Question : भूगोल में द्वैतवाद
(2007)
Answer : द्वैतवाद का तात्पर्य किसी एक विषयवस्तु पर दो उपागम द्वारा विश्लेषण का प्रयास अथवा एक ही आधारभूत विषय के लिए अलग-अलग विषयवस्तु का चयन करना है। इससे दो प्रकार की संकल्पनाएं विकसित होती हैं, लेकिन दोनों ही संकल्पनाओं का अंतिम उद्देश्य एक ही मौलिक विषय होता है। यही कारण है कि इसे द्वैतवाद कहा गया है।
द्वैतवाद का एकमात्र तात्पर्य संकल्पनाओं का विभाजन ही नहीं है, वरन् दावे और प्रतिदावे के द्वारा संकल्पना विशेष को मान्यता ....
Question : विश्व के प्रमुख सांस्कृतिक परिमंडल
(2006)
Answer : एक ऐसा भौगोलिक प्रदेश जहां निवास करने वाले लोगों में सांस्कृतिक समरूपता पाई जाती है, सांस्कृतिक प्रदेश या सांस्कृतिक परिमंडल कहलाता है। प्रत्येक सांस्कृतिक परिमंडल अपने आप में विशिष्ट होता है। सांस्कृतिक प्रदेश का निर्धारण धर्म, भाषा, प्रजातीय गुण, वेश-भूषा, रहन-सहन का स्तर, आर्थिक विशेषता आदि के आधार पर किया जाता है। ब्राक वेब ने धर्म को सांस्कृतिक परिमंडल के निर्धारण का सर्वाधिक महत्वपूर्ण आधार माना है तथा विश्व के विभिन्न सांस्कृतिक प्रदेशों का नामकरण ....
Question : हृदय स्थल सिद्धांत का परीक्षण कीजिए तथा इसके गुण-दोषो का आकलन कीजिए।
(2005)
Answer : 20वीं शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों में मेकिन्डर ने अनुभव किया कि सामुद्रिक शक्ति पर आधारित भू-सामरिक प्रभाव के युग का अंत हो चुका है। बदलती हुई तकनीकी एवं अंतमहाद्वीपीय रेलमार्गों के विकास के साथ स्थलीय सामरिक प्रभाव में वृद्धि की संभावना है। अतः 20वीं शताब्दी में भू-सामरिक दृष्टि से वह देश अधिक महत्वपूर्ण होगा, जो स्थलीय सैन्य शक्ति और रेलमार्गों का विकास कर महत्वपूर्ण स्थलखंडों पर अपना प्रभाव स्थापित करेगा। मेकिन्डर ने अपना ये विचार ....
Question : क्षेत्रीय विभिन्नता
(2005)
Answer : क्षेत्रीय विभिन्नता (Areal differentiation) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग कार्ल सावर द्वारा 1925 ई. में अपनी प्रसिद्ध पुस्तक Geography and its Relation to other Science में किया गया है, लेकिन लगभग इसी प्रकार का विचार जर्मन भूगोलवेत्ता द्वारा 19वीं शताब्दी के अंत में तथा 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में किया गया है। जर्मन भूगोलवेत्ताओं में हेटनर तथा रिचथोपेन का कार्य विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इन दोनों ने क्षेत्र विवरण विज्ञान को विकसित किया, जिसका विषय ....
Question : औद्योगिक स्थानीयकरण के वेबर के सिद्धांत की विवेचना कीजिए तथा वर्तमान के संदर्भ में इसकी प्रासंगिकता का आकलन कीजिए।
(2005)
Answer : उद्योगों के स्थानीयकरण पर कई कारकों का प्रभाव पड़ता है। इसमें कच्चा माल, बाजार परिवहन, श्रमिक तकनीकी उपलब्धता ऊर्जा और अन्य संरचनात्मक सुविधाएं प्रमुख हैं। सभी उद्योगों पर सभी कारकों का समान प्रभाव नहीं पड़ता है। अतः कारकों के प्रभाव की विविधता को ध्यान में रखकर अनेक अर्थशास्त्रियों और भूगोलवेत्ताओं ने उद्योगों के स्थानीयकरण की प्रवृत्तियों के सामान्यीकरण का प्रयास किया है। इन सबों में अल्फ्रेड वेबर का कार्य सबसे पुराना (1907) है। यह अधिकतर ....
