UPPSC साक्षात्कार
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सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः यूपीपीसीएस 2019 में शानदार सफलता के लिए आपको हार्दिक बधाई।
बिंदुनन्दन सिंहः धन्यवाद।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपकी सफलता में परिवार, मित्रें व शिक्षकों का सहयोग कैसा रहा? आपकी पृष्ठभूमि ने आपकी सफलता में किस प्रकार योगदान किया?
बिंदुनन्दन सिंहः मैं अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता एवं अपने गुरुजनों के साथ बड़े भाई और मार्गदर्शक उपेन्द्र प्रताप सिंह (सहायक कमान्डेंट सीआरपीएफ) एवं अनूप कुमार सिंह (आईपीएस) को देना चाहता हूं, जिन्होंने मेरी इस यात्र में सदैव मेरे उत्साह को बनाए रखा। कोई भी सफलता मित्रें के सहयोग के बिना मुश्किल है अतः इस प्रयत्न यात्र में अपने मित्रें प्रभात, आशुतोष, अभिषेक, अनुज, शुभम के सहयोग का ऋणी हूं।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के गौरवमयी नागरिक सेवा संबंधी वातावरण एवं डॉ- ताराचन्द्र छात्रवास के चयनित अग्रजों ने उस भाव-बोधना का सृजन किया जिसने इस यात्र को आसान बनाया।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपने परीक्षा की तैयारी आरंभ कैसे की? तैयारी आरंभ करते समय आपने किन पहलुओं पर विशेष रूप से ध्यान दिया? परीक्षा की तैयारी शुरू करने का आदर्श समय क्या होना चाहिए?
बिंदुनन्दन सिंहः मैंने परीक्षा की तैयारी स्नातक में प्रवेश के साथ ही आरम्भ कर दी थी। विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम ने सिविल सेवा के पाठ्यक्रम से नैरंतर्य स्थापित करने में सहयोग किया। स्नातक के दौरान ही मैंने विषय की मूलभूत समझ के लिए एनसीईआरटी का अध्ययन किया और समझ विकसित होने के उपरान्त प्रामाणिक किताबों का अध्ययन प्रारम्भ किया।
स्नातक के प्रारंभ में ही सिविल सेवा के पाठ्यक्रम के प्रति समझ विकसित करते हुए तैयारी प्रारम्भ करनी चाहिए।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः भाषा माध्यम के कारण क्या आपको कोई लाभ हुआ? क्या आप मानते हैं कि अंग्रेजी भाषी लाभप्रद स्थिति में होते हैं?
बिंदुनन्दन सिंहः आरंभिक शिक्षा एवं स्नातक हिन्दी परिपाटी से करने के कारण भाषा की सहजता की दृष्टि से हिन्दी ही मेरे लिए सर्वोत्तम विकल्प था अतः मैंने हिन्दी को ही चुना। मेरी सलाह है कि आप जिस भाषा में सहज हों उसी भाषा को चुने।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपका वैकल्पिक विषय क्या था? इसके चयन का आधार क्या था? क्या वैकल्पिक विषय के चयन में आपने कथित लोकप्रियता को भी आधार बनाया?
बिंदुनन्दन सिंहः मेरा वैकल्पिक विषय हिन्दी साहित्य था। यह विषय छोटा होने के साथ अंकदायी भी है और साथ ही मेरे रुचि के अनुरूप भी है।
वैकल्पिक विषय के चयन में मैंने कथित लोकप्रियता को कभी आधार नहीं बनाया बल्कि अपने अभिरुचि को आधार बनाया जिससे मैं अपने वैकल्पिक विषय को बिना किसी तनाव के पढ़ सकूं।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः परीक्षा के तीनों चरणों की तैयारी के लिए आप कितना समय उपयुक्त मानते हैं? तीनों चरणों की तैयारी में आपकी समय की रणनीति एक जैसी रही या उसमें बदलाव भी किए?
बिंदुनन्दन सिंहः सिविल सेवा की तैयारी एक लम्बी प्रक्रिया है जिसमें 2 से 3 वर्ष का समय लग सकता है। तैयारी की प्रारंभिक अवस्था में प्रिलिम्स और मेंस को साथ में लेकर चलना चाहिए आगे प्रिलिम्स के समय 3-4 महीने का अलग से समय देना चाहिए और मेंस के समय अपने बनाए गए नोट्स को ध्यान में रखकर रिवीजन करना चाहिए और साक्षात्कार के समय ग्रुप डिस्कशन के माध्यम से समसामयिक विषयों पर पकड़ बनाने का प्रयास करना चाहिए।
इस परीक्षा की पूरी प्रक्रिया के दौरान अपने आप को सकारात्मक बनाए रखें।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन की अहमियत बढ़ा दी गई है। इसे पूरी तरह कवर करने व अच्छी तरह तैयार करने का सर्वाेत्तम तरीका क्या हो सकता है? मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन के विस्तृत पाठड्ढक्रम को देखते हुए इसकी तैयारी के लिए आपने क्या रणनीति अपनाई? परीक्षा भवन में प्रश्नों को हल करने के लिए क्या आपने कोई विशेष रणनीति अपनाई?
बिंदुनन्दन सिंहः मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन की अहमियत महत्वपूर्ण होती है, लेकिन इसके साथ-साथ वैकल्पिक विषय का भी महत्व है।
मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन पर पूरी तरह पकड़ बनाने के लिए मैंने अपने क्लास नोट्स के बार-बार रिवीजन पर जोर दिया साथ ही कुछ प्रामाणिक पुस्तकों से जरूरी तथ्यों, अवधारणाओं को नोट्स में सम्मिलित कर पाठ्यक्रम को पूरा करने का प्रयास किया।
इसके साथ ही टेस्ट सीरीज के माध्यम से अपने उत्तर में गुणवत्ता लाने का प्रयास किया_ साथ ही टेस्ट सीरीज के जो प्रश्न मुझे नहीं आते थे उनको कॉपी में नोट कर उनके अभ्यास पर जोर दिया, जिसका मुझे मुख्य परीक्षा में काफी सहयोग मिला। परीक्षा भवन में मैंने सबसे पहले उन प्रश्नों को हल किया जो अच्छी तरह से आते थे उसके बाद उन प्रश्नों को जो आधे-अधूरे आते थे। अन्त में उन प्रश्नों को हल किया जो एकदम से नहीं आते थे।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः क्या आपने अपने नोट्स बनाए? ये नोट्स किस प्रकार उपयोगी रहे? एक ही कोचिंग संस्थान के नोट्स का उपयोग कई छात्र करते हैं। ऐसे में इन नोट्स को औरों से अलग बनाने हेतु आपने क्या रणनीति अपनाई?
बिंदुनन्दन सिंहः कोचिंग के क्लास नोट्स के अलावा मैंने अपना एक अलग नोट्स बनाया था जो कि क्लास नोट्स का संक्षिप्त रूप था। इन नोट्स में विभिन्न टेस्ट सीरीज के कठिन प्रश्नों को शामिल कर विषय पर पकड़ बनाई जा सकती है, जो औरों के नोट्स से आपको बढ़त बनाए रखने में सहायता करेगी है।
सि-स- क्रॉनिकलः नीतिशास्त्र व सत्यनिष्ठा के प्रश्न-पत्र की तैयारी के लिए आपने क्या किया? छात्रें को इस संदर्भ में आप क्या मार्गदर्शन दे सकते हैं?
बिंदुनन्दन सिंहः नीतिशास्त्र व सत्यनिष्ठा के लिए मैंने डॉ- विकास दिव्यकीर्ति सर के नोट्स का अनुकरण किया था, जो काफी मददगार साबित हुआ।
विकास सर के नोट्स का अध्ययन कर अन्य छात्र अपने नीतिशास्त्र विषय पर पकड़ बना सकते हैं।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपने निबंध की तैयारी कैसे की और परीक्षा भवन में इसके चयन और लेखन के लिए क्या रणनीति अपनाई?
बिंदुनन्दन सिंहः निबंध के लिए मैंने समसामयिक मुद्दों पर पकड़ बनाई जिसमें सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल, Only IAS यू-ट्यूब चैनल का महत्वपूर्ण योगदान रहा साथ ही पर्यावरण, महिला, राजनीति जैसे विषयों के लिए अलग से Quotes (दोहे या कथन) का नोट्स बनाया जो परीक्षा में काफी मददगार रहा।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः उत्कृष्ट उत्तर लेखन शैली क्या होनी चाहिए? इसके लिए आपने तैयारी के दौरान क्या तरीका अपनाया?
बिंदुनन्दन सिंहः लेखन शैली के अन्तर्गत पहले, प्रश्न से संबंधित प्रस्तावना लिखना चाहिए, फिर मुख्य बिन्दु और अंत में निष्कर्ष के साथ खत्म करना चाहिए।
फ्रलो चार्ट, डायग्राम, रिपोर्ट, आंकड़े ये उत्तर को काफी प्रभावशाली बनाते हैं, साथ ही उत्तर को निबंधात्मक शैली में ना लिखकर प्वाइंट में लिखना चाहिए।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपने साक्षात्कार की तैयारी कैसे की? आपका साक्षात्कार कैसा रहा? आपसे कैसे प्रश्न पूछे गए? क्या किसी प्रश्न पर आप नर्वस भी हुए?
बिंदुनन्दन सिंहः मेरे साक्षात्कार की तैयारी में श्रेष्ठ एकेडमी का महत्वपूर्ण योगदान रहा, जहां शिवम सर के मार्गदर्शन में हमने समसामयिक विषयों पर ग्रुप डिस्कशन के द्वारा अपनी पर्सनालिटी में सुधार किया और आत्म विश्वास से परिपूर्ण हुए।
साक्षात्कार में किसान बिल, आत्मनिर्भर भारत, वैक्सीन पर प्रश्न पूछे गये वहीं म्-चालान में किस कैमरे का प्रयोग होता है एवं आप विज्ञान को साहित्य की भाषा में कैसे पढ़ाएंगे, के प्रश्न पर मैं काफी नर्वस हो गया था।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः क्या आपने कोचिंग ली? कोचिंग किस प्रकार उपयोगी रही? ऐसे छात्र जो तैयारी हेतु कोचिंग की सहायता लेना चाहते हैं, उन्हें आप क्या सुझाव देंगे?
बिंदुनन्दन सिंहः मैंने दृष्टि संस्थान से कोचिंग ली थी और कोचिंग के द्वारा मुझे ‘‘क्या पढ़ना है, क्या छोड़ना है, कैसे लिखना है’’ की सीख के साथ अवधारणाओं को समझने में काफी सहयोग मिला। कोचिंग लेने वाले छात्र को पहले अपने लिखित क्लास नोट्स पर कमांड करना चाहिए। तत्पश्चात प्रिंट मैटेरियल पर ऐसा अनुकरण कर छात्र विषय पर कमांड बना सकता है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः जो छात्र सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी आरंभ करना चाहते हैं, उन्हें आप क्या सुझाव देंगे? यदि कोई ग्रामीण पृष्ठभूमि का या आर्थिक रूप से कमजोर छात्र सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी आरंभ करना चाहता हो, तो ऐसे छात्र को क्या करना चाहिए?
बिंदुनन्दन सिंहः जो छात्र सिविल सेवा की तैयारी करना चाहते हैं उन्हें अपने स्नातक के पाठ्यक्रम को सही से पढ़ना चाहिए जो आगे सिविल सेवा में सहायक हो सकेगा। साथ ही एनसीईआरटी की बुक्स, वीडियो के माध्यम से समझ विकसित कर तैयरी करनी चाहिए।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः तैयारी में पत्र-पत्रिकाओं से आपको कितनी सहायता मिली? आपने किन पत्र-पत्रिकाओं का अध्ययन किया? सिविल सेवा परीक्षा के लिए इन पत्र-पत्रिकाओं की कितनी उपयोगिता है?
बिंदुनन्दन सिंहः पत्रिकाओं के तौर पर मैंने क्रॉनिकल और विजन का अनुकरण किया जो परीक्षा के तीनों चरण में मददगार रहें।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल पत्रिका आपको कैसी लगी? आपकी सफलता में इसका कितना योगदान है? क्या आप इसमें िकसी प्रकार के बदलाव की अपेक्षा रखते हैं?
बिंदुनन्दन सिंहः क्रॉनिकल मैगजीन प्रिलिम्स एक्जाम के लिए किसी रामबाण से कम नहीं है जो अन्य छात्रें की तुलना में आपको बढ़त बनाने में मददगार होगी।
अनुशंसित पुस्तक सूची प्रारंभिक परीक्षा
मुख्य परीक्षा
वैकल्पिक विषय - हिन्दी साहित्य
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सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः शानदार सफलता के लिए बधाई।
डॉ- ललित कुमार मिश्रः धन्यवाद।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलःक्या आप चयन के प्रति आश्वस्त थे?
डॉ- ललित कुमार मिश्रः हां, किंतु 6वीं रैंक के प्रति आश्वस्त नहीं था।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः कितने घण्टे का अध्ययन पर्याप्त होता है?
डॉ- ललित कुमार मिश्रः सिविल सेवा की तैयारी को घण्टों में बांधना उचित नहीं है। यह ध्यान रखना चाहिए आज कितना चैप्टर पढ़ा। लोग अपनी सुविधानुसार समय का विभाजन कर सकते है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः क्या सिविल सेवाओं की तैयारी में पृष्ठभूमि का कोई असर होता है?
डॉ- ललित कुमार मिश्रः पृष्ठभूमि का कोई असर नहीं होता। लेकिन अच्छे संस्थानों में पढ़ने का अपेक्षाकृत लाभ होता है। लेकिन कोचिंग संस्थान में सतत अध्ययन से इस कमी को पूरा किया जा सकता है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः इस परीक्षा के चयन में महत्वपूर्ण कारक आपके हिसाब से कौन है?
डॉ- ललित कुमार मिश्रः मैं सकारात्मक संगति को महत्वपूर्ण मानता हूँ। ‘ग्रुप स्टडी’ का कोई विकल्प नहीं है। लेखन क्षमता अति महत्वपूर्ण पक्ष है। अच्छी पुस्तकों के अध्ययन से लेखन क्षमता में रचनात्मक सुधार किया जा सकता है। मॉक टेस्ट सीरीज प्री व मेन्स दोनों के लिए अति महत्वपूर्ण है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः सिविल सेवा परीक्षा में निबन्ध की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसकी तैयारी के लिए आप की क्या रणनीति थी?
डॉ- ललित कुमार मिश्रः कुछ महत्वपूर्ण निबंधों को मैंने लिख लिया था। मेरी यह सलाह है सभी प्रतियोगियों को उद्धरण की एक कॉपी बनानी चाहिए।
निबंध लेखन में लोक, कविताएं, अंग्रेजी साहित्य के उद्धरण का बखूबी प्रयोग करना चाहिए।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः कभी-कभी तैयारी में लम्बा समय लग जाता है तो अध्ययन में निरन्तरता कैसे बनाई जा सकती है?
डॉ- ललित कुमार मिश्रः मैं सदैव से यह विश्वास करता हूं कि सार्थक जीवन जीना लक्ष्य है, प्रतियोगी परीक्षा पास करना द्वितीयक उद्देश्य। अपनी रुचि का कार्य करते रहना चाहिए। सकारात्मक लोगों केसम्पर्क में रहना चाहिए। कल उच्च पद पर चयन हो जाएगा तब यह कार्य करूंगा, ऐसा नहीं होना चाहिए। खुद पर सदैव आत्मविश्वास रखना चाहिए। उचित मेहनत एवं सार्थक रणनीति से सफलता एक दिन अवश्य मिलती है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः वैकल्पिक विषय में अपनी रणनीति बताइये?
डॉ- ललित कुमार मिश्रः मेरा वैकल्पिक विषय संस्कृत साहित्य था। संस्कृत में आधुनिक संस्कृत साहित्य के तथ्यों को अवश्य शामिल करना चाहिए तथा कई प्रश्नों के उत्तर में अन्य साहित्य जैसे अंग्रेजी साहित्य, हिन्दी साहित्य के साथ तुलनात्मक लिखना अंकदायी होता है। अंग्रेजी के उद्धरणों का भी प्रयोग किया जा सकता है।
यूपीपीसीएस 2020 से उत्तर पुस्तिका में पृष्ठ भी कम कर दिये गये है, अतः उत्तरों को संक्षिप्त व बिन्दुवार रूप में लिखना आवश्यक है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः साक्षात्कार की रणनीति पर प्रकाश डालिए?
डॉ- ललित कुमार मिश्रः साक्षात्कार सतत एवं क्रमिक प्रक्रिया है जिसके लिए प्रारम्भ से ध्यान देना चाहिए। चतुर्थ प्रश्न-पत्र के भावनात्मक प्रज्ञता, अभिवृत्ति तथा सिविल सेवा गुणों, सत्यनिष्ठा इत्यादि को अच्छे से तैयार करना चाहिए।
देवप्रयागम एकेडमी के बुकलेट को पढ़ना चाहिए जो साक्षात्कार संबंधित सामान्य प्रश्नों का संग्रह होता है। इस बार मुख्य परीक्षा के रिजल्ट व साक्षात्कार में समय कम था, इसलिए सभी ने थोड़ी दिक्कत महसूस की। वैकल्पिक विषय तथा स्नातक स्तर के विषय को भी साक्षात्कार पूर्व देख लेना चाहिए।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः साक्षात्कार में पूछे गये प्रश्न?
डॉ- ललित कुमार मिश्रः असिस्टेण्ट प्रो- जैसे उच्च जॉब में होने पर भी SDM क्यों बनना चाहते हैं?
- म्यांमार समस्या
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति
- असिस्टेण्ट प्रो- व SDM किसके पास लोग ज्यादा जाएंगे?
- महिला व पर्यावरण सम्बन्धी योजनाएं आदि।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः चयन के लिए कितना समय पर्याप्त है तथा किस स्तर पर तैयारी शुरू कर देना चाहिए।
डॉ- ललित कुमार मिश्रः 1 से ½ वर्ष पर्याप्त है। मेरे हिसाब से ग्रेजुएशन के समय केवल ग्रेजुएशन पर ध्यान देना चाहिए। इससे व्यक्तित्व का निर्माण सहज होता है। किन्तु स्नातक के बाद तैयारी में लग जाना चाहिए। मैंने तो काफी देर से तैयारी शुरू की। परास्नातक के बाद तैयारी प्रारम्भ की।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः जॉब में रहते हुए अध्ययन के लिए कैसे समय निकाला जाता है?
डॉ- ललित कुमार मिश्रः जॉब करते समय अध्ययन करना अपेक्षित रूप से कठिन होता है, किन्तु चूंकि इसमें आत्मविश्वास एवं ऊर्जा बनी रहती है अतः कम समय में ही अधिक अध्ययन सम्भव होता है। इसमें अनुशासन व त्याग की ज्यादा जरूरत पड़ती है।
प्रतिदिन का टारगेट बनाकर इसमें अध्ययन करना चाहिए। जिस दिन ज्यादा समय मिले ज्यादा अध्ययन करना चाहिए।
मैं महाविद्यालय के प्राचार्य तथा अन्य प्राध्यापकों के सकारात्मक सहयोग के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करता हूं, जिन्होंने सदैव सकारात्मक प्रेरणा दी। तैयारी के समय की परेशानियों को सहज भाव से लेना चाहिए।
"Our sweetest songs are those that
tell of Saddest thought"
"If Winter Comes, Can be spring for behind"
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः एथिक्स के अध्ययन की रणनीति सुझाइये।
डॉ- ललित कुमार मिश्रः लेक्सिकॉन (Lexicon) को मैं रामबाण मानता हूं तथा इसके अन्तिम पृष्ठों में लिखे गये उद्धरण का प्रयोग करके उत्तर को आकर्षक बनाया जा सकता है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः क्या प्रतियोगी छात्रें को तैयारी के समय वैकल्पिक रोजगार पर ध्यान देना चाहिए?
