डॉ. राजेंद्र प्रसाद

3 दिसंबर, 2022 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को उनकी 138वीं जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित की।

  • वे एक महान विद्वान, दूरदर्शी, लेखक और वकील होने के साथ-साथ सादगी एवं ईमानदारी के मिसाल थे।
  • वे एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति थे, जिन्होंने दो पूर्ण कार्यकाल की सेवायें दीं; जिनके लिए 1962 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था।
  • इनका जन्म बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गांव में हुआ था।
  • बिहार के छपरा जिला स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा लेने के बाद सिर्फ 18 साल की उम्र में उन्होंने कोलकाता यूनिवर्सिटी की प्रवेश परीक्षा प्रथम स्थान से पास की और फिर कोलकाता के प्रसिद्ध प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लेकर कानून के क्षेत्र में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की।
  • वे हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, बंगाली एवं फारसी भाषा जानते थे।
  • उन्होंने भारतीय संविधान निर्मात्री सभा के अध्यक्ष के रूप में संविधान के निर्माण प्रक्रिया की सम्पूर्ण देखभाल की, जिसके आधार पर भारत एक प्रभुत्व संपन्न लोकतांत्रिक गणराज्य बना।

GK फ़ैक्ट

  • वर्ष 1917 में स्थानीय किसानों की शिकायतों को दूर करने के लिए डॉ. राजेंद्र प्रसाद महात्मा गांधी के साथ बिहार के चंपारण जिले में गए थे। इन्होंने 1930 के नमक सत्याग्रह और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया।
  • 1946 में कांग्रेस द्वारा गठित अंतरिम सरकार में डॉ. प्रसाद ने खाद्य और कृषि मंत्री के रूप में कार्य किया।

लघु संचिका