Question : भौगोलिक अध्ययनों में आमूल परिवर्तनवादी और कल्याणवादी उपागमों के बीच विभेदन कीजिए।
(2004)
Answer : किसी भी समय में भौगोलिक विचार, प्रचलित दार्शनिक विचार बिदुंओं और प्रमुख क्रिया-पद्धतियों, प्रवधियों के बीच अन्योन्यक्रिया का परिणाम होता है। विचार बिंदुओं की विस्तृत भिन्नताओं के कारण दोनों ही दर्शन और क्रिया-पद्धति के कारण इसमें निरंतर बदलाव आया है। 1970 का दशक आधुनिक भूगोल के लेखन में संक्रांति काल कहा जाता है। इस काल में ही पहले से चल रहे परिमाणात्मक उपागम के खिलाफ दो भिन्न-भिन्न पर महत्वपूर्ण दार्शनिक विचारधारा सामने आये जो कल्याणवादी ....
Question : संसार को आज की राजनीतिक स्थिति को समझने में केंद्र स्थल और परिधि स्थल थियोरियां किस सीमा तक सहायक है? अपने विचार स्पष्ट रूप से व्यक्त कीजिए।
(2004)
Answer : मैकिंडर ने यूरोपीय राजनीतिक इतिहास को मूलतया स्थल और सामुद्रिक शक्तियों के बीच सतत् संघर्ष के घटनाक्रम के रूप में देखते हुए 1904 में हृदयस्थल सिद्धांत का प्रतिपादन किया। इस सिद्धांत के अनुसार, महाद्वीपीय शक्ति का प्रतिनिधित्व विश्वद्वीप समूह द्वारा होता था, जो यूरेशिया और अफ्रीका के संयुक्त स्थलखंड से बना था। ये हृदयस्थल पृथ्वी पर महानतम प्राकृतिक दुर्ग माना गया, जो चारों ओर से भौगोलिक अवरोधों से घिरा था। इसके विस्तृत औद्योगिक और कृषि ....
Question : वृद्धि की सीमाएं।
(2004)
Answer : वृद्धि की सीमा मॉडल का प्रतिपादन क्लब ऑफ रोम द्वारा 1972 ई. में प्रस्तुत किया गया था। इस मॉडल का आधार 1900-1970 के बीच के पांच प्रमुख वृद्धि चरों की समीक्षा है। इस मॉडल का लक्ष्य वर्ष 2100 रखा गया है। दूसरे शब्दों में पिछले 70 वर्षों की प्रवृत्ति को आधार मानकर अगले 130 वर्षों की विकास प्रवृत्ति को इस सिमुलेशन मॉडल के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। इसमें निम्नलिखित पांच विकास चरों की ....
Question : रोस्तोव द्वारा प्रतिपादित आर्थिक विकास अवस्था मॉउल का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। अपने उत्तर की पुष्टि उपयुक्त उदाहरणों से कीजिए।
(2003)
Answer : विकास की सतत वृद्धि (Groath as an on going process) के सिद्धांतों के विपरीत कई विद्वानों ने संरचनात्मक परिवर्तन को अधिक महत्वपूर्ण माना है। इन विद्वानों द्वारा प्रस्तुत सिद्धांतों को सामूहिक रूप से अवस्थापरक सिद्धांत कहा गया है। अवस्था परक सिद्धांतों में सर्वप्रमुख सिद्धांत प्रसिद्ध अमेरिकी इतिहासकार W. W. ROSTON का है। रोस्तोव के अनुसार औद्योगीकरण तथा आर्थिक विकास की कई सुस्पष्ट अवस्थाएं होती हैं। कोई भी आधुनिक देश आर्थिक विकास के मार्ग पर इन्हीं ....
Question : मानव भूगोल में मानवीय तथा कल्याणपरक उपागमों का समालोचनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत कीजिए।
(2003)
Answer : भूगोल में आलोचनात्मक क्रांति के अंतर्गत जिन नये उपागमों और विषय-वस्तु का विकास हुआ है उसमें मानववादी भूगोल एक है।
इस भूगोल के विकास का श्रेय TUAN महोदय (1976 में) को जाता है। उन्होंने ‘ह्यूमेनिस्टिक ज्योग्रॉफ्री’ नामक पुस्तक के माध्यम से इसे मानव भूगोल का नवीन विषय-वस्तु बनाया। मानववादी उपागम भूगोल को व्यावहारिक एवं कल्याणकारी भूगोल के रूप में स्थापित करता है। टूआन के चिंतन पर फ्रांसीसी भूगोलवेत्ता विडाल डीला ब्लोरा के कार्यों का प्रभाव था। ....
Question : वियुक्त अवस्था
(2002)
Answer : वियुक्त अवस्था की अवधारणा वान थ्युनेन ने 1826 में दी थी। उनका प्रमुख लक्ष्य कृषि-आर्थिक क्रियाओं को धरातल पर एक व्यवस्थित मॉडल के रूप में प्रदर्शित करना था। उन्होंने कुछ साधारणीकृत मान्यताओं का सहारा लिया जैसे-
Question : रिमलैण्ड थ्योरी
(2002)
Answer : रिमलैंड थयोरी का प्रतिपादन स्पाइकमैन ने अपनी बुक रचना- The Geography of the Peace में किया था। वस्तुतः यह मैकाइंडर के हार्टलैंड सिद्धांत के प्रतिक्रियास्वरूप या एवं उसके मूलभूत सिद्धान्तों तथा उसके आधारों का खंडन-मंडन था।
स्पाइकमैन ने भी उन्हीं आधारों के सहारे अपने सिद्धान्त का विमोचन किया जिन पर हार्टलैंड सिद्धांत आश्रित था। वस्तुतः इन दोनों सिद्धान्तों के आधार तो एक थे, पर निष्कर्ष अलग-अलग थे।
स्पाइकमैन का रिमलैंड सागरीय एवं महाद्वीपीय दोनों का ही मिश्रित ....
Question : क्रिस्टॉलर और लौश के केन्द्रीय स्थान के बीच अंतर की मुख्य बिंदुओं का विवेचन कीजिए
(2002)
Answer : केन्द्रीय स्थान सिद्धांत का प्रतिपादन सर्वप्रथम क्रिस्टॉलर महोदय ने किया था। इनका प्रयास भूक्षेत्र पर फैले अधिवासों का श्रृंखलागत संयोजन एवं जनसंख्या के संघटन एवं वितरण की प्रणाली को एक सिद्धान्त के रूप में प्रस्तुत करना था। इस सिद्धान्त में इन्होंने क्रमागत व्यवस्था की बात की है जो कि कुछ महत्वपूर्ण कारणों पर आधारित होता है। इनका सिद्धांत 1933 में प्रकाश में आया। इसकी परिकल्पना का मूल आधार निम्नांकित हैः
Question : भूगोल के परिप्रेक्ष्य में ‘धारणीय विकास’ पर एक निबंध लिखिए।
(2002)
Answer : धारणीय विकास वह अवधारणा है जिसमें प्राकृतिक सम्पदाओं का संरक्षण एवं समुचित उपयोग की विशेष परिकल्पना की गयी है, ताकि आने वाली पीढि़यां आर्थिक एवं पर्यावरणीय रूप से विपन्न न हो जाएं।

मनुष्य ने अपने लाभकारी उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्राकृतिक सम्पदाओं का जी-भरकर मंथन किया है। इस प्रक्रिया की शुरुआत मानव जीवन के विकास काल से ही शुरू हो जाती है। परन्तु आधुनिक युग में इसकी हर ....
Question : नव पर्यावरणवाद।
(2002)
Answer : ग्रीकों एवं अरबों के प्राचीन युग से ही पर्यावरण का मानव एवं उसकी आर्थिक एवं सामाजिक दशाओं का अध्ययन भूगोल का एक प्रमुख विषय-वस्तु रहा है। हालांकि इस विषय से कई विषयांतर भी हुए हैं, पर पर्यावरण का मनुष्य के क्रियाकलाप पर प्रभाव को कभी भी नकारा नहीं जा सका है।
निश्चयवाद (Determinism) का सिद्धान्त हजारों साल तक भूगोल का विषयवस्तु रहा है। पुनः पर्यावरणीय निश्चयवाद ने इसी अवधारणा को और सुदृढ़ किया। संभववाद की विषयवस्तु ....
Question : मानव भूगोल में क्रांतिकारी उपागम
(2001)
Answer : मानव भूगोल में क्रांतिकारी उपागम का विकास संयुक्त राज्य अमेरिका में उस परिस्थिति में हुआ, जब वियतनामी युद्ध में पराजय के कारण अमेरिकी समाज में निराशा, सामाजिक विषमता, जातीय तनाव, वर्ग-संघर्ष एवं मार्क्सवाद के प्रति उदासीनता का वातावरण व्याप्त था। पीट के अनुसार क्रांतिकारी उपागम का विकास स्थापित संस्थाओं की प्रति प्रतिक्रिया के रूप में हुआ, जो आरंभ में तात्कालिक सकारात्मक विश्लेषण का विरोध करता था। इस उपागम के विकास में ‘एंटीपोड’ नामक पत्रिका एवं ....
Question : मानव भूगोल में तंत्र विश्लेषण की संकल्पना तथा अनुप्रयोग की विवेचना कीजिए।
(2001)
Answer : तंत्र को विभिन्न रूप से परिभाषित किया गया है। जेम्स के शब्दों में ‘‘एक तंत्र को एक संपूर्ण (एक व्यक्ति, राज्य, संस्कृति आदि) के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो एक संपूर्ण के रूप में कार्य करता है, क्योंकि इसके अंग अन्योन्याश्रित होते हैं।’’ A system may be defined as "A hole (a person, a state, a culture, a business) which functions as a whole because of the interdependence of its part," ....
Question : संवृद्धि की सीमाएं
(2000)
Answer : वृद्धि की सीमाएं 1972 में प्रकाशित एक रिपोर्ट का शीर्षक था, जिसे क्लब ऑफ रोम (बुद्धिमान व्यक्तियों का एक समूह) ने तैयार किया था। विस्तृत रूप से इसने इस मान्यता पर प्रश्न चिन्ह लगाया कि आर्थिक वृद्धि की कोई सीमा नहीं होती। इसने वृद्धि यानि विकास के उद्देश्य एवं अपनायी जा रही पद्धतियों पर नये ढंग से सोचने की आवश्यकता पर बल दिया।
बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध के बाद से तीव्रतम गति से बढ़ती जनसंख्या तथा ....
Question : क्रिस्टालर की केंद्रीय स्थान थियोरी के आधार और अनुप्रयोज्यता को स्पष्ट कीजिए। हाल के संशोधनों के संबंध में बताइए।
(2000)
Answer : केंद्रीय स्थान वह बस्ती है जो चारों ओर फैले पृष्ठ प्रदेश के लिए सामाजिक-आर्थिक प्रकार के विभिन्न कार्यों का आवश्यक रूप से एक संग्रह केंद्र है। केंद्रीय स्थान का मूल तत्व अपने से बड़े व विस्तृत क्षेत्र के लिए सेवाएं व माल प्रदान करना है। वास्तव में केंद्रीय शब्द एक सापेक्षिक शब्द है। प्रत्येक प्रदेश छोटी बस्ती पुरवा से लेकर बड़ी बस्ती कस्बा व नगर से युक्त होता है। ये सभी केंद्रीय स्थान हैं जो ....
