Question : हिमालय की उत्पत्ति के संबंध में प्रस्तुत किए गए विभिन्न विचारों को स्पष्ट कीजिए और हिमालय को उर्ध्वाधर विभाजनों में विभक्त कीजिए।
(2007)
Answer : हिमालय विश्व की सबसे बड़ी वलित पर्वतमाला है। यह अपने उत्पत्ति संबंधी मान्यताओं में पर्याप्त विभेद रखता है। हिमालय के उत्पत्ति संबंधित विभिन्न विचार मुख्यतः कोबर, होम्स और प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत पर आधारित है।
कोबर के भूसन्नति सिद्धांत के आधार परः तृतीय कल्प के प्रारंभ होने के पूर्व (7 करोड़ वर्ष) हिमालय के स्थान पर एक लंबा संकरा जलमग्न क्षेत्र था, जो टिथिस सागर के नाम से विख्यात है। इस टिथिस सागर के उत्तर एवं दक्षिण ....
Question : जेट प्रवाह सिद्धांत के विशेष संदर्भ में भारतीय मानसून की उत्पत्ति के आधुनिक सिद्धांतों का एक आलोचनात्मक विवरण दीजिए।
(2006)
Answer : मानसूनी जलवायु का तात्पर्य उस जलवायु से है, जिसमें मौसम के अनुसार पवनों की दिशा उलट जाती है। भारतीय दक्षिण-पश्चिम मानसून की उत्पत्ति की प्रक्रिया अत्यन्त जटिल है, यही कारण है कि सैकड़ों वर्षों के गहन प्रेक्षण एवं अनुसंधान के बावजूद इसे पूरी तरह नहीं समझा जा सका है।
भारतीय मानसून के संबंध में सर्वप्रथम हेली ने यह विचार दिया कि इसकी उत्पत्ति का कारण स्थल एवं सागर के गर्म होने की प्रक्रिया में भिन्नता है। ....
Question : भारत के बाढ़ प्रवण क्षेत्रों के वितरण और देश में बाढ़ों के प्रभाव का नियंत्रण करने के कार्यक्रमों एवं नीति का एक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
(2005)
Answer : भारत की विशालता और भौतिक विभिन्नता के कारण यहां बाढ़ आती है। विश्व का शायद ही कोई और देश बाढ़ से इतना प्रभावित रहता हो जितना कि भारत। देश के किसी न किसी भाग में विभिन्न भीषणता वाली बाढ़ का आना एक प्राकृतिक संयोग है। देश के उपजाऊ विशाल मैदान तथा तटीय क्षेत्रों में अक्सर बाढ़ आती रहती है। असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा में बाढ़ आना एक वार्षिक क्रिया है, जिसके परिणाम मानव एवं ....
Question : भारत के जलवायु प्रदेशों के परिसीमन में वर्षा एवं ताप के स्थानिक प्रतिरूप की भूमिका पर, विशेषकर स्टैम्प के जलवायवी प्रादेशीकरण का हवाला देते हुए चर्चा कीजिए।
(2004)
Answer : भारत की विशालता तथा इसकी भूआकृतिक विभिन्नता यहां की जलवायविक दशाओं में पर्याप्त विविधता को जन्म देती है। तापमान व वर्षा के असमान वितरण की मात्र भारत को जलवायु प्रदेशों में बांटने का आधार प्रदान करती है।
देश में जलवायु तत्वों को स्थानीय विभिन्नताओं व विशेषताओं की स्पष्ट रूप में अंकित किया जा सकता है, जो कि प्रादेशिक विभिन्नताओं के रूप में परिलक्षित होते हैं। इनमें वर्षा की मात्र की भिन्नता प्रमुख रूप से विभाजन का ....
Question : मध्य एवं निम्नतर गंगा मैदान में बाढ़ खतरों के कारणों, परिणामों और उपचारी उपायों को स्पष्ट कीजिए।
(2004)
Answer : भारत विश्व में बांग्लादेश के बाद सबसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित देश माना जाता है जबकि भारत में मध्य एवं निम्न गंगा मैदान बाढ़ की विभीषिका के लिए कुख्यात रहे हैं। प्रत्येक वर्ष गंगा एवं उसकी सहायक नदियां तबाही लाती हैं जिनसे जान-माल का काफी नुकसान होता है।
बाढ़ पृथ्वी के प्राकृतिक जल चक्र का ही एक अंग है परन्तु विकास एवं बढ़ती जनसंख्या के फलस्वरूप जैसे-जैसे प्रकृति के साथ छेड़-छाड़ बढ़ी है, बाढ़ का प्रकोप भी ....
Question : हिमालयी एवं प्रायद्वीपीय अपवाह तंत्रों के बीच के प्रमुख अंतरों पर प्रकाश डालिए।
(2003)
Answer : भारत विविध स्थलाकृतियों का विशाल देश है। अतः भारत के विविध क्षेत्रों में अलग-अलग तरह के अपवाह तंत्र विकसित हुए हैं। भौगोलिक विशेषताओं व स्रोतों की विशेषताओं के आधार पर भारत के अपवाह तंत्र को दो भागों में बांटा जा सकता हैः
(i) हिमालय पर्वत से निकलने वाली नदियों का अपवाह तंत्र तथा
(ii) प्रायद्वीपीय पठारों से निकलने वाली नदियों का अपवाह तंत्र।
इन दो अपवाह तंत्रों के विकास पर भूगर्भिक संरचना, धरातलीय उच्चावच, ....
Question : भारत के सूखा प्रवण क्षेत्रों की पहचान कीजिए तथा उनके विकास के उपायों पर चर्चा कीजिए
(2003)
Answer : भारत में 75 सेमी. से कम वार्षिक वर्षा का क्षेत्र सूखा प्रवण क्षेत्र के अन्तर्गत आता है। इन क्षेत्रों में पं- राजस्थान, कच्छ का रण, दक्षिण भारत का वृष्टि छाया प्रदेश, उड़ीसा, झारखंड, लद्दाख का पठार, हिमाचल का उत्तर-पूर्व भाग तथा आंध्र प्रदेश का पठारी भाग प्रमुख है।
इन क्षेत्रों में विकास हेतु दो तरह के कार्यक्रम अपनाये गये हैं: अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन कार्यक्रम। प्रथम प्रकार के कार्यक्रम के तहत पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था, ....
Question : भारत में ग्रीष्मकालीन मानसून की उत्पत्ति, क्रियाविधि एवं विशेषताओं की व्याख्या करें।
(2002)
Answer : मानसून शब्द मूल रूप से अरबी भाषा के मौसिम शब्द से बना है, जिसका तात्पर्य मौसम से होता है। जिन हवाओं की दिशा ऋतु के अनुसार बदल जाती है, उनको मानसून या मौसमी वायु कहते हैं। मानसून हवाओं की उत्पत्ति केवल उन्हीं क्षेत्रों में संभव है, जहां अयन रेखाओं के पास एक ओर स्थल का विस्तृत भाग हो और दूसरी ओर समुद्र का विस्तृत भाग हो। अयन रेखाओं के पास ही इन हवाओं की उत्पत्ति ....
Question : भारतीय उत्तरी मैदानों के उच्चावच लक्षणों का विवेचन कीजिये।
(2001)
Answer : भारत का उत्तर का मैदान उत्तर में हिमाचल एवं दक्षिण में प्रायद्वीपीय पठार के मध्य विस्तृत है। इस मैदान का निर्माण सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र एवं उसकी सहायक नदियों द्वारा लाये गये अवसादों से हुआ है, अतः इस मैदान को सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान भी कहा जाता है। यह मैदान पश्चिम में पंजाब की सीमा से लेकर पूर्व में नागालैंड तक लगभग 2500 किमी की लंबाई में फैला हुआ है। इस मैदान की चौड़ाई 100 से 500 ....
Question : भारत के प्रायद्वीपीय पठार के द्वितीय कोटि के क्षेत्रों का संक्षिप्त विवरण दीजिये।
(2001)
Answer : भारत का प्रायद्वीपीय पठार विश्व का प्राचीनतम पठार है। यह पठार अनेक धरातलीय विविधताओं से परिपूर्ण है। विभिन्न पर्वतों एवं नदियों की उपस्थिति के कारण यह पठार अनेक छोटे-छोटे पठारों में विभक्त हो चुका है। पठार के पश्चिम एवं उत्तर-पश्चिम पार्श्व पर अरावली की अवशिष्ट पर्वत श्रेणियां स्थित हैं, जो अत्यधिक अनाच्छादित एवं विच्छिन्न श्रृंखला ओं के रूप में पायी जाती हैं। पठार के उत्तर में विंध्यन की पहाड़ी है जो प्राचीन मोड़दार पर्वत है। ....
Question : भारत में भूकंपों के क्षेत्रीय वितरण के भौगोलिक लक्षणों को स्पष्ट कीजिये।
(2001)
Answer : भारत के प्राकृतिक विभागों एवं भूकंप क्षेत्रों में काफी गहरा संबंध पाया जाता है। प्राकृतिक विभागों के अनुरूप ही भूकंप के क्षेत्रीय वितरण की दृष्टि से भारत को प्राकृतिक विभागों के अनुरूप ही तीन मुख्य भागों में विभाजित किया जा सकता हैः
1. हिमालय क्षेत्र: यह उत्तरी भूकंप क्षेत्र है, जिसमें हिमालय पर्वत एवं उसका समीपवर्ती क्षेत्र सम्मिलित है। यह क्षेत्र भूकंप से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। टर्शियरी काल में भारतीय प्लेट एवं यूरेशियाई ....
Question : प्रायद्वीपीय भारत की संरचना एवं उच्चावच के लक्षणों का वर्णन कीजिए।
(2000)
Answer : स्थलाकृति संरचना प्रक्रम तथा अवस्था (समय) का फलन होती है। जो उच्चावच और स्थलाकृति आज हम देखते हैं वह अपक्षयण, अपरदन, अवसादीकरण, जमाव, दबाव, रुपांतरण, मैग्मा-उदभेदन, उत्थान-पतन और अन्य कई प्रक्रियाओं के संयोजन के लंबे प्रक्रम का प्रतिफल है। भारत का सबसे विस्तृत भौतिक विभाग प्रायद्वीपीय पठार है, जिसके उच्चावच लक्षण उसके भूगर्भिक इतिहास एवं संरचना की अभिव्यक्ति हैं।
आरंभ में भारत गोंडवानालैंड, जो एक वृहत दक्षिणी महाद्वीप था, का ही एक भाग था। गोंडवानालैंड के ....
Question : भारत में घटित होने वाले बाढ़ प्रकोप अथवा सूखा प्रकोप का तर्कसंगत विवरण दीजिए तथा उनके नियंत्रण के उपाय भी सुझाइए।
(2000)
Answer : देश के किसी न किसी भाग में वर्षा काल में विभिन्न भींषणता वाली बाढ़ों का आना एक प्राकृतिक संयोग है। उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और असम तथा गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों के मैदानों में बाढ़ों का आना एक वार्षिक क्रिया है, जिसके परिणाम मानव एवं पशु सभी को भुगतने पड़ते हैं। दक्षिण भारत के डेल्टाई क्षेत्रों तथा समुद्रतरीय भागों में भी बाढ़ें अभिशाप का रूप लेते हैं। 1990 से 2000 के मध्य आए ....
Question : हिमालय की श्रेणियों के उत्थान की व्याख्या कीजिए।
(1999)
Answer : हिमालय पर्वत के निर्माण की व्याख्या प्लेट-विवर्तनिकी सिद्धांत के आधार पर की जाती है, जिसने पहले की ‘भू-अभिनति’ के सिद्धांत को विस्थापित कर दिया है। प्लेटों के आपसी टकराव के कारण उनमें तथा ऊपर की महाद्वीपीय चट्टानों में प्रतिबलों का एकत्रण होता है, जिनके फलस्वरूप वलन, भ्रंशन तथा आग्नेय क्रियाएं होती हैं। भारतीय एवं यूरेशियन प्लेट के टकराने से टेथिस सागर सिकुड़ कर क्षेपकोरों में विभंगित होने लगा और हिमालय की उत्पत्ति हुई। ये पर्वत ....
Question : भारतीय मानसून की क्रियाविधि को स्पष्ट कीजिए।
(1999)
Answer : सम्प्रति मानसून की उत्पत्ति की व्याख्या तापीय संकल्पना की बजाय गतिक संकल्पना के आधार पर की जा रही है। इसकी उत्पत्ति में हिमालय, तिब्बत के पठार, जेट स्ट्रीम एवं जल एवं स्थल में तापीय अंतर की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। गर्मियों के मौसम में तीन गतिविधियां घटित होती हैंः