Question : स्थानीय पवनों के विकास पर और स्थानीय मौसम पर उनके प्रभाव पर चर्चा कीजिए और संसार के प्रसिद्ध स्थानीय पवनों के तीन उदाहरण दीजिए?
(2007)
Answer : धरातल पर स्थायी पवनों के अलावा ऐसे भी पवन प्रवाह पाये जाते हैं, जिनकी उत्पत्ति केवल स्थानीय कारणों से होती है तथा जिनके प्रभाव क्षेत्र सीमित होते हैं। ऐसे पवनों को स्थानीय पवन प्रवाह कहा जाता है। कुछ मौसम वैज्ञानिक इन्हें वायुमंडल के तृतीयक परिसंचरण के अंतर्गत मानते हैं। इनकी उत्पत्ति के विभिन्न कारणों में स्थानीय तापान्तर ही सर्वप्रमुख है। इन पवनों की ऊंचाई अधिक नहीं होती है। ऐसे प्रत्येक स्थानीय पवन की निजी विशेषताएं ....
Question : उष्णकटिबंधीय चक्रवात की संरचना एवं संबंधित मौसमी दशाओं का शीतोष्ण चक्रवात की संरचना एवं मौसमी दशाओं के साथ तुलना कीजिए।
(2006)
Answer : चक्रवात चलते-फिरते निम्न वायुदाब के केन्द्र होते हैं जो क्रमशः उच्च दाब की समदाब रेखाओं द्वारा घिरे होते हैं। शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात दोनों गोलार्द्धो में 30° से 65° उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों के बीच स्थित भू-भाग में उत्पन्न होते हैं। इन क्षेत्रों में अयनवर्ती क्षेत्र की उष्ण एवं आर्द्र वायु राशियां तथा उच्च अक्षांशों की शीत एवं शुष्क वायु राशियां एक-दूसरे के संपर्क में आती हैं। इसके फलस्वरूप वाताग्र का निर्माण होता है एवं इन ....
Question : कोपेन द्वारा विकसित जलवायु वर्गीकरण प्रणाली के प्रमुख घटकों की विवेचना कीजिए। इसकी विसंगतियों को भी इंगित कीजिए।
(2005)
Answer : ब्लादीमीर कोपेन एक जर्मन जीव वैज्ञानिक था, लेकिन उसने अपने जीवन का अधिकांश भाग जलवायु के अध्ययन में बिताया तथा जलवायु और वनस्पति के अंतर्संबंधों के आधार पर जलवायु वर्गीकरण की योजना प्रस्तुत की। उसकी यह योजना डी. कंडोल (De Condolle) के विश्व वनस्पति मानचित्र पर आधारित थी। यह विभाजन पूर्णतः वनस्पति प्रदेशों के अनुसार ही था, क्योंकि कोपेन का विचार था कि वनस्पति की सीमाएं जलवायु की सीमाओं का निर्धारण करती हैं।
यह जलवायु वर्गीकरण ....
Question : संभाव्य वाष्पन-वाष्पोत्सर्जन।
(2004)
Answer : संभाव्य वाष्पन-वाष्पोत्सर्जन दो प्रक्रियाओं वाष्पीकरण और उत्सर्जन का समागम है। संभाव्य वाष्पन-वाष्पोत्सर्जन का मतलब है वैसी आदर्श स्थिति जिसमें पर्याप्त वर्षा हो ताकि किसी क्षेत्र में संभावित वाष्पीकरण और उत्सर्जन के लिए पर्याप्त आर्द्रता उपलब्ध हो सके।
किसी स्थान या क्षेत्र की संभाव्य वाष्पोत्सर्जन के निर्धारण करने के लिए तापमान, अक्षांश, वनस्पति तथा मृदा की जल ग्रहण क्षमता को ध्यान में रखा जाता है। अगर तापमान ज्यादा हो तो संभाव्य-वाष्पोत्सर्जन भी ज्यादा होगा। तापमान तथा वायु ....
Question : वायुमंडल के त्रिकोशिकीय देशांतरीय परिसंचरण की क्रिया विधि तथा महत्व की विवेचना कीजिए
(2003)
Answer : आवर्तनशील पृथ्वी के तल पर विशुद्ध तापीय कारण से उत्पन्न एक कोशीय पवन संचरण व्यवस्था का लोप हो जाता है। इसके स्थान पर प्रत्येक गोलार्द्ध में त्रिकोशीय रेखांशिक परिसंचरण की स्थापना हो जाती है। वायुमंडल की गैसीय संरचना द्वारा वायु दाब की क्षेत्रीय विषमता वायु प्रवाह को विकसित करता है। यह वायु प्रवाह न सिर्फ सतह पर होता है वरन् क्षोभमंडल के ऊपरी वायु परिस्थितियों से भी जुड़ा होता है। अतः जब ऊपरी और निचली ....
