कड़ी के रूप में अभिवृद्धि करने वाले नवोदित तारे

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान, ‘आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज’ (ARIES) के भारतीय खगोलविदों ने 'जीएआईए 20ईएई' (Gaia 20eae) की खोज की है, जो कड़ी के रूप में अभिवृद्धि करने वाले नवोदित तारों के नवीनतम सदस्य हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य: वैज्ञानिकों ने नवोदित तारों के अत्यंत दुर्लभ समूह से संबंधित एक नए सदस्य का पता लगाया है, जो कड़ी के रूप में अभिवृद्धि (episodically accreting) प्रदर्शित करता है।

  • इस अध्ययन से सितारों के इस समूह और उनके विन्यास-तंत्र का अधिक विस्तार से परीक्षण करने में मदद मिल सकती है।
  • कड़ी के रूप में अभिवृद्धि करने वाले नवोदित तारे युवा, कम द्रव्यमान वाले तारे हैं, जिनके भीतरी भाग में हाइड्रोजन संलयन आरंभ नहीं हुआ है और वे गुरुत्वाकर्षण संकुचन और ड्यूटेरियम फ्यूजन (तारे के पूर्व-मुख्य-अनुक्रम चरण) से प्रेरित होते हैं।
  • ये पूर्व-मुख्य-अनुक्रम तारे एक डिस्क से घिरे होते हैं, जिससे यह द्रव्यमान प्राप्त करने के लिए तारे के चारों ओर गैस और धूल के डिस्क के आकार के क्षेत्र के पदार्थ से निरंतर पोषित होते हैं।
  • इस प्रक्रिया को तारे की चारों तरफ के पदार्थ से बने डिस्क से द्रव्यमान की अभिवृद्धि (mass accretion) के तौर पर जाना जाता है।
  • समय-समय पर उनके संपोषण की दर (feeding rate) बढ़ जाती है। इसे उनके चारों ओर के पदार्थ से बने डिस्क से द्रव्यमान अभिवृद्धि में तेजी की अवधि के रूप में जाना जाता है।
  • अब तक तारों के ऐसे 25 दुर्लभ समूह खोजे जा चुके हैं।

संसद प्रश्नोत्तर सार

इंडियन टेंट टर्टल (Indian Tent Turtles)

  • ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है जिससे यह संकेत मिले हैं कि नर्मदा नदी में अवैध खनन के कारण इंडियन टेंट टर्टल (Indian Tent Turtles) विलुप्त होने के कगार पर है।
  • इंडियन टेंट टर्टल (Indian Tent Turtles) को वैज्ञानिक रूप से 'पंगशुरा टेंटोरिया' (Pangshura tentoria) के नाम से जाना जाता है। यह 'जियोमीडिडे' (Geoemydidae) परिवार की कछुए की एक प्रजाति है। प्रजाति भारत, नेपाल और बांग्लादेश के लिए स्थानिक है। इसके पसंदीदा आवास ताजे जल की नदियाँ और दलदल हैं। इंडियन टेंट टर्टल को वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची -1 में सूचीबद्ध किया गया है और इस प्रकार इसे उच्चतम स्तर की सुरक्षा प्रदान की जाती है। इसे आईयूसीएन रेड लिस्ट में 'कम से कम चिंता' (least concern) श्रेणी और CITES में परिशिष्ट- II में सूचीबद्ध किया गया है।

पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी