Question : पंचायती राज्य ढांचे का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
(2007)
Answer : भारत में पंचायती राज का औपचारिक शुभारंभ तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने राजस्थान के नागौर में 2 अक्टूबर, 1959 को किया। पंचायती राज संबंधी संविधान के 73वें संशोधन 24 अप्रैल, 1993 को संसद ने पास किया। जिसमें शहरी और ग्रामीण स्तर पर सत्ता में जनता की सीधी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए पंचायतों एवं शहरी निकाय की व्यवस्था की गई है। पंचायती राज में शक्ति सरकार के हाथ से निकलकर इन स्थानीय प्रशासन की संस्थाओं ....
Question : भारत में एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रमों की नीतियों एवं कार्यक्रमों पर चर्चा कीजिए।
(2007)
Answer : प्रथम पंचवर्षीय योजना के प्रारंभ से ही ग्रामीण विकास पर पर्याप्त बल दिया गया था। महात्मा गांधी ने भारत के संपूर्ण विकास के लिए ग्रामीण विकास को आधारभूत मानने का सुझाव दिया था। नियोजन के प्रारंभिक चरण में ग्रामीण विकास तथा कृषि विकास को एक-दूसरे का पर्यायवाची माना गया था। यद्यपि सामुदायिक विकास कार्यक्रम की शुरुआत (1952) के साथ ग्रामीण विकास की संकल्पना में परिवर्तन हुआ है। सामुदायिक विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत ग्रामीण स्तर पर ....
Question : भारत में प्रादेशिक विषमताओं के प्रक्रमों तथा प्रतिरूपों की व्याख्या कीजिए तथा प्रादेशिक संतुलन स्थापित करने के लिए उपर्युक्त उपायों को सुझाइए।
(2006)
Answer : आर्थिक दृष्टि से कुछ राज्यों का विकसित तथा कुछ राज्यों का पिछड़ा होना या एक ही राज्य के विभिन्न क्षेत्रों के विकास में अंतर, प्रादेशिक विषमता कहलाती है। इसके लिए प्राकृतिक एवं मानवीय दोनों ही कारक उत्तरदायी हो सकते हैं।
ऐतिहासिक दृष्टि से प्रादेशिक विषमता के लिए ब्रिटिश सरकार की नीतियां उत्तरदायी हैं। ब्रिटिश सरकार द्वारा उन क्षेत्रों के विकास पर बल दिया गया, जहां उद्योग एवं व्यापार के लिए आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध थीं। महाराष्ट्र, पश्चिम ....
Question : भारत में जनजातियों, जनजातीय क्षेत्रों एवं उनकी समस्याओं का एक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
(2006)
Answer : जनजाति से तात्पर्य ऐसे नृजातीय समूह है, जिनके विशिष्ट शारीरिक लक्षण एवं विशिष्ट संस्कृति होती है। जनजातियों का विशिष्ट धर्म एवं भाषा होता है। ये सामान्यतः भौगोलिक एवं सामाजिक विलगाव के रूप में रहती हैं। जनजातियों की संख्या की दृष्टि से भारत विश्व में प्रथम स्थान रखता है। यहां कुछ विशेष क्षेत्रों में इनका संकेंद्रण पाया जाता है। भारत के जनजातीय क्षेत्रों को निम्नलिखित तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है।
Question : भारत में नगर नियोजन के तत्वों एवं उपागमों की विवेचना कीजिए।
(2006)
Answer : भारत में नगरों का विकास काफी अव्यवस्थित तथा अनियोजित रूप में हुआ है, जिसके कारण नगर कई समस्याओं से ग्रसित हो चुके हैं। इन समस्याओं को दूर करने के लिए ही नगर नियोजन की नीति अपनाई गई है। नगर नियोजन का उद्देश्य है, नगर के स्वास्थ्य, सौंदर्य एवं उपयोगी सेवाओं एवं सुविधाओं में वृद्धि करना। इसका उद्देश्य है, नगर के लोगों के लिए स्वास्थ्यप्रद परिस्थतियां प्रदान करना, उनके रहने एवं काम करने के लिए उपर्युक्त ....
Question : भूगोल और प्रादेशिक आयोजना के बीच के संबंध का परीक्षण कीजिए।
(2005)
Answer : भूगोल एक ऐसा विषय वस्तु है, जो मूलतः क्षेत्रीय वितरण और क्षेत्रीय संगठन का विश्लेषण प्रस्तुत करता है। क्षेत्र का तात्पर्य प्रदेश से है। दूसरे शब्दों में, भूगोल प्रादेशिक तथ्यों के वितरण संगठन और विश्लेषण का विज्ञान है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि प्रादेशिक नियोजन के अंतर्गत स्थलखंड के किसी इकाई (प्रदेश) के विकास हेतु नियोजन का कार्य किया जाता है। अतः नियोजन के लिए प्रदेश अनिवार्य है और प्रदेश के लिए ....
Question : भारत में प्रादेशिक योजना के अनुभव को राष्ट्रीय राजधानी प्रदेश के नियोजन के संदर्भ में दिखाइए।
(2005)
Answer : भारत जैसे वृहद् आकार (32.8 लाख वर्ग कि.मी.) और विशाल जनसंख्या (102 करोड़) तथा आर्थिक-सामाजिक विविधता के देश में प्रादेशिक नियोजन की नीति ही सर्वाधिक अनुकूल विकास की नीति हो सकती है। पुनः भारत की संवैधानिक संघीय व्यवस्था भी प्रादेशिक विकास नीति का समर्थन करता है।
भारत में प्रादेशिक नियोजन हेतु अनेक उपागमों को अपनाया गया है। इसमें महानगरीय प्रदेश नियोजन एक प्रमुख उपागम के रूप में 1960 के दशक में सामने आया। इस नियोजन को ....
Question : भारत में विकेन्द्रीकृत योजना के अंतर्गत पंचायती राज की विवेचना कीजिए।
(2005)
Answer : भारत जैसे वृहद आकार के सभी देशों में बहुस्तरीय नियोजन मॉडल अपनाए गए हैं। संवैधानिक संशोधन 73 के अनुसार भारत के नियोजन और विकास की लघुस्तरीय संस्था ग्राम पंचायतऔर उसकी इकाई ग्राम सभा है। इस संवैधानिक संशोधन के द्वारा संविधान में 11वीं अनुसूची सम्मिलित की गई, जिसमें ग्राम पंचायत के 20 प्रमुख कार्य निर्धारित किए गए हैं इनमें प्रमुख हैं- कृषि विकास, लघु सिंचाई, लघु उद्योग, ग्रामीण आवास, ईंधन और चारा, तथा प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम।
ग्राम ....
Question : विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में भारत की प्रादेशिक विकास नीति का परीक्षण कीजिए।
(2004)
Answer : स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात से ही एक ऐसे विकास प्रारूप का लक्ष्य रहा है जिसमें मात्र प्रगति नहीं संरचनात्मक समायोजन सहित परिवर्तन भी हो तथा जिसमें सिर्फ संख्यात्मक वृद्धि ही नहीं समानता का भी समावेश हो। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए विभिन्न प्रदेशों के मध्य विकास की असमानता को न्यूनतम करना आवश्यक है। प्रादेशिक विकास का उद्देश्य नियोजिम अर्थतंत्र के दौर में एक प्रमुख उद्देश्य रहा है।
योजनाकाल के प्रारम्भ से केन्द्र व राज्य सरकारें ....
Question : भारत के आर्थिक विकास में प्रादेशिक असमानताओं के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
(2003)
Answer : आर्थिक विषमता भारत की एक गंभीर समस्या है। स्वतंत्रता के पश्चात यह समस्या और भी गंभीर होकर अंतःप्रादेशिक एवं अन्तप्रार्देशिक स्तर पर उभर कर सामने आयी है। इस विषमता के कारण जहां एक ओर पंजाब जैसे राज्यों की प्रति व्यक्ति आय 16000/- रु. से अधिक है, वहीं उड़ीसा जैसे राज्य की 46 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करती है। पुनः एक तरफ महाराष्ट्र जैसे राज्य हैं, जहां पूरे विदेशी निवेश का 20 प्रतिशत ....
