बकरी के सिर वाली योगिनी मूर्ति

संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने 15 जनवरी, 2022 को घोषणा की है कि उत्तर प्रदेश के बांदा के लोखरी गांव में एक मंदिर से अवैध रूप से हटाई गई 10वीं शताब्दी की ‘बकरी के सिर वाली योगिनी की पत्थर की मूर्ति’ (Stone idol of Goat Head Yogini) भारत को वापस की जा रही है।

महत्वपूर्ण तथ्यः इससे पहले लंदन में भारतीय उच्चायोग ने 1980 के दशक के आसपास लोखरी में एक मंदिर से अवैध रूप से हटाई गई इस मूर्ति की बरामदगी और उसके स्वदेश भेजे जाने की घोषणा की।

  • एक बकरी के सिर वाली योगिनी की यह मूर्ति मूल रूप से बलुआ पत्थर में ‘पत्थर के देवताओं’ (stone deities) के एक समूह से संबंधित है।
  • यह पता चला है कि 1988 में लंदन के कला बाजार में कुछ समय के लिए यह मूर्तिकला सामने आई थी।
  • भारतीय उच्चायोग को यह मूर्ति लंदन के पास एक निजी आवास के बगीचे में मिली, जो लोखरी संग्रह के विवरण से मेल खाती थी। 2013 में भारतीय दूतावास, पेरिस ने ‘भैंस के सिर वाली वृषणा योगिनी’ की एक ऐसी ही मूर्ति को बरामद किया था, जो निश्चित तौर पर लोखरी गांव के उसी मंदिर से चुराई गई थी।

जीके फ़ैक्ट

  • योगिनियां ‘तांत्रिक पूजा पद्धति’ से जुड़ी शक्तिशाली ‘महिला देवताओं का एक समूह’ हैं। उन्हें एक समूह के रूप में पूजा जाता है, जिसमें अक्सर 64 होती हैं और माना जाता है कि उनके पास अनंत शक्तियां होती हैं।

इस माह के चर्चित संस्थान एवं संगठन

केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 जनवरी, 2022 को चेन्नई में स्थित केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान (Central Institute of Clssaical Tamil: CICT) के नए परिसर का उद्घाटन किया।

  • CICT के नए परिसर की स्थापना भारतीय विरासत की सुरक्षा तथा संरक्षण एवं शास्त्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने को लेकर प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप की गई। नया परिसर पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित है, जिसे 24 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रलय के तहत एक स्वायत्त संगठन ‘केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान’ तमिल भाषा की प्राचीनता और विशिष्टता को स्थापित करने के लिए शोध गतिविधियां करके शास्त्रीय तमिल को बढ़ावा देने में योगदान दे रहा है। यह संस्थान 19 मई, 2008 से चेन्नई में स्थित है। इससे पहले मार्च, 2006 से 18 मई, 2008 तक, संस्थान केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर के परिसर में कार्य कर रहा था और इसे ‘शास्त्रीय तमिल उत्कृष्टता केंद्र’ कहा जाता था। इस संस्थान का उद्देश्य विभिन्न भारतीय भाषाओं के साथ-साथ 100 विदेशी भाषाओं में शास्त्रीय तमिल भाषा में लिखित एक प्राचीन मुक्तक काव्य रचना ‘तिरुक्कुरल’ (Thirukkural) का अनुवाद और प्रकाशन करना भी है।

राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (National Commission for Safai Karamcharis: NCSK) के कार्यकाल को 31 मार्च, 2022 से आगे तीन साल के लिए विस्तारित करने को मंजूरी दे दी है। तीन साल के लिए विस्तार का कुल व्यय लगभग 43-68 करोड़ रुपये होगा।

  • राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग का गठन 12 अगस्त, 1994 को ‘राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग अधिनियम, 1993’ के तहत एक सांविधिक निकाय के रूप में किया गया था। यह अधिनियम फरवरी 2004 में समाप्त हो गया था। 1994 से 2004 के बीच, NCSK एक सांविधिक निकाय रहा। वर्ष 2004 से आयोग सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत एक गैर-सांविधिक निकाय के रूप में कार्य कर रहा है, जिसका कार्यकाल समय-समय पर विस्तारित किया जाता है। मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के अनुसार, NCSK को अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी करने, केंद्र और राज्य सरकारों को इसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सलाह देने और अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन/कार्यान्वयन के संबंध में शिकायतों की जांच करने का काम सौंपा गया है।

राष्ट्रीय परिदृश्य