अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार 2022

मई 2022 में गीतांजलि श्री 'अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार' जीतने वाली पहली भारतीय लेखिका बन गई हैं। उन्हें उपन्यास 'टॉम्ब ऑफ सैंड' (Tomb of Sand) के लिए यह पुरस्कार मिला है।

  • गीतांजलि श्री की यह पुस्तक मूल रूप से हिंदी में 'रेत समाधि' के नाम से प्रकाशित हुई थी। जिसका अंग्रेजी अनुवाद 'टॉम्ब ऑफ सैंड', डेजी रॉकवेल ने किया है।
  • 'टॉम्ब ऑफ सैंड' मूल रूप से किसी भी भारतीय भाषा में लिखी गई ऐसी पहली पुस्तक बन गई है, जिसे अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। गीतांजलि श्री मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मैनपुरी की रहने वाली हैं। गीतांजलि श्री ने तीन उपन्यास और कई कथा संग्रह लिखी हैं।
  • यह पुस्तक उत्तर भारत की एक 80 वर्ष की महिला की कहानी पर आधारित है, जो अपने पति की मौत के बाद अवसाद का अनुभव करती है और एक नया जीवन शुरु करना चाहती है।
  • लेखक और अनुवादक को समान मान्यता देते हुए50,000 पाउंड की पुरस्कार राशि लेखक और अनुवादक के बीच समान रूप से विभाजित होती है।
  • अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार की शुरुआत वर्ष 2005 में मैन बुकर अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार के रूप में हुई। अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार वार्षिक रूप से किसी एक पुस्तक को प्रदान किया जाता है जिसका अंग्रेजी में अनुवाद किया गया हो और यूके या आयरलैंड में प्रकाशित की गई हो।
  • यह बुकर पुरस्कार से अलग है, जिसे अतीत में अरुंधति रॉय और अरविंद अडिगा जैसे भारतीय लेखकों ने जीता था।

GK फैक्ट

  • 2021 में, फ्रांसीसी उपन्यासकार डेविड डियोप और अनुवादक अन्ना मोस्कोवाकिस ने ‘एट नाइट ऑल ब्लड इज ब्लैक’ (At Night All Blood is Black) के लिए अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीता था।

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