Question : सामाजिक परिवर्तन के एक साधन के रूप में शिक्षा।
(2007)
Answer : समाज और शिक्षा के बीच सम्बन्ध उदारवाद सामाजिक परिवर्तन, शिक्षा के क्षेत्र में अल्प उपलब्धियां, शिक्षा का कार्यात्मक दृष्टिकोण और उच्च शिक्षा में संकट, आदि विषयों पर बहुत कुछ लिखा जा चुका है। शिक्षा आवश्यक ज्ञान और दक्षता प्रदान करती है, जो व्यक्ति को समाज में आदर्श रूप में कार्य करने योग्य बनाती है। शिक्षा वैचारिक मान्यताओं से प्रेरित होती है, जो समाज से ही ली जाती हैं, किन्तु इसका कार्य सांस्कृतिक विरासत हस्तांतरण में ....
Question : विज्ञान की सामाजिक जिम्मेवारी का विचार समझाइये। विकासशील समाजों के पिछड़ेपन को दूर करने में विज्ञान तथा टेक्नोलोजी के विकास के सामाजिक परिणामों का विश्लेषण कीजिए।
(2006)
Answer : रामधारी सिंह दिनकर ने अपनी कविता में लिखा है कि विज्ञान जितना समाज के लिए लाभदायक है, उतना ही विनाशक। अतः यह दूधारी तलवार है जो सुरक्षा और विनाश दोनों कर सकता है। अतः इसके प्रयोग को सावधानी से किया जाना चाहिए। रामधारी सिंह दिनकर के इस दृष्टिकोण का अत्यंत समाजशास्त्रीय महत्व है। विज्ञान चूंकि समाज की उन आवश्यकताओं के प्रति उत्तरदायी होता है, जिससे समाज व्यक्ति की उत्पादकता एवं गुणवत्ता में वृद्धि होती है। ....
Question : ‘‘एक समाज की सतत्विधानता एवं विकास के लिए शिक्षा एक आधारभूमि क्रिया होती है।’’ इस कथन की व्याख्या कीजिए।
(2006)
Answer : शिक्षा का संबंध समाज की दिशा के साथ जुड़ा हुआ है। इसलिए शिक्षा की प्रत्येक समाज में महत्वपूर्ण भूमिका है। शिक्षा को पारिभाषित करते हुए दुर्खीम का कथन है कि यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका उपयोग पुरानी पीढ़ी उस पीढ़ी पर करती है जो सामाजिक जीवन के लिए अभी प्रस्तुत नहीं हैं। इसका उद्देश्य बच्चे में उन मौखिक, नैतिक और बौद्धिक दिशाओं को विकसित तथा जाग्रत करना है जिसकी अपेक्षा उससे सम्पूर्ण समाज और ....
Question : निर्देशित सामाजिक परिवर्तन में आते मानवीय परिवर्तन।
(2006)
Answer : सामाजिक विनिर्माण के लिए निर्देशित सामाजिक परिवर्तन आवश्यक है, कॉम्ट के अनुसार, क्योंकि व्यक्ति में आगे की ओर देखने की शक्ति मौजूद है और इसी शक्ति की सहायता से वह दशाओं में इच्छित परिवर्तन ला सकता है। वार्ड के अनुसार आज के परिवर्तनशील समाजों में नियोजन के बिना सम्पूर्ण समाज को कल्याण की दिशा में आगे बढ़ाना असंभव है।
आज वैयक्तिक, पारिवारिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक विघटन से संबंधित कई समस्याएं यहां मौजूद हैं। निर्देशित सामाजिक परिवर्तन ....
Question : सामाजिक परिवर्तन एवं आधुनिकीकरण के एक उपकरण के रूप में सार्वजनिक शिक्षा पर चर्चा कीजिए।
(2005)
Answer : शिक्षा न केवल सामाजिक परिवर्तन को प्रभावित करती है, बल्कि अनेक दृष्टियों से आधुनिकीकरण के एक घटक के रूप में भी कार्य करती है।
शिक्षा निश्चित रूप से सामाजिक जीवन के विभिन्न पक्षों को प्रभावित करती है। इस अर्थ में यह न केवल सामाजिक परिवर्तन को प्रभावित करती है, बल्कि सामाजिक परिवर्तन के एक घटक के रूप में भी क्रियाशील रहती है। शिक्षा अपने को अधिक से अधिक रचनात्मक कार्यों में लगाए रखती है और परिवर्तन ....
