Question : "भारत का राष्ट्रपति परिवार में दादा-दादी की भांति कार्य करता है। यदि जवान पीढ़ी उसकी सलाह का अनुसरण नहीं करती हो तो भी वह कुछ कर सकने में नितांत असमर्थ होता है।" टिप्पणी कीजिए।
(2007)
Answer : भारत का राष्ट्रपति परिवार में एक अनुभव प्राप्त व्यक्ति की भांति कार्यरत रहता है। यहां भारत को एक परिवार रूप में दर्शित किया गया है तथा परिवार के अनुभव प्राप्त बुजुर्ग व्यक्तियों से राष्ट्रपति को इंगित किया गया है। यहां पर एक तरह से शासकीय व्यवस्था की कल्पना सामाजिक व्यवस्था को आधार बनाकर की गई है, जिससे यह तथ्य प्रकट होता है कि प्रशासन व समाज एक दूसरे से संगुम्फित हैं। जिस प्रकार परिवार में ....
Question : "सचिवालय और निदेशालय के बीच विवाद सामान्यज्ञ बनाम विशेषज्ञ विवाद का ही परिणाम है" विश्लेषण कीजिए?
(2007)
Answer : सचिवालय और निदेशालय के मध्य विवाद सामान्यज्ञ बनाम विशेषज्ञ विवाद का ही परिणाम है। वस्तुतः सचिवालय नीति का निर्माण करता है और निदेशालय नीति को लागू करते हैं। सचिवालय में आई. एस. एस. अधिकारियों को नियुक्त किया जाता है जो कि सामान्यज्ञ की श्रेणी में आते हैं जबकि निदेशालय में तकनीकी अधिकारियों को नियुक्त किया जाता है। ये तकनीकी अधिकारी निदेशक बनते हैं, अतः सचिवालय व निदेशालय का सम्बन्ध विवादित रहता है।
लोक प्रशासन की एक ....
Question : "संसदीय विभागीय समितियों ने अनुदानों की मांगों का विश्लेषण करने में अपनी भूमिका प्रभावशाली ढंग से निभाई है।" मूल्यांकन कीजिए।
(2007)
Answer : संसदीय शासन व्यवस्थाओं में व्यवस्थापिका द्वारा देश के वित्तीय प्रशासन तंत्र पर दो तरफा नियन्त्रण रखने की व्यवस्था प्रचलन में है। कार्यपालिका द्वारा प्रस्तुत बजट प्रावधानों की स्वीकृति के समय व्यवस्थापिका के कार्य संचालन की प्रक्रिया लोक वित्त पर व्यवस्थापिका के नियंत्रण की प्रथम अवस्था मानी जाएगी, जबकि सरकारी व्यय से सम्बन्धित नियन्त्रण तथा महालेखा परीक्षक के प्रतिवेदन के सूक्ष्म परीक्षण की प्रक्रिया को वित्तीय नियन्त्रण की दूसरी महत्वपूर्ण अवस्था कहा जाता है।
1947 में स्वतंत्रता ....
Question : संविधान के कार्यकरण की समीक्षा करने के लिये राष्ट्रीय आयोग ने प्रशासनिक संस्कृति में क्रांतिकारी परिवर्तनों के सुझाव दिये हैं। सिविल सेवाओं और प्रशासन पर उसकी प्रमुख सिफारिशों का विश्लेषण कीजिये।
(2007)
Answer : संविधान के कार्यकरण की समीक्षा के लिये राष्ट्रीय आयोग का गठन केन्द्रीय सरकार द्वारा किया गया, इस आयोग ने संविधान के कार्यकरण की व्यापक समीक्षा की तथा प्रशासन में श्लाधनीय परिवर्तनों के सुझाव अपनी आख्या में प्रदान किये हैं।
नवीन राज्यों के गठन जन सेवाओं के विस्तार, विभागों तथा अन्य एजेन्सियों में वृद्धि, शासकीय उद्यमों की समस्याओं और विकास के अग्रगण्य साधन के रूप में प्रशासनिक व्यवस्था के बारे में साधारण रूचि इत्यादि वजहों से केन्द्र ....