Question : दामोदर घाटी के संदर्भ, भारत में प्रादेशिक आयोजना के अनुभव का एक पूर्ण विवरण प्रस्तुत कीजिए।
(2003)
Answer : भारत ने स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश के आर्थिक विकास के लिए नियोजित विकास की रणनीति बनायी। इसी के तहत विभिन्न नहीं बेसिनों के ऊपर बहुद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं को आरंभ किया। सन् 1948 ई. में बिहार एवं पश्चिम बंगाल के बीच बहने वाली खतरनाक एवं बदनाम ‘दामोदर नदी’ के ऊपर बांध बनाने का निर्णय लिया गया। इसका मुख्य उद्देश्य दामोदर नदी घाटी क्षेत्र में बाढ़ की विभीषिका को कम करना तथा जल विद्युत सिंचाइं ....
Question : भारत में बहुद्देशीय परियोजनाओं के संबंध में कमांड एरिया विकास की संकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
(2003)
Answer : मृदा एवं जल संसाधन के संभावित उपयोग की दिशा में कमांड क्षेत्र का विकास कार्यक्रम अत्यन्त ही कारगर साबित हुआ है। इस योजना की शुरुआत 5वीं पंचवर्षीय योजना में ही की गई थी। पांचवी योजना के पहले बहुद्देश्यीय नदी घाटी योजना तथा कैचमेंट एरिया विकास कार्यक्रम के द्वारा कृषि विकास का कार्यक्रम अपनाया गया था।
लेकिन पांचवी योजना में जब क्षेत्र विकास की नीति अपनायी गयी, तो कृषि विकास के अति अनुकूल क्षेत्रों में कमांड क्षेत्र ....
Question : कावेरी जल अधिनिर्णय की प्रमुख विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
(2002)
Answer : कावेरी दक्षिणी भारत की सर्वाधिक महत्व वाली नदी है। इसे वहां के कृषि की जीवन धारा माना जाता है। यह केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु तथा पांडिचेरी नामक प्रदेशों से होकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है। इसमें पश्चिमी घाट पर होने वाले वर्षा का पानी लगभग वर्ष भर बहता रहता है।
इस नदी का अपवाह तंत्र अनूठा है। ऊपरी भाग ब्रह्मगिरी (कर्नाटक) में स्थित है, जो जल का स्रोत क्षेत्र है, जबकि मध्य और निचला भाग तमिलनाडु ....
Question : भारत के आर्थिक विकास में क्षेत्रीय असमानताओं का तर्कयुक्त कारण बताइए तथा इस समस्या के समाधान में विकेन्द्रित आयोजना के योगदान को उजागर कीजिए।
(2002)
Answer : भारत में आर्थिक विषमताएं उस भयावह सच की तरह बढ़ती जा रही हैं, जो भारत के संपूर्ण विकास, संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न होने की परिकल्पना को धूमिल करती प्रतीत होती हैं। इन आर्थिक विषमताओं के प्रमुख कारणों को दो भागों में रखा जा सकता हैः
(क) भौतिक कारण: जैसे अच्छी जलवायु, उपजाऊ मृदा, जल की सुविधा, समान उच्चावच्च आदि।
(ख) अभौतिक कारण: धर्म, संस्कृति, इतिहास, जनसंख्या, सरकारी नीतियां, शिक्षा आदि। भारत के अंदर भी इन कारणों की उपस्थिति ....
Question : जल विभाजक की अवधारणा एवं भूमि प्रबंधन में इसकी उपयोगिता स्पष्ट कीजिये।
(2001)
Answer : जल विभाजक एक क्षेत्रीय भौतिक इकाई है, जिसका सीमांकन जल विभाजक रेखा द्वारा होता है। जल विभाजक एक ऐसी उच्च भूमि है, जो जल प्रवाह की दिशाओं का विभाजन करता है। स्थलाकृति विज्ञान में जल विभाजक प्रदेश को नदी बेसिन अथवा नदी का जल ग्रहण क्षेत्र कहा जाता है। जल प्रवाह की एक निश्चित दिशा मृदा में जल की स्थिति, भूमिगत जल स्तर एवं जीवमंडल की जैविक विविधताओं का निर्धारण करती है। ये सभी कारक ....
