Question : प्रवसन के कारणों एवं परिणामों को स्पष्ट कीजिए।
(2007)
Answer : लोगों का व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से अपने निवास का स्थायी या अस्थायी परिवर्तन प्रवसन कहलाता है। किसी प्रदेश में प्रवसन जनन क्षमता, मृत्युदर, जनसंख्या के विकास तथा जनसंख्या संरचना को निश्चित करने वाले तत्व होते हैं। विस्तार के आधार पर प्रवास, अंतर्राष्ट्रीय, अंतः प्रदेशीय, अंतः नगरीय, ग्रामीण-ग्रामीण, अंतरनगरीय, ग्रामीण अथवा शहरी हो सकता है। दूरी के आधार पर अत्यधिक दूर अथवा पास, निर्णय के आधार पर स्वतंत्र या दबाव में हो सकता है। प्रवास ....
Question : भारत में लिंगानुपात के कारण तथा परिणामों की विवेचना कीजिए।
(2006)
Answer : भारत में लिंगानुपात का तात्पर्य प्रति 1000 पुरूषों पर महिलाओं की संख्या से है। लिंगानुपात पर जन्म के समय लिंगानुपात, पुरूषों एवं स्त्री मृत्यु दर, प्रवास आदि कारकों का प्रभाव पड़ता है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों तथा विभिन्न सामाजिक समूहों में सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक तथा जनसांख्यिकीय दृष्टि से भिन्नता पाई जाती है, जिसका प्रभाव लिंगानुपात पर भी पड़ा है।
भारत में गांवों की तुलना में नगरों में लिंगानुपात कम पाया जाता है। इसका कारण यह है ....
Question : भारत में जनसंख्या विस्फोट एवं भोजन सुरक्षा पर एक निबंध लिखिए।
(2006)
Answer : भोजन सुरक्षा का तात्पर्य प्रत्येक समय पर प्रत्येक व्यक्ति को स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक भोजन उपलब्ध कराना है। भारत में स्वतंत्रता के पश्चात् जनसंख्या में विस्फोटक वृद्धि हुई है। 1951 में भारत की जनसंख्या लगभग 36.1 करोड़ थी, जो 2001 में लगभग तीन गुनी हो चुकी है। भारत में खाद्यान्न का उत्पादन 1951 में लगभग 53 मिलियन टन था, जो वर्तमान में लगभग चार गुना हो चुका है। इसके बावजूद भारत में खाद्य एवं ....
Question : भारत में जनजातीय क्षेत्रों की पहचान कीजिए और उनकी महत्वपूर्ण समस्याओं पर प्रकाश डालिए
(2005)
Answer : भारतीय जनजातियों का वितरण चार मुख्य प्रदेशों में केन्द्रित पाया जाता हैः
(i) उत्तरी तथा उत्तर-पूर्वी प्रदेशः इस प्रदेश में हिमालय के उप-प्रदेश तथा भारत की पूर्वी तथा उत्तरी-पूर्वी सीमान्त की पहाडि़यां, तिस्ता घाटी और ब्रह्मपुत्र नदी का जमुना पद्मा वाला भाग सम्मिलित होता है। इस सम्पूर्ण प्रदेश में देश की कुल जनजातियों का लगभग 12.33% भाग पाया जाता है। जहां पाए जाने वाले जनजातियों में गारो, खासी, बुक्सा, लेप्चा, भोटिया, राजी, मुइयां, रंगपान, कोनायक ....
Question : भारत की जनसंख्या नीति का मूल्यांकन कीजिये और राष्ट्र के जनसंख्या नियंत्रण पर उसकी प्रासंगिकता का परीक्षण कीजिये।
(2004)
Answer : नयी राष्ट्रीय जनसंख्या नीति-2000 के तीन मुख्य उद्देश्यों में तात्कालिक उद्देश्य आपूर्ति क्षेत्रों में पर्याप्त मात्र में गर्भ निरोधकों, स्वास्थ्य सुरक्षा ढांचा व स्वास्थ्य कर्मियों की आपूर्ति करना है, मध्यकालीन उद्देश्य सन् 2010 तक कुल प्रजननता दर को 2:1 के प्रतिस्थापन स्तर तक लाना है तथा दीर्घकालिक उद्देश्य सन् 2045 तक पहले के 2016 के बदले) स्थिर जनसंख्या के लक्ष्य को प्राप्त करना है।
नयी नीति में एक महत्वपूर्ण बात है- जनसंख्या स्थिरीकरण के लक्ष्य को ....
