भूजल स्रोतों का मानचित्रण

30 अगस्त, 2021 को विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) द्वारा भूजल स्रोतों का मानचित्रण भूजल का उपयोग पेयजल के रूप में करने में मदद करेगा और इससे प्रधानमंत्री के ‘हर घर नल से जल’ मिशन को और मजबूती मिलेगी।

महत्वपूर्ण तथ्यः CSIR ने ‘राष्ट्रीय भू-भौतिकीय अनुसंधान संस्थान’ (National Geophysical Research Institute: NGRI) के साथ, भूजल संसाधनों को बढ़ाने के लिए उत्तर पश्चिमी भारत के शुष्क क्षेत्रों में ‘उच्च रिजोल्यूशन जलभृत मानचित्रण’ (High Resolution Aquifer Mapping) और प्रबंधन का कार्य किया है।

  • NGRI की हेलिकॉप्टर आधारित भू-भौतिकीय मानचित्रण तकनीक जमीन के नीचे 500 मीटर की गहराई तक उप-सतह की एक उच्च रिजोल्यूशन 3D छवि प्रदान करती है।
  • यह तकनीक किफायती, सटीक है और कम समय में बड़े क्षेत्रों (जिलों/राज्यों) का मानचित्रण करने के लिए उपयोगी है।
  • इसके लिए 1.5 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में वर्ष 2025 तक समूचे कार्य को 141 करोड़ रूपये की अनुमानित लागत से साथ पूरा किया जाएगा।

जीके फ़ैक्ट

  • उत्तर पश्चिमी भारत में शुष्क क्षेत्र राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और पंजाब राज्यों के कुछ हिस्सों में फैले हुए हैं, जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 12% है।

पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी