भारत द्वारा 100 अरब डॉलर प्रेषण प्राप्त

हाल ही में जारी विश्व बैंक की रिपोर्ट ‘माइग्रेशन एंड डेवलपमेंट ब्रीफ’ के अनुसार, भारत को वर्ष 2022 में प्रेषण (Remittance) के रूप में 2021 की तुलना में 12% की वृद्धि के साथ 100 बिलियन डॉलर प्राप्त होने की उम्मीद है।

  • वर्ष 2021 में भारत को प्रेषण में 89.4 बिलियन डॉलर प्राप्त हुआ था। विश्व बैंक के अनुसार, भारत दुनिया का पहला ऐसा देश है, जिसे विदेशों में प्रवासी कामगारों से 100 अरब डॉलर का प्रेषण प्राप्त हुआ है। भारत दुनिया में प्रेषण का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता है, उसके बाद मेक्सिको (दूसरा स्थान), चीन (तीसरा), मिस्र (चौथा) और फिलीपींस (पांचवां) है।
  • 2022 में निम्न और मध्यम आय वाले देशों में प्रेषण 5% बढ़कर लगभग 626 बिलियन डॉलर हो गया है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, कुल प्रेषण के 23% हिस्से के साथ, संयुक्त राज्य अमेरिका ने 2020-21 में शीर्ष स्रोत देश के रूप में संयुक्त अरब अमीरात को पीछे कर दिया है।

प्रेषण

  • प्रेषण का अर्थ है धन का हस्तांतरण। प्रेषण दो प्रकार के होते हैं- आवक और बहिर्गामी। यदि कोई व्यक्ति विदेश से भारत में पैसा भेजता है तो यह आवक प्रेषण है। यदि भारत का कोई व्यक्ति विदेश में किसी व्यक्ति को पैसा भेजता है तो इसे बहिर्गामी प्रेषण कहते हैं। इस प्रकार यहां प्रेषण का अर्थ है, वह धन जो देश के बाहर कार्यरत अनिवासी भारतीयों (NRI) द्वारा भारत में रहने वाले अपने परिवार या रिश्तेदारों को हस्तांतरित किया गया है।

अन्य प्रमुख आंकड़े

  • आरबीआई की रिपोर्ट का हवाला देते हुए विश्व बैंक का कहना है कि "2016-17 और 2020-21 के बीच, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और सिंगापुर से प्रेषण का हिस्सा 26 प्रतिशत से बढ़कर 36 प्रतिशत से अधिक हो गया है।
  • इसी समान अवधि में 5 जीसीसी देशों (सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, ओमान और कतर) की हिस्सेदारी 54 से घटकर 28 प्रतिशत हो गई।
  • भारत के लगभग 20 प्रतिशत प्रवासी संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम में रहते हैं।

आर्थिक परिदृश्य