Question : धारणीय विकास की संकल्पना को स्पष्ट कीजिए और कृषि विकास के लिए एक मॉडल को प्रस्तावित कीजिए।
(2007)
Answer : धरातलीय विकास के अंतगर्त उन कार्यक्रमों को सम्मलित किया जाता है, जो पर्यावरण के आधारभूत गुणों को बिना विचलित किए हुए विकास कार्यक्रमों द्वारा अधिवासीय जनसंख्या को अनुकूलतम संतुष्टि प्रदान करे। अनुकूलतम संतुष्टि का तात्पर्य संतुष्टीकरण के उस स्तर से है जिसके आगे अधिकतम संतुष्टीकरण की अवधारणा विकसित होती है और अधिकतम संतुष्टीकरण के एवज में पर्यावरण का अवनयन प्रारंभ होने लगता है। अतः धारणीय विकास वह संदर्भ बिन्दु है जिसके आगे तकनीकी, पूंजी, कुशल ....
Question : केन्द्रीय स्थान सोपान के प्रकार्यात्मक आधारों का एक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
(2007)
Answer : केन्द्रीय स्थान वह बस्ती है, जो चारों ओर फैले पृष्ठ प्रदेश के लिए सामाजिक-आर्थिक प्रकार के विभिन्न कार्यों का आवश्यक रूप से एक संग्रह केन्द्र है। केन्द्रीय स्थान केवल जनसंख्या का समूह ही नहीं है, बल्कि यह दुकानों, व्यापारों व सेवाओं का संग्रह। है।
केन्द्रीय स्थान वह बस्ती है जो अपने कार्यों द्वारा यह बस्ती अपने समीपवर्ती क्षेत्र की सेवा करती है। जिन कार्यो द्वारा अपने समीपवर्ती क्षेत्र की सेवा करती है, उन्हें केन्द्रीय कार्य कहा ....
Question : भारत जैसे विकासशील देशों में जनांकिकीय संक्रमणों का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्राचलों पर एक टिप्पणी लिखिए।
(2007)
Answer : वर्तमान समय में जनसंख्या भूगोल की विशिष्ट शाखा है। इसके अंतर्गत जनसंख्या से संबंधित विभिन्न पहलुओं की विशद् चर्चा की गई है। जिसके अंतर्गत जनसंख्या के विभिन्न पहलुओं को दो विशिष्ट भेदों में वर्गीकृत किया गया है। विकसित देशों की जनसंख्या व विकासशील देशों की जनसंख्या। दोनों वर्ग के जनांकिकीय संक्रमणों में पर्याप्त विभेद है। वस्तुतः यह विभेद गत्यात्मक है तथा समय के साथ परिवर्तित होते आ रहे हैं। यह विभेद आधुनिक काल की देन ....
Question : वैश्विक पारिस्थितिक असंतुलनों एवं उनके प्रबंधन पर चर्चा कीजिए।
(2006)
Answer : आदिम मानव पारिस्थितक तंत्र के साथ सामंजस्य स्थापित कर जीवन व्यतीत करता था। सांस्कृतिक विकास के साथ-साथ पारिस्थितिक तंत्र में मानव का हस्तक्षेप बढ़ता गया, जिसके फलस्वरूप पारिस्थितिक असंतुलन की समस्या उत्पन्न हुई है। पारिस्थितिक असंतुलन के लिए मुख्यतः निम्नलिखित कारक उत्तरदायी हैं।
उपर्युक्त कारकों के फलस्वरूप स्थलमंडल, जलमंडल एवं वायुमंडल का प्रदूषण हुआ है। अवैज्ञानिक कृषि के कारण मृदा अपरदन की ....
Question : संधृत विकास
(2006)
Answer : विगत शताब्दी में जनसंख्या विस्फोट तथा उपभोक्ता वादी संस्कृति के कारण संसाधनों पर दबाव में काफी वृद्धि हुई है। इसके परिणामस्वरूप एक ओर संसाधनों के विलोपन की आशंका उत्पन्न हुई है तो दूसरी ओर पर्यावरण प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हुई है। उदाहरण के लिए ऐसी आशंका है कि खनिज तेल का भंडार 40-50 वर्षों में तथा कोयला 150-200 वर्षों में समाप्त हो जाएगा। उद्योगों तथा वाहनों से निकालने वाले धुओं के कारण वायु प्रदूषण हो ....
Question : विश्व स्तरीय पर्यावरणीय प्रदूषण की प्रमुख समस्याओं का निरुपण कीजिए तथा उन पर नियंत्रण के उपाय भी सुझाइए।
(2005)
Answer : पर्यावरण प्रदूषण की कोई सर्वमान्य परिभाषा नहीं है, फिर भी अमेरिकी राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (1966) के अनुसार ‘प्रदूषण जलवायु या भूमि के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में होने वाला कोई भी अवांछनीय परिवर्तन है, जिससे मानव, अन्य जीवों, औद्योगिक प्रक्रियाओं या सांस्कृतिक तत्व तथा प्राकृतिक संसाधनों को कोई हानि हो या हानि होने की संभावना हो।’
संयुक्त राष्ट्र के मानव पर्यावरण सम्मेलन में प्रदूषण की परिभाषा निम्नवत दी गई है- ‘प्रदूषक वे सभी पदार्थ और ....
