यूरोपीय संघ का 'फिट फॉर 55' कानून


14 जुलाई, 2021 को यूरोपीय संघ ने 'फिट फॉर 55' पैकेज प्रस्तुत किया जो कि हरित गैसों के उत्सर्जन के संदर्भ में व्यापक परिवर्तनों को प्रस्तावित करता है। इसके अनुसार, वर्ष 2030 तक यूरोपीय संघ ग्रीन हाउस गैस (GHG) उत्सर्जन में 55 प्रतिशत (1990 के स्तर की तुलना में) तथा वर्ष 2050 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करेगा।

  • यूरोपीय संघ के प्रस्तावों को अंतिम रूप से एक कानून बनने से पूर्व यूरोपीय संसद और यूरोपीय राष्ट्रीय सरकारों के नेताओं द्वारा समर्थन की आवश्यकता होती है। इस प्रक्रिया में, लगभग 2 साल का समय लग सकता है।

पृष्ठभूमि

  • यूरोपीय संघ ने दिसंबर 2020 में पेरिस समझौते के तहत एक संशोधित राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (NDC) प्रस्तुत किया था।
  • नया पैकेज (फिट फॉर 55) प्रस्तावित परिवर्तनों के माध्यम से NDC और कार्बन तटस्थता लक्ष्य प्राप्त करने पर बल देता है। साथ ही यह, नियामक नीतियों और बाजार आधारित कार्बन मूल्य निर्धारण के मध्य संतुलन हासिल करने का दावा करता है।
  • प्रस्तावित परिवर्तन वर्ष 2030 तथा उसके बाद ऊर्जा के निष्पक्ष, प्रतिस्पर्धी और हरित संक्रमण को सुनिश्चित करके अर्थव्यवस्था, समाज और उद्योग को व्यापक रूप से प्रभावित करेंगे।

फिट फॉर 55 के मुख्य बिंदु

  • वाहन उत्सर्जन में कमी (Vehicular Emission Reduction)
    • इसमें यह प्रस्तावित है कि, वाहनों से होने वाले कार्बन उत्सर्जन में 2030 तक 55 प्रतिशत और 2035 तक 100 प्रतिशत की कटौती की जाएगी, जिसका अर्थ है कि 2035 तक पेट्रोल और डीजल चालित वाहनों को अन्य वाहनों के साथ प्रतिस्थापन किया जाएगा।
    • सार्वजनिक धन के उपयोग द्वारा प्रमुख राजमार्गों पर प्रत्येक 60 किलोमीटर पर चार्जिंग स्टेशनों को स्थापित किया जाएगा। इस कदम के माध्यम से इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री तथा वाहन उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा।
    • इसके अंतर्गत, हाइड्रोजन ईंधन स्टेशनों के नेटवर्क को विस्तृत करने की भी चर्चा की गई है।
  • कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (Carbon Border Adjustment Mechanism- CBAM)
    • कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (Carbon Border Adjustment Mechanism- CBAM) के अंतर्गत विदेशी उत्पादकों को अपने उत्पादों का निर्माण करते समय उत्सर्जित कार्बन के लिए भुगतान करने की आवश्यकता होगी। कार्बन की अतिरिक्त कीमतों को शामिल करने का उद्देश्य यह है कि उपभोक्ताओं को कार्बन-सघन उत्पादों को खरीदने से हतोत्साहित करने के साथ उत्पादकों को स्वच्छ प्रौद्योगिकियों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
    • समायोजन उन ऊर्जा-गहन उत्पादों पर लागू किया जाएगा जिनका यूरोपीय संघ द्वारा व्यापक रूप से व्यापार किया जाता है। इन उत्पादों में लौह-इस्पात, एल्यूमीनियम, सीमेंट, उर्वरक और बिजली आदि शामिल हैं।
  • नवीकरणीय एकीकरण को बढ़ावा
    • वर्ष 2030 तक यूरोपीय संघ के ऊर्जा मिश्रण में अक्षय स्रोतों के बाध्यकारी लक्ष्य को 40% (पहले के 32% की तुलना में) और ऊर्जा दक्षता में 36% (पहले 32.5% की तुलना में) सुधार करने का लक्ष्य रखा गया है।
  • उत्सर्जन व्यापार प्रणाली (Emissions Trading System)
    • यूरोपीय संघ के वर्तमान उत्सर्जन व्यापार प्रणाली से हटकर इमारतों और सड़क परिवहन के लिए एक नवीन उत्सर्जन व्यापार प्रणाली (ETS) का निर्माण किया जाएगा।
    • इसके 2026 तक प्रारंभ हो जाने का अनुमान है।
    • ETS एक बाजार आधारित उपकरण हैं जिसमें लागत-प्रभावी होने की स्थिति में उत्सर्जन को कम करने के लिए प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है।
  • सामाजिक जलवायु कोष
    • कम आय वाले नागरिकों तथा छोटे व्यवसायियों को नए उत्सर्जन व्यापार प्रणाली में समायोजित करने के लिए एक सामाजिक जलवायु कोष का निर्माण किया जाएगा। इसकी सहायता से इमारतों के नवीनीकरण तथा कम कार्बन उत्सर्जन परिवहन को बढ़ावा दिया जाएगा।
    • इस कोष का गठन, नवीन उत्सर्जन व्यापार प्रणाली से प्राप्त राजस्व के 25 प्रतिशत भाग का उपयोग किया जाएगा।
  • यूरोपीय संघ की अवशोषण क्षमता में वृद्धि करना
    • यूरोपीय संघ की अवशोषण क्षमता को 310 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के समकक्ष तक बढ़ाए जाने का प्रस्ताव है। इसे सदस्य देशों द्वारा विशिष्ट राष्ट्रीय लक्ष्यों को निर्धारित करके प्राप्त किया जाएगा।

मूल्यांकन

  • 2030 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 1990 के स्तर से 55 प्रतिशत कम करने का यूरोपीय संघ का लक्ष्य अमेरिका की तुलना में कहीं अधिक है।
  • अमेरिका इसी अवधि में उत्सर्जन को 40 प्रतिशत से 43 प्रतिशत तक कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। ब्रिटेन ने उत्सर्जन में 68 प्रतिशत की कमी करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
  • CBAM को एक प्रस्ताव के रूप में देखा जा रहा है जो व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) द्वारा निर्धारित वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन पर अत्यंत ही सीमित प्रभाव डालेगा। यह कई विकासशील देशों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।
  • 'फिट फॉर 55' पैकेज यूरोप को इलेक्ट्रिक कार बैटरी, अपतटीय पवन उत्पादन तथा हाइड्रोजन आधारित वाहनों से संबंधित तकनीकों के विकास में मदद कर सकता है।
  • इस प्रकार के प्रयास कई उपभोक्ताओं और कंपनियों के लिए एक प्रकार का आर्थिक बोझ हो सकते हैं, जिससे विभिन्न प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं की लागत बढ़ सकती है।
  • उपरोक्त प्रस्ताव स्टील निर्माण जैसे प्रदूषणकारी उद्योगों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेगा। यूरोपीय संघ में इन उद्योगों के माध्यम से प्रत्यक्ष रूप में लगभग 330,000 लोगों को रोजगार प्राप्त होता है।

भारत के लिए निहितार्थ

  • भारत, यूरोपीय संघ का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। UNCTAD के एक हालिया अध्ययन में भविष्यवाणी की गई है कि भारत को स्टील और एल्यूमीनियम जैसे ऊर्जा-गहन उत्पादों के निर्यात में 1-1.7 बिलियन डॉलर का नुकसान होने की संभावना है।
  • भारतीय कंपनियों को नवीकरणीय बिजली तथा ऊर्जा दक्षता संबंधित क्षेत्रों में निवेश करना चाहिए। भारतीय कंपनियां न्यून कार्बन विकल्पों को प्रोत्साहित करने के लिए उत्सर्जन में कमी और आंतरिक कार्बन मूल्य निर्धारण के लिए विज्ञान आधारित लक्ष्यों को अपना सकती हैं।
  • भारतीय उद्योगों को यूरोपीय उद्योगों के साथ स्वच्छ प्रौद्योगिकी सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए। साथ ही, भारत अन्य बाजारों को किए जाने वाले निर्यात में विविधता लाने पर विचार कर सकता है।
  • सरकार उद्योगों के लिए प्रदर्शन-आधारित व्यापार योजना का विस्तार कर सकती है तथा MSME's द्वारा स्वच्छ प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए किए जाने वाले प्रयासों को वित्तीय मदद प्रदान कर सकती है।