Question : समस्थिति की संकल्पना की परिभाषा कीजिए तथा एयरी और प्रैट के अभिगृहीतों पर चर्चा कीजिए।
(2007)
Answer : समस्थिति भूपृष्ठ के विभिन्न तैरते हुए ब्लाकों के मध्य संतुलन की दशा है।* समस्थिति या आइसस्टेसी शब्द ग्रीक भाषा के आइसस्टेसिओस (ISOSTASIOS) से बना है] जिसका अर्थ है समान स्थिति। जिसकी जानकारी 1855 ई- में प्रैट ने अपने विचारों में प्रस्तुत की थी] पर इसका नामकरण डटन नामक अमरीकी भूविज्ञानी ने सन् 1889 ई- में किया और इसे समस्थिति अथवा आइसस्टेसी का नाम दिया। इसका आशय यह है कि पृथ्वी की सतह पर उपस्थित असमान ....
Question : ए. वेगनर की महाद्वीपीय विस्थापन परिकल्पना का समालोचनात्मक मूल्यांकन करें।
(2006)
Answer : महाद्वीपों के प्रवाहित होने की संभावना का संकेत सर्वप्रथम एन्टोनियो एनाइडर ने 1858 ई. में दिया था। टेलर ने 1910 ई. में महाद्वीपीय प्रवाह की परिकल्पना के आधार पर मोड़दार पर्वतों के वितरण को स्पष्ट करने का प्रयास किया। परंतु सर्वप्रथम वेगनर ने महाद्वीपीय विस्थापन को एक सिद्धांत के रूप में रखा तथा इसके समर्थन में कई महत्वपूर्ण साक्ष्य प्रस्तुत किया। वेगनर ने विश्व के विभिन्न भागों में हुए जलवायु परिवर्तन को महाद्वीपीय विस्थापन द्वारा ....
Question : स्थलाकृतियों के उद्भव में संरचना एक प्रमुख नियंत्रक कारक है। उपयुक्त उदाहरणों के साथ विवेचना कीजिए।
(2005)
Answer : किसी भूदृश्य के विकास में उसकी संरचना का महत्व सर्वोपरि है, किंतु साथ-साथ अपरदन के प्रक्रम तथा विकास की अवस्था का भी स्थलाकृतियों के उद्भव पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। इसी तथ्य को ध्यान में रखकर डेविस ने कहा है कि स्थलाकृतियों का उद्भव संरचना, प्रक्रम तथा अवस्था का प्रतिफल है। वास्तव में, किसी भी भूदृश्य के विकास में यही तीन प्रमुख नियंत्रण कारक हैं। इन तीनों में भी संरचना स्थलाकृतियों के विकास का प्रमुख ....
Question : पृथ्वी की आंतरिक दशा के अध्ययन में भूकंपीय तरंगों की भूमिका।
(2005)
Answer : भूकंप-विज्ञान वह विज्ञान है, जिसमें भूकंपीय लहरों का सीस्मोग्राफ यंत्र द्वारा अंकन किया जाता है। यही एक ऐसा प्रत्यक्ष साधन है, जिससे पृथ्वी के आंतरिक भाग की बनावट के विषय में पर्याप्त जानकारी उपलब्ध होती है।
जिस जगह से भूकंप का कंपन प्रारंभ होता है उसे भूकंप मूल (focus) कहा जाता है तथा जहां पर भूकंपीय लहरों का अनुभव सबसे पहले किया जाता है, उसे भूकंप केंद्र कहते हैं। भूकंप के दौरान पृथ्वी में कई प्रकार ....