डॉ- ललित कुमार मिश्रः प्रारम्भिक एक-दो वर्ष में चयन न होने पर व्यक्ति को वैकल्पिक रोजगार के विषय में ध्यान देना चाहिए क्योंकि इससे आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। ऊर्जास्वित होकर व्यक्ति अपने लक्ष्य पर एकाग्र होता है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आगामी परीक्षाओं के लिए सन्देश।
डॉ- ललित कुमार मिश्रः समाज, परिवार व मित्रें के प्रति दायित्वों का निर्वाह करते हुए अटूट आत्मविश्वास रखना चाहिए। एक दो असफलताओं से न घबराते हुए सदैव अध्ययनरत होना चाहिए। मॉक टेस्ट सीरीज करते रहना चाहिए तथा अपनी कमियों में सुधार करते रहना चाहिए। सफलता निश्चित मिलती है, इसका सदैव ध्यान रखना चाहिए।
'प्रसादे सर्वदुः खाना हानिरस्योपजायतेय् (गीता)
सदैव प्रसन्न रहना चाहिए। टापर्स भी समाज के अंदर से होते हैं। हर व्यक्ति में टॉप करने की क्षमता होती है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः क्रॉनिकल पत्रिका का योगदान स्पष्ट करिये?
डॉ- ललित कुमार मिश्रः क्रॉनिकल पत्रिका का परीक्षा के तीनों चरणों में महत्वपूर्ण स्थान है। क्रॉनिकल पत्रिका के लेख मुख्य परीक्षा के लिए अति महत्वपूर्ण है।
धन्यवाद
मुख्य परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण पुस्तकें
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सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः यूपीपीसीएस 2019 में शानदार सफलता के लिए आपको हार्दिक बधाई। आपकी सफलता में परिवार, मित्रों व शिक्षकों का सहयोग कैसा रहा? आपकी पृष्ठभूमि ने आपकी सफलता में किस प्रकार योगदान किया?
संत रंजन श्रीवास्तवः बहुत-बहुत धन्यवाद। मेरी सफलता में परिवार, मित्र, माता-पिता, बहनें, बड़े मम्मी-पापा, मामा आनंद श्रीवास्तव तथा मौसा अनीश श्रीवास्तव का अति योगदान रहा।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपने परीक्षा की तैयारी आरंभ कैसे की? तैयारी आरंभ करते समय आपने किन पहलुओं पर विशेष रूप से ध्यान दिया? परीक्षा की तैयारी शुरू करने का आदर्श समय क्या होना चाहिए?
संत रंजन श्रीवास्तवः वैसे तो इस परीक्षा की तैयारी स्नातक अंतिम वर्ष के दौरान शुरू करनी चाहिए, किंतु इस परीक्षा की तैयारी कभी भी शुरू कर सकते हैं। मैंने सबसे पहले पाठ्यक्रम को 3-4 बार पढ़ा तथा नोट्स बनाना शुरू किया।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः भाषा माध्यम के कारण क्या आपको कोई लाभ हुआ? क्या आप मानते हैं कि अंग्रेजी भाषी लाभप्रद स्थिति में होते हैं?
संत रंजन श्रीवास्तवः मेरा माध्यम हिन्दी था। समस्या माध्यम की नहीं ‘कंटेंट’की है। जो सामग्री हिन्दी भाषा में उपलब्ध नहीं है, उसे अंग्रेजी में पढ़कर उसका हिन्दी में नोट्स बना लें।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपका वैकल्पिक विषय क्या था? इसके चयन का आधार क्या था? क्या वैकल्पिक विषय के चयन में आपने कथित लोकप्रियता को भी आधार बनाया?
संत रंजन श्रीवास्तवः मेरा वैकल्पिक विषय इतिहास था। मेरे वैकल्पिक विषय चयन का आधार-
- इतिहास में रुचि
- इतिहास का अंकदायी होना
- इतिहास की सामान्य अध्ययन में उपयोगिता
- इतिहास में अध्ययन सामग्री व गाइडेंस की उपलब्धता।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः परीक्षा के तीनों चरणों की तैयारी के लिए आप कितना समय उपयुक्त मानते हैं? तीनों चरणों की तैयारी में आपकी समय की रणनीति एक जैसी रही या उसमें बदलाव भी किए?
संत रंजन श्रीवास्तवः तीनों चरणों की तैयारी के लिए 1-2 वर्ष पर्याप्त है। मैंने तीनों चरणों की संयुक्त तैयारी शुरू की, किंतु जब जो परीक्षा नजदीक होती थी, तो एक माह केवल उसी पर फोकस करता था।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन की अहमियत बढ़ा दी गई है। इसे पूरी तरह कवर करने व अच्छी तरह तैयार करने का सर्वाेत्तम तरीका क्या हो सकता है? मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन के विस्तृत पाठ्यक्रम को देखते हुए इसकी तैयारी के लिए आपने क्या रणनीति अपनाई? परीक्षा भवन में प्रश्नों को हल करने के लिए क्या आपने कोई विशेष रणनीति अपनाई?
संत रंजन श्रीवास्तवः मुख्य परीक्षा के लिए निम्न बातों का ध्यान रखा-
- 40 शब्द प्रति मिनट की गति।
- प्वांइट वाइज फॉरमेट में उत्तर लेखन।
- प्रतिदिन उत्तर लेखन अभ्यास।
- उत्तर में बेहतर कोटेशन, फिगर, डायग्राम का इस्तेमाल
- भूमिका, निष्कर्ष पर विशेष ध्यान।
- प्रतिदिन नोट्स बनाना।
- विषय की गहरी समझ।
- हिन्दी, निबंध, सामान्य अध्ययन पेपर I तथा II तथा वैकल्पिक विषय पर विशेष ध्यान।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः क्या आपने अपने नोट्स बनाए? ये नोट्स किस प्रकार उपयोगी रहे? एक ही कोचिंग संस्थान के नोट्स का उपयोग कई छात्र करते हैं। ऐसे में इन नोट्स को औरों से अलग बनाने हेतु आपने क्या रणनीति अपनाई?
संत रंजन श्रीवास्तवः इस परीक्षा में नोट्स बनाना अति आवश्यक है, इससे आपको परीक्षा हाल में 6 घंटे लिखने में हाथ दर्द नहीं करेगा तथा वही चीज याद रहती है, जिनका हम नोट्स बनाते हैं। नोट्स में विविधता रखें, कई विचारों को जगह दें।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः नीतिशास्त्र व सत्यनिष्ठा के प्रश्न-पत्र की तैयारी के लिए आपने क्या किया? छात्रों को इस संदर्भ में आप क्या मार्गदर्शन दे सकते हैं?
संत रंजन श्रीवास्तवः नीतिशास्त्र व सत्यनिष्ठा के लिए मैंने नोट्स बनाए, जिसमें सभी परिभाषाओं को लिखा। बेहतर कोटेशन का इस्तेमाल किया। कुछ महत्वपूर्ण दार्शनिकों के विचारों को समझा। केस स्टडी के लिए मैंने विजन केस स्टडी को फॉलो किया।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपने निबंध की तैयारी कैसे की और परीक्षा भवन में इसके चयन और लेखन के लिए क्या रणनीति अपनाई?
