Question : वैश्वीकरण के सामाजिक परिणाम।
(2004)
Answer : सामाजिक-आर्थिक संबंधों का संपूर्ण विश्व तक विस्तार वैश्वीकरण है। वर्तमान समय में, मानव जीवन के अनेक पक्ष, जिन समाजों में हम रह रहे हैं, उनसे हजारों मील दूर स्थित संगठनों और सामाजिक ताने-बाने से प्रभावित होने लगे हैं। इस प्रकार, विश्व एक एकिक समाज व्यवस्था का रूप धारण करता जा रहा है। इस संबंध में सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि विश्ववाद के द्वारा एक ऐसी नवीन चेतना का उदय हो रहा है कि संपूर्ण ....
Question : ‘73वें और 74वें संवैधानिक संशोधनों ने ग्रामीण भारत में सामाजिक लामबंदी को अभिप्रेरित किया है’ इस पर चर्चा कीजिए।
(2004)
Answer : देश की पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक रूप प्रदान करने के लिए और इनमें एक रूपता लाने के लिए संसद ने दिसंबर 1992 में संविधान (73वां संशोधन) अधिनियम 1992 स्वीकार किया। 173वें संविधान संशोधन अधिनियम 1992 में ग्राम सभा को और सक्रिय करने, ग्राम, खंड और जिला स्तरों पर पंचायतों की स्थापना करने, अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए हर स्तर पर उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण करने, सभी निर्वाचित संस्थाओं को निर्धारित कार्यकाल ....
Question : ग्रामीण विकास की रणनीतियां।
(2004)
Answer : भारत सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में द्रूतगामी तथा निरंतर विकास के लिए पूर्णतः प्रयत्नशील है। ग्रामीण विकास मंत्रालय अनेक योजनाओं के क्रियान्वयन में लगा हुआ है जिनका उद्देश्य ग्रामीण जनता को योग्य बनाकर उनके जीवन-स्तर को सुधारना है। गरीबी उन्मूलन तथा त्वरित सामाजिक आर्थिक विकास के उद्देश्य के साथ विकास कार्यक्रमों को समाज के सर्वाधिक उपेक्षित वर्ग तक पहुंचाने के लिए क्रियान्वित की जा रही है। स्वच्छ पेयजल, ग्रामीण आवास तथा सड़क संपर्क को उच्च प्राथमिकता ....
Question : हरितक्रांति के सामाजिक परिणाम।
(2003)
Answer : 1960 के दशक के मध्य से कृषि के क्षेत्र में महत्वपूर्ण जैविक तथा मशीनी नवीनताओं की प्रक्रिया शुरू हुई जिनका परिणाम हरित क्रांति है। हरित क्रांति का अभिप्राय कृषि के क्षेत्र में उन जैविक तथा मशीनी नवीनताओं से है जिनका प्रयोग उच्च पैदावार वाले बीजों, रासायनिक खादों, ट्रैक्टरों, नलकूपों आदि में पाया जाता है। सबसे पहले हरित क्रांति पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आयी तथा धीरे-धीरे अन्य प्रदेशों के विशेष क्षेत्रों में भी ....
Question : विवेचना कीजिए कि किस प्रकार व्यावसायिक विविधता ने भारत में सामाजिक स्तरीकरण के प्रारूप को प्रभावित किया है?
(2003)
Answer : व्यावसायिक विविधता ने भारत में सामाजिक स्तरीकरण के विभिन्न पक्षों को भिन्न-भिन्न रूप में प्रभावित किया है। परंपरावादी भारत की सामाजिक संरचना मुख्य रूप से जाति व्यवस्था से जुड़ी हुई थी जो भारत में सामाजिक स्तरीकरण का एक प्रमुख पक्ष है। उदाहरण के लिए, ब्राह्मण जाति के लोग मुख्यतः पूजा-पाठ से जुड़े रहे हैं दूसरी ओर चमार जाति के लोग जूता वगैरह का व्यवसाय करते रहे हैं। परंतु आधुनिकीकरण, शिक्षा का प्रसार एवं नगरीकरण के ....
