अंतर-संचालन योग्य आपराधिक न्याय प्रणाली परियोजना

केंद्र सरकार ने 18 फरवरी, 2022 को 2022-23 से 2025-26 तक की अवधि के दौरान कुल 3,375 करोड़ रुपए की लागत से 'अंतर-संचालन योग्य आपराधिक न्याय प्रणाली (Inter-Operable Criminal Justice System: ICJS) परियोजना' को गृह मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किये जाने की मंजूरी दी है।

महत्वपूर्ण तथ्य: ICJS परियोजना का दूसरा चरण प्रभावी और आधुनिक पुलिस व्यवस्था सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम होगा।

  • परियोजना को 'केंद्रीय क्षेत्र की योजना' के रूप में राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों के सहयोग से कार्यान्वित किया जाएगा।
  • ICJS प्रणाली को हाई स्पीड कनेक्टिविटी के साथ एक समर्पित और सुरक्षित क्लाउड-आधारित बुनियादी ढांचे के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा।
  • राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के सहयोग से परियोजना के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) पर होगी।

पृष्ठभूमि: ICJS पांच स्तंभों द्वारा देश में आपराधिक न्याय के वितरण के लिए उपयोग की जाने वाली मुख्य आईटी प्रणाली के एकीकरण को सक्षम करने के लिए एक राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म है।

  • ये पांच स्तंभ हैं- पुलिस (अपराध और आपराधिक निगरानी और नेटवर्क प्रणाली); फॉरेंसिक लैब के लिए ई-फॉरेंसिक; न्यायालयों के लिए ई-कोर्ट; लोक अभियोजकों के लिए ई-प्रॉसिक्यूशन और जेलों के लिए ई-प्रिजन।

ICJS का दूसरा चरण: इसके तहत, प्रणाली को 'एक डेटा, एक प्रविष्टि' के सिद्धांत पर तैयार किया जा रहा है, जिसके तहत डेटा केवल एक स्तंभ में केवल एक बार दर्ज किया जाता है और फिर वही डेटा अन्य सभी स्तंभों में उपलब्ध होता है।

  • इसके लिए प्रत्येक स्तंभ में डेटा को फिर से दर्ज करने की आवश्यकता नहीं होती है।

राष्ट्रीय परिदृश्य