Question : गुरुत्वीय मॉडल
(1999)
Answer : गुरुत्व मॉडल, न्यूटन के गुरुत्व सिद्धांत पर आधारित है। 19वीं सदी में भूगोलवेत्ताओं ने यह पाया कि स्थानांतरण का प्रवाह, समूह के आकार एवं उनके मध्य दूरी पर ठीक उसी प्रकार निर्भर रहता है, जिस प्रकार ब्रह्माण्ड में स्थित पदार्थ एक-दूसरे की ओर आकर्षित होने के लिए निर्भर रहते हैं। दूरी के साथ-साथ आकर्षण भी कम होता जाता है, जिसे भूगोल में ‘डिस्टेंस डिके’ सिद्धांत के नाम से जाना जाता है।
उपयोगः
(i) माल प्रवाह: पूरक ....
Question : बीसवीं शताब्दी के दौरान भौगोलिक चिन्तन के प्रमुख निदर्शन परिवर्तन के अनुक्रम का वर्णन कीजिए।
(1999)
Answer : कून के अनुसार डार्विन से पहले भूगोल पूर्व निदर्शन अवस्था में था। रिटर ने बेकन की आगमनिक विधि को जरूर अपनाया, परन्तु वह भूगोल को निदर्शन की प्रथम अवस्था तक ले जाने में नाकामयाब रहा। भूगोल को निदर्शन की प्रथम अवस्था में पहुंचाने का श्रेय रेटजेल को जाता है, जिसे ‘निश्चयवाद’ का जन्मदाता कहा जाता है।
बीसवीं सदी में आगमनिक विधि का स्थान निगमनात्मक विधि ने ले लिया। इस प्रकार प्रत्यक्षवाद (Positivism) का जन्म हुआ। इस ....
Question : संसार में आर्थिक विकास के और मानवीय विकास के प्रतिमान कहां तक एक दूसरे से मेल खाते हैं? अपने उत्तर को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
(1999)
Answer : संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने वर्ष 1999 की मानव विकास रिपोर्ट में विभिन्न राष्ट्रों की स्थिति का आकलन तीन विभिन्न सूचकांक (देखें तालिका ‘ए’) के आधार पर किया। इनमें से प्रमुख ‘मानव विकास सूचकांक’ है जो जीवन प्रत्याशा, शैक्षणिक उपलब्धि तथा वास्तविक प्रतिव्यक्ति आय पर आधारित है। इसका ब्यौरा निम्नलिखित हैः
| देश | एच.डी.आई. रैंक | प्रतिव्यक्ति वास्तविक जी.डी.पी. (डॉलर) |
|---|---|---|
| कनाडा | 1 | 22480 |
| अमेरिका | 3 | 29010 |
| जापान | 4 | 24070 |
| ब्रिटेन | 10 | 20730 |
| रूस | 71 | 4370 |
| चीन | 98 | 3130 |
| भारत | 132 | 1670 |
| पाकिस्तान | 138 | 1560 |
| बांग्लादेश | 150 | 1050 |
| सिएरा लियोन | 174 | 410 |
इससे यह स्पष्ट है कि आर्थिक विकास एवं मानवीय विकास में ....
Question : भूगोल में प्रमात्रीकरण से क्या समझा जाता है? आधुनिक भौगोलिक अध्ययनों में प्रमात्रीकरण के महत्त्व पर उदाहरण देते हुए चर्चा कीजिए।
(1998)
Answer : बीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में भूगोलवेत्ता, भूगोल में वैज्ञानिक पुट की कमी से चिंतित थे। निश्चित सिद्धांत के अभाव में भूगोलवेत्ता नियमों व मॉडलों का प्रतिपादन नहीं कर पा रहे थे। भूगोल में वैज्ञानिक पद्धति अपनाने के लिए पांच अवस्थाएं सामने उभर कर आयींः 1. समस्या की पहचान, 2. अवधारणा का निर्माण, 3. अवधारणा से संबंधित सूचनाओं को एकत्रित तथा वर्गीकृत करना, 4. अवधारणा की वस्तुस्थिति के अनुसार जांच करना और तदोपरांत नियम बनाना, 5. ....