Question : भारत की बहुस्तरीय नियोजन की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
(2000)
Answer : एक नियोजन प्रक्रिया या तो एक स्तरीय हो सकती है या बहुस्तरीय। बहुस्तरीय नियोजन की संकल्पना को विभिन्न प्रकार के प्रदेशों के लिए नियोजन के तौर पर पारिभाषित किया जा सकता है, जो मिलकर एक तंत्र व उपतंत्र का निर्माण करते हों। इस नियोजन में राष्ट्रीय क्षेत्र को छोटे-छोट क्षेत्रीय इकाईयों में विभक्त किया जाता है। इन छोटे इकाईयों की संख्या देश के आकार तथा उसकी प्रशासकीय भौगोलिक एवं क्षेत्रीय संरचना पर निर्भर करती है। ....
Question : भारत में बहुस्तरीय नियोजन की प्रकृति एवं उपयोगिता।
(1999)
Answer : नियोजन का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय लक्ष्यों एवं उद्देश्यों की पहचान करना तथा ऐसी नीतियों का निर्धारण करना है जिनसे इन्हें प्राप्त किया जा सके। साध्य एवं साधनों के समन्वय द्वारा आर्थिक समस्याओं का समाधान करना भी इसका उद्देश्य होता है। जब हम बहुस्तरीय नियोजन की बात करते हैं तो इसका तात्पर्य यह होता है कि अर्थव्यवस्था के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय खण्डों को उनकी आवश्यकताको ध्यान में रखते हुए संसाधनों का आवंटन किया जाये, ताकि ....
Question : भारत के आर्थिक विकास में प्रादेशिक असमानताओं के कारणों का विश्लेषण कीजिए तथा उनके निराकरण हेतु सुझाव दीजिए।
(1999)
Answer : भारत के विभिन्न क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति आय, कृषि विकास, औद्योगिक विकास, सड़कों की लम्बाई, नगरीय जनसंख्या आदि में भारी विषमता देखी जा सकती है। आम तौर पर भारत की भौगोलिक विविधताओं को इसके लिए जिम्मेदार माना जाता था, परन्तु इसमें ऐतिहासिक, आर्थिक और राजनीतिक कारक भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं हैं। निम्न प्रकार से इन कारकों का विश्लेषण करना उचित होगाः
1. भौगोलिक विषमता: भारत एक विशाल देश है और इसे भौगोलिक विषमताओं के कारण बहुत ....
Question : प्रस्तावित गंगा-कावेरी अपवाह तंत्र योजक की साध्यता का मूल्यांकन कीजिये।
(1998)
Answer : गंगा-कावेरी अपवाहतंत्र योजक योजना के समर्थक, कुछ निश्चित उद्देश्यों की पूर्ति हेतु इसका समर्थन कर रहे हैं। सर्वप्रथम, गंगा हिमालय से निकलने वाली सदानीरा नदी है तथा कावेरी प्रायद्वीपीय नदी है। जहां जलाधिक्य के कारण गंगा में बाढ़ का प्रकोप बना रहता है, वहीं जल की कमी के कारण कावेरी के आसपास के क्षेत्रों में सिंचाई सुविधा का अभाव पाया जाता है। दूसरा, कावेरी जल विवाद का मूल मुद्दा अपर्याप्त जल का बंटवारा है। इस ....
Question : भारत में प्रादेशिक चेतना और राष्ट्रीय एकता में भाषाओं की भूमिका पर चर्चा कीजिये।
(1998)
Answer : भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 18 भाषाओं का उल्लेख है, परन्तु क्षेत्रीय स्तर पर असंख्य भाषाएं भारत में बोली जाती हैं। किसी भी क्षेत्र के परिसीमन में आंतरिक एकरूपता व बाह्य भिन्नता को मापदंड माना गया है। भाषा ने भारत में आंतरिक एकरूपता तो प्रदान की है, परन्तु बाह्य भिन्नता के कारण समय-समय पर उग्र क्षेत्रीय चेतना को भी बढ़ाया है, जिससे राष्ट्रीय एकता प्रभावित हुई है।
भाषा के आधार पर हम भारत को 18 ....