Question : राजभाषा के रूप में हिंदी की अद्यतन स्थिति की समीक्षा कीजिए।
(2008)
Answer : राजभाषा के संबंध में भारतीय संविधान के भाग 5,6 और 17 में उपबंध हैं। भाग 17 का शीर्षक ‘राजभाषा’ है। इस भाग में चार अध्याय हैं, जो क्रमशः संघ की भाषा, प्रादेशिक भाषाएं,
उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों आदि की भाषा तथा निर्देश से संबंधित हैं।
इसके अतिरिक्त अनु. 120 (भाग-5) तथा अनु. 210 (भाग-6) में संसद एवं विधानमंडलों की भाषा के संबंध में विवरण दिया गया है।
स्पष्ट है कि राजभाषा के रूप में हिंदी को ....
Question : राष्ट्रभाषा हिन्दी
(2006)
Answer : काफी सारे लोग हिन्दी को भारत की राष्ट्रभाषा कहते हैं तथा ऐसे लोग भी हैं, जो हिन्दी को भारत की राजभाषा कहते है। हालांकि एक तीसरा वर्ग ऐसे लोगों का भी है, जो हिन्दी को न तो राष्ट्रभाषा मानते है, न राजभाषा।
वे कहते हैं कि हिन्दी, बांग्ला, मराठी, गुजराती आदि बहुत-सी भारत की राजभाषाएं हैं तथा राजभाषा की समस्या अभी अन्तिम रूप से तय नहीं हुई है और फिलहाल प्रयोग को देखते हुए, अंग्रेजी कहीं ....
Question : राजभाषा और राष्ट्रभाषा का तात्त्विक भेद
(2005)
Answer : राजभाषा का अर्थ है राजा या राज्य की भाषा अर्थात् राजभाषा वह भाषा है, जिसका प्रयोग राजकीय, प्रशासनिक तथा सरकारी-अर्धसरकारी कर्मचारियों, अधिकारियों शासन के कार्यों में की जाती है। विविध प्रकार के राजकीय कार्य कलाप की माध्यम भाषा राजभाषा कहलाती है।
दूसरी ओर राष्ट्रभाषा समूचे राष्ट्र के अधिकांश जन-सामान्य द्वारा प्रयुक्त होती है। देश के अधिकतर भागों में आम लोग, जिस भाषा में आपसी बातचीत, विचार-विमर्श और लोक-व्यवहार करते हैं, वहीं राष्ट्रभाषा है।
राष्ट्रभाषा का शब्द भण्डार ....
Question : हिन्दी भाषा की विकास-यात्र पर एक नातिदीर्घ लेख लिखिए।
(2005)
Answer : हिन्दी भाषा का इतिहास बहुत पुराना है। इसके प्रारंभिक रूप अपभ्रंश तथा अवहट्ठ की रचनाओं में ही मिलने लगता है। सिद्धों और जैनों के आठवीं शताब्दी के रचे साहित्य में खड़ी बोली के दर्शन किये जा सकते हैं। बारहवीं शताब्दी तक इसके रूप स्पष्ट होने लगते हैं। गुजरात के राजा सिद्धराज जयसिंह के दरबारी कवि हेमचन्द्र के व्याकरण ग्रंथ ‘सिद्ध हेमचन्द्र शब्दानुशासन’ में उद्धृत छंद से खड़ी बोली की व्यापकता और प्राचीनता का प्रमाण मिलता ....
Question : राजभाषा के रूप में हिन्दी का स्वरूप
(2004)
Answer : प्रत्येक भाषा प्रारंभ में बोलचाल की भाषा ही होती है, अतः इसका एक ही रूप होता है और उसे बोलचाल की भाषा कहा जाता है, किन्तु आगे चालकर भाषा की प्रयुक्ति क्षेत्र में विस्तार होने लगता है तो उसका स्वरूप भी प्रत्येक प्रयुक्ति के अनुसार अलग-अलग होने लगता है। अर्थात् किसी भाषा की प्रत्येक प्रयुक्ति की अपनी अलग-अलग विशेषताएं होती हैं, जो उसके स्वरूप को स्पष्ट और निर्धारित करती है। राजभाषा हिन्दी की एक प्रयुक्ति ....
Question : आधुनिक हिन्दीः तकनीकी विकास
(2004)
Answer : भाषा और विज्ञान का अटूट संबंध है। जहां विज्ञान तथ्य की खोज करता है वहीं भाषा उस तथ्य की अभिव्यक्ति करती है, अतः वैज्ञानिक या तकनीकी उपलब्धियों को जनमानस तक पहुंचाने के लिए उसका स्वदेशी भाषा में अनुवाद आवश्यक है। हिन्दी में विज्ञान साहित्य का अभाव रहा है, जिसके कारण वैज्ञानिक उपलब्धियों के द्वारा प्रकाशित करने के प्रयास किये गए हैं। वर्तमान समय में विज्ञान का तीव्र विकास हो रहा है और विज्ञान के विकास ....
Question : राजभाषा, राष्ट्र भाषा व सम्पर्क भाषा
(2003)
Answer : भारत की स्वाधीनता से पहले हिन्दी में राजभाषा शब्द का प्रयोग नहीं मिलता है। संविधान का प्रारूप तैयार करते समय ‘ऑफिशियल लैंग्वेज’ का हिन्दी अनुवाद ‘राजभाषा’ किया गया और फिर यह शब्द प्रचलन में आया। स्पष्ट है कि ‘राजभाषा’ शब्द का प्रयोग शासक या शासन (राज्य) की भाषा के लिए किया गया। अतः राजभाषा का तात्पर्य उस भाषा से है, जिसमें शासक या शासन का काम होता है। दूसरी ओर राष्ट्रभाषा समुचे राष्ट्र के अधिकांश ....
Question : हिन्दी भाषा में लिंग समस्या
(2003)
Answer : शब्द की जाति को लिंग कहते हैं। संज्ञा के जिस रूप से व्यक्ति या वस्तु की जाति का बोध हो, उसे व्याकरण में लिंग कहते हैं। सारी सृष्टि की मुख्य तीन जातियां है- (1) पुरुष, (2) स्त्री और (3) जड़। अनेक भाषाओं में इन्हीं तीन जातियों के आधार पर लिंग के भी तीन भेद किये गये हैं- (1) पुलिंग (2) स्त्रीलिंग और (3) नपुंसक लिंग। मराठी, गुजराती आदि आधुनिक आर्यभाषा में भी यह व्यवस्था ज्यों-की-त्यों ....
Question : राष्ट्रभाषा हिन्दीः
(2002)
Answer : जो भाषा थोड़े बहुत सारे राष्ट्र में बोली और समझी जाती है, वह अपने इसी गुण से राष्ट्रभाषा होती है। भारत में युग-युग से मध्य देश की भाषा सटे देश का माध्यम बन जाती रही है। संस्कृत, पालि, प्राकृत और हिन्दी क्रमशः प्रत्येक युग में संपूर्ण देश में प्रयुक्त होती रही है। भले ही राजनीतिक दृष्टि से भारत खंड की एकता हाल की चीज हो, किन्तु यहां पर सांस्कृतिक एकता हाल की चीज हो, किन्तु ....
Question : स्वतंत्र्योत्तर भारत में राजभाषा के रूप में हिन्दी का विकास कहां तक सफल हुआ है? चर्चा कीजिए।
(2002)
Answer : भारतीय संविधान में हिन्दी को राजभाषा के रूप में मान्यता प्रादान करते हुए यह व्यवस्था की गई कि संविधान को लागू होने (26 जनवरी, 1950) के पंद्रह वर्ष बाद (1956) तक हिन्दी को राजभाषा के पद पर आसीन कर दिया जाएगा। इसके बाद राष्ट्रपति, राजभाषा आयोग, संसद और सरकार ने आदेश, सुझाव, नियम, अधिनियम और अनुदेश जारी करके राजभाषा हिन्दी के प्रयोग को सुनिश्चित किया।
राष्ट्रपति ने 1955 में यह आदेश जारी किया कि जनता के ....
Question : संघ की भाषा के रूप में हिन्दी के विकास सूत्र
(2001)
Answer : राष्ट्रभाषा और राजभाषा के रूप में हिन्दी के विकास-इतिहास का अध्ययन करने से स्पष्ट हो जाता है कि सदियों से भारतीय जनता ने और पिछली लगभग आधी शताब्दी से देश की लोकतंत्रीय सरकारों ने हिन्दी को सच्चे अर्थों में राष्ट्रभाषा और राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए प्रयास किया। इस संबंध में समय-समय पर जारी किये गये नियमों, अधिनियमों, संकल्पों, आदेशों आदि से यह भी स्पष्ट होता है कि संघभाषा के रूप में ....
Question : वैज्ञानिक और तकनीकी भाषा के स्वरूप को स्पष्ट करते हुए हिन्दी में पारिभाषिक शब्दावली के निर्माण को सुलझाने की दिशाएं रेखांकित कीजिए।
(2001)
Answer : भाषा को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता हैः (1) अभिव्यक्तिपरक (2) प्रगतिपरक। वैज्ञानिक एवं तकनीकी भाषा प्रगतिपरक वर्ग में ही आते हैं। वैसे भाषा और विज्ञान का अटूट संबंध है। जहां विज्ञान तथ्य की खोज करता है, वहीं भाषा उस तथ्य की अभिव्यक्ति करती है और वैज्ञानिक उपलब्धियों को जनमानस तक पहुंचाने में माध्यम का कार्य करती है। जहां तक वैज्ञानिक एवं तकनीकी भाषा के स्वरूप का संबंध है, तो यह भाषा पूर्णतः ....
Question : राष्ट्रभाषा को परिभाषित करते हुए भारत की राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी के विकास पर विचार कीजिए।
(2000)
Answer : राष्ट्रभाषा उसे कहते हैं, जो संपूर्ण राष्ट्र में सामान्य तौर पर बोली और समझी जाती है। राष्ट्र के सर्वाधिक लोग उसी भाषा के माध्यम से अभिव्यक्ति करते हैं। राष्ट्रभाषा में राष्ट्र की आत्मा बोलती है। समूचे देश की जनता की सोच, संस्कृति, विश्वास, धर्म और समाज संबंधी धारणाएं, जीवन के विविधापूर्ण व्यावहारिक पहलू, लेकिन आध्यात्मिक प्रवृत्तियां निजी और सामूहिक सुख-दुख के भाव, लोकनीति संबंधी विविध विचार और दृष्टिकोण राष्ट्रभाषा के माध्यम से ही साकार होते ....
Question : राजभाषा की संवैधानिक स्थिति पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
(1999)
Answer : स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जब भारतीय संविधान की रचना हुई तो 14 सितंबर, 1949 ई. को भारत के संविधान में हिन्दी को मान्यता प्रदान की गई। संविधान की धारा- 120 के अनुसार, संसद का कार्य हिन्दी या अंग्रेजी भाषा में किया जाता है। परंतु लोकसभा का अध्यक्ष या राजसभा का सभापति किसी सदस्य को उसकी मातृभाषा में सदन को संबोधित करने की अनुमति दे सकता है। संसद विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न करे तो 15 ....