असंसदीय शब्द तथा इससे संबंधित नियम

लोकसभा सचिवालय द्वारा मानसून सत्र की शुरुआत से पूर्व 13 जुलाई, 2022 को ‘‘असंसदीय शब्दों’’ (Unparliamentary Words) की एक सूची जारी की गई, इसमें ऐसे शब्दों और अभिव्यक्तियों को सूचीबद्ध किया गया है, जिन्हें संसद में उपयोग के लिए अनुपयुक्त माना जाएगा।

  • इसका अर्थ है कि अगर इन शब्दों का इस्तेमाल संसद में किया गया तो उसे सदन के रिकॉर्ड से हटा दिया जाएगा।
  • जहां विपक्षी दलों द्वारा इस सूची को लेकर व्यापक विरोध किया जा रहा है, वहीं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने स्पष्ट किया है कि ष्किसी भी शब्द पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है तथा इन शब्दों को असंसदीय घोषित करने का निर्णय लोक सभा अध्यक्ष का विशेषाधिकार है।

असंसदीय शब्द या अभिव्यक्ति क्या हैं?

अंग्रेजी तथा विभिन्न भारतीय भाषाओं में हजारों की संख्या में ऐसे वाक्यांश और शब्द हैं, जिन्हें ‘असंसदीय’ माना जाता है।

  • लोकसभा के अध्यक्ष तथा राज्य सभा के सभापति को ऐसे शब्दों को असंसदीय घोषित करने तथा संसद के रिकॉर्ड से बाहर रखने का अधिकार प्राप्त है।
  • असंसदीय शब्दों की सूची पहली बार 1954 में जारी की गई थी। इसके बाद इसे 1986, 1992, 1999, 2004, 2009, 2010 में जारी किया गया। 2010 के बाद से इसे हर साल जारी किया जा रहा है।

इस संबंध में नियमः संविधान के अनुच्छेद 105 (2) में कहा गया है कि संसद में कही गई किसी भी बात के लिए कोई सांसद किसी भी अदालत के प्रति उत्तरदायी नहीं होता है। यानी सदन में कही गई किसी भी बात को न्यायालय में चौलेंज नहीं किया जा सकता।

  • असंसदीय शब्दों की सूची के माध्यम से अध्यक्ष या स्पीकर द्वारा यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाता है कि सांसद सदन के अंदर ‘अपमानजनक या अभद्र या अशोभनीय या असंसदीय शब्दों’ का उपयोग नहीं करेंगे।

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