संत रंजन श्रीवास्तवः निबंध के लिए मैंने कोटेशन, तर्क, कहानी, तथ्य घटना आदि को नोट करते हुए 40-50 पेज के नोट्स बनाए, जिसे बार-बार रिवाइज किया। परीक्षा से पूर्व कुछ निबंध लिखकर देखे तथा विषय चयन करते हुए सामान्यतः अमूर्त विषय पर निबंध लिखने की कोशिश की।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः उत्कृष्ट उत्तर लेखन शैली क्या होनी चाहिए? इसके लिए आपने तैयारी के दौरान क्या तरीका अपनाया?
संत रंजन श्रीवास्तवः उत्कृष्ट उत्तर लेखन के लिए नियमित अभ्यास करें, प्वाइंट वाइज फॉरमेट में लिखे, बेहतर कोटेशन, डायग्राम, तर्क, घटना का उल्लेख करें। कोटेशन व निष्कर्ष बहुत अच्छा लिखने का प्रयास करें।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपने साक्षात्कार की तैयारी कैसे की? आपका साक्षात्कार कैसा रहा? आपसे कैसे प्रश्न पूछे गए? क्या किसी प्रश्न पर आप नर्वस भी हुए?
संत रंजन श्रीवास्तवः साक्षात्कार के दौरान नर्वस होना स्वभाविक है, किंतु धैर्य बनाए रखें, कॉन्फिडेंट रहें। मेरा साक्षात्कार प्रो. डॉ. राम जी मौर्या सर के बोर्ड में था। मुझसे निम्न सवाल पूछे गए-
- आप सिविल सेवा में क्यों आना चाहते हैं?
- आपके अंदर क्या गुण हैं?
- सिविल सेवक में क्या गुण होने चाहिए।
- गांव में तकनीक का इस्तेमाल कैसे करेंगे?
- इन्टेग्रिटी क्या है?
- पॉवर तथा अथॉरिटी में अंतर।
- उ.प्र. में कितनी जातियां अनुसूचित हैं?
- उ.प्र. में कितनी भाषाएं बोली जाती हैं?
- अवधी क्षेत्र के दो कवि का नाम
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः क्या आपने कोचिंग ली? कोचिंग किस प्रकार उपयोगी रही? ऐसे छात्र जो तैयारी हेतु कोचिंग की सहायता लेना चाहते हैं, उन्हें आप क्या सुझाव देंगे?
संत रंजन श्रीवास्तवः मैंने कोचिंग नहीं की। किंतु जो अभ्यर्थी अभी बहुत शुरुआती स्टेज में हैं, यदि वो अफॉर्ड कर सकते हैं, तो वो कोचिंग कर लें।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः जो छात्र सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी आरंभ करना चाहते हैं, उन्हें आप क्या सुझाव देंगे? यदि कोई ग्रामीण पृष्ठभूमि का या आर्थिक रूप से कमजोर छात्र सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी आरंभ करना चाहता हो, तो ऐसे छात्र को क्या करना चाहिए?
संत रंजन श्रीवास्तवः सबसे पहले छात्रों को पाठ्यक्रम को 3-4 बार पढ़ना चाहिए। फिर पूर्व प्रश्नों को देखते हुए, नोट्स बनाना चाहिए। अच्छे वेबसाइट व यू-ट्यूब चैनल का भी सहारा लिया जा सकता है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः सामान्य धारणा यह है कि सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी आरंभ करने से पूर्व कोई कैरियर विकल्प भी अपने पास रखना चाहिए। क्या आपने भी कोई कैरियर विकल्प रखा था?
संत रंजन श्रीवास्तवः चूंकि मैं असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत था, तो मुझे वैकल्पिक रोजगार की समस्या नहीं थी। किंतु छात्रों को 2-3 प्रयास के बाद वैकल्पिक रोजगार पर भी ध्यान देना चाहिए।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः तैयारी में पत्र-पत्रिकाओं से आपको कितनी सहायता मिली? आपने किन पत्र-पत्रिकाओं का अध्ययन किया? सिविल सेवा परीक्षा के लिए इन पत्र-पत्रिकाओं की कितनी उपयोगिता है?
संत रंजन श्रीवास्तवः मैं सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल का नियमित पाठक रहा, यह सिविल सेवा को लक्षित करते हुए लिखी जाने वाली अत्यंत उपयोगी पत्रिका है। छात्रों को इस पत्रिका को अवश्य पढ़ना चाहिए।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल पत्रिका आपको कैसी लगी? आपकी सफलता में इसका कितना योगदान है? क्या आप इसमें किसी प्रकार के बदलाव की अपेक्षा रखते हैं?
संत रंजन श्रीवास्तवः सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल मेरी तैयारी में प्रारंभिक परीक्षा से लेकर इंटरव्यू तक अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई। इसके लेख खंड अत्यंत उपयोगी हैं। कई बार यहीं से सीधे सवाल आ जाते हैं।
पुस्तक सूची प्रारंभिक परीक्षा
मुख्य परीक्षा
वैकल्पिक विषय-इतिहास
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सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल की तरफ से आपको इस सफलता की ढेर सारी शुभकामनाएं। आप कैसा महसूस कर रहे हैं?
विशाल सारस्वतः बहुत-बहुत धन्यवाद। यह मेरे लिए आश्चर्य का विषय था। मैंने प्रथम स्थान की उम्मीद नहीं की थी, क्योंकि पिछले प्रयास में मैं सफल नहीं हो पाया था।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः एक अधिकारी बनने की प्रेरणा आपको कैसे मिली? आप अपनी सफलता का श्रेय किसे देंगे? आपके परिवार एवं अन्य लोगों (शिक्षक, मित्र) का सफलता में क्या योगदान है?
विशाल सारस्वतः परिवार एवं मित्रों का मेरी तैयारी में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। पूर्व राष्ट्रपति स्व- ए-पी-जे- अब्दुल कलाम मेरे आदर्श हैं। बिजेन्द्र सिंह सर (ECO - VISION IAS) ने तैयारी के दिनों में काफी मदद की। मैंने अपनी तैयारी में सिर्फ ECO - VISION IAS में बिजेन्द्र सर से अर्थशास्त्र वैकल्पिक की कोचिंग ली।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः किसी अभ्यर्थी को सामान्य अध्ययन हेतु प्रारम्भिक एवं मुख्य परीक्षा की तैयारी कैसे करनी चाहिए? क्या आपने अपनी तैयारी में प्रारम्भिक एवं मुख्य परीक्षा दोनों को एक साथ शामिल किया था या अलग-अलग?
