Question : संवृद्धि ध्रुव
(2004)
Answer : यह सिद्धांत सर्वप्रथम फ्रांसिक पेराक्स द्वारा प्रस्तुत किया गया। उसके विचार से वृद्धि सर्वव्यापक नहीं है, वरन यह अस्थिर प्रेरकों के साथ बिंदु या ध्रुवों के रूप में प्राप्त होती है।
वृद्धि या नाभिक पदानुक्रम में सर्वोच्च स्तर रखते हैं। ये केंद्र सामान्यतः 500000 से 2500000 जनसंख्या रखते हैं। तृतीयक सेवाओं का भाग द्वितीयक और प्राथमिक सेवाओं से अधिक होता है।
संपूर्ण अर्थव्यवस्था के लिए परिवर्तित अंतिम प्रभाव के साथ वृद्धि असंख्य चैनलों से प्रसारित होती है। ....
Question : कृषि वानिकी
(2001)
Answer : कृषि वानिकी एक टिकाऊ विकास की अवधारणा है, जिसके माध्यम से पारिस्थितिक संतुलन को बनाये रखने में सहायता मिलती है। इसके अंतर्गत फसलों की कृषि के साथ-साथ वृक्षारोपण का भी कार्य किया जाता है। कृषि वानिकी वास्तव में भू-उपयोग की एक ऐसी पद्धति है, जिसमें वृक्षों को कृषित भूमि में विचारपूर्वक एवं निश्चित उद्देश्य की पूर्ति हेतु उगाया जाता है। कृषि वानिकी के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में भोजन, ईंधन, चारा, रेशा, खाद आदि की ....
Question : संसाधन प्रबंधन शब्द को स्पष्ट कीजिए। संसाधनों की विश्वव्यापी कमी और मानवता के भविष्य के संदर्भ में इसकी प्रासंगिकता पर चर्चा कीजिए।
(1998)
Answer : पृथ्वी के उन सभी तत्त्वों को ‘संसाधन’ की संज्ञा प्रदान की जाती है जो मनुष्य के लिए लाभकारी व जरूरी हैं। इस प्रकार ‘संसाधन’ को मनुष्य परिभाषित करता है, न कि प्रकृति। हाल के वर्षों में संसाधनों के संदर्भ में कई समस्याएं सामने आयी हैं, जिनके कारण संसाधन प्रबंधन अनिवार्य हो गया हैः
Question : पर्यावरण पर उन्नत कृषि प्रौद्योगिकी के प्रभाव का परीक्षण कीजिए। अपने उत्तर के समर्थन में उदाहरण भी दीजिए।
(1998)
Answer : हाल के वर्षों में उन्नत कृषि प्रौद्योगिकी के दुष्परिणामों के फलस्वरूप ‘धारणीय कृषि’ की अवधारणा ने हम सबका ध्यान आकर्षित किया है। चूंकि कृषि लोगों की मूल जरूरतों को पूरा करती है, इसलिए कृषि उत्पादन का व्यावसायीकरण किया गया। यह कार्य उन्नत बीजों, रासायनिक उर्वरक, कीट-नाशकों, सिंचाई व्यवस्था व यंत्रीकरण द्वारा पूर्ण किया गया। इनके हानिकारक प्रभाव की अवहेलना की गयी। कृषि नियोजकों का ध्येय मात्र फसल उत्पादन बढ़ाना रहा। उन्होंने पर्यावरण पर इनके दुष्प्रभाव ....