Question : भारत में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के सामाजिक परिणाम
(2005)
Answer : भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के सामाजिक परिणाम का आकलन हम इस बात से करते हैं कि यह प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सामाजिक परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करता है। भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के फलस्वरूप प्रत्यक्ष रूप से हमें निम्नांकित सामाजिक परिणाम देखने को मिलता है-
Question : सामाजिक परिवर्तन के मार्क्सवादी और पार्सनवादी विचारों का एक तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए और समकालीन भारत में सामाजिक विकास के लिए प्रत्येक विचार की प्रासंगिकता का परीक्षण कीजिए।
(2004)
Answer : सामाजिक परिवर्तन किसी भी समाज का एक शाश्वत नियम एवं घटना है। वस्तुतः समाजशास्त्र का उद्भव भी सामाजिक परिवर्तनों की व्याख्या के लिए ही हुआ है। सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रियाओं का विश्लेषण हम मुख्यतः उद्विकासीय, चक्रीय, संघर्ष तथा प्रकार्यवादी सिद्धांतों के अंतर्गत करते हैं। मार्क्सवादी विचारधारा मूल रूप से मार्क्स के विचारों पर आधारित सामाजिक परिवर्तन का सिद्धांत है जो क्रांति पर जोर देता है जबकि टालकट पारसंस ने सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया को स्पष्ट ....
Question : विज्ञान और सामाजिक दायित्व।
(2004)
Answer : मानवीय ज्ञान संबंधी समस्याओं का एक दृष्टिकोण विज्ञान के नाम से जाना जाता है जिसके द्वारा आनुभविक प्रेक्षण (इन्द्रियों द्वारा प्राप्त अनुभव) के आधार पर असीमित वर्ग की घटनाओं के संबंध में सामान्य सिद्धांत खोजने का प्रयास किया जाता है। विज्ञान इस अनुमान पर आधारित है कि विश्व के संबंध में इंद्रियों द्वारा वस्तुपरक ज्ञान संभव है तथा इस ज्ञान की सत्यता की परख अनेक व्यक्तियों के समान प्रेक्षणों द्वारा की जा सकती है। संक्षेप ....
Question : शिक्षा का निजीकरण और अवसर की समता
(2004)
Answer : निजीकरण की अवधारणा निजी स्वामित्व की बहुस्तरीय मात्रत्मक अवधारणा प्रदर्शित करती है। इसका स्वरूप सार्वजनिक क्षेत्र की शिक्षण संस्थाओं को निजी क्षेत्र में सौंपकर सरकारी एकाधिकार को कम किया जा सकता है। शिक्षा के संबंध में प्राचीनकाल से आधुनिक काल तक प्रचलित दो धारणाएं प्रमुख रही है-
(i) राज्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए राज्य नियंत्रित शिक्षा,
(ii) व्यक्तित्व के विकास की दृष्टि से राज्य के नियंत्रण से परे शिक्षा प्रबंध और संचालन।
आधुनिक काल में ....
Question : शिक्षा एवं सामाजिक विकास।
(2003)
Answer : शिक्षा एवं सामाजिक विकास के बीच गहरा संबंध है। जैसा कि हम जानते हैं कि शिक्षा वह सशक्त माध्यम है जो व्यक्तियों के चरित्र विकास के साथ-साथ सामाजिक चेतना एवं सामाजिक विकास भी करता है। शिक्षा वर्तमान समय में समाज के हर एक क्षेत्र में भूमिका निभा रहा है। यह एक वो माध्यम है जो व्यक्ति को गतिशीलता प्रदान कर आधुनिक विचारों एवं वैज्ञानिकता से परिचित कराता है।
दूसरी ओर, सामाजिक विकास निश्चित रूप से किसी ....
Question : भारत में नई प्रोद्योगिकियों का सामाजिक प्रभाव।
(2003)
Answer : नई प्रौद्योगिकी के परिणामस्वरूप विभिन्न क्षेत्रों में अनेक परिवर्तन आते हैं। ये परिवर्तन प्रोद्योगिकीय परिवर्तन के फलस्वरूप उत्पन्न परिवर्तनों के माध्यम से आते है।
(1) श्रम विभाजन एवं कार्यों का विशेषीकरणः प्रौद्योगिकी के विकास के फलस्वरूप अब भारत में उत्पादन बड़े पैमाने पर विशालकाय कारखानों में होने लगा। इन कारखानों में श्रम का चुनाव उसके व्यक्तिगत कार्यशीलता एवं विशेषीकरण के आधार पर होता है। साथ ही विभिन्न कार्यों को ठीक से पूरा करने के लिए विशेष ....
Question : सामाजिक आंदोलन और सामाजिक परिवर्तन।
(2002)
Answer : सामाजिक आंदोलन एवं सामाजिक परिवर्तन परस्पर अंतः संबंधित अवधारणाएं हैं। जब किसी समाज में संकट की स्थिति उत्पन्न होती है तो वह सामाजिक आंदोलन का रूप धारण कर लेती है, जिससे उस समाज में सामाजिक परिवर्तन भी अवश्यंभावी हो जाता है।
सामाजिक आंदोलन वास्तव में समाज के समूह द्वारा किसी उद्देश्य की प्राप्ति के द्वारा किया गया एक सुनिश्चित, सुव्यस्थित एवं संगठित प्रयास है। इस प्रकार सामाजिक आंदोलन एक वृहत अवधारणा है, जैसे-जनजाति आंदोलन, वातावरणीय आंदोलन, ....
