अपतटीय पवन पर उत्कृष्टता केंद्र

केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर. के. सिंह और डेनमार्क के जलवायु, ऊर्जा व उपयोगिता मंत्री डैन जर्गेन्सन ने 9 सितंबर, 2021 को हरित रणनीतिक साझेदारी के हिस्से के रूप में संयुक्त रूप से ‘अपतटीय पवन पर उत्कृष्टता केंद्र’ (Centre of Excellence on offshore Wind) लॉन्च किया।

महत्वपूर्ण तथ्यः यह केंद्र शुरू में चार कार्य समूहों स्थानिक योजना (spatial planning), वित्तीय ढांचे की शर्तें, आपूर्तिश्रृंखला अवसंरचना, और मानक तथा परीक्षण के आसपास केंद्रित होगा।

  • प्रारंभिक चरणों में, उत्कृष्टता केंद्र अपतटीय पवन क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करेगा।
  • मध्यम से दीर्घ अवधि में, यह केंद्र, अंतरराष्ट्रीय सरकारों व कंपनियों के एक व्यापक समूहों को शामिल करने, अपतटीय पवन पर अनुभवों व सर्वोत्तम अभ्यासों को अपनाने और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा के लिए व्यापक जुड़ावों के साथ तथा ‘अपतटीय पवन के लिए एक अंतरराष्ट्रीय केंद्र’ बनने के लिए विस्तार करेगा।
  • दोनों पक्ष अपतटीय पवन ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करते हुए नवीकरणीय ऊर्जा में अपने सहयोग को आगे बढ़ाने पर सहमत हुए हैं।
  • दोनों देशों के बीच ‘अपतटीय पवन ऊर्जा पर ध्यान देने के साथ नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में रणनीतिक क्षेत्र सहयोग’ पर पहले से ही एक समझौता है।

जीके फ़ैक्ट

  • भारत ‘लद्दाख’ और ‘अंडमान निकोबार’ व ‘लक्षद्वीप’ जैसे द्वीपसमूहों को परिवहन सहित ऊर्जा की दृष्टि से हरित बनाने पर विचार कर रहा है।

इन्हें भी जानें

पारदर्शी सिरेमिक्स

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के एक स्वायत्त अनुसंधान एवं विकास केंद्र पाउडर धातुकर्म और नई सामग्री के लिए अंतरराष्ट्रीय उन्नत अनुसंधान केंद्र (International Advanced Research Centre for Powder Metallurgy and New Materials: ARCI) के शोधकर्ताओं ने भारत में पहली बार एक पारदर्शी सिरेमिक्स विकसित किया है, जो कोलॉइडल प्रोसेसिंग (colloidal processing) नाम की तकनीक के बाद तापमान और दबाव के एक ही समय में इस्तेमाल से सैद्धांतिक पारदर्शिता तक पहुंचता है।

यह पदार्थ थर्मल इमेजिंग अनुप्रयोगों में खासतौर पर कार्य के लिये कड़ी परिस्थितियों में और व्यक्तिगत सुरक्षा उपायों जैसे हेलमेट, फेस शील्ड और चश्में आदि में इस्तेमाल किया जा सकता है। पारदर्शी सिरेमिक उन्नत पदार्थों का एक नया वर्ग है, जिसमें अद्वितीय पारदर्शिता और उत्कृष्ट यांत्रिक गुण हैं। इन पदार्थों को न केवल प्रकाश के लिये बल्कि पराबैंगनी (यूवी), इन्फ्रारेड (आईआर), और रेडियोफ्रीक्वेंसी (आरएफ) की पारदर्शिता के लिये भी डिजाइन किया जा सकता है, जिससे इसके इस्तेमाल के अनेक अवसर मिलते हैं। ये पदार्थ हालांकि कई देशों में तैयार किये जाते हैं, इनकी आपूर्ति पर प्रतिबंध है क्योंकि इनका इस्तेमाल सामरिक अनुप्रयोगों में किया जा सकता है।

टारबॉल्स (Tarballs)

सितंबर 2021 में, महाराष्ट्र में जुहू और वर्सोवा समुद्र तटों पर टारबॉल्स (Tarballs) देखे गए।

टारबॉल गहरे रंग के तेल के चिपचिपी गेंदें (balls) होती हैं, जो तब बनते हैं जब कच्चा तेल समुद्र की सतह पर तैरता है। समुद्री वातावरण में कच्चे तेल के अपक्षय (weathering) से टारबॉल्स बनते हैं। इन्हें समुद्री धाराओं और लहरों द्वारा खुले समुद्र से तटों तक पहुँचाया जाता है। कुछ गेंदें बास्केटबॉल जितनी बड़ी होती हैं, जबकि अन्य छोटी गोलाकार होती हैं। टारबॉल सफाई मशीनरी से चिपक जाते हैं और उन्हें हटाना तथा साफ करना बहुत मुश्किल होता है। हवा और लहरें तेल को छोटे-छोटे टुकड़ों में बाँट देती हैं, जो बहुत व्यापक क्षेत्र में बिखरे होते हैं। विभिन्न भौतिक, रासायनिक और जैविक प्रक्रियाएं (अपक्षय) तेल की बनावट को बदल देती हैं, जिससे टारबॉल्स निर्मित होते हैं। इस बात का संदेह है कि तेल गहरे समुद्र में बड़े मालवाहक जहाजों से आता है और हवा की गति और दिशा के कारण मानसून के दौरान तारकोल के रूप में किनारे पर धकेल दिया जाता है।

पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी