न्यूनतम समर्थन मूल्य पर समिति का गठन

हाल ही में केंद्र सरकार ने फसल विविधीकरण और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने, न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum support price) से संबंधित पहलुओं पर गौर करने के लिए एक प्रतीक्षित समिति का गठन किया है।

महत्वपूर्ण तथ्यः इस समिति का अध्यक्ष पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल को बनाया गया है।

  • इस समिति में नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद, भारतीय आर्थिक विकास संस्थान के कृषि अर्थशास्त्री सी-एस-सी- शेखर और आईआईएम-अहमदाबाद के सुखपाल सिंह और कृषि लागत तथा मूल्य आयोग के वरिष्ठ सदस्य नवीन पी-सिंह आदि को शामिल किया गया है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य

  • न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार द्वारा फसलों के लिए घोषित वह मूल्य होता है, जिस पर सरकारें कीमतों में गिरावट आने पर फसलों की खरीद को सुनिश्चित करने का वचन देती हैं।
  • फसल बुवाई के समय कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिश तथा आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा अनुमोदन के आधार पर सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की जाती है।
  • यह सरकार द्वारा किसानों की फसलों के मूल्य में गिरावट की दशा में प्रदान किए जाने वाला एक प्रकार का बीमा है, जिसका उद्देश्य संकट के समय में किसानों को उनकी फसलों के लिए उचित कीमत प्रदान करना है।
  • प्रतिवर्ष लगभग 23 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया जाता है। इनमें शामिल हैं; 7 अनाज फसलें (धान, गेहूं, मक्का, बाजरा, ज्वार, रागी और जौ);
  • 5 दालें (चना, अरहर, मूंग, उड़द और मसूर);
  • 7 तिलहन (रेपसीड-सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, तिल, कुसुम और नाइजरसीड) तथा
  • 4 व्यावसायिक फसलें (गन्ना, कपास, खोपरा और कच्चा जूट)।
  • गन्ना एकमात्र फसल है जिसके न्यूनतम समर्थन मूल्य के भुगतान को वैधानिक स्थिति प्राप्त है। गन्ने के संदर्भ में न्यूनतम समर्थन मूल्य को वैधानिक, उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) के रूप में जाना जाता है।

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