Question : विज्ञान की प्रकृति।
(2002)
Answer : सामान्य तौर पर सामाजिक विज्ञान एवं विशिष्ट तौर पर समाजशास्त्र में विज्ञान का स्वरूप को लेकर मतभेद है। शाब्दिक रूप से विज्ञान की प्रकृति वस्तुनिष्ठ एवं व्यक्तिगत ज्ञान से परे होती है एवं इसका संचालन अवलोकन, वर्गीकरण, निरीक्षण एवं परीक्षण द्वारा होता है। कॉम्ट एवं दुर्खीम ने प्रत्यक्षवादी दृष्टिकोण से समाज को प्रकृति का एक अंग मानकर समाजशास्त्र को विज्ञान कह डाला। परंतु दूसरी ओर वैज्ञानिक समाजशास्त्र के व्याख्यता कार्ल पॉपर ने किसी भी विज्ञान ....
Question : औपचारिक शिक्षा की प्रक्रिया एवं समाजीकरण के अंतर को दर्शाइये। सामाजिक परिवर्तन के एक साधन को रूप में औपचारिक शिक्षा की प्रभावकता का परीक्षण करें।
(2001)
Answer : कुछ समाजों, विशेषकर जनजाति समाजों में बालक का शिक्षण और समाजीकरण औपचारिक शिक्षा संस्थाओं के बिना होता है। फिर भी सीखने की प्रक्रिया के रूप में शिक्षा सर्वव्यापी होती है चाहे कोई जंगल में रहे या मरुस्थल में या शहर अथवा गांव में। सीखने की सार्वभौमिकता से यह नहीं समझ लेना चाहिए कि सभी प्रकार का सीखना समाजीकरण होता है उसी प्रकार जैसे सभी प्रकार की शिक्षा भी समाजीकरण के लिए नहीं होती।
यह भी उल्लेखनीय ....
Question : संरचनात्मक परिवर्तन की संकल्पना पर सविस्तार लिखिए। समाज में संरचनात्मक परिवर्तन के सगोत्रीय कारकों पर उपयुक्त उदाहरणों सहित चर्चा कीजिए।
(1999)
Answer : भारत में समाजशास्त्रियों ने सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया को दो वृहत् श्रेणियों में रखकर विश्लेषित किया है- संरचनात्मक प्रक्रियाएं और सांस्कृतिक प्रक्रियाएं। परिवर्तन की संरचनात्मक प्रक्रियाएं सामाजिक संबंधों के संजाल में होने वाला परिवर्तन है। जाति, नातेदारी, परिवार और व्यावसायिक समूह संरचनात्मकता के कुछ विशिष्टपक्ष हैं। इनके पूर्व निश्चित संबंधों में होने वाले परिवर्तन संरचनात्मक परिवर्तन है। जब एक पारंपरिक कृषि व्यवस्था, जो पारिवारिक श्रम पर आश्रित थी, व्यावसायिक उत्पादन के लिए किराये के मजदूरों ....
Question : शिक्षा एवं संस्कृति।
(1998)
Answer : शिक्षा एवं संस्कृति एक-दूसरे से अंतःसंबंधित हैं। संस्कृति जैसा हम जानते है कि यह एक सीखा हुआ व्यवहार है एवं इसका स्थानांतरण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हुआ करता है। निश्चित रूप से प्राथमिक समाजीकरण की प्रक्रिया का योगदान सांस्कृतिक प्रसार में अधिक है परंतु स्कूल, कॉलेज एवं शिक्षा के अन्य माध्यम सांस्कृतिक गतिशीलता में अभूतपूर्व योगदान करते है। ऑगबर्न ने सांस्कृतिक तत्वों को स्पष्ट करते हुए Cultural lag के सिद्धांत का प्रतिपादन किया ....
Question : प्रौद्योगिकी में परिवर्तनों के सामाजिक परिणामों का परीक्षण कीजिए। नए उत्पादन प्रक्रमों और उपस्कर से उदाहरणों को देते हुए अपने उत्तर को सोदाहरण समझाइए।
(1998)
Answer : प्रोद्योगिकी के परिणामस्वरूप विभिन्न क्षेत्रों में अनेक परिवर्तन आते हैं जिनमें से कुछ इसके प्रत्यक्ष प्रभाव या परिणाम और कुछ अप्रत्यक्ष प्रभाव या परिणाम कहे जा सकते हैं। प्रत्यक्ष प्रभाव वे हैं जो प्रोद्योगिकी परिवर्तन के परिणामस्वरूप अनिवार्यतः और शीघ्र ही समाज में परिवर्तन लाते हैं। ये परिवर्तन स्पष्टतः मालूम पड़ते हैं। अप्रत्यक्ष प्रभाव वे हैं जो समाज से विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी के फलस्वरूप अप्रत्यक्ष तरीके से परिवर्तन लाते हैं। ये परिवर्तन प्रोद्योगिकी परिवर्तन के ....