Question : यदि जानकारी शक्ति है, तो शायद किसी नागरिक को विभिन्न लोक प्राधिकरणों के कब्जे में गुप्त एवं विकासात्मक सूचनाओं के मुकाबले कोई और चीज अधिक सशक्त नहीं बना सकती है। इन कथन पर प्रकाश डालते हुये सूचना अधिनियम 2005 के गुणों-अवगुणों का विश्लेषण कीजिये।
(2007)
Answer : लोकतांत्रिक वातावरण अपने नागरिकों को यह संज्ञान कराने का वास्तविक अधिकार देता है कि शासन जनहित के कार्य किस प्रकार सम्पादित कर रहा है तथा वे प्राधिकारी जो शासन चला रहे हैं। उनका कार्यव्यवहार कितना लोकतांत्रिक भावनाओं के अनुरूप है। मूलतः यह जवाबदेयता लोकतंत्र को सार्थकता प्रदान करती है। एक सामान्य नागरिक जो कि लोकतांत्रिक राष्ट्र का सम्मानित सदस्य है उसे जनसामान्य द्वारा चयनित सरकार के कार्य व्यवहार को जानने का नैतिक अधिकार भी जनतंत्र ....
Question : भारत का प्रधानमंत्री भारत की सर्वोच्च संसद के प्रति न केवल जवाबदेह होना चाहिए, बल्कि वह ऐसा है यह दिखाई भी देना चाहिए। संविधान शक्ति के संदर्भ में भारतीय संसद के प्रति प्रधानमंत्री की जवाबदेही पर टिप्पणी कीजिये।
(2006)
Answer : संसदीय लोकतंत्रत्मक शासन व्यवस्था में प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यपालिका की भूमिका निभाता है। इसी कारण उसकी पद स्थिति सर्वाधिक शक्तिशाली मानी जाती है। भारत में भी प्रधानमंत्री की पद स्थिति अत्यंत सम्मानित, शक्ति संपन्न तथा गरिमायुक्त है।
शासन सत्ता के शिखर पर आसीन प्रधानमंत्री की शक्तियां तथा कृत्य बहुआयामी हैं-
देश के लोकतांत्रिक शासक के रूप में यह भारतीय प्रजातांत्रिक मूल्यों में आस्था रखने वाला लोककल्याणकारी राज्य का संचालक होता है, जहां संसदीय लोकतंत्र की शासन प्रणाली प्रवर्तित ....
Question : न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधानमंडल की भांति, लेखापरीक्षा भी लोकतंत्र के महत्वपूर्ण संघटकों में से एक है। टिप्पणी कीजिये।
(2006)
Answer : लेखा परीक्षण न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधानमंडल की भांति जनता के शासन को सुशासन के रूप में सुनिश्चित करने का सात्विक प्रयास निरंतर करता है। लेखा परीक्षण लोकवित्त पर संसदीय नियंत्रण का अपरिहार्य अंग है। लेन-देन के पूर्ण होने के पश्चात् लेखाओं की जांच तथा परीक्षण लेखा परीक्षण कहलाता है। इस जांच का उद्देश्य किसी भी अनधिकृत, अवैध या अनियमित व्ययों, दोषपूर्ण वित्तीय कार्यविधियों की खोज तथा विधानमंडल को तत्संबंधी सूचना देना एवं यह पता लगाना ....
Question : ‘कुछ पदों’ को लाभ के पद अधिनियम’ की अधिकारिता से बाहर निकाल कर भारत सरकार ने जनमानस को अपनी कथनी करनी के अंतर का द्विगुणित आश्वासन दे दिया है। टिप्पणी कीजिये।
(2006)
Answer : लाभ के पद का पदावली की संविधान या लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में कहीं कोई परिभाषा नहीं दी गई है। न्यायिक निर्णयों के आधार पर लाभ का पद पदावली से तात्पर्य ऐसे पद से है, जिससे लाभ मिल सकता है या जिससे व्यक्ति युक्ति-युक्त रूप से लाभ प्राप्त करने की आशा कर सकता है। लाभ के पद संबंधी हालिया घटनाक्रम का मूल भारतीय संविधान का अनु. 102 (1)(A) है।
इसके मुताबिक अगर कोई व्यक्ति केंद्र या ....
Question : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा भारत के नागरिकों की गरिमा के अनुरक्षण एवं संरक्षण में निभाई गई भूमिका संतोषजनक और प्रत्याशा के अनुरूप रही है। स्पष्ट कीजिए।
(2006)
Answer : भारत की संसद ने मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 पारित करके अक्टूबर 1993 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग गठित किया। यह एक वैधानिक संस्था है। मानवाधिकार भंग होने की स्थिति में देश के नागरिक आयोग के समक्ष कार्यवाही की प्रार्थना कर सकते हैं।
आयोग में एक अध्यक्ष व छह सदस्यों का प्रावधान है। उच्चतम् न्यायालयों का मुख्य न्यायाधीश अध्यक्ष के लिये पात्र होता है। वर्तमान में आयोग के चार पूर्ण सदस्य तथा दो समकक्ष सदस्य हैं। राष्ट्रीय महिला ....