स्ट्रीट चिल्ड्रन की सुरक्षा

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने 8 फरवरी, 2022 को गैर सरकारी संगठनों और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के साथ स्ट्रीट चिल्ड्रन (Street Children) की पहचान, बचाव और पुनर्वास पर उनसे सहायता प्राप्त करने के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की बैठक आयोजित की।

महत्वपूर्ण तथ्य: एनसीपीसीआर ने स्ट्रीट चिल्ड्रन की देखभाल और संरक्षण के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) 2.0 विकसित की है।

  • 'बाल स्वराज पोर्टल - चिल्ड्रन इन स्ट्रीट सिचुएशन' (Baal Swaraj portal – Children in Street Situations) पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी गई।

स्ट्रीट चिल्ड्रन: संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की परिभाषा के अनुसार स्ट्रीट चिल्ड्रन वे बच्चे हैं, जो सड़क/फुटपाथ पर काम कर रहे/रह रहे हैं, जिनके परिवार सड़क/फुटपाथ पर हैं या वे बच्चे हैं, जो अपने परिवारों से भाग गए हैं और सड़क/फुटपाथ पर रह रहे हैं।

  • यूनिसेफ के अनुसार, 18 वर्ष से कम आयु के लड़के और लड़कियां, जिनके लिए "सड़क/फुटपाथ" (अनाधिकृत आवासों सहित और बंजर भूमि) घर और/या उनकी आजीविका का स्रोत बन गई है, और जो अपर्याप्त रूप से संरक्षित हैं, को स्ट्रीट चिल्ड्रन के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।

भारत में स्ट्रीट चिल्ड्रन की स्थिति: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अनुसार, 10 लाख से अधिक स्ट्रीट चिल्ड्रन हैं, लेकिन एनसीपीसीआर को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार राज्यों ने अब तक केवल 9,945 की पहचान की है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता व्यक्त की।

  • प्रत्येक जिले में स्थापित की जाने वाली विशेष किशोर पुलिस इकाइयां (special juvenile police units) ठीक से स्थापित नहीं की गई हैं।

राष्ट्रीय परिदृश्य