Question : भारत में उद्योगों के विकास का अनुरेखन कीजिए तथा इस संदर्भ में बहुराष्ट्रिकों एवं उदारीकरण नीतियों की भूमिका का मूल्यांकन कीजिएः
(2006)
Answer : भारत के औद्योगिक विकास का इतिहास काफी प्राचीन एवं गौरवपूर्ण है। यूरोप की औद्योगिक क्रान्ति से पूर्व ही भारत औद्योगिक दृष्टि से विकसित था। भारतीय उद्योग कृषि के साथ एकीकृत थे। भारतीय दस्तकार तथा कारीगर कपड़ा बुनने, मिट्टी के बर्तन बनाने, आभूषण, धातु निर्मित सामान, चमड़ा के सामान, काष्ठशिल्प बनाने में दक्ष थे।
भारत जलयान निर्माण के लिए भी प्रसिद्ध था। वाराणसी के सिल्क उत्पाद, ढाका के मलमल तथा आगरा एवं मेरठ के कालीन आदि वस्तुओं ....
Question : भारत के औद्योगिक परिदृश्य पर उदारीकरण की नीति की भूमिका का विश्लेषण कीजिए।
(2002)
Answer : उदारीकरण की नीति को 1991 में अपनाया गया था। इसका प्रमुख उद्देश्य भारतीयों के रहन-सहन एवं आमदनी में सुधार, उद्योगों को विश्वस्तरीय बनाना, भारतीय उत्पादों को विश्व में और शहरी उत्पादों को भारत के बाजार में होड़ में शामिल करना तथा विदेशी प्रौद्योगिकी को भारत में लाना है।
भारत में 1991 के पहले का औद्योगिक परिदृश्य, सरकार की नीतियां, कच्चे माल की सुविधा, बाजार, यातायात के साधनों की उपलब्धता आदि तथ्यों पर निर्भर करता रहा है, ....
Question : भारत के औद्योगिक क्षेत्रों की वृद्धि, लक्षण एवं वितरण प्रतिरूप का वर्णन कीजिए।
(2001)
Answer : औद्योगिक प्रदेश का तात्पर्य ऐसे प्रदेशों से है जहां विभिन्न श्रृंखलाबद्ध उद्योगों के अनेक कारखाने केंद्रित हों एवं औद्योगिक भू-दृश्य विकसित हो। स्वतंत्रता के पश्चात एक ओर विभिन्न औद्योगिक उत्पादों की मांग में तेजी से वृद्धि हुई तो दूसरी ओर कच्चे माल की उपलब्धता, तकनीकी, परिवहन एवं संचार आदि के क्षेत्र में भी तेजी से प्रगति हुई। इसके फलस्वरूप भारत में भारी उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक उद्योग, उपभोक्ता उद्योग, इंजीनियरिंग, पेट्रो-केमिकल उद्योग आदि का तेजी से विकास ....
Question : भारत में सीमेन्ट अथवा सूती वस्त्र उद्योग के स्थानीयकरण हेतु कारकों की विवेचना कीजिए तथा इसके वितरण के प्रतिरूप का विश्लेषण कीजिए।
(1999)
Answer : सीमेंट उद्योग का स्थानीयकरण मुख्यतः परिवहन लागत द्वारा निर्धारित होता है। इस उद्योग में कच्चे माल का वजन ज्यादा होता है, इसीलिए परिवहन लागत को कम करने के उद्देश्य से ज्यादातर सीमेंट उद्योगों की स्थापना कच्चे माल के निकट होती है। सीमेन्ट में प्रयुक्त होने वाले कच्चे माल निर्माण प्रक्रिया में अपना अधिकांश वजन खो देते हैं। लगभग साढ़े पांच टन वजन के कच्चे माल से एक टन सीमेंट तैयार होता है। 100 टन सीमेंट ....
Question : भारत में औद्योगिक संपदाओं (Estates) के महत्त्व का परीक्षण कीजिये।
(1998)
Answer : भारत के औद्योगिक विकास व संतुलित क्षेत्रीय विकास के संदर्भ में औद्योगिक संपदाओं (estates) का विशेष महत्त्व है। वेबर के अनुसार, अनुकूल परिस्थितियों में उद्योगों में जमघट की प्रवृत्ति पायी जाती है। इसके द्वारा उद्योग एक दूसरे का लाभ उठाते हैं, जिससे संरचनात्मक खर्च में बचत होता है तथा उद्योगों को मुनाफा होता है। औद्योगिक संपदा के विकास में भौगोलिक कारक के साथ-साथ सरकारी समर्थन का भी बड़ा योगदान होता है। औद्योगिक संपदा में उद्योगों ....
Question : भारत में उर्वरक उद्योग के विकास के रुखों पर प्रकाश डालिए।
(1998)
Answer : एक ओर जहां अन्य देशों की तुलना में भारतीय कृषि की प्रति हेक्टेयर पैदावार बहुत कम है, वहीं जनसंख्या वृद्धि के कारण कृषि क्षेत्र में वृद्धि के आसार भी कम ही प्रतीत होते हैं। फलतः भूमि की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिये सरकार ने रासायनिक उर्वरक उद्योग के विकास पर विशेष ध्यान दिया है। पिछले दो दशकों में इस क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। इसके विकास के रुख को निम्न तालिका द्वारा समझा जा ....