Question : "भारतीय कृषि में संस्थागत कारकों की शास्त्र प्रतिरूप एवं शस्त्र उत्पादकता पर जकड़ है" इसको तर्क द्वारा सही साबित कीजिए।
(2007)
Answer : संस्थागत कारक शब्द से उस विशेष व्यवस्था का बोध होता है, जिसके अंतर्गत स्वामित्व एवं प्रबंधन किया जाता है। स्वामित्व और प्रबंधन द्वारा कृषि उत्पादकता एवं शस्त्र प्रतिरूप पर सीधा प्रभाव डाला जाता है। कृषि उत्पादकता का अर्थ है- प्रति हेक्टेयर कृषि उत्पादन। इसी प्रकार सभी फसलों को दो वर्गों में बांटा जा सकता है। खाद्य फसलें और-गैर खाद्य फसलें। गैर खाद्य फसलों में तिलहन, रेशेदार फसलें, अनेक रोपण फसलें तथा चारे की फसलें प्रमुख ....
Question : भारत में शुष्क कटिबंधीय कृषि की समस्याओं एवं संभावनाओं की विवेचना कीजिए तथा इसके विकास की रणनीतियों एवं योजनाओं पर प्रकाश डालिए।
(2006)
Answer : सामान्यतः 75 सेंमी से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में बिना सिंचाई के की जाने वाली कृषि शुष्क कृषि कहलाती है। 75 सेमी. से अधिक वर्षा वाले भी शुष्क ऋतु में शुष्क कृषि की जाती है। इस कृषि की प्रमुख विशेषता है कि यह कृषि मिट्टी में उपलब्ध नमी की सहायता से की जाती है। मानसूनी वर्षा काफी अनिश्चित एवं अनियमित होती है। वर्षा ऋतु में भी शुष्कता के दौर आते हैं। भारत का लगभग 60 ....
Question : भारत में श्वेत क्रांति की सफलता एवं बाध्यताओं का एक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
(2005)
Answer : भारत में पशु उत्पाद के रूप में दुग्ध उत्पाद को सर्वाधिक महत्व प्राप्त है। यह भारतीय कृषि का परंपरागत उत्पाद है तथा भारत में परंपरागत दुग्ध उत्पाद जीवन निर्वाह ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अंग था। भारत में बढ़ती जनसंख्या, उसके कुपोषण की समस्या और नगरीय क्षेत्रों में दुग्ध की भारी कमी को ध्यान में रखकर दुग्ध उत्पाद के वाणिज्यिक विकास की प्रक्रिया जब आरंभ की गई तो भारत शीघ्र ही विश्व के अतिविकसित दुग्ध उत्पादक देशों ....
Question : नीली क्रांति की सफलता एवं संभावनाओं का एक विवरण प्रस्तुत कीजिए और साथ ही भारत ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर उसके प्रभावों पर भी टिप्पणी कीजिए।
(2003)
Answer : भारत के संसाधानात्मक विकास की दिशा में किये गये कार्यों में तीन कार्यों को क्रांतिकारी कार्य माना गया है। अतः इसका विकास कार्य गब्यात्मक है। इसके विकास के लिए विशेष विशेष कार्यक्रम चलाये गये थे। ये हैं हरित क्रांति, श्वेत क्रांति (1970 ई. में) तथा नीली क्रांति।
भारत में नीली क्रांति की शुरुआत 7वीं पंचवर्षीय योजना के प्रारंभ में किया गया था। भारत विश्व के उन कुछ देशों में से है जहां मत्स्य उत्पादन की असीम ....
Question : भारत में शुष्क क्षेत्रों के विकास के कार्यक्रमों एवं नीति पर चर्चा कीजिए।
(2003)
Answer : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसार 110 सेमी. की वर्षा रेखा शुष्क क्षेत्र एवं नम क्षेत्र को विभाजित करती है। इन क्षेत्रों में पं. राजस्थान कच्चा का रण, उड़ीसा, झारखंड, लद्दाख का पठार,
द. भारत का प्रायद्वीपीय पठार एवं महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्र शामिल हैं। ये सभी क्षेत्र 110 सेमी. की वर्षा रेखा के द्वारा सीमांकित किए जाते हैं। इन क्षेत्रों की मूल समस्या मौसमी सूखा एवं जीवन निर्वाह अर्थव्यवस्था का स्वरूप है। भारत के लगभग ....
Question : भारत में हरित क्रांति के पड़ने वाले प्रभावों की समीक्षा करें।
(2002)
Answer : हरित क्रांति शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम W.S. Gaud ने खाद्यान्न उत्पादन में आई क्रांति, जो कि गेहूं के भ्ल्ट प्रकार के आविष्कार से संभव हुई थी, के लिए किया था। यह क्रांति भारत, पाकिस्तान एवं विकासशील देश में विद्यमान खाद्यान्न संकट को दूर करने में अत्यंत मददगार रहा।
उन्नत किस्म की बीज के अलावे अच्छी सिंचाई की व्यवस्था, आधुनिक यंत्रों का उपयोग, अच्छे उर्वरक का वैज्ञानिक प्रयोग इत्यादि हरित क्रांति के आधार थे। इसमें सस्ते मूल्य ....
Question : भारत के कृषि जलवायु आयोजन क्षेत्रों के भौगोलिक आधार का परीक्षण कीजिये।
(2001)
Answer : भारत में स्थलाकृति एवं जलवायु की दृष्टि से अत्यधिक विविधता पायी जाती है। इस विविधता का प्रभाव यहां की कृषि पर भी पड़ा है। अतः कृषि के नियोजित विकास हेतु योजना आयोग एवं राष्ट्रीय दूर-संवेदन एजेंसी ने विभिन्न भौगोलिक एवं सामाजिक-आर्थिक आधारों का प्रयोग करते हुए देश को 15 कृषि जलवायु प्रदेशों में विभाजित किया है, जो निम्नलिखित हैं-
Question : भारतीय कृषि के अभिनव रूपांतरण में अधःसंरचनात्मक एवं संस्थागत कारकों की भूमिका का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
(1999)
Answer : कृषि हमारी अर्थव्यवस्था की नींव है। न सिर्फ राष्ट्र के घरेलू उत्पादन का लगभग 28.5% कृषि और इससे संबद्ध क्षेत्रों से प्राप्त होता है, बल्कि इससे हमारी जनसंख्या के अधिकांश भाग (65%) को रोजगार भी उपलब्ध होता है। कृषि के विकास को अधःसंरचनात्मक एवं संस्थागत कारक मुख्य रूप से प्रभावित करते हैं। अधःसंरचनात्मक कारणों के अन्तर्गत भूमि एवं मृदा, सिंचाई, ऊर्जा, उर्वरक एवं बीज आदि को शामिल किया जाता है, जबकि संस्थागत कारकों में जोतों ....
Question : भारत में कृषि की दक्षता और उत्पादकता में संस्थागत कारकों की भूमिका पर चर्चा कीजिये।
(1998)
Answer : संस्थागत कारकों का तात्पर्य उस प्रणाली से होता है, जिसके अंतर्गत भूमि का स्वामित्व व प्रबंधन होता है। इस संदर्भ में भूमि सुधार व अन्य संस्थागत कारक कृषि की उत्पादकता व दक्षता को संरचनात्मक कारकों की तरह ही प्रभावित करते हैं। भारत में कृषि दक्षता निम्न है, जिसके फलस्वरूप उत्पादकता भी निम्न है।
भारत में भूमि सुधार कार्यक्रमों का कानूनी व प्रशासनिक दोषों के कारण उचित ढंग से क्रियान्वयन नहीं हो पाया है। बड़ी भूमि के ....
Question : भारत के विभिन्न कृषि प्रदेशों में शस्यक्रम (शस्य-स्वरूप) पर चर्चा कीजिये?
(1998)
Answer : शस्यक्रम का अभिप्राय, एक निश्चित समय में, किसी क्षेत्र विशेष में विभिन्न फसलों को उगाना है। शस्यक्रम को प्रभावित करने वाले कारकों में भौगोलिक व अन्य कारकों को शामिल किया जाता है। भौगोलिक कारकों में मृदा, जलवायु, पानी की उपलब्धता आदि प्रमुख हैं। अन्य कारकों में कृषि उत्पादन का लक्ष्य, उत्पादन मात्र, कृषि भूमि का आकार, कृषि पद्धति, बाजार मूल्य, सरकारी नीति आदि को शामिल किया जाता है। भारत की भौगोलिक विविधता तथा अन्य कारकों ....