गेहूं की किस्म ‘पीबीडब्ल्यू-1 चपाती’

शोधकर्ताओं ने एक गेहूं की किस्म विकसित की है, जिसमें नरम और मीठी चपातियों के साथ उत्कृष्ट पकाने की गुणवत्ता (excellent baking quality) है। गेहूं की इस किस्म को 'पीबीडब्ल्यू-1 चपाती' (PBW1Chapati) कहा जाता है।

महत्वपूर्ण तथ्य: इस किस्म को पंजाब में राज्य स्तर पर सिंचित दशाओं में समय से बुवाई के लिए जारी किया गया है।

  • गेहूं से बनी चपटी व पकी हुई खाद्य-वस्तु ‘चपाती’ प्रोटीन और कैलोरी का एक सस्ता, प्राथमिक स्रोत है और उत्तरी पश्चिमी भारत में लोगों का मुख्य आहार है।
  • चपाती के लिए वांछित गुणवत्ता व विशेषताओं में अधिक कोमलता, हवा से फूलने की क्षमता, नरम बनावट और थोड़ा चबाने पर पके हुए गेहूं की सुगंध शामिल हैं।
  • दैनिक आहार का हिस्सा होने के बावजूद, आधुनिक गेहूं की किस्मों में चपाती की गुणवत्ता के लक्षण नहीं होते हैं।
  • लंबी पारंपरिक गेहूं की किस्म 'सी 306' (C 306) चपाती की गुणवत्ता के लिए स्वर्णिम मानक रही है।
  • बाद में, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा ‘पीबीडब्ल्यू 175’ (PBW 175) किस्म विकसित की गई और इसमें अच्छी चपाती गुणवत्ता थी। हालांकि, ये दोनों किस्में धारीदार और भूरे रंग के रतुआ के लिए अतिसंवेदनशील हो गए हैं।
  • इस चुनौती को स्वीकार करते हुए पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की गेहूं प्रजनन टीम ने एक नई किस्म विकसित की है।

GK/GS तथ्यावलोकन

  • गेहूं की नई किस्म 'पीबीडब्ल्यू-1 चपाती’ से पहले कोई दूसरी किस्म वर्ष 1965 में जारी ‘सी 306’ किस्म के गुणवत्ता मानक से मेल नहीं खाती थी।

इन्हें भी जानें

जलवायु संबंधी भ्रामक जानकारी

  • इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की नवीनतम मूल्यांकन रिपोर्ट का हवाला देते हुए, सोशल मीडिया दिग्गज ट्विटर ने घोषणा की है कि वह जलवायु परिवर्तन पर भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाएगा।
  • 22 अप्रैल, 2022 को पृथ्वी दिवस पर ट्विटर की घोषणा उसके नेटवर्क पर जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रचार अभियानों को रोकने के प्रयास का हिस्सा है। ट्विटर ने कहा है कि उसके प्लेटफॉर्म पर जलवायु इनकारवाद (climate denialism) का मुद्रीकरण नहीं किया जाना चाहिए और "गलत बयानी वाले विज्ञापनों को जलवायु संकट के बारे में महत्वपूर्ण बातचीत से अलग नहीं होना चाहिए"। 2019 में, ट्विटर ने 2022 के अंत तक अपने डेटा केंद्रों में 100 प्रतिशत कार्बन-न्यूट्रल पावर सोर्सिंग (carbon-neutral power sourcing) हासिल करने की योजना साझा की। अक्टूबर 2021 में, प्रौद्योगिकी दिग्गज गूगल ने कुछ ऐसा ही किया था, जब उसने गूगल विज्ञापनदाताओं, प्रकाशकों और यूट्यूब सृजनकर्ताओं के लिए एक नई मुद्रीकरण नीति की घोषणा की थी। गूगल की नीति ऐसी सामग्री के विज्ञापनों और मुद्रीकरण को प्रतिबंधित करती है, जो "जलवायु परिवर्तन के अस्तित्व और कारणों के बारे में अच्छी तरह से स्थापित वैज्ञानिक सहमति" का खंडन करती है।

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