रेड सैंडर्स फि़र से आईयूसीएन की ‘संकटग्रस्त’ श्रेणी में

रेड सैंडर्स या रेड सैंडलवुड (Red Sanders) को इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) की रेड लिस्ट में फिर से ‘संकटग्रस्त’ (Endangered) श्रेणी के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

महत्वपूर्ण तथ्यः रेड सैंडर्स या लाल चन्दन की इस प्रजाति का वैज्ञानिक नाम ‘टेरोकार्पस सैंटालिनस’ (Pterocarpus santalinus) है। यह एक भारतीय स्थानिक वृक्ष प्रजाति है, जिसकी पूर्वी घाट में एक सीमित भौगोलिक सीमा है।

  • यह प्रजाति आंध्र प्रदेश के विशिष्ट वन क्षेत्रें के लिये स्थानिक है। यह आंध्र प्रदेश के चित्तूर, कडपा, नेल्लोर, प्रकाशम जिलों में पाई जाती है।
  • इसे वर्ष 2018 में ‘संकटासन्न’ (near threatened) के रूप में वर्गीकृत किया गया था। नवीनतम आईयूसीएन आकलन के अनुसार पिछली तीन पीढि़यों में, प्रजातियों ने 50-80 प्रतिशत की आबादी में गिरावट का अनुभव किया है। इसलिए फिर से इसे ‘संकटग्रस्त’ (Endangered) श्रेणी में शामिल किया गया है।
  • यह मध्य दक्कन के कांटेदार झाड़ी/सूखे पर्णपाती वनों में, विशेषकर चट्टानी, पहाड़ी क्षेत्रें में उगता है।
  • रेड सैंडर्स अपने समृद्ध रंग और चिकित्सीय गुणों के लिए जाना जाता है। पूरे एशिया में, विशेष रूप से चीन और जापान में, सौंदर्य प्रसाधन और औषधीय उत्पादों के साथ-साथ फर्नीचर, लकड़ी के शिल्प और संगीत वाद्ययंत्र बनाने के लिए इसकी अत्यधिक मांग है।
  • रेड सैंडर्स CITES के परिशिष्ट II के तहत सूचीबद्ध है और अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए प्रतिबंधित है।

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