स्मार्ट सिटीज़ मिशन और शहरी अवसंरचना
भारत का स्मार्ट सिटीज़ मिशन, जो 2015 में शुरू किया गया था, शहरी अवसंरचना को रूपांतरित करने का लक्ष्य रखता है, जिससे सतत, समावेशी और नागरिक-केंद्रित विकास को बढ़ावा मिले। यह तकनीक, डेटा और सार्वजनिक-निजी भागीदारी का उपयोग करके शहरी सेवाओं, गतिशीलता, आवास और शासन में सुधार करने का प्रयास करता है, जिससे 100 शहरों में स्मार्ट विकास को प्रेरणा मिले और नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता बढ़े।
प्रमुख विकास
- स्मार्ट सिटीज़ मिशन के तहत कुल 8,067 परियोजनाओं में से 94% पूर्ण हो चुकी हैं, जिनमें ₹1.64 लाख करोड़ का निवेश हुआ है।
- शहरों ने बुनियादी ढांचे और सेवाओं में सुधार ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता
- 2 विश्व व्यापार संगठन वार्ता: कृषि, ट्रिप्स, सब्सिडी, मत्स्य पालन
- 3 एफडीआई प्रवाह: क्षेत्रीय वितरण और सुधार
- 4 व्यापार रुझान 2024-25: घाटा, संरचना, निर्यात बाजार
- 5 गिग श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा
- 6 देखभाल अर्थव्यवस्था (Care Economy) बनाम मौद्रिक अर्थव्यवस्था
- 7 कौशल भारत एवं उद्यमिता
- 8 चार श्रम संहिताएँ: लाभ, आलोचनाएँ और प्रगति
- 9 संरचनात्मक बेरोजगारी
- 10 श्रम बाज़ार की गतिशीलता

- 1 भारत की आर्थिक वृद्धि: प्रमुख आँकड़े और रुझान
- 2 मजबूत जीडीपी वृद्धि के बावजूद बढ़ता रोजगार अंतर
- 3 संभावित जीडीपी: निर्धारक और बाधाएं
- 4 भारत में समावेशी विकास
- 5 बढ़ती आय असमानता
- 6 सकल घरेलू उत्पाद में अनौपचारिक क्षेत्र का समावेश
- 7 विकसित भारत@2047 और 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का रोडमैप
- 8 डिजिटल परिवर्तन और एआई के युग में आर्थिक नियोजन
- 9 हरित आर्थिक योजना
- 10 आर्थिक परिवर्तन में नीति आयोग की भूमिका
- 11 जनगणना 2027 और भारत की अर्थव्यवस्था
- 12 ऋण प्रबंधन
- 13 जीएसटी: वर्तमान परिदृश्य, प्रभाव और राज्यों की चिंताएं
- 14 केंद्र-राज्य राजकोषीय असंतुलन
- 15 मौद्रिक-राजकोषीय नीति समन्वय की आवश्यकता
- 16 भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) का मौद्रिक नीति फ्रेमवर्क
- 17 डिजिटल बैंकिंग
- 18 मुद्रास्फीति: WPI बनाम CPI रुझान और लक्ष्य निर्धारण
- 19 तरलता प्रबंधन के उपकरण: परिवर्तनीय दर रेपो, SDF, LAF
- 20 बैंकिंग स्वास्थ्य संकेतक
- 21 वित्तीय समावेशन सूचकांक और JAM ट्रिनिटी
- 22 एनबीएफसी क्षेत्र
- 23 सकल घरेलू उत्पाद और रोजगार में कृषि की भूमिका
- 24 न्यूनतम समर्थन मूल्य - MSP
- 25 सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS)
- 26 कृषि ऋण
- 27 हालिया कृषि विपणन सुधार
- 28 एकीकृत कृषि प्रणाली और एग्रो -टेक ( एग्रीस्टैक )
- 29 फसल विविधीकरण: चुनौतियाँ और तकनीकी अवसर
- 30 बागवानी एवं संबद्ध क्षेत्र
- 31 खाद्य प्रसंस्करण उद्योग
- 32 प्राकृतिक खेती के विकास की चुनौतियाँ
- 33 भारत में विनिर्माण क्षेत्र
- 34 एमएसएमई
- 35 ऑटोमोबाइल उद्योग
- 36 भारत का फार्मास्युटिकल क्षेत्र
- 37 महत्वपूर्ण खनिज
- 38 भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था
- 39 आधारभूत संरचना में निवेश: समावेशी विकास में भूमिका
- 40 सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल: आधारभूत संरचना, राजमार्ग, रेलवे स्टेशन
- 41 क्षेत्रीय वायु संपर्क
- 42 लॉजिस्टिक्स अवसंरचना और आपूर्ति शृंखला का लचीलापन
- 43 रेलवे अवसंरचना
- 44 रक्षा औद्योगिक गलियारे
- 45 अंतर्देशीय जलमार्ग (Inland Waterways)
- 46 बंदरगाह अवसंरचना का प्रबंधन
- 47 जीडीपी में योगदान और रोजगार प्रवृत्तियां
- 48 ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स
- 49 दूरसंचार क्षेत्र
- 50 बौद्धिक संपदा (IP) व्यवस्था
- 51 भारत का अनुसंधान एवं नवाचार (R&D and Innovation) पर फोकस
- 52 श्रम बाज़ार की गतिशीलता
- 53 संरचनात्मक बेरोजगारी
- 54 चार श्रम संहिताएँ: लाभ, आलोचनाएँ और प्रगति
- 55 कौशल भारत एवं उद्यमिता
- 56 देखभाल अर्थव्यवस्था (Care Economy) बनाम मौद्रिक अर्थव्यवस्था
- 57 गिग श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा
- 58 व्यापार रुझान 2024-25: घाटा, संरचना, निर्यात बाजार
- 59 एफडीआई प्रवाह: क्षेत्रीय वितरण और सुधार
- 60 विश्व व्यापार संगठन वार्ता: कृषि, ट्रिप्स, सब्सिडी, मत्स्य पालन
- 61 भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता