रोटावैक

भारत में स्वदेशी रोटावायरस वैक्सीन “रोटावैक” के प्रभाव पर हाल ही में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि देश भर में रोटावायरस-आधारित गैस्ट्रोएंटेराइटिस (डायरिया) के मामलों में देशभर के विभिन्न स्थलों पर उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गयी है।

  • रोटावैक, एक ओरल, लाइव एटेनुएटेड (जीवित लेकिन क्षीण वायरस), मोनोवैलेंट लिक्विड वैक्सीन है, जो 6, 10 और 14 सप्ताह की आयु के शिशुओं दी जाती है।
  • इसे भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत बायोटेक, यू.एस. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ आदि के बीच सार्वजनिक-निजी भागीदारी के रूप में विकसित किया गया है।
  • रोटावायरस, एक ऐसा वायरस है, जो छोटी आंत ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें

वार्षिक सदस्यता लें मात्र 600 में और पाएं...
पत्रिका की मासिक सामग्री, साथ ही पत्रिका में 2018 से अब तक प्रकाशित सामग्री।
प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा पर अध्ययन सामग्री, मॉक टेस्ट पेपर, हल प्रश्न-पत्र आदि।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित चुनिंदा पुस्तकों का ई-संस्करण।
पप्रारंभिक व मुख्य परीक्षा के चुनिंदा विषयों पर वीडियो क्लासेज़।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित पुस्तकों पर अतिरिक्त छूट।

नियमित स्तंभ