Question : ‘किसी भी क्षेत्र के आर्थिक अभिलक्षण उसके जनसंख्या प्रतिरूप पर भौतिक अभिलक्षणों के मुकाबले कहीं ज्यादा सीधा प्रभाव डालते हैं।’ उदाहरण देते हुए इस बात को स्पष्ट कीजिए।
(2004)
Answer : भौतिक एवं आर्थिक अभिलक्षणों में से कौन जनसंख्या प्रतिरूप पर ज्यादा प्रभाव डालते हैं, इस पर विद्वानों में मतभेद रहा है। कुछ दशाओं में प्रथम तथा कुछ दशाओं में द्वितीय अभिलक्षण निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
सामान्यतया यह माना जाता है कि विज्ञान व तकनीकी विकास के साथ-साथ गैर भौतिक तत्वों का महत्व बढ़ने लगता है। इन गैर-भौतिक तत्वों में आर्थिक अभिलक्षण जनसंख्या प्रतिरूप यथा वितरण व वृद्धि प्रतिरूप आदि पर ज्यादा सीधा प्रभाव डालते प्रतीत ....
Question : भारत में शहरी क्षेत्रों की जनगणना की परिभाषा पर चर्चा कीजिए।
(2003)
Answer : भारत में नगरीय बस्तियों की जनगणना 1891 से प्रारंभ हुई। इसके अन्तर्गत किसी भी ऐसी बस्तियों को नगरीय बस्ती कहा गया, जहां वाणिज्यि एवं व्यापार का कार्य होता था और ‘जनगणना’ अधीक्षक की दृष्टि में वजह नगरीय सुविधा उपलब्ध हो।
इस परिभाषा की व्यापाक आलोचना की गयी क्योंकि इसमें जनसंख्या आकार निर्धारित नहीं था। अतः 1901 में अधिक व्यापक परिभाषा प्रस्तुत की गई, जिसके अनुसार निम्नलिखित का पालन अनिवार्य थाः
Question : भारत में वर्तमान जनसंख्या घनत्व के वितरण प्रतिरूप के कारणों का खुलासा कीजिए।
(2002)
Answer : भारत में जनसंख्या के घनत्व के प्रतिरूप को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों को हम भौतिक एवं अभौतिक दो वर्गों में रख सकते हैं। भौतिक कारकों में जलवायु की दशाएं, धरातलीय उच्चावच्च, जल की उपलब्धता, वनस्पति का स्वरूप, मृदा की उर्वरता इत्यादि प्रमुखता से प्रभाव डालते हैं।
अभौतिक कारणों में शिक्षा का प्रसार, महिलाओं की सामाजिक स्थिति, स्त्री शिक्षा, धर्म एवं संस्कृति के मूल्य, कृषि की व्यवस्था, स्वास्थ्य सरकारी नीति, रहन-सहन इत्यादि प्रमुख हैं।
इन दोनों प्रमुख ....
Question : जनजाति क्षेत्रों के विकास में जनजाति विकास खंडों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
(2002)
Answer : जनजाति विकास खंडों की स्थापना 1980 के दशक के प्रारंभ में शुरू की गयी थी। इसकी सर्वप्रथम अनुसंशा यू-सी आयोग ने की थी, जिसने दो रणनीतियां अनपाने की बात की।
(i) टीएसपी (Tribal Sub plan): इस जनजातीय उप आयोजना का उद्देश्य उन क्षेत्रों का विकास सुनिश्चित करना था, जहां जनजातियों की जनसंख्या 5000 से अधिक है।
(ii) एमएडीए: (Marginal Ara Development Agency): यह उन क्षेत्रों के लिए था, जहां जनजातियों की संख्या 5000 से कम ....
