपनिवेशी समाज के इतिहास में एक प्राकृतिक और अपेक्षित घटना थी।"
(1995)
Answer : 1776 ई. के पूर्व डेढ़ सौ साल के दौरान अमेरिकी समाज ब्रिटिश और यूरोपीय समाजों से भिन्न और अलग हो चुका था। 1776 ई. के बहुत पहले ही अमेरिका में स्वतंत्र होने की प्रक्रिया प्रारम्भ हो चुकी थी, क्रांति तो इस प्रक्रिया की परिणति थी। अमेरिकनों में यूरोप से भिन्न दुनिया में रहने का सबसे स्पष्ट लक्षण था- उनकी जीवन्त अर्थव्यवस्था, जो अमेरिका के बीहड़ों में विकसित हुई।
औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था की रीढ़ विविधतापूर्ण कृषि व्यवस्था थी। ....
Question : विदेशी शक्तियों द्वारा प्रभाव क्षेत्रों में विभाजित चीन 19वीं सदी में एक खेदयुक्त दृश्य था। चीन ने इसके प्रति किस प्रकार प्रतिक्रिया व्यक्त की?
(1995)
Answer : दो अफीम युद्धों के बाद चीन में पश्चिमी शक्तियों के हस्तक्षेप एवं प्रभाव बढ़ते ही चले गये, जिसकी परिणति ‘चीनी तरबूज’ के बंटवारे के रूप में हुई। इन पश्चिमी देशों की प्रारंभिक रुचि व्यापार में थी, जो देखते-ही-देखते राजनीतिक प्रभाव क्षेत्र बनाने में बदल गयी। नानकिंग की संधि द्वारा ब्रिटेन ने कैण्टन, अमोय, फुचाऊ, निगपो और शंघाई के पांच बन्दरगाह अपने व्यापारियों के लिए प्राप्त कर लिये। हांगकांग द्वीप भी हमेशा के लिए ब्रिटेन को ....
Question : इटली और जर्मनी के एकीकरण अपने प्रभावी मार्गों और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में अपने दीर्घकालीन प्रभावों की दृष्टि से विषमता द्योतक थे। व्याख्या कीजिये।
(1995)
Answer : इटली और जर्मनी के एकीकरण को प्रेरणा देने वाले तत्त्वों में विषमताओं की कमी नहीं है। यह सच है कि इटली और जर्मनी दोनों ही एकीकरण के पहले तक भौगोलिक शब्दावली के विषय बने हुए थे। नेपोलियन बोनापार्ट ने अनजाने में ही 300 राज्यों में बंटे जर्मनी को 39 राज्यों के परिसंघ में तब्दील कर दिया था। इटली के विभिन्न प्रदेशों में भी अपने संबंधियों को राजा बनाकर एकता के सूत्र में बांध दिया था। ....
Question : सेडान के युद्ध (1870) की समाप्ति पर "यूरोप ने एक स्वामिनी को खो दिया और एक स्वामी को प्राप्त कर लिया।"
(1995)
Answer : प्रशा और फ्रांस के बीच सेडान के युद्ध (1870) की जर्मनी के एकीकरण में निर्णायक भूमिका है। बिस्मार्क कहता था कि फ्रांस से युद्ध तो इतिहास की तर्कसंगत परिणति है। बिस्मार्क ने अपनी कूटनीतिक चालों से विश्व की प्रमुख ताकतों इंग्लैंड, रूस, आस्ट्रिया आदि को तटस्थ बना दिया। नेपोलियन बोनापार्ट के समय से यूरोप की लगभग सभी प्रमुख-अप्रमुख घटनाओं पर फ्रांस का प्रभुत्व चलता आ रहा था और इसलिए वह यूरोप की स्वामिनी कही जा ....
Question : मुसोलिनी का अपने देश की राजनीतिक-सामाजिक समस्याओं का प्रति उत्तर ‘समवेत राज्य’ (Corporate State) था। व्याख्या कीजिये।
(1995)
Answer : प्रथम विश्व युद्ध में इटली मित्र राष्ट्रों की ओर से लड़ा था, फिर भी युद्धोत्तर शान्ति सम्मेलन में हुई लूट में उसे अपेक्षाकृत कम ही प्रादेशिक लाभ प्राप्त हुए। इससे इटली के नेता निराश और क्षुब्ध थे। नैराश्य की इस भावना के साथ ही एक घोर आर्थिक संकट भी जुड़ गया। युद्ध में इटली का काफी नुकसान हुआ था और उस पर विदेशी कर्ज का भारी बोझ लद गया था। देश के उद्योग धंधे तथा ....
Question : "पुनर्जागरण और धर्म सुधार आन्दोलन आधुनिक इतिहास में बौद्धिक और नैतिक जीवन के नवीनीकरण के लिए दो प्रतिस्पर्धी स्रोत हैं।"
(1995)
Answer : पुनर्जागरण और धर्म सुधार आन्दोलन दो ऐसे स्रोत हैं जिनके उत्पाद ने मानव जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिये। इन दोनों घटनाओं से पूर्व के मनुष्यों की चिंतन और जीवन शैली अलग थी जो परंपरा और रूढि़वादिता पर आधारित कही जा सकती है। लेकिन इन घटनाओं के बाद मानव जीवन में आये परिवर्तन ऐसे हैं जो आधुनिकता का श्रीगणेश करने के लिए जिम्मेदार माने जा सकते हैं। पुनर्जागरण ने मानव जीवन में बौद्धिकता का प्रवेश ....
Question : हिटलर की विदेश नीति में एक व्यवस्था का अण्वंश था… उसका दृष्टिकोण महाद्वीपीय था।"
(1995)
Answer : हिटलर की विदेश नीति आक्रामकता पर आधारित थी। जर्मनी की दुरावस्था के लिए वह वर्साय की संधि को उत्तरदायी समझता था। उसका मानना था कि यह संधि अन्यायपूर्ण है; इसलिए उसकी विदेश नीति का पहला कार्य वर्साय की संधि के विभिन्न शर्तों की धज्जियां उड़ाना था। सत्ता पर काबिज होते ही उसने जर्मनी को राष्ट्रसंघ, निरस्त्रीकरण सम्मेलन और श्रम संगठन से अलग कर दिया था। उसकी विदेश नीति की दूसरी विशेषता सर्व-जर्मनवाद थी, यानी सभी ....