Question : अंतर्जात बलों के फलस्वरूप बनी भू-आकृतियों का वर्णन कीजिए।
(2004)
Answer : ऐसी बहुत सी भूगर्भिक प्रक्रियाएं, शक्तियां एवं इनके द्वारा जनित संचलन हैं जो पृथ्वी पर भूगर्भिक पदार्थ तथा विभिन्न प्रकार के उच्चावच लक्षणों के निर्माण, विनाश, पुनर्निर्माण तथा संवर्धन में लगे रहते हैं। इन बलों को दो विस्तृत विभागों में बांटा जाता है - अंतर्जात बल तथा बहिर्जात बल। पृथ्वी के आंतरिक भाग से उत्पन्न होने वाले बल को अंतर्जात बल कहा जाता है। पृथ्वी की सतह पर उत्पन्न होने वाले बल बहिर्जात बल कहे ....
Question : तटीय क्षेत्रों से संबंधित स्थलाकृतियों के क्रमिक विकास की व्याख्या कीजिए।
(2003)
Answer : तटीय प्रदेशों में स्थलाकृतियों के विकास के दूत के रूप में मुख्यतः समुद्री तरंग कार्य करते हैं। इसका आधार भी बहते हुए जल की तरह समुद्र तल ही होता है। तटीय प्रदेश के ऊपरी भाग में मुख्यतः अपरदनात्मक स्थलाकृति का विकास होता है, जबकि निम्न भाग में निक्षेप से निर्मित स्थलाकृतियों का विकास होता है। कई भूगोलवेत्ताओं द्वारा तटीय अपरदन चक्र का सिद्धांत भी दिया गया है। इसमें सबसे पहला सिद्धांत गिलवर्ट-लोबेक द्वारा दिया गया ....
Question : डेविस द्वारा प्रतिपादित भौगोलिक चक्र मॉडल की समालोचना कीजिए।
(2002)
Answer : डेविस महोदय ने सर्वप्रथम 1899 ई. में भौगोलिक-चक्र की संकल्पना का प्रतिपादन किया। तथा इसके अनुसार भौगोलिक चक्र समय की वह अवधि है, जिसके अन्तर्गत कोई उत्थित-भूखण्ड अपरदन के प्रक्रम द्वारा प्रभावित होकर एक आकृति-विहीन समतल मैदान में बदल जाता है। इस तरह डेविस ने स्थल रूपों के विकास में चक्रीय पद्धति का अवलोकन ऐतिहासिक परिवेश में किया। उन्होंने बताया कि स्थल स्वरूपों के निर्माण एवं विकास पर संरचना, प्रक्रम तथा समय का प्रभाव होता ....
Question : भू-अभिनति
(2002)
Answer : साधारण अर्थ में भू-अभिनति का तात्पर्य जल-पूर्ण गर्त से लिया जाता है जिसमें तलछट का जमाव होता रहता है, जिस कारण उनकी तली निरन्तर नीचे धंसती जाती है। परिणामस्वरूप अधिक गहराई तक अवसादों का जमाव हो जाता है। भू-अभिनति लम्बा, संकरा तथा उथला जलीय भाग होती है, जिनमें तलछटीय निक्षेप के साथ-साथ तली में धंसाव होता है।
भू-अभिनति की संकल्पना का विकास वलित पर्वतों की व्याख्या के समय किया गया है। इस क्षेत्र में प्रथम सराहनीय ....
Question : भू-संतुलन सिद्धांत का एक आलोचनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत कीजिए।
(2001)
Answer : भू-संतुलन शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम डटन द्वारा किया गया। भू-पटल के विस्तृत खंड जैसे महाद्वीप, सागरीय नितल, पर्वत, पठार, मैदान आदि अलग-अलग ऊंचाई रखते हुए भी तीव्र गति से परिक्रमण एवं घूर्णन करती हुई पृथ्वी पर संतुलित रूप से स्थित हैं। भू-पटल अपेक्षाकृत अधिक घनत्व से निर्मित प्लास्टिक दुर्बलमंडल पर तैर रहा है। तैरते हुए भू-पटल के विभिन्न खंडों के मध्य स्थित संतुलन की आदर्श दशा को ही भू-संतुलन कहा जाता है। 1855 ई. में ....