Question : उन कसौटियों पर चर्चा कीजिए जिनको थार्न्थवेट ने संसार की जलवायुओं के अपने 1948 के वर्गीकरण में अपनाया था।
(2002)
Answer : थार्न्थवेट ने जलवायु पर अपना वर्गीकरण सर्वप्रथम 1931 में प्रस्तुत किया, तत्पश्चात् उसमें कुछ और संशोधन करके 1933 में प्रस्तुत किया। कोपेन की भांति थार्न्थवेट ने भी यह स्वीकार किया कि वनस्पति, जलवायु का सूचक होती है तथा वनस्पति पर वर्षा की मात्र व तापक्रम का पर्याप्त प्रभाव होता है, परन्तु वाष्पीकरण को भी ध्यान में रखना होगा। इसी आधार पर उन्होंने वर्षण प्रभाविता (percipitation effectiveness) तथा तापक्रम प्रभाविता को जलवायु प्रदेशों के सीमा-निर्धारण में ....
Question : वायुराशियों की संकल्पना की विवेचना कीजिए तथा उनका वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिए।
(2001)
Answer : जलवायु विज्ञान के क्षेत्र में वायुराशि की संकल्पना का पर्याप्त महत्व है। इसके द्वारा मौसम में होने वाले व्यापक परिवर्तनों को समझने एवं मौसम पूर्वानुमान के क्षेत्र में काफी सहायता मिलती है। विश्व के विभिन्न भागों में मौसम परिवर्तन मुख्यतः विभिन्न वायुराशियों की क्रिया- प्रतिक्रिया एवं स्वयं उनके भीतर पायी जाने वाली प्रक्रियाओं के कारण होते हैं। वायुराशियों के द्वारा ही महासागरों से आर्द्रता भारी मात्र में महाद्वीपों के ऊपर लायी जाती है, जिसके फलस्वरूप ....
Question : पृथ्वी की सतह से वर्षण के प्रकारों और वितरण का ब्यौरा दीजिए।
(2000)
Answer : द्रव या ठोस रूप में पृथ्वी पर गिरने वाले जल को वषर्ण के रूप में पारिभाषित किया जाता है। फोस्टर के अनुसार वायुमंडलीय आर्द्रता का गिरना ही वर्षण है और यह जलीय चक्र की शायद सबसे महत्वपूर्ण अवस्था है।
वषर्ण का पहला चरण संघनन है। संघनन की प्रक्रिया जलवाष्प से द्रवीभूत होने की प्रक्रिया को सम्मिलित करती है जबकि वर्षण के अंतर्गत जल वर्षा, हिमपात, ओला तथा अन्य दूसरे रूप आते हैं।
वर्षण के प्रकार: वर्षा के ....
Question : कोपेन के वर्गीकरण के मुताबिक Cs प्रकार की जलवायु
(1999)
Answer : ब्लादीमीर कोपेन ने तापक्रम एवं वर्षा के आधार पर जलवायु का वर्गीकरण किया है। इनका वर्गीकरण परिमाणात्मक है, क्योंकि इन्होंने जलवायु प्रदेशों की सीमाओं के निर्धारण में तापक्रम तथा वर्षा के संख्यात्मक मूल्यों का प्रयोग किया है। कोपेन ने वनस्पति वर्गों के आधार पर विश्व में पांच जलवायु वर्ग बताये तथा उनका नामकरण A, B, C, D तथा E वर्णों द्वारा किया। इनमें से C वर्ण सामान्य शीतयुक्त मध्य अक्षांशीय आर्द्र जलवायु (उष्णार्द्र समशीतोष्ण जलवायु) ....
Question : उष्णकटिबंधीय और शीतोष्ण चक्रवातों का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत कीजिये?
(1999)
Answer : चक्रवात निम्न दाब के केन्द्र होते हैं, जिनके चारों तरफ सकेन्द्रीय सम वायुदाब रेखाएं विस्तृत होती हैं तथा केन्द्र से बाहर की ओर वायुदाब बढ़ता जाता है, परिणामस्वरूप परिधि से केन्द्र की ओर हवाएं चलने लगती हैं, जिनकी दिशा उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी की सुइयों के विपरीत तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में अनुकूल होती है। स्थिति के दृष्टिकोण से चक्रवातों को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है- (i) शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात, तथा (ii) उष्ण कटिबंधीय ....
Question : पृथ्वी के वायुमंडल की प्रकृति और संघटन पर चर्चा कीजिए।
(1998)
Answer : पृथ्वी के चारों तरफ कई सौ किलोमीटर की मोटाई में व्याप्त गैसीय आवरण को ‘वायुमंडल’ कहा जाता है। वायुमंडल की विभिन्न गैसें पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी के ऊपर टिकी रहती हैं। वायुमंडल की गैसें सामान्य भौतिक गैस नियमों का पालन करती हैं। यद्यपि समय या स्थान के अनुसार पृथ्वी के वायुमण्डल में तापमान व दाब- परिवर्तित होता है लेकिन उसके संघटन में गैसों का प्रतिशत लगभग स्थिर रहता है। वायुमंडल के संघटन को ....