अमर जवान ज्योति का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की ज्योति में विलय

केंद्र सरकार ने 21 जनवरी, 2022 को इंडिया गेट पर स्थापित ‘अमर जवान ज्योति’ की शाश्वत ज्योति (लौ) का कुछ सौ मीटर की दूरी पर 2019 में स्थापित ‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’ ज्योति के साथ विलय कर दिया है।

महत्वपूर्ण तथ्यः अमर जवान ज्योति स्वतंत्रता के बाद से विभिन्न युद्धों और संघर्षों में देश के लिए शहीद हुए सैनिकों को देश की श्रद्धांजलि का एक प्रतिष्ठित प्रतीक है।

  • अमर जवान ज्योति को 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत को चिह्नित करने के लिए स्थापित किया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी, 1972 को इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति का उद्घाटन किया था।
  • अमर जवान ज्योति एक काले रंग के संगमरमर का फलक है, जिसके चारों तरफ स्वर्णाक्षरों में ‘अमर जवान’ लिखा हुआ। इसके ऊपर एक L1A1 सेल्फ लोडिंग राइफल रखी है और उस पर एक सैनिक का हेलमेट किसी मुकुट की तरह रखा गया है।
  • इस फलक के चारों तरफ रखे हुए कलश में से एक में ज्योति 1971 से जल रही थी। यूं तो चारों कलशों में ज्योति जलती है मगर पूरे साल भर चार में से एक ही ज्योति जलती रहती थी। लेकिन गणतंत्र दिवस जैसे महत्वपूर्ण अवसरों पर चारों कलशों की ज्योति जलाई जाती थी।
  • 1972 से 2006 के बीच, ज्योति जलाने के लिए तरल पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) का इस्तेमाल होता था। उसके बाद से पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) इस्तेमाल की जानी लगी।

जीके फ़ैक्ट

  • इंडिया गेट का अनावरण 1931 में किया गया था और इसे ब्रिटिश भारत के 70 हजार से अधिक सैनिकों के सर्वोच्च बलिदान के सम्मान में बनाया गया था।

राष्ट्रीय परिदृश्य