विशाल सारस्वतः कुछ मौलिक जानकारियों के संग्रह के पश्चात प्रारम्भिक एवं मुख्य दोनों परीक्षाओं की तैयारी एक साथ की जानी चाहिए। सफलता के लिए बार-बार रिवीजन आवश्यक है और यह 5-7 बार होना चाहिए, ताकि सभी बातें आपके मस्तिष्क में हों। प्रारम्भिक परीक्षा काफी हद तक सूचना एवं तथ्यों पर आधारित है जबकि मुख्य परीक्षा व्याख्यात्मक। समसामयिकी के प्रसंगों को तैयार करना और उसे उत्तर के साथ जोड़ना अच्छी रणनीति होगी। इसके लिए कुछ You Tube Channels का उपयोग किया जा सकता है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपने प्रारम्भिक, मुख्य, साक्षात्कार तथा वैकल्पिक विषय की तैयारी हेतु कितना समय दिया? आपने प्रारम्भिक तथा मुख्य परीक्षा की तैयारी में किस प्रकार समय को प्रबंधित किया?
विशाल सारस्वतः मुझे कुल 3 वर्ष का समय लगा। मैं अपने पिछले प्रयास में सफल नहीं हो पाया था, क्योंकि वैकल्पिक विषय में कम अंक थे। इस वर्ष मैंने वैकल्पिक विषय की अच्छी तैयारी की थी। मुख्य परीक्षा के समय आपको अधिक से अधिक समय अपने अध्ययन पर देना चाहिए। मुख्य परीक्षा हेतु सभी टॉपिक पर छोटे-छोटे नोट्स बना लेने चाहिए ताकि रिवीजन किया जा सके।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः क्या आपने नोट्स बनाए थे? नोट्स किस प्रकार लाभदायक रहे? आप नोट्स बनाने के लिए क्या सुझाव देंगे?
विशाल सारस्वतः हां, मैंने समसामयिकी विषयों पर नोट्स बनाया था। इससे मुझे रिवीजन में काफी सुविधा हुई। पेपर-3 तथा पेपर-4 से जुड़े विषय एवं मुद्दों पर आपका अपना नोट्स काफी लाभदायक होता है। वैसे प्रसंग जिसे आयोग अक्सर पूछ रहा होता है, उससे जुड़े प्रसंग तैयार करने ही चाहिए जैसे- महिला, कृषि, गैर सरकारी संगठन आदि।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपका वैकल्पिक विषय क्या था? वैकल्पिक विषय के चुनाव का क्या आधार था? इसकी तैयारी के लिए आपने किस प्रकार रणनीति बनाई?
विशाल सारस्वतः मेरा वैकल्पिक विषय अर्थशास्त्र था, क्योंकि इसी विषय में मैंने स्नातक व परास्नातक दोनों किया था। अर्थशास्त्र एक व्यावहारिक विषय है, जिसमें ग्राफ तथा व्याख्या की आवश्यकता होती है। मैंने इसके लिए ECO - VISION IAS में कोचिंग की थी। अर्थशास्त्र विषय में मौलिक संकल्पना की स्पष्टता का विशेष महत्व है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः पेपर- IV के लिए आपकी रणनीति एवं तैयारी किस प्रकार थी।
विशाल सारस्वतः पेपर-IV के लिए मैंने The Lexicon हिंदी संस्करण तथा नेटवर्क आईएएस का नोट्स पढ़ा था। उत्तर लेखन पर विशेष ध्यान रखा तथा वर्तमान के उदाहरणों से जोड़कर उसे और संवर्द्धित किया।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः निबंध की तैयारी के विषय में कुछ बताएं।
विशाल सारस्वतः निबंध आपके ज्ञान व विचार का समन्वय है। विद्वानों के कथन तथा व्यावहारिक उदाहरण इसमें महत्वपूर्ण होते हैं। महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद, मदर टेरेसा आदि के कथनों का प्रयोग उपयोगी है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः परीक्षा में आपकी लेखन पद्धति कैसी थी? सामान्य लेखन पद्धति से आपने खुद को कैसे पृथक किया? आपने अपनी लेखन प्रणाली को किस प्रकार विकसित किया?
विशाल सारस्वतः अपने उत्तर में ग्राफ तथा डायग्राम का प्रयोग किया जाना चाहिए। साथ ही आंकड़े तथा तथ्यों का प्रयोग किया जाना चाहिए। ऐसा करना आपको अन्य से पृथक करेगा तथा परीक्षक अच्छे अंक देंगे।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपने साक्षात्कार की तैयारी किस प्रकार की? साक्षात्कार में किस प्रकार के प्रश्न पूछे गए थे? क्या आपने सभी उत्तर दिए थे? क्या कोई विशेष क्षेत्र है जिस पर बल दिया जाना चाहिए?
विशाल सारस्वतः मैंने साक्षात्कार के लिए वैकल्पिक विषय, समसामयिकी के प्रसंग, किसान आंदोलन आदि को तैयार किया था। परंतु मेरा साक्षात्कार मुख्यतः पेपर-4 पर आधारित था। मुझसे दया, जुनून, चेतना, अभिवृत्ति, योग्यता, संयम आदि पर प्रश्न पूछे गए थे। मैं 2-4 प्रश्नों का उत्तर नहीं दे पाया था। बोर्ड के सदस्यों का व्यवहार बहुत अच्छा था।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः परीक्षा की तैयारी में कोचिंग का क्या महत्व है?
विशाल सारस्वतः तैयारी को नियमित करने में कोचिंग की महत्वपूर्ण भूमिका है। समय-सारणी तथा योजना के निर्माण में भी इसकी भूमिका है। परन्तु स्वयं भी तैयारी की जा सकती है। वर्तमान समय में ऑनलाइन तैयारी भी एक बेहतर विकल्प है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपकी सफलता में सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल की क्या भूमिका है?
विशाल सारस्वतः मैंने तैयारी के दौरान हमेशा क्रॉनिकल का अध्ययन किया क्योंकि इसमें दी गई सूचना हमेशा परीक्षा की दृष्टि से उपयोगी होती है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि क्रॉनिकल बहुत उपयोगी पत्रिका है। मुझे अपनी तैयारी में इससे काफी मदद मिली।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपकी तैयारी के स्रोत क्या थे? आपने कौन सी पुस्तकें, पत्र-पत्रिकाएं, पढ़ीं तथा ऑनलाइन में किस प्रकार मदद ली।
विशाल सारस्वतः 6th से 12th तक की एनसीईआरटी (गणित व विज्ञान छोड़कर)
- कला व संस्कृतिनितिन संघानिया
- राजव्यवस्थाएम- लक्ष्मीकांत
- भूगोलभारत का भूगोल- अनिल केसरी तथा खुल्लर की पुस्तक
- अर्थव्यवस्थारमेश सिंह की पुस्तक
- समसामयिकीसिविल सर्विसेज क्रॉनिकल, VISION IAS,
- एथिक्सThe Lexicon (हिन्दी संस्करण)
- पर्यावरणShankar IAS की पुस्तक
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सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः यूपीपीसीएस 2019 में शानदार सफलता के लिए आपको हार्दिक बधाई। आपकी सफलता में परिवार, मित्रों व शिक्षकों का सहयोग कैसा रहा? आपकी पृष्ठभूमि ने आपकी सफलता में किस प्रकार योगदान किया?
अभय कुमार सिंहः धन्यवाद। मेरी सफलता में परिवार, मित्रों, शिक्षकों एवं शुभचिंतकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इस पत्रिका के माध्यम से मैं सभी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। पूर्व में मेरे परिवार के लोग सिविल सेवाओं में रहे हैं, उसका भी परीक्षा की तैयारी में मुझे लाभ प्राप्त हुआ।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपने परीक्षा की तैयारी आरंभ कैसे की? तैयारी आरंभ करते समय आपने किन पहलुओं पर विशेष रूप से ध्यान दिया? परीक्षा की तैयारी शुरू करने का आदर्श समय क्या होना चाहिए?
अभय कुमार सिंहः मेरी पारिवारिक पृष्ठभूमि ने परीक्षा की तैयारी के लिये प्रेरित किया। साथ ही इलाहाबाद के प्रतियोगी वातावरण ने मुझे प्रोत्साहित किया। तैयारी के पूर्व मैंने समय सीमा का निर्धारण किया; तत्पश्चात पाठ्य सामग्री का चयन किया। सिविल सेवाओं में उच्च सामाजिक बोध की आवश्यकता होती है। ऐसे में स्नातक के पश्चात 2 वर्ष का समय निर्धारित करते हुए तैयारी प्रारम्भ करना उपयुक्त होता है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः भाषा माध्यम के कारण क्या आपको कोई लाभ या हानि हुई है? क्या आप मानते हैं कि अंग्रेजी भाषी लाभप्रद स्थिति में होते हैं?
अभय कुमार सिंहः मेरा माध्यम हिन्दी ही रहा है। लेकिन वर्तमान परिस्थिति में अंग्रेजी माध्यम में बेहतर अभिव्यक्ति की जा सकती है, क्योंकि उत्तर संक्षिप्त और सटीक लिखना होता है। ऐसे में अंग्रेजी माध्यम लाभप्रद है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलःआपका वैकल्पिक विषय क्या था? इसके चयन का आधार क्या था? क्या वैकल्पिक विषय के चयन में आपने कथित लोकप्रियता को भी आधार बनाया?
अभय कुमार सिंहः मेरा वैकल्पिक विषय इतिहास था। इतिहास का वैकल्पिक विषय के रूप में चयन दो कारणों से किया गया था। पहला, इतिहास विषय में मेरी व्यक्तिगत रुचि तथा दूसरा कारण आधुनिक इतिहास में परास्नातक होना। सिविल सेवाओं में सफलता हेतु सामाजिक बोध की आवश्यकता होती है और इतिहास के अध्ययन से अतीत के विभिन्न समाजों के तुलनात्मक ज्ञान का लाभ प्राप्त होता है। कथित लोकप्रियता के स्थान पर व्यक्तिगत रुचि और विषय की उपयोगिता अधिक महत्वपूर्ण होती है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः परीक्षा के तीनों चरणों की तैयारी के लिए आप कितना समय उपयुक्त मानते हैं? तीनों चरणों की तैयारी में आपकी समय की रणनीति एक जैसी रही या उसमें बदलाव भी किए?
अभय कुमार सिंहः मेरी समझ से तीनों चरणों की तैयारी के लिए दो वर्ष पर्याप्त होता है। मैंने मुख्य परीक्षा को अधिक समय दिया। 12 से 15 महीने मुख्य परीक्षा हेतु शेष समय प्रारम्भिक और साक्षात्कार के लिए पर्याप्त होता है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन की अहमियत बढ़ा दी गई है। इसे पूरी तरह कवर करने व अच्छी तरह तैयार करने का सर्वाेत्तम तरीका क्या हो सकता है? मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन के विस्तृत पाठड्ढक्रम को देखते हुए इसकी तैयारी के लिए आपने क्या रणनीति अपनाई? परीक्षा भवन में प्रश्नों को हल करने के लिए क्या आपने कोई विशेष रणनीति अपनाई?
अभय कुमार सिंहः निःसन्देह मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन का आयाम विस्तृत हो गया है। सर्वप्रथम सामान्य अध्ययन के चारों प्रश्न-पत्रों के पाठ्यक्रम की गहरी समझ रखनी चाहिए। किसी एक राष्ट्रीय समाचार पत्र का नियमित अध्ययन और उससे संक्षिप्त नोट्स तैयार करना तथा किसी एक मासिक पत्रिका का अध्ययन एवं नोट्स सामान्य अध्ययन हेतु महत्वपूर्ण है। मैंने समाचार पत्रों एवं पिछले एक वर्ष से क्रॉनिकल मासिक पत्रिका का बिन्दुवार अध्ययन करके नोट्स तैयार किया जो मुख्य परीक्षा हेतु उपयोगी साबित हुए।
परीक्षा भवन में मैंने प्रत्येक प्रश्न के लिए समय निर्धारित किया और उसी अनुरूप उत्तर लिखा। प्रश्नों को समझना और जो पूछा गया उसका सटीक उत्तर देना मेरी मुख्य रणनीति रही।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः क्या आपने अपने नोट्स बनाए? ये नोट्स किस प्रकार उपयोगी रहे? एक ही कोचिंग संस्थान के नोट्स का उपयोग कई छात्र करते हैं। ऐसे में इन नोट्स को औरों से अलग बनाने हेतु आपने क्या रणनीति अपनाई?
अभय कुमार सिंहः हां, मैंने अपने नोट्स बनाए। स्वयं की समझ से बनाया गया नोट्स ही मुख्य परीक्षा में अधिक कारगर होता है। कोचिंग का नोट्स एक फ्रेमवर्क की तरह होता है। प्रतियोगी परीक्षार्थियों को स्वयं के अवबोध स्तर से उसमें कांट-छांट करनी पड़ती है। स्वयं के नोट्स एवं कोचिंग के नोट्स को मिलाकर एक परिष्कृत नोट्स बनाना उपयोगी होता है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः नीतिशास्त्र व सत्यनिष्ठा के प्रश्न-पत्र की तैयारी के लिए आपने क्या किया? छात्रों को इस संदर्भ में आप क्या मार्गदर्शन दे सकते हैं?