Question : प्लेट विवर्तनिकी के सिद्धांत के हवाले से, संसार के तरुण वलित पर्वत तंत्रों की उत्पत्ति और वृद्धि को स्पष्ट कीजिए।
(2000)
Answer : पर्वत तंत्रों की उत्पत्ति एक बहुत ही व्यापक व संश्लिष्ट सिद्धांत है जो पृथ्वी पर महासागरों और महाद्वीपों, पर्वतों और गर्तों तथा पर्वत निर्माण के क्षेत्रों के वितरण एवं उनकी विभिन्न प्रक्रियाओं की सर्वाधिक तर्कसंगत एवं सुस्पष्ट व्याख्या करता है। इस सिद्धांत के अनुसार स्थलमंडल अनेक दृढ़ खंडों में बंटा हुआ है, जिसे प्लेट कहते हैं। इन प्लेटों की औसत गहराई 100 से 150 किमी. होती है। ये प्लेट दुर्बलमंडल के प्लास्टिक सतह पर सतत ....
Question : ‘महाद्वीपीय विस्थापन’ सिद्धांत और ‘प्लेट विवर्तनिक’ सिद्धांत के बीच अन्तर स्पष्ट कीजिए
(1999)
Answer : महाद्वीपों एवं महासागरों के स्थायित्व से संबंधित परिकल्पनाओं के विरोध में ही ‘महाद्वीपीय विस्थापन’एवं ‘प्लेट विवर्तनिक’सिद्धांत का प्रतिपादन किया गया। कहना न होगा कि प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत ने महाद्वीपीय प्रवाह के सिद्धांत को संपुष्टि प्रदान की है। हालांकि दोनों सिद्धांत प्रवाह पर एकमत हैं, फिर भी दोनों में कई मतभेद भी पाये जाते हैं। इन अंतरों को समझने के लिए इन्हें निम्न वर्गों में बांटा जा सकता हैः
1. प्रवाहित खण्डः महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत के ....
Question : भू-आकृतिक प्रक्रम।
(1999)
Answer : भू-आकृतिक प्रक्रम के अंतर्गत उन सभी भौतिक व रासायनिक परिवर्तनों को शामिल किया जाता है जो पृथ्वी की सतह में परिवर्तन लाते हैं। एक भू-आकृतिक कारक कोई भी ऐसा प्राकृतिक माध्यम हो सकता है, जिसमें पृथ्वी के पदार्थों को स्थानांतरित करने की क्षमता हो, जैसे-बहता हुआ जल, भूमिगत जल, हिमनद, वायु, लहरें, तरंगें, ज्वार, सुनामिस आदि। ज्यादातर भू-आकृतिक कारकों की उत्पत्ति पृथ्वी के वायुमंडल के अंदर होती है तथा ये गुरुत्वबल से प्रभावित व निर्देशित ....
Question : ज्वालामुखीयता की संकल्पना पर चर्चा कीजिए और दर्शाइए कि प्लेट विवर्तनिकी का सिद्धांत किस प्रकार ज्वालामुखीयता और ज्वालामुखी उद्गारों की क्रियाविधि को स्पष्ट करता है?
(1998)
Answer : भूगर्भशास्त्र में ज्वालामुखी, ज्वालामुखी के प्रकट होने की क्रिया व ज्वालामुखीयता में पर्याप्त अंतर बताया जाता है। ज्वालामुखी प्रायः एक गोल या कुछ गोल आकार का छिद्र अथवा खुला भाग होता है, जिससे होकर पृथ्वी के अत्यंत तप्त भूगर्भ से गैस, तरल लावा, जल एवं चट्टानों के टुकड़ों से युक्त गरम पदार्थ पृथ्वी के धरातल पर प्रकट होते हैं।

इसके विपरीत, ‘ज्वालामुखीयता वह क्रिया ....