Question : नव-धनाढ्य कृषिक वर्ग के अभिलक्षण।
(2002)
Answer : नव-धनाढ्य कृषक वर्ग वास्तव में भारतीय जमींदारी पद्धति से विकसित एक व्यवस्था है। इस वर्ग में व्यक्ति बहुत तरीकों से अपनी प्रस्थिति को कायम रखने का प्रयास करता है। यह कृषक वर्ग न सिर्फ कृषि पर ही आधारित होते हैं बल्कि औद्योगिक व्यवस्थाओं पर भी नियंत्रण रखते हैं। हम संक्षेप में इसके कुछ प्रमुख अभिलक्षण पर प्रकाश डाल सकते हैं-
Question : निर्धनता उपशमन कार्यक्रम
(2001)
Answer : 1997-98 में गरीब से संबंधित अनेक कार्यक्रम को एक व्यवस्थित रूप दिया गया। नौंवी योजना सरकार की नीति के चार महत्वपूर्ण आयामों के संदर्भ में विकसित की गई, ये हैं जीवन-स्तर सुधारना, उत्पादक रोजगार जुटाना, क्षेत्रीय संतुलन रखना और आत्मनिर्भरता लाना। योजना का मुख्य केंद्र है- ‘सामाजिक विकास और समानता के साथ विकास’। ग्रामीण क्षेत्र में गरीबी उन्मूलन के लिए निम्नांकित कार्यक्रम चलाये गये हैं:
Question : भारतीय समाज पर पश्चिम का प्रभाव।
(2001)
Answer : भारतीय समाज पर पश्चिम का प्रभाव का आकलन हम मूलतः पश्चिमीकरण की प्रक्रिया के अंतर्गत करते हैं। श्रीनिवास के अनुसार विभिन्न जातियों खासतौर पर उच्च जातियों ने ब्रिटिश लोगों की विभिन्न सांस्कृतिक प्रणालियों को अपना लिया है। सांस्कृतिक अनुकरण के अतिरिक्त विज्ञान, प्रोद्योगिकी, शिक्षा, वैचारिकी और मूल्यों के क्षेत्रों में बहुत सी बातें स्वीकार की गई हैं। पश्चिमीकरण की अवधारणा में मानवतावाद और तर्कबुद्धिवाद के मूल्य आधारित है। श्रीनिवास के अनुसार ये दोनों मूल्य ‘आधुनिकीकरण’ ....
Question : निजीकरण एवं विश्वव्यापीकरण (भूमंडलीकरण)
(2001)
Answer : निजीकरण एवं विश्वव्यापीकरण एक-दूसरे से अंतःसंबंधित हैं। वास्तव में निजीकरण भूमंडलीकरण का ही परिणाम है। भूमंडलीकरण के फलस्वरूप सभी क्षेत्रों को व्यापार के लिए स्वतंत्र कर स्वतंत्र बाजार प्रणाली की शुरुआत हुई। भूमंडलीकरण मूलतः तकनीकी, प्रोद्योगिकी एवं संचार के आदान-प्रदान के लिए प्रकाश में लाया गया था। इस नीति के तहत विभिन्न देशों के आयात-निर्यात के प्रतिबंध ढीले कर दिये गये जिसके कारण बहु-राष्ट्रीय कंपनियों की संख्या बढ़ने लगी जिससे देश के आंतरिक उत्पादित वस्तुओं ....
Question : भारत के लिए वैश्वीकरण के परिणाम
(2000)
Answer : वैश्वीकरण का प्रयोग सर्वप्रथम सारे विश्व को तकनीकी एवं संचार के माध्यम से एक छत प्रदान करने के रूप में हुआ था, जिसे हम ‘ग्लोबल विलेज’ कहते हैं। वैश्वीकरण किसी भी देश के लिए अभिशाप एवं वरदान दोनों है। परंतु जहां तक विकासशील देश का सवाल है, वहां अधिक दुष्परिणाम ही देखने को मिला है। इसका कारण यह है कि विकसित देश अपनी सुविधानुसार विकासशील देशों का शोषण करती हैं एवं यह प्रक्रिया इसमें काफी ....
Question : ‘हरित क्रांति’ से आपका क्या अभिप्राय है और इसके सामाजिक आर्थिक परिणाम क्या है? विवेचना कीजिए।
(1999)
Answer : 1960 के दशक के मध्य से कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण जैविक तथा मशीनी नवीनताओं की प्रक्रिया शुरू हुई जिनका परिणाम हरित क्रांति है। शुरू में यह पंजाब, हरियाणा तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक ही सीमित रही। धीरे-धीरे यह अन्य राज्यों के कुछ हिस्सों में भी फैल गई। इसके फलस्वरूप, इन क्षेत्रों में किसान उच्च पैदावार वाले बीज, अधिक मात्र में रासायनिक खाद, सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्र में पानी तथा आधुनिक कृषि तकनीकी जैसे ट्रैक्टर, ....
Question : परंपरागत ग्रामीण आर्थिक संरचनाओं पर बाजार अर्थव्यवस्था के प्रभावों का मूल्याकंन कीजिए।
(1998)
Answer : परंपरागत ग्रामीण आर्थिक संरचना पर बाजार अर्थव्यवस्था के प्रभावों का मूल्यांकन करने से पहले हम यहां बाजार अर्थव्यवस्था के बारे में संक्षिप्त जानकारी देना चाहेंगे।