अभय कुमार सिंहः नीतिशास्त्र व सत्यनिष्ठा का प्रश्न-पत्र मेरे रुचि का प्रश्न-पत्र था। इसके लिए मैंने पी.डी. शर्मा की पुस्तक का अध्ययन किया। प्रत्येक विशेष शब्द का गहन चिन्तन किया और स्वयं से नोट्स भी तैयार किये। इतिहास का छात्र होने के कारण भी इस प्रश्न-पत्र को समझने में आसानी हुई।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपने निबंध की तैयारी कैसे की और परीक्षा भवन में इसके चयन और लेखन के लिए क्या रणनीति अपनाई?
अभय कुमार सिंहः निबंध के लिए मैंने विशेष तैयारी नहीं की। समाचार पत्रों के संपादकीय और क्रॉनिकल पत्रिका के आलेखों व निबंधों का अध्ययन कर स्वयं एक समझ विकसित करने का प्रयास किया और समय-समय पर लिखने का अभ्यास भी किया। साहित्य, पर्यावरण, कृषि जैसे मुद्दों पर निबंध भी लिखा।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः उत्कृष्ट उत्तर लेखन शैली क्या होनी चाहिए? इसके लिए आपने तैयारी के दौरान क्या तरीका अपनाया?
अभय कुमार सिंहः प्रश्न की मांग के अनुरूप उत्तर की आपूर्ति ही उत्कृष्ट लेखन शैली है। शब्दों के चयन एवं शब्द सीमा पर विशेष ध्यान रखना पड़ता है। मैंने तैयारी के दौरान मूल शब्दों और विचारों को समझने की कोशिश की। कम पढ़ना और अधिक चिंतन करना मेरी रणनीति का हिस्सा रहा है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपने साक्षात्कार की तैयारी कैसे की? आपका साक्षात्कार कैसा रहा? आपसे कैसे प्रश्न पूछे गए? क्या किसी प्रश्न पर आप नर्वस भी हुए?
अभय कुमार सिंहः साक्षात्कार में वैकल्पिक विषय एवं वर्तमान मुद्दों पर परीक्षार्थियों की समझ की क्षमता का परीक्षण किया जाता है। मैंने वैकल्पिक विषय, सामान्य अध्ययन में पूछे गये प्रश्नों एवं समसामायिक घटनाक्रमों का अध्ययन किया। स्वयं से कुछ नोट्स भी बनाए।
साक्षात्कार अच्छा रहा। मुझसे इतिहास विषय, सरकार की योजनाओं एवं उत्तर प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों से संबंधित सवाल किये गये। कुछ सवाल वर्तमान नौकरी से संबंधित भी किये गए। नर्वस जैसी कोई स्थिति नहीं थी। साक्षात्कार सकारात्मक रहा।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः क्या आपने कोचिंग ली? कोचिंग किस प्रकार उपयोगी रही? वैसे छात्र जो तैयारी हेतु कोचिंग की सहायता लेना चाहते हैं, उन्हें आप क्या सुझाव देंगे?
अभय कुमार सिंहः मैंने कोचिंग नहीं की। स्वयं से ही तैयारी की। मेरी समझ से दो वर्ष स्वयं से कठिन परिश्रम करके एक स्तर प्राप्त करने के पश्चात ही कोचिंग की आवश्यकता हो सकती है। कोचिंग का सहयोग लिया जा सकता है, लेकिन कोचिंग पर पूर्ण निर्भरता उचित नहीं होती।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलःजो छात्र सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी आरंभ करना चाहते हैं, उन्हें आप क्या सुझाव देंगे? यदि कोई ग्रामीण पृष्ठभूमि का या आर्थिक रूप से कमजोर छात्र सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी आरंभ करना चाहता हो, तो ऐसे छात्र को क्या करना चाहिए?
अभय कुमार सिंहः सर्वप्रथम छात्र को अपनी अभिरुचि समझनी चाहिए। यदि सिविल सेवा में अभिरुचि हो तभी इस क्षेत्र का चयन करना चाहिए, क्योंकि सिविल सेवा में चयन हेतु अधिक समय, परिश्रम, संघर्ष और संयम की आवश्यकता होती है।
सिविल सेवा में किसी भी पृष्ठभूमि का छात्र सफल हो सकता है। इसके लिए सिर्फ अभिरुचि एवं आत्मविश्वास के साथ परिश्रम की आवश्यकता होती है। समाचार पत्रों का नियमित गहन अध्ययन एवं बिंदुवार नोट्स एवं एनसीईआरटी की पुस्तकों से प्रारम्भ करना उचित होता है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः सामान्य धारणा यह है कि सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी आरंभ करने से पूर्व कोई कैरियर विकल्प भी अपने पास रखना चाहिए। क्या आपने भी कोई कैरियर विकल्प रखा था?
अभय कुमार सिंहः प्लान बी रखना उचित हो सकता है लेकिन प्लान बी सम्पूर्ण समर्पण में बाधक भी बन जाता है। मैं JRF के साथ, रिसर्च भी कर रहा हूं और वर्तमान में ज्येष्ठ लेखा परीक्षक के पद पर सेवारत हूं। यही मेरा प्लान बी था, लेकिन प्लान बी, प्लान ए को प्रभावित कर देता है। मेरी समझ से स्नातक के पश्चात दो वर्ष पूर्ण निष्ठा एवं समर्पण के साथ प्लान ए को देने चाहिए। तत्पश्चात ही प्लान बी बनाना चाहिए।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः तैयारी में पत्र-पत्रिकाओं से आपको कितनी सहायता मिली? आपने किन पत्र-पत्रिकाओं का अध्ययन किया? सिविल सेवा परीक्षा के लिए इन पत्र-पत्रिकाओं की कितनी उपयोगिता है?
अभय कुमार सिंहः पत्र-पत्रिकाओं की भी विषय सामग्री एवं लेखन शैली हेतु महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मैंने योजना, कुरुक्षेत्र, विज्ञान प्रगति, सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल मासिक का नियमित अध्ययन किया है। पत्र पत्रिकाओं में एक ही स्थान पर समसामयिक घटनाओं का संकलन प्राप्त होता है। अतः तैयारी में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल पत्रिका आपको कैसी लगी? आपकी सफलता में इसका कितना योगदान है? क्या आप इसमें किसी प्रकार के बदलाव की अपेक्षा रखते हैं?
अभय कुमार सिंहः सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल पत्रिका सारगर्भित एवं परीक्षार्थियों के लिए महत्वपूर्ण पत्रिका है। पत्रिका के तथ्य एवं विश्लेषण पद्धतियों ने मुझे बहुत प्रभावित किया। विगत 18 महीनों से मैं इस पत्रिका का नियमित अध्ययन कर रहा हूं। मेरी सफलता में इस पत्रिका का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यह पत्रिका वर्तमान परीक्षा के अनुरूप स्वयं में अनेक परिवर्तन लायी है। मुझे उम्मीद है कि परीक्षार्थियों की मांग और परीक्षा के स्वरूप के अनुसार यह पत्रिका स्वयं को संशोधित और परिमार्जित करती रहेगी।