फसल विविधीकरण: चुनौतियाँ और तकनीकी अवसर
फसल विविधीकरण को भारत की कृषि अर्थव्यवस्था के भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। फसल विविधीकरण में पारंपरिक रूप से एकल-फसल प्रणाली, विशेष रूप से चावल और गेहूँ, से हटकर दलहन, तिलहन, बागवानी और मोटे अनाज सहित फसलों की एक विस्तृत शृंखला की ओर रुख करना शामिल है।
- जैसा कि पीएमडीडीकेवाई और नई कृषि नीति 2025 से स्पष्ट है, सरकार का ध्यान धान और गेहूं जैसी अधिक पानी की खपत वाली फसलों से हटकर तिलहन, कपास, दालें और मक्का जैसी कम पानी की खपत वाली फसलों की ओर बढ़ने पर है।
हालिया प्रगति
- आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में इस ....
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