Question : दक्खिनी हिंदी
(2008)
Answer : दक्षिण में प्रयुक्त होने वाले हिंदी को दक्खिनी हिंदी नाम से अभिहित किया गया है। इसका मूल आधार दिल्ली के आस-पास की 14वीं सदी की खड़ी बोली है। मुसलमानों (फौज, फकीर, दरवेश) के साथ हिंदी भाषा दक्षिण में पहुंची तथा उत्तर भारत से जाने वाले मुसलमानों और हिंदुओं द्वारा प्रयुक्त होने लगी।
इसमें कुछ तत्व पंजाबी, हरियाणवी, ब्रज तथा अवधी के भी हैं क्योंकि इन क्षेत्रें से भी लोग दक्षिण में गए, जिसके माध्यम से यह ....
Question : प्रारंभिक खड़ी बोली और अमीर खुसरो
(2007)
Answer : हिन्दी भाषा के विकास के आरंभिक युग में ही प्रतिभा के धनी अमीर खुसरो का जन्म हुआ। उन्नीसवीं शताब्दी से पूर्व हिन्दी भाषा एवं साहित्य का विकास-यात्र में खुसरो की हिन्दी रचनाएं एक महत्वपूर्ण प्रस्थान बिन्दु हैं।
उनकी ये हिन्दी रचनाएं काफी लोकप्रिय रही हैं। उनकी पहेलियां, मुकरियां, दो सखुने अभी तक लोगों की जुबान पर हैं। उनके नाम से निम्नलिखित दोहा प्रसिद्ध है जिसके संबंध में कहा जाता है कि यह दोहा खुसरो ने ख्वाजा ....
Question : पूर्वी हिन्दी की बोलियों का परिचय एवं उनके अन्तर्संबंध।
(2007)
Answer : पूर्वी हिन्दी का वही क्षेत्र है जो प्राचीन काल में उत्तर कोसल और दक्षिण कोसल था।
यह क्षेत्र उत्तर से दक्षिण तक दूर-दूर तक चला गया है। इसके अन्तर्गत उत्तर प्रदेश में अवधी और मध्य प्रदेश में बघेली तथा छत्तीसगढ़ी का सारा क्षेत्र आता है, अर्थात् कानपुर से मिर्जापुर तक (लगभग 240 किमी-) और लखीमपुर की उत्तरी सीमा से दुर्ग बस्तर की सीमा तक (लगभग 900 किमी-) के क्षेत्र में पूर्वी हिन्दी बोली जाती है। इसके ....
Question : पूर्वी और पश्चिमी हिन्दी
(2003)
Answer : पूर्वी हिन्दी और पश्चिमी हिन्दी की दो उपभाषाएं हैं। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि इन नामों से किन्हीं भाषाओं का अस्तित्व है और ये किसी क्षेत्र विशेष में बोली जाती हैं। वास्तव में यह नाम क्षेत्रीय निकटता और भाषिक समानता के आधार पर कुछ बोलियों के समूह के लिए प्रयुक्त नाम है। ये नाम ग्रियर्सन के रखे हुए हैं। उन्होंने केवल आठ बोलियों को ही भाषा वैज्ञानिक दृष्टि से हिन्दी के अन्तर्गत मानते ....
Question : विभाषा, बोली और भाषा के सबंधों को सोदाहरण स्पष्ट करते हुए हिन्दी की प्रमुख बोलियों का परिचय दीजिए।
(2003)
Answer : किसी भी भाषा को भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर कई वर्गों में बांटा जाता है। इसमें किसी भाषा का सबसे छोटा रूप व्यक्तिगत बोली होती है। यह व्यक्ति विशेष की उच्चारण विशेषताओं पर आधारित होती है। एक क्षेत्र के बहुत से लोगों की व्यक्तिगत बोली मिलकर स्थानीय बोली का निर्माण करती है। एक से अधिक स्थानीय बोलियां मिलकर एक उपबोली बनाती है और कई उपबोलियों के मिलने से बोली का निर्माण होता है। इन्हीं बोलियों ....
Question : भोजपुरी और अवधी में अंतरः
(2002)
Answer : पूर्वी हिन्दी की दो प्रमुख बोलियां अवधी और भोजपुरी हैं। भोजपुरी बिहारी हिंदी उपवर्ग की बोली है, जबकि अवधी अवध प्रांत की मुख्य बोली है। ध्वनि और व्याकरणिक संरचना की दृष्टि से दोनों में निम्नलिखित अंतर हैः
Question : हिन्दी की उपभाषाओं का वर्गीकरण करते हुए किन्हीं दो प्रमुख उपभाषाओं का परिचय दीजिए।
(2002)
Answer : आरंभ में ‘हिन्दी’ ‘हिन्दवी’ ‘भाषा’ या हिन्दुस्तानी’ किसी एक भाषा का नाम नहीं था। इसके अंतर्गत मध्य देश की लगभग सभी भाषाएं, विशेषकर दिल्ली और इसके आसपास की भाषाएं अवधी और ब्रजभाषा सम्मिलित थीं। आधुनिक काल में जब ‘हिन्दी’ भाषा को परिभाषित किया जाने लगा तो भाषावैज्ञानिकों और साहित्येतिहासकारों ने एक-दूसरे से किंचित भिन्न दृष्टिकोण अपनाया। ग्रियर्सन, सुनीति कुमार चटर्जी, धीरेन्द्र वर्मा, उदयनारायण तिवारी आदि भाषा शास्त्रियों के अनुसार प्राचीन मध्य देश की मुख्य बोलियों ....
Question : हिन्दी की प्रमुख बोलियों का संक्षिप्त परिचय
(2000)
Answer : मारवाड़ी, कौरवी, ब्रजभाषा, अवधी और भोजपुरी हिन्दी की प्रमुख बोलियां हैं। इसमें मारवाड़ी/राजस्थानी उपभाषा वर्ग की प्रमुख बोली है। यह राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में बोली जाती है, वैसे शुद्ध मारवाड़ी जोधपुर और उसके आसपास बोली जाती है, और कुछ मिश्रित रूप में अजमेर, किशनगढ़, मेवाड़, सिरोही, पालनपुर, जैसलमेर आदि के लंबे-चौड़े क्षेत्र तक व्याप्त है। राजस्थान में तो इस भाषा के प्रयोक्ता बड़ी संख्या में हैं ही, राजस्थान से बाहर भी मारवाड़ी व्यापारियों के ....
Question : बहु-भाषिक स्थिति में संपर्क-भाषा के रूप में हिन्दी की मान्यता पर विचार व्यक्त कीजिए।
(1999)
Answer : भारत की भाषा-समस्या सुलझ कर भी उलझी हुई.सी हैं। यहां अनेक धर्म, अनेक जातियां और अनेक भाषाओं का अस्तित्व है। भाषाओं और बोलियों की संख्या यहां लगभग सात सौ हैं, जो भारोपीय, द्रविड़, आस्ट्रो-एशियाटिक और चीनी इन चार परिवारों की है। इसमें प्रमुख हैं- कश्मीरी, सिंधी, पंजाबी, गुजराती, मराठी, तमिल, तेलगु, कन्नड़, मलयालम, बंगला, उडि़या, आसामी और हिन्दी। इस भाषा विविधता के बीच यह एक समस्या है कि संपर्क भाषा के रूप में किसे मान्यता ....