पिनाका एमके-I (उन्नत) रॉकेट सिस्टम

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय सेना द्वारा 9 अप्रैल, 2022 को ‘पिनाका एमके-I (उन्नत) रॉकेट सिस्टम’ [Pinaka Mk-I (Enhanced) Rocket System: EPRS] और ‘पिनाका एरिया डेनियल म्यूनिशन रॉकेट सिस्टम’ (Pinaka Area Denial Munition rocket systems) का पोखरण फायरिंग रेंज में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।

महत्वपूर्ण तथ्य: पिनाका रॉकेट प्रणाली को डीआरडीओ की पुणे प्रयोगशाला के आयुध अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान द्वारा विकसित किया गया है।

  • इन परीक्षणों के साथ ही ‘पिनाका एमके-I (उन्नत) रॉकेट सिस्टम’ (EPRS) के टेक्नोलॉजी अब्सॉर्प्शन का प्रारंभिक चरण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है।
  • EPRS पिनाका संस्करण का उन्नत संस्करण है, जो पिछले एक दशक से भारतीय सेना के साथ सेवा में है।
  • पिनाका रॉकेट सिस्टम प्रौद्योगिकी के उन्नत संस्करण को ‘म्यूनिशन इंडिया लिमिटेड’ (Munitions India Limited) और इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड नागपुर (Economic Explosives Limited Nagpur) जैसे रक्षा उद्योगों को स्थानांतरित कर दिया गया है।
  • कुछ प्रमुख अतिरिक्त सुविधाओं के साथ इस नवीनतम उन्नत संस्करण की 45 किमी की मारक क्षमता है।

पिनाका: यह एक मल्टी- बैरल रॉकेट लॉन्चर (MBRL) सिस्टम है, जिसका विकास 1980 के दशक के अंत में डीआरडीओ द्वारा शुरू किया गया था।

  • पिनाका मार्क -1 के सफल परीक्षणों के बाद, इसे पहली बार 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया गया था। पिनाका मार्क-1 की मारक क्षमता 38 किलोमीटर है।
  • पिनाका प्रणाली 44 सेकेंड की अवधि में 12 रॉकेट दाग सकती है।
  • DRDO ने पिनाका Mk-II का भी विकास और सफलतापूर्वक परीक्षण किया है, जिसकी 60 किमी की मारक क्षमता है, जबकि गाइडेड पिनाका प्रणाली की 75 किमी की मारक क्षमता है।

इन्हें भी जानें

ध्वनि प्रदूषण

  • ध्वनि प्रदूषण के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदेश के अनुसार, 'शोर' को अवांछित ध्वनि के रूप में परिभाषित किया गया है। जो ध्वनि श्रोता को प्रसन्न करती है वह संगीत है और जो दर्द और झुंझलाहट का कारण बनती है वह शोर (ध्वनि प्रदूषण) है।
  • वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 2 (ए) में 'वायु प्रदूषक' की परिभाषा में शोर शामिल है। ध्वनि प्रदूषण और इसके स्रोतों को पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 के तहत नियंत्रित किया जाता है।ध्वनि प्रदूषण नियमों ने विभिन्न क्षेत्रों में दिन और रात दोनों समय के लिए ध्वनि के स्वीकार्य स्तर को परिभाषित किया है। औद्योगिक क्षेत्रों में, अनुमेय सीमा दिन के लिए 75 डेसिबल और रात के लिए 70 डेसिबल है। वाणिज्यिक क्षेत्रों में, ये सीमा 65 डेसिबल और 55 डेसिबल निर्धारित की गई है, जबकि आवासीय क्षेत्रों में दिन और रात के दौरान क्रमश: 55 डेसिबल और 45 डेसिबल हैं। साइलेंस जोन में, यानी अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों और अदालतों के आसपास 100 मीटर से कम का क्षेत्र नहीं है, यह दिन में 50 डेसिबल और रात के दौरान 40 डेसिबल है। 'दिन के समय' को सुबह 6 बजे से रात्रि 10 बजे तक की अवधि के रूप में और 'रात के समय' को रात्रि 10 बजे से अगले दिन सुबह 6 बजे तक परिभाषित किया जाता है।

पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी