Question : धारणीय संवृद्धि एवं विकास की संकल्पना को सुस्पष्ट कीजिए।
(2005)
Answer : धारणीय संवृद्धि एवं विकास का सामान्य अर्थ है दीर्घकालीन विकास अथवा बिना विनाश किए विकास। कुछ विद्वान इसे संधृत विकास (Sustainable Develepment) भी कहते हैं, किन्तु वास्तव में सतत् विकास संविकास का एक पक्ष है। इसमें निम्नांकित तत्व सम्मिलित हैं-
(1) समेकित विकासः यह विकास आर्थिक-सामाजिक- सांस्कृतिक तथा पारितंत्रों की समग्रता को ध्यान में रखकर किया जाता है। पर्यावरण संकट, विकास का संकट, ऊर्जा संकट आदि समस्याएं एक दूसरे से अलग नहीं, वरन अन्योन्याश्रित हैं।
(2) संतुलित ....
Question : धारणीय संवृद्धि एवं विकास की संकल्पना का मूल्यांकन कीजिए।
(2004)
Answer : धारणीय संवृद्धि एवं विकास से तात्पर्य है- विकास की वैसी प्रक्रिया से जो हमेशा के लिए सतत् रह सके तथा जिसका फायदा हरेक वर्ग एवं व्यक्ति को प्राप्त हो सके। यह संकल्पना काफी व्यापक है तथा अलग-अलग प्रदेशों में वहां की सांस्कृतिक-राजनीतिक एवं आर्थिक स्थितियों के अनुसार इसके अलग-अलग तत्व गिनाये जाते हैं। फिर भी कुछ मुख्य मुद्दों पर सभी एकमत हैं:
Question : भूकंप विनाश के कारणों, प्रभावों एवं बचाव के उपयोग की व्याख्या करें।
(2002)
Answer : भूकंप का मूल कारण पृथ्वी की संतुलन अवस्था में अव्यवस्था का होना है। यदि विश्व के भूकंप क्षेत्रों पर दृष्टिपात किया जाय तो स्पष्ट हो जाता है कि भूकंप प्रायः कमजोर एवं अव्यवस्थित भूपटल के सहारे पाये जाते हैं। अब तक यह माना जाता रहा है कि संतुलित तथा प्राचीन व्यवस्थित भागों में भूकंप नहीं आते हैं। परंतु 1967 ई. के कोयना भूकंप ने इस विचारधारा पर जमकर कुठाराघात किया है। विभिन्न भूकंप क्षेत्रों के ....