परिवार न्यायालय (संशोधन) विधेयक 2022

26 जुलाई, 2022 को लोक सभा द्वारा ‘परिवार न्यायालय (संशोधन) विधेयक 2022’ [Family Courts (Amendment) Bill] 2022] पारित किया गया। यह विधेयक फैमिली कोर्ट एक्ट, 1984 में संशोधन करने का प्रयास करता है।

  • इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य 15 फरवरी, 2019 से हिमाचल प्रदेश में स्थापित तथा 12 सितंबर, 2008 से नागालैंड में स्थापित परिवार न्यायालयों को कानूनी मान्यता प्रदान करना है। इसके साथ ही इन अदालतों के सभी फैसलों, आदेशों, नियमों, नियुक्तियों आदि को वैध करार देना है।
  • आयोग महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है। यह शिक्षा का अधिकार अधिनियम (Right to Education Act) 2009 के तहत एक बच्चे के लिये मुफ्रत एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार से संबंधित शिकायतों की जाँच करता है। यह लैंगिक अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (Protection of Children from Sexual Offences Act) 2012 जिसे POCSO अधिनियम भी कहा जाता है, के कार्यान्वयन की निगरानी करता है।

विधेयक के मुख्य प्रावधान

संशोधन विधेयक के माध्यम से मूल अधिनियम में एक नई धारा 3ए शामिल करने का प्रस्ताव किया गया है। यह धारा हिमाचल प्रदेश और नागालैंड के परिवार न्यायालयों के संबंध में 1984 के मूल अधिनियम के प्रावधानों का विस्तार करती है।

  • धारा 3ए के अनुसार परिवार न्यायालय (संशोधन) विधेयक, 2022 के अधिनियमित होने से पूर्व हिमाचल प्रदेश और नागालैंड में स्थित परिवार न्यायालयों की सभी कार्रवाईयां, नियुक्तियां और अधिसूचनाएं वैध मानी जाएंगी।
  • परिवार न्यायालयः परिवार न्यायालय या कुटुंब न्यायालयों में घर-परिवार में होने वाले विवादों, विशेषकर पति-पत्नी के बीच होने वाले विवादों, जैसे- तलाक और संपत्ति के विवाद से जुड़े मामलों का निपटारा किया जाता है।
  • भारत सरकार द्वारा वर्ष 1984 में परिवार न्यायालय अधिनियम लाया गया। इस अधिनियम के जरिए पारिवारिक विवादों के त्वरित निपटान के लिए पृथक रूप से न्यायालयों की स्थापना करने का प्रावधान किया गया।

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