Question : भाषा, धर्म एवं पंरपरा किस प्रकार भारत के सांस्कृतिक प्रादेशीकरण का आधार प्रस्तुत कर सकते हैं? स्पष्ट कीजिए।
(2002)
Answer : भारत की सभ्यता एवं संस्कृति अत्यंत प्राचीन है। हजारों वर्षों की सभ्यता एवं संस्कृति में अनेक संस्कृतियों का विलय हुआ है तथा इससे अनेक परंपराओं का प्रस्फुटन हुआ है। इसी कारण से इसे विविधता में एकता का देश कहा जाता है।

A. हिमालय क्षेत्र - A1 पश्चिमी हिमालयA2 पूर्वी हिमालय
B. हिन्दुस्तानी क्षेत्र - B1 पंजाबी क्षेत्र, B2 हरियाणवी क्षेत्र, B3 राजस्थानी क्षेत्र, B4 गुजराती क्षेत्र, B5 मराठी ....
Question : भारत की जनसंख्या की लिंग तथा आयु संरचना का विवरण दीजिये।
(2001)
Answer : लिंग संरचना का तात्पर्य पुरुषों एवं स्त्रियों की जनसंख्या के अनुपात से है। भारत में लिंगानुपात की गणना प्रति एक हजार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या के आधार पर की जाती है। 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में लिंगानुपात 933 है। पिछली शताब्दी में भारत के लिंगानुपात में निरंतर गिरावट आयी है। 2001 की जनगणना में लिंगानुपात में मामूली वृद्धि हुई है, परंतु 0 से 6 वर्ष के आयु-वर्ग में लिंगानुपात पिछले दशक में ....
Question : भारत में नृजातीय एवं प्रजातीय विविधताओं की उत्पत्ति का विवेचन कीजिए।
(1999)
Answer : भारत में निग्रिटो, आद्य आस्ट्रेलियाई, मंगोलॉयड, भूमध्यसागरीय, चौड़े सिर वाले पाश्चात्य, नार्डिक एवं इनकी उप-प्रजातियां पायी जाती हैं। इन लोगों ने भिन्न-भिन्न समय पर इस देश में प्रवेश किया। भारत में उनके आप्रवास, अधिवास तथा बाद में देश के भीतर उनके स्थानांतरण के कारण विभिन्न नृ-जातीय एवं सांस्कृतिक समूहों में काफी हद तक पारस्परिक मिश्रण की प्रक्रिया द्वारा ही नृजातीय एवं सांस्कृतिक विविधताओं की नींव पड़ी और उनकी स्पष्ट विशिष्टताओं का विकास हुआ।
भारत के आंशिक ....
Question : भारत में जनजातीय क्षेत्रों की समस्याओं और संभावनाओं का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
(1998)
Answer : ‘जनजातीय कल्याण’की अवधारणा का सूत्रपात, आजादी प्राप्त करने के पश्चात् हुआ। इसके लिए संविधान की पांचवीं व छठीं अनुसूचियों में जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन व नियंत्रण के बारे में उपबंध भी शामिल किये गये। सरकार ने अनेक कार्यक्रमों व योजनाओं के माध्यम से जनजातीय कल्याण के लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास किया। इन सब के बावजूद जनजातीय क्षेत्र पिछड़ा ही रहा। इन क्षेत्रों की समस्याएं आज भी वहीं हैं, जो पहले थीं।
जनजातीय क्षेत्रों की ....
Question : भारत में ग्रामीण आवासन प्ररूप के भौगोलिक नियंत्रण पर चर्चा कीजिये।
(1998)
Answer : भारत की भौगोलिक विविधता ने यहां के ग्रामीण आवासन प्ररूप को काफी हद तक नियंत्रित किया है, परन्तु इस सन्दर्भ में सामाजिक-आर्थिक कारकों को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता। ग्रामीण आवासन के प्र्ररूप को प्रभावित करने वाले भौगोलिक कारकों में उच्चावच, जलवायु, मृदा, जल की उपलब्धता आदि प्रमुख हैं।
उच्चावच की दृष्टि से देखा जाये तो समतल भूमि में एकग्र (Compact) ग्रामीण आवासन पाया जाता है तथा पहाड़ी क्षेत्रों में असमतल भूमि, कृषि व परिवहन ....