Question : भूमंडलीय तापन के प्रभाव पृथ्वी के एक भाग से दूसरे भाग के बीच किस प्रकार से भिन्न होंगे? एक तर्कयुक्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
(2004)
Answer : वायुमंडल में मानव-जनित कार्बन डाइऑक्साइड के आवरण प्रभाव (blanketting effect) के कारण पृथ्वी की सतह के प्रगामी तापन को भूमंडलीय तापन कहते हैं। जिस प्रक्रिया द्वारा भूमंडलीय तापन होता है उसे हरितगृह प्रभाव (Greenhouse Effect) कहा जाता है।
पृथ्वी के संदर्भ में जलवाष्प, कार्बन डाइऑक्साइड तथा कुछ अन्य गैसें हरितगृह की तरह व्यवहार करती हैं क्योंकि ये सौर्यिक विकिरण को धरातल तक पहुंचने में कोई बाधा उपस्थित नहीं करती हैं परंतु पृथ्वी से होने वाले बर्हिगामी ....
Question : पर्यावरण प्रदूषण।
(2003)
Answer : पर्यावरण दो शब्दों ‘परि’ तथा ‘आवरण’ के संयोग से बना है, जिसका अर्थ है चारों ओर का आवरण। यह पृथ्वी पर पाये जाने वाले जीवधारियों के परितः वह आवरण है जिसका जीवधारियों पर सीधा प्रभाव पड़ता है तथा साथ ही स्वयं जीवधारियों की गतिविधियों के कारण प्रभावित होता रहता है।
सामान्यतः पर्यावरण के विभिन्न घटक एक निश्चित मात्र तथा अनुपात में होते हैं तथा विभिन्न घटकों के मध्य साम्य बना रहता है। विशिष्ट परिस्थितियों में पर्यावरण ....
Question : एक पारिस्थितिक तंत्र के रूप में जीवमंडल की संकल्पना पर विस्तार से लिखिए।
(2002)
Answer : वस्तुओं के सम्मुच्चय को तंत्र कहा जाता है, जिसके अन्तर्गत एक वस्तु का दूसरे वस्तु से सम्बन्ध तथा उनके वैयक्तिक गुणों का अध्ययन किया जाता है। तंत्र वस्तुओं या विचारों का एक गठित समुच्चय होता है। ये (तंत्र) ऐसे संघटकों अथवा विचारों से मिलकर बनते हैं जिनमें आपस में दृश्य संबंध होते हैं तथा ये एक साथ निश्चित प्रणाली के तहत कार्यशील होते हैं। पारिस्थितिक तंत्र नामावली का सर्वप्रथम प्रयोग ए.जी. टान्सली द्वारा 1935 में ....
Question : पास्थितिकी तंत्र की संकल्पना, घटकों तथा कार्य प्रणाली की विवेचना कीजिए।
(2001)
Answer : पारिस्थितिकी वह विज्ञान है, जो किसी क्षेत्र में रहने वाले विभिन्न जीवों के परस्पर संबंधों एवं भौतिक पर्यावरण से उनके संबंधों का अध्ययन करता है। पौधे, जंतु एवं अन्य जीव तथा भौतिक पर्यावरण एक साथ मिलकर पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते हैं। अतः यह कहा जा सकता है कि पारिस्थितिक तंत्र का तात्पर्य उस भौगोलिक परिस्थिति से है जिसमें जैविक घटक एवं अजैविक घटक अंतर-आकर्षित होकर एक नवीन परिस्थिति का निर्माण करते हैं। ओडम का ....
Question : पर्यावरणीय निम्नीकरण के कारणों और परिणामों पर चर्चा कीजिए और संबंधित संरक्षण उपायों पर प्रकाश डालिए।
(2000)
Answer : पर्यावरण पृथ्वी पर स्थित जीवनदायिनी तंत्र के अजैविक या भौतिक (भूमि, जल, वायु) तथा जैविक (पादप व जन्तु जिसमें मानव भी शामिल है) घटकों को सम्मिलित करता है। पर्यावरण निम्नीकरण से तात्पर्य है, भौतिक घटकों के स्तर में जैविक प्रक्रियाओं, मुख्यतः मानवीय क्रियाकलापों द्वारा गिरावट इस स्तर तक लाया जाना कि वो पर्यावरण के स्वतः नियामक तंत्र द्वारा ठीक न हो सके। दूसरे शब्दों में, पर्यावरणीय निम्नीकरण का मतलब है- मानवीय हस्तक्षेप द्वारा पर्यावरण मूलभूत ....
Question : निर्वहनीय विकास के प्रयोजन के लिए एक पारिस्थितिक तंत्र के रूप में ‘जल विभाजक’ की प्रासंगिकता की चर्चा कीजिये।
(1999)
Answer : विगत वर्षों में जहां एक तरफ मानव ने अभूतपूर्व विकास किया है, वहीं दूसरी ओर इस प्रक्रिया द्वारा उसने पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाया है। आजकल निर्वहनीय विकास की अवधारणा पूरी जोर पकड़ती जा रही है। आर्थिक नियोजक, नियोजन के लिए एक ऐसे पारिस्थितिक तंत्र की तलाश में हैं, जो विकास को वांछित दिशा देने के साथ-साथ पर्यावरण विकास एवं संरक्षण में भी सहायक हो। भारत की नौवीं योजना में ‘जल विभाजक’ को ही नियोजन ....