नदियों के अधिकार

फ्रांस के मार्सिले में 8 सितंबर, 2021 को इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) ‘वर्ल्ड कंजर्वेशन कांग्रेस’ में एक्टिविस्ट ने नदियों के अधिकारों के लिए समर्थन किया।

महत्वपूर्ण तथ्यः नदियों के अधिकारों की सार्वभौम घोषणा के औपचारिक शुभारंभ के लगभग एक वर्ष बाद संयुक्त राज्य अमेरिका में ‘बोल्डर क्रीक वाटरशेड’ (Boulder Creek watershed), कनाडा में ‘मैगपाई नदी’, अमेरिका में ऑरेंज काउंटी में जलमार्ग, इक्वाडोर में ‘अल्पायकु नदी’ और अर्जेंटीना मे ‘पराना नदी’ और इसके आर्द्रभूमि के अधिकारों को मान्यता दी गई है।

  • नदियों के अधिकारों की सार्वभौम घोषणा एक नागरिक समाज की पहल है, जो उन बुनियादी अधिकारों को परिभाषित करती है जिनके लिए सभी नदियां हकदार हैं। घोषणा के अनुसार (i) सभी नदियों को मौलिक अधिकार प्राप्त हो; (ii) सभी नदियाँ जीवित इकाई हों; (iii) सभी नदी कानूनी अभिभावकों की हकदार होंगी।
  • नदी को केवल मानव संपत्ति के बजाय जीवित इकाई के रूप में मान्यता देने का अधिकार 2008 में शुरू हुआ। उस वर्ष, इक्वाडोर संवैधानिक रूप से प्रकृति के अधिकारों को मान्यता देने वाला पहला देश बना।
  • 2017 में, व्हांगनुई इवी (एक माओरी जनजाति) और न्यूजीलैंड सरकार के बीच एक संधि समझौते ने ‘व्हांगनुई नदी’ (Whanganui river) को जीवित व्यक्ति के रूप में कानूनी अधिकार की मान्यता दी।
  • उत्तराखंड में हाई कोर्ट ने गंगा और यमुना नदियों को जीवित व्यक्ति के रूप में कानूनी अधिकार की मान्यता दी। बाद में इस पर रोक लगा दी गई।

जीके फ़ैक्ट

  • बांधों के कारण 1,000 किमी से अधिक लंबी केवल 37% नदियाँ ही अभी विमुक्त होकर प्रवाहित होती हैं।

प्रश्नोत्तर-सर

सीएसआईआर फ्लोरीकलकल्चर (पुष्पकृषि) मिशन

इस मिशन को वित्तीय वर्ष 2020-2021 से सीएसआईआर की घटक प्रयोगशालाओं सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ; सीएसआईआर-हिमालयी जैव-सम्पदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर; सीएसआईआर-पूर्वोत्तर विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान, जोरहाट; सीएसआईआर-केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान, मैसूर और सीएसआईआर-भारतीय एकीकृत चिकित्सा संस्थान, जम्मू द्वारा कार्यान्वयन के लिए अनुमोदित किया गया है। भारत में विविध कृषि-जलवायु और मृदीय परिस्थितियां और समृद्ध पादप विविधता है, तथापि वैश्विक पुष्पकृषि बाजार में इसका केवल 0.6%हिस्सा है। भारत द्वारा हर साल विभिन्न देशों से कम से कम 1200 मिलियन डॉलर मूल्य के फूलों की खेती के (फ्लोरीकल्चर) उत्पादों का आयात किया जा रहा है। फ्लोरीकलकल्चर में नर्सरी पालन, फूलों की खेती और उद्यमिता विकास के माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार प्रदान